पाठ 35 : प्रभु का अधिकार
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सारांश
हमने सीखा कि प्रभु यीशु मसीह परमेश्वर का एकलौता पुत्र है। वह इस संसार में पापियों को बचाने के लिये मनुष्य बनकर आया। यद्यपि वह संसार में मनुष्य के समान रहा, फिर भी वह परमेश्वर था। उसे सब बातों पर अधिकार था। ‘‘उसने उन्हें अधिकारपूर्वक सिखाया।’’ इस पाठ में हम उसे बीमारी, प्रकृति और शैतान पर अधिकार का उपयोग करते हुए देखते हैं।
- बीमारी पर अधिकार : पद 1-17। यहाँ हम देखते हैं प्रभु ने तीन भिन्न-भिन्न बीमारों को किस तरह चंगा किया। फिर यह कहा गया है, ‘‘उसने उन सब को चंगा किया जो बीमार थे।’’ उसे बीमारियों पर पूरा अधिकार था। प्रभु ने किसी भी बीमार को चंगा किये बिना नहीं भेजा।यहाँ यीशु ने तीन व्यक्तियों को चंगा किया, एक कोढ़ी, एक लकवाग्रस्त और एक बुखार वाले को। सामान्यतः वे चंगे नही हो सकते थे, परंतु यीशु ने दोनों को तुरंत चंगा कर दिया। बुखार उतरते ही पतरस की सास ‘‘उठ खड़ी हुई और उनकी सेवा की’’। यह इस बात को दर्शाता है कि प्रभु ने उसे पूरी तरह चंगी किया था। इसी रीति से वह पापी को पूरी तरह और अनंतकाल के लिये बचाता है। प्रभु कभी किसी भी बात को अधूरी नहीं छोड़ देता। हम जो उसकी संतान हैं, हमें भी हमारा कोई भी कार्य अधूरा नहीं छोड़ना चाहिये। यीशु ने कोढ़ी और पतरस की सास दोनों को चंगा किया। उसने सरदार के दास को उसके शब्दों से चंगा किया। प्रभु का स्पर्श और उसका वचन दोनों ही चंगा करते हैं। कफरनहूम के एक भाग में उसने जो कहा, उस व्यक्ति को जो नगर के दूसरे ओर था चंगा किया।एक अन्य अवसर पर, लाजर जो चार दिनों से मर चुका था और दफना दिया गया था, कब्र से जीवित निकल आया था। जब प्रभु दोबारा आएगा, उसके शब्दों से मसीह में मृत लोग पुनः जीवित हो जाएँगे। इस्राएल में कोढ़ियों को छावनी से बाहर रहना पड़ता है। यदि वे सार्वजनिक क्षेत्रों में आ जाते थे तो उन्हें ‘‘अशुद्ध! अशुद्ध! कहना पड़ता था ताकि दूसरे उनसे दूर रहें (लैव्यवस्था 13:45-46)। यह ऐसा कोढ़ी था जिसे परमेश्वर ने छूआ था। जो व्यक्ति किसी कोढ़ी को छू लेता था वह भी बीमार हो जाता था और अशुद्ध हो जाता था। पाप भी उन सब को अशुद्ध करता है जो उसे छूते हैं, परंतु जब प्रभु किसी व्यक्ति को स्पर्श करता है, वह उसे शुद्ध करता और उसे पुनः बहाल करता है।लकवाग्रस्त व्यक्ति सुबेदार का दास था। यद्यपि सूबेदार एक अन्यजातीय था, वह परमेश्वर का भय मानता था। लूका कहता है कि उसने यहूदियों के लिये एक आराधनालय बनाया था। कई स्वामी उनके दासों से काम लेते हैं परंतु उनके प्रति प्रेम नहीं जताते, परंतु यह सूबेदार उसके दास से प्रेम करता था। इसके अलावा वह जीवते परमेश्वर की आराधना में इतना रूचि रखता था कि उसने यहूदियों के लिये एक आराधनालय भी बनाया था। एक सूबेदार के पास 100 सिपाही उसके अधीन रहते थे। उन पर उसका बड़ा अधिकार होता था। वह जो अधिकार को समझता था, यीशु के अधिकार पर विश्वास करता था। प्रभु ने सुबेदार की याचना पर न केवल उसके दास को चंगा किया, परंतु उसके विश्वास की सराहना भी कियापक्रति पर अधिकार पद 23-27। यहाँ हम देखते हैं कि वायु और समुद्र भी प्रभु की आज्ञा का पालन करते हैं। यीशु और उसके चेले नाव से गलील समुद्र के पार जा रहे थे। इस झील में अक्सर भारी तूफान उठता और हवाएँ चलती थी। उस दिन भारी हवा चली और लहरें नाव से ऊपर उठने लगीं। चेले बहुत डर गये थे। यीशु एक तकिया लेकर नाव के निचले भाग में सो रहा था। यद्यपि उसके पास सब सामर्थ और अधिकार था, परंतु जब वह मनुष्य बना, वह थक गया और उसे नींद आ गई। चेलों ने उसे उठाया। प्रभु ने उठकर तूफान और समुद्र को डाँटा और बड़ी शांति स्थापित हो गई। फिर उसने चेलों को उनके अल्पविश्वास के लिये डाँटा। हवा, तूफान और समुद्र, सूर्य, चंद्रमा और तारे और प्रकृति का सबकुछ परमेश्वर की आज्ञापालन में ही चलते हैं, परंतु मनुष्य जिसे चुनाव की स्वतंत्रता दी गई है, अपने सृष्टिकर्ता की आज्ञा का उलंघन करता है।शतान पर अधिकार : 28:34। जब वे झील की दूसरी ओर पहुँचे तो वे गिरासेनियों के देश में थे। यह स्थान किसी समय गदरेनियों का देश कहलाता था। वहाँ उनकी मुलाकात दुष्टात्माग्रस्त व्यक्ति से हुई जो कब्रों से निकल कर आया था। वह एक सेना था, उनकी एक बड़ी संख्या थी। वह बहुत खतरनाक था और आने-जानेवालों को डराता था, परंतु उसके भीतर की दुष्टात्माएँ उस समय डर गईं जब उन्होंने यीशु को देखा क्योंकि वे जानते थे कि वह कौन था। वे जानते थे कि यीशु ही है जो अंत में उसका न्याय करेगा (प्रकाशितवाक्य 20:10)। सुअरों का एक झुंड वहाँ चर रहा था। दुष्टात्माओं ने प्रभु से कहा कि वह उन्हें सुअरों में जाने दे। उसने उन्हें अनुमति दिया और वे सुअरों मे घुस गये दुष्टात्माग्रस्त व्यक्ति की तुलना उद्धाररहित व्यक्ति से की जाती है। वह कब्रों के बीच से आया और मरकुस कहता है कि वह नंगा था। कब्र हमें मृत्यु की याद दिलाती है। उद्धाररहित लोगों को हमेशा मृत्यु का डर बना रहता है। मत्ती 4:16 कहती है, ‘‘वे मृत्यु के देश और छाया में बैठे थे।’’ वे परमेश्वर की दृष्टि में नंगे भी हैं। प्रकाशितवाक्य 3:17 में पाप की तुलना नंगेपन से की गई है। जब एक पापी उद्धारकर्ता के पास आता है, वह डर से स्वतंत्रता पाता है और धार्मिकता का वस्त्र पाता है (प्रकाशितवाक्य 19:7)। उस जगह के लोग आए और उस चंगे हुए व्यक्ति को देखने लगे। जो यीशु के पैरों के पास बैठा था, कपड़े पहना था और मानसिक रूप से स्वस्थ था, परंतु धन्यवाद देने और खुश होने की बजाए उन्होंने यीशु को वहाँ से जाने को कहा। उन्होंने परमेश्वर या मनुष्य की बजाय सुअरों को ज्यादा महत्व दिया। यहूदियों के लिये सुअर पालना या खाना मना था, परंतु उस देश के लोगों ने मसीह की बजाय सुअरों को प्राथमिकता दिया। आज भी गदरेनियों के समान संसार प्रेमी परमेश्वर और उसकी बातों को नजरअंदाज करता है और संसार की बुनियादी बातों मे ध्यान लगाता है। गदेरा और गिरेसा दो भिन्न नगर थे। जो लोग इन नगरों के आसपास रहते थे उन्हें गिरासेनी या गदरेनी कहा जाता था। वे गिरागाशाइट लोगों के वंशज रहे होंगे। यदि ऐसा है तो वे अन्यजातीय रहे होंगे, जो यह बताता है कि वे सुअर क्यों पालते थे।
बाइबल अध्यन
मत्ती 8
अध्याय 8
जब वह उस पहाड़ से उतरा, तो एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली।
2 और देखो, एक कोढ़ी ने पास आकर उसे प्रणाम किया और कहा; कि हे प्रभु यदि तू चाहे, तो मुझे शुद्ध कर सकता है।
3 यीशु ने हाथ बढ़ाकर उसे छूआ, और कहा, मैं चाहता हूं, तू शुद्ध हो जा और वह तुरन्त को ढ़ से शुद्ध हो गया।
4 यीशु ने उस से कहा; देख, किसी से न कहना परन्तु जाकर अपने आप को याजक को दिखला और जो चढ़ावा मूसा ने ठहराया है उसे चढ़ा, ताकि उन के लिये गवाही हो।
5 और जब वह कफरनहूम में आया तो एक सूबेदार ने उसके पास आकर उस से बिनती की।
6 कि हे प्रभु, मेरा सेवक घर में झोले का मारा बहुत दुखी पड़ा है।
7 उस ने उस से कहा; मैं आकर उसे चंगा करूंगा।
8 सूबेदार ने उत्तर दिया; कि हे प्रभु मैं इस योग्य नहीं, कि तू मेरी छत के तले आए, पर केवल मुख से कह दे तो मेरा सेवक चंगा हो जाएगा।
9 क्योंकि मैं भी पराधीन मनुष्य हूं, और सिपाही मेरे हाथ में हैं, और जब एक से कहता हूं, जा, तो वह जाता है; और दूसरे को कि आ, तो वह आता है; और अपने दास से कहता हूं, कि यह कर, तो वह करता है।
10 यह सुनकर यीशु ने अचम्भा किया, और जो उसके पीछे आ रहे थे उन से कहा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि मैं ने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया।
11 और मैं तुम से कहता हूं, कि बहुतेरे पूर्व और पश्चिम से आकर इब्राहीम और इसहाक और याकूब के साथ स्वर्ग के राज्य में बैठेंगे।
12 परन्तु राज्य के सन्तान बाहर अन्धियारे में डाल दिए जाएंगे: वहां रोना और दांतों का पीसना होगा।
13 और यीशु ने सूबेदार से कहा, जा; जैसा तेरा विश्वास है, वैसा ही तेरे लिये हो: और उसका सेवक उसी घड़ी चंगा हो गया॥
14 और यीशु ने पतरस के घर में आकर उस की सास को ज्वर में पड़ी देखा।
15 उस ने उसका हाथ छूआ और उसका ज्वर उतर गया; और वह उठकर उस की सेवा करने लगी।
16 जब संध्या हुई तब वे उसके पास बहुत से लोगों को लाए जिन में दुष्टात्माएं थीं और उस ने उन आत्माओं को अपने वचन से निकाल दिया, और सब बीमारों को चंगा किया।
17 ताकि जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था वह पूरा हो, कि उस ने आप हमारी दुर्बलताओं को ले लिया और हमारी बीमारियों को उठा लिया॥
18 यीशु ने अपनी चारों ओर एक बड़ी भीड़ देखकर उस पार जाने की आज्ञा दी।
19 और एक शास्त्री ने पास आकर उस से कहा, हे गुरू, जहां कहीं तू जाएगा, मैं तेरे पीछे पीछे हो लूंगा।
20 यीशु ने उस से कहा, लोमडिय़ों के भट और आकाश के पक्षियों के बसेरे होते हैं; परन्तु मनुष्य के पुत्र के लिये सिर धरने की भी जगह नहीं है।
21 एक और चेले ने उस से कहा, हे प्रभु, मुझे पहिले जाने दे, कि अपने पिता को गाड़ दूं।
22 यीशु ने उस से कहा, तू मेरे पीछे हो ले; और मुरदों को अपने मुरदे गाड़ने दे॥
23 जब वह नाव पर चढ़ा, तो उसके चेले उसके पीछे हो लिए।
24 और देखो, झील में एक ऐसा बड़ा तूफान उठा कि नाव लहरों से ढंपने लगी; और वह सो रहा था।
25 तब उन्होंने पास आकर उसे जगाया, और कहा, हे प्रभु, हमें बचा, हम नाश हुए जाते हैं।
26 उस ने उन से कहा; हे अल्पविश्वासियों, क्यों डरते हो? तब उस ने उठकर आन्धी और पानी को डांटा, और सब शान्त हो गया।
27 और लोग अचम्भा करके कहने लगे कि यह कैसा मनुष्य है, कि आन्धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं।
28 जब वह उस पार गदरेनियों के देश में पहुंचा, तो दो मनुष्य जिन में दुष्टात्माएं थीं कब्रों से निकलते हुए उसे मिले, जो इतने प्रचण्ड थे, कि कोई उस मार्ग से जा नहीं सकता था।
29 और देखो, उन्होंने चिल्लाकर कहा; हे परमेश्वर के पुत्र, हमारा तुझ से क्या काम? क्या तू समय से पहिले हमें दु:ख देने यहां आया है?
30 उन से कुछ दूर बहुत से सूअरों का एक झुण्ड चर रहा था।
31 दुष्टात्माओं ने उस से यह कहकर बिनती की, कि यदि तू हमें निकालता है, तो सूअरों के झुण्ड में भेज दे।
32 उस ने उन से कहा, जाओ, वे निकलकर सूअरों में पैठ गए और देखो, सारा झुण्ड कड़ाड़े पर से झपटकर पानी में जा पड़ा और डूब मरा।
33 और चरवाहे भागे, और नगर में जाकर ये सब बातें और जिन में दुष्टात्माएं थीं उन का सारा हाल कह सुनाया।
34 और देखो, सारे नगर के लोग यीशु से भेंट करने को निकल आए और उसे देखकर बिनती की, कि हमारे सिवानों से बाहर निकल जा॥
मरकुस 4:35-41
35 उसी दिन जब सांझ हुई, तो उस ने उन से कहा; आओ, हम पार चलें,।
36 और वे भीड़ को छोड़कर जैसा वह था, वैसा ही उसे नाव पर साथ ले चले; और उसके साथ, और भी नावें थीं।
37 तब बड़ी आन्धी आई, और लहरें नाव पर यहां तक लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी।
38 और वह आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था; तब उन्होंने उसे जगाकर उस से कहा; हे गुरू, क्या तुझे चिन्ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं?
39 तब उस ने उठकर आन्धी को डांटा, और पानी से कहा; “शान्त रह, थम जा”: और आन्धी थम गई और बड़ा चैन हो गया।
40 और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं?
41 और वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले; यह कौन है, कि आन्धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?
मरकुस 5:1-20
और वे झील के पार गिरासेनियों के देश में पहुंचे।
2 और जब वह नाव पर से उतरा तो तुरन्त एक मनुष्य जिस में अशुद्ध आत्मा थी कब्रों से निकल कर उसे मिला।
3 वह कब्रों में रहा करता था। और कोई उसे सांकलों से भी न बान्ध सकता था।
4 क्योंकि वह बार बार बेडिय़ों और सांकलों से बान्धा गया था, पर उस ने सांकलों को तोड़ दिया, और बेडिय़ों के टुकड़े टुकड़े कर दिए थे, और कोई उसे वश में नहीं कर सकता था।
5 वह लगातार रात-दिन कब्रों और पहाड़ो में चिल्लाता, और अपने को पत्थरों से घायल करता था।
6 वह यीशु को दूर ही से देखकर दौड़ा, और उसे प्रणाम किया।
7 और ऊंचे शब्द से चिल्लाकर कहा; हे यीशु, पर मप्रधान परमेश्वर के पुत्र, मुझे तुझ से क्या काम? मैं तुझे परमेश्वर की शपथ देता हूं, कि मुझे पीड़ा न दे।
8 क्योंकि उस ने उस से कहा था, हे अशुद्ध आत्मा, इस मनुष्य में से निकल आ।
9 उस ने उस से पूछा; तेरा क्या नाम है? उस ने उस से कहा; मेरा नाम सेना है; क्योंकि हम बहुत हैं।
10 और उस ने उस से बहुत बिनती की, हमें इस देश से बाहर न भेज।
11 वहां पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था।
12 और उन्होंने उस से बिनती करके कहा, कि हमें उन सूअरों में भेज दे, कि हम उन के भीतर जाएं।
13 सो उस ने उन्हें आज्ञा दी और अशुद्ध आत्मा निकलकर सूअरों के भीतर पैठ गई और झुण्ड, जो कोई दो हजार का था, कड़ाडे पर से झपटकर झील में जा पड़ा, और डूब मरा।
14 और उन के चरवाहों ने भागकर नगर और गांवों में समाचार सुनाया।
15 और जो हुआ था, लोग उसे देखने आए। और यीशु के पास आकर, वे उस को जिस में दुष्टात्माएं थीं, अर्थात जिस में सेना समाई थी, कपड़े पहिने और सचेत बैठे देखकर, डर गए।
16 और देखने वालों ने उसका जिस में दुष्टात्माएं थीं, और सूअरों का पूरा हाल, उन को कह सुनाया।
17 और वे उस से बिनती कर के कहने लगे, कि हमारे सिवानों से चला जा।
18 और जब वह नाव पर चढ़ने लगा, तो वह जिस में पहिले दुष्टात्माएं थीं, उस से बिनती करने लगा, कि मुझे अपने साथ रहने दे।
19 परन्तु उस ने उसे आज्ञा न दी, और उस से कहा, अपने घर जाकर अपने लोगों को बता, कि तुझ पर दया करके प्रभु ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किए हैं।
20 वह जाकर दिकपुलिस में इस बात का प्रचार करने लगा, कि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े काम किए; और सब अचम्भा करते थे॥
लूका 8
अध्याय 8
इस के बाद वह नगर नगर और गांव गांव प्रचार करता हुआ, और परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाता हुआ, फिरने लगा।
2 और वे बारह उसके साथ थे: और कितनी स्त्रियां भी जो दुष्टात्माओं से और बीमारियों से छुड़ाई गई थीं, और वे यह हैं, मरियम जो मगदलीनी कहलाती थी, जिस में से सात दुष्टात्माएं निकली थीं।
3 और हेरोदेस के भण्डारी खोजा की पत्नी योअन्ना और सूसन्नाह और बहुत सी और स्त्रियां: ये तो अपनी सम्पत्ति से उस की सेवा करती थीं॥
4 जब बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई, और नगर नगर के लोग उसके पास चले आते थे, तो उस ने दृष्टान्त में कहा।
5 कि एक बोने वाला बीज बोने निकला: बोते हुए कुछ मार्ग के किनारे गिरा, और रौंदा गया, और आकाश के पक्षियों ने उसे चुग लिया।
6 और कुछ चट्टान पर गिरा, और उपजा, परन्तु तरी न मिलने से सूख गया।
7 कुछ झाड़ियों के बीच में गिरा, और झाड़ियों ने साथ साथ बढ़कर उसे दबा लिया।
8 और कुछ अच्छी भूमि पर गिरा, और उगकर सौ गुणा फल लाया: यह कहकर उस ने ऊंचे शब्द से कहा; जिस के सुनने के कान होंवह सुन ले॥
9 उसके चेलों ने उस से पूछा, कि यह दृष्टान्त क्या है? उस ने कहा;
10 तुम को परमेश्वर के राज्य के भेदोंकी समझ दी गई है, पर औरों को दृष्टान्तों में सुनाया जाता है, इसलिये कि वे देखते हुए भी न देखें, और सुनते हुए भी न समझें।
11 दृष्टान्त यह है; बीज तो परमेश्वर का वचन है।
12 मार्ग के किनरे के वे हैं, जिन्हों ने सुना; तब शैतान आकर उन के मन में से वचन उठा ले जाता है, कि कहीं ऐसा न हो कि वे विश्वास करके उद्धार पाएं।
13 चट्टान पर के वे हैं, कि जब सुनते हैं, तो आनन्द से वचन को ग्रहण तो करते हैं, परन्तु जड़ न पकड़ने से वे थोड़ी देर तक विश्वास रखते हैं, और परीक्षा के समय बहक जाते हैं।
14 जो झाड़ियों में गिरा, सो वे हैं, जो सुनते हैं, पर होते होते चिन्ता और धन और जीवन के सुख विलास में फंस जाते हैं, और उन का फल नहीं पकता।
15 पर अच्छी भूमि में के वे हैं, जो वचन सुनकर भले और उत्तम मन में सम्भाले रहते हैं, और धीरज से फल लाते हैं॥
16 कोई दीया बार के बरतन से नहीं छिपाता, और न खाट के नीचे रखता है, परन्तु दीवट पर रखता है, कि भीतर आने वाले प्रकाश पांए।
17 कुछ छिपा नहीं, जो प्रगट न हो; और न कुछ गुप्त है, जो जाना न जाए, और प्रगट न हो।
18 इसलिये चौकस रहो, कि तुम किस रीति से सुनते हो क्योंकि जिस के पास है, उसे दिया जाएगा; और जिस के पास नहीं है, उस से वे वह भी ले लिया जाएगा, जिसे वह अपना समझता है॥
19 उस की माता और भाई उसके पास आए, पर भीड़ के कारण उस से भेंट न कर सके।
20 और उस से कहा गया, कि तेरी माता और तेरे भाई बाहर खड़े हुए तुझ से मिलना चाहते हैं।
21 उस ने उसके उत्तर में उन से कहा कि मेरी माता और मेरे भाई ये ही हैं, जो परमेश्वर का वचन सुनते और मानते हैं॥
22 फिर एक दिन वह और उसके चेले नाव पर चढ़े, और उस ने उन से कहा; कि आओ, झील के पार चलें: सो उन्होंने नाव खोल दी।
23 पर जब नाव चल रही थी, तो वह सो गया: और झील पर आन्धी आई, और नाव पानी से भरने लगी और वे जोखिम में थे।
24 तब उन्होंने पास आकर उसे जगाया, और कहा; हे स्वामी! स्वामी! हम नाश हुए जाते हैं: तब उस ने उठकर आन्धी को और पानी की लहरों को डांटा और वे थम गए, और चैन हो गया।
25 और उस ने उन से कहा; तुम्हारा विश्वास कहां था? पर वे डर गए, और अचम्भित होकर आपस में कहने लगे, यह कौन है जो आन्धी और पानी को भी आज्ञा देता है, और वे उस की मानते हैं॥
26 फिर वे गिरासेनियों के देश में पहुंचे, जो उस पार गलील के साम्हने है।
27 जब वह किनारे पर उतरा, तो उस नगर का एक मनुष्य उसे मिला, जिस में दुष्टात्माएं थीं और बहुत दिनों से न कपड़े पहिनता था और न घर में रहता था वरन कब्रों में रहा करता था।
28 वह यीशु को देखकर चिल्लाया, और उसके साम्हने गिरकर ऊंचे शब्द से कहा; हे परम प्रधान परमेश्वर के पुत्र यीशु, मुझे तुझ से क्या काम! मैं तेरी बिनती करता हूं, मुझे पीड़ा न दे!
29 क्योंकि वह उस अशुद्ध आत्मा को उस मनुष्य में से निकलने की आज्ञा दे रहा था, इसलिये कि वह उस पर बार बार प्रबल होती थी; और यद्यपि लोग उसे सांकलों और बेडिय़ों से बांधते थे, तौभी वह बन्धनों को तोड़ डालता था, और दुष्टात्मा उसे जंगल में भगाये फिरती थी।
30 यीशु ने उस से पूछा; तेरा क्या नाम है? उसने कहा, सेना; क्योंकि बहुत दुष्टात्माएं उसमें पैठ गईं थीं।
31 और उन्होंने उस से बिनती की, कि हमें अथाह गड़हे में जाने की आज्ञा न दे।
32 वहां पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था, सो उन्होंने उस से बिनती की, कि हमें उन में पैठने दे, सो उस ने उन्हें जाने दिया।
33 तब दुष्टात्माएं उस मनुष्य से निकल कर सूअरों में गईं और वह झुण्ड कड़ाडे पर से झपटकर झील में जा गिरा और डूब मरा।
34 चरवाहे यह जो हुआ था देखकर भागे, और नगर में, और गांवों में जाकर उसका समाचार कहा।
35 और लोग यह जो हुआ था उसके देखने को निकले, और यीशु के पास आकर जिस मनुष्य से दुष्टात्माएं निकली थीं, उसे यीशु के पांवों के पास कपड़े पहिने और सचेत बैठे हुए पाकर डर गए।
36 और देखने वालों ने उन को बताया, कि वह दुष्टात्मा का सताया हुआ मनुष्य किस प्रकार अच्छा हुआ।
37 तब गिरासेनियों के आस पास के सब लोगों ने यीशु से बिनती की, कि हमारे यहां से चला जा; क्योंकि उन पर बड़ा भय छा गया था: सो वह नाव पर चढ़कर लौट गया।
38 जिस मनुष्य से दुष्टात्माऐं निकली थीं वह उस से बिनती करने लगा, कि मुझे अपने साथ रहने दे, परन्तु यीशु ने उसे विदा करके कहा।
39 अपने घर को लौट जा और लोगों से कह दे, कि परमेश्वर ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किए हैं: वह जाकर सारे नगर में प्रचार करने लगा, कि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े काम किए॥
40 जब यीशु लौट रहा था, तो लोग उस से आनन्द के साथ मिले; क्योंकि वे सब उस की बाट जोह रहे थे।
41 और देखो, याईर नाम एक मनुष्य जो आराधनालय का सरदार था, आया, और यीशु के पांवों पर गिर के उस से बिनती करने लगा, कि मेरे घर चल।
42 क्योंकि उसके बारह वर्ष की एकलौती बेटी थी, और वह मरने पर थी: जब वह जा रहा था, तब लोग उस पर गिरे पड़ते थे॥
43 और एक स्त्री ने जिस को बारह वर्ष से लोहू बहने का रोग था, और जो अपनी सारी जिविका वैद्यों के पीछे व्यय कर चुकी थी और तौभी किसी के हाथ से चंगी न हो सकी थी।
44 पीछे से आकर उसके वस्त्र के आंचल को छूआ, और तुरन्त उसका लोहू बहना थम गया।
45 इस पर यीशु ने कहा, मुझे किस ने छूआ जब सब मुकरने लगे, तो पतरस और उसके साथियों ने कहा; हे स्वामी, तुझे तो भीड़ दबा रही है और तुझ पर गिरी पड़ती है।
46 परन्तु यीशु ने कहा: किसी ने मुझे छूआ है क्योंकि मैं ने जान लिया है कि मुझ में से सामर्थ निकली है।
47 जब स्त्री ने देखा, कि मैं छिप नहीं सकती, तब कांपती हुई आई, और उसके पांवों पर गिरकर सब लोगों के साम्हने बताया, कि मैं ने किस कारण से तुझे छूआ, और क्योंकर तुरन्त चंगी हो गई।
48 उस ने उस से कहा, बेटी तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है, कुशल से चली जा।
49 वह यह कह ही रहा था, कि किसी ने आराधनालय के सरदार के यहां से आकर कहा, तेरी बेटी मर गई: गुरु को दु:ख न दे।
50 यीशु ने सुनकर उसे उत्तर दिया, मत डर; केवल विश्वास रख; तो वह बच जाएगी।
51 घर में आकर उस ने पतरस और यूहन्ना और याकूब और लड़की के माता-पिता को छोड़ और किसी को अपने साथ भीतर आने न दिया।
52 और सब उसके लिये रो पीट रहे थे, परन्तु उस ने कहा; रोओ मत; वह मरी नहीं परन्तु सो रही है।
53 वे यह जानकर, कि मर गई है, उस की हंसी करने लगे।
54 परन्तु उस ने उसका हाथ पकड़ा, और पुकारकर कहा, हे लड़की उठ!
55 तब उसके प्राण फिर आए और वह तुरन्त उठी; फिर उस ने आज्ञा दी, कि उसे कुछ खाने को दिया जाए।
56 उसके माता-पिता चकित हुए, परन्तु उस ने उन्हें चिताया, कि यह जो हुआ है, किसी से न कहना॥
मत्ती 28:18
18 यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है।
प्रकाशितवाक्य 20:10
10 और उन का भरमाने वाला शैतान आग और गन्धक की उस झील में, जिस में वह पशु और झूठा भविष्यद्वक्ता भी होगा, डाल दिया जाएगा, और वे रात दिन युगानुयुग पीड़ा में तड़पते रहेंगे॥
संगीत
यीशु का नाम है मीठा नाम है सच्चा प्यारा नाम है यीशु का नाम बोलो हां ।
1 हर व्यक्ति हो छोटा बड़ा यीशु के पास आओ, देगा वह शांति आराम ।
2 हर घुटना टिक जायेगा हर एक ज़ुबान मानेगी, यीशु मसीह ही प्रभु है ।