पाठ 27 : समरी स्त्री

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सारांश

परिचय : जब आप प्यासे होते हैं तब पर्याप्त ठंडे पानी के अलावा कुछ और चीज़ स्वादिष्ट नहीं लगती। बेशक, वह पानी ही आपको दोबारा फिर से पीना पड़ता है। परंतु यीशु ने कहा वह आपको ऐसा जल पीने के लिये दे सकता है जो कभी खत्म न होगा। वह उस (पानी) जल की बात नहीं कर रहा था जो नल से आता है। यीशु ऐसे विशेष प्रकार के जल के विषय कह रहा था जिसे हम देख नहीं सकते - अनंत जीवन का जल। जो जीवन यीशु देता है नियमित रूप से हमारी जरूरतों और इच्छाओं को पूरी करता है। आप आज ही यह विश्वास करते हुए ‘‘जीवन का जल’’ ले सकते हैं कि यीशु ही मसीहा है जो संसार का उद्धारकर्ता है। एक दिन प्रभु यीशु एक कुएँ पर स्त्री से मिला जिसे जीवन के इस जल की आवश्यकता थी हमने देखा कि कैसे प्रभु ने नीकुदेमुस से बात किया जो एक शिक्षक और यहूदियों में महत्वपूर्ण व्यक्ति था, और उसने बताया कि उसे नया जन्म लेने की आवश्यकता है। इस अध्याय में प्रभु एक गरीब और पापिनी सामरी स्त्री से बातें करता है। हम ऐसे लोगों से सुसमाचार बांटने में संकोच करते होंगे जो पापमय जीवन बिताते हैं, यह सोचकर कि ऐसे लोग सुसमाचार सुनना पसंद नहीं करेंगे। परंतु प्रभु यीशु घोर पापी से भी प्रेम करता है और प्रत्येक को बचाना चाहता है। प्रभु ने क्रूस पर लटके हुए डाकू से भी बात किया और उसे बचाया। जब प्रभु इस पृथ्वी पर था तो उसने पैदल चलकर पलिस्तीन के कई भागों में परमेश्वर का वचन सुनाया। एक दिन वह सामरिया से चलकर जा रहे थे। जब वह थक गया, तो वह सूखार नामक एक स्थान में एक कुएँ के पास बैठ गया। भूमि का वह हिस्सा बहुत पहले ही भक्त याकूब द्वारा यूसुफ को दिया गया था। जब प्रभु मनुष्य बना, तो वह भी अन्य लोगों के समान थकान महसूस करता था। उसने चमत्कार के द्वारा आराम नहीं किया। उसने हमेशा दूसरों के लिये चमत्कार किया अपने लिये नहीं। वह पाप को छोड़कर बाकी बातों में हमारे समान बना।प्रभु वहाँ न केवल पानी (जल) पाने की आशा से बैठा, परंतु उसका उद्देश्य एक पापिनी स्त्री को भी बचाना था जिसके विषय वह जानता था कि वह आनेवाली है। आज भी वह लोगों से मिलना चाहता है कि उनके जीवनों को बदल सके। दिन के मध्यकाल में वह सामरी स्त्री वहाँ जल भरने आई। यह ऐसा समय था जब वहाँ कोई जल भरने नहीं आता था। शायद इसलिये कि वह दूसरी स्त्रियों द्वारा तुच्छ मानी जाती थी, वह ऐसे समय में वहाँ आती थी जब वहाँ कोई नहीं होता था। नीकुदेमुस प्रभु को खोजते हुए आया था, परंतु इस गरीब स्त्री को प्रभु खोजने के लिये आया था। सामान्यतः लोग धनी लोगों को खोजते हैं। गरीबों और तुच्छ लोगों को खोजना प्रभु का स्वभाव है। यही कार्य हम परमेश्वर की संतानों को भी करना चाहिये यीशु ने उससे जल मांगकर बातें करना शुरू किया। अक्सर स्त्रियाँ पुरुषों से ज्यादा ही दयालु होती हैं। सबसे पहले प्रभु ने उसके अच्छे स्वभाव को स्पर्श किया। फिर उसने यह कहकर उसकी उत्सुकता बढ़ायाः ‘‘यदि तू यह जानती कि वह कौन है जो तुझसे कहता है, ‘मुझे पानी पिला’ तो तू उससे मांगती, और वह तुझे जीवन का जल देता। वह जानना चाहती थी कि उसका क्या मतलब था और वह उस गहरे कुएँ से कैसे पानी निकाला होता। जब यीशु ने उससे कहा कि वह जीवन का जल दे सकता है जो अनंत जीवन देता है, जो उस स्त्री ने तुरंत उसकी मांग की। अच्छी बातों की इच्छा करना अपने आप में अच्छी बात है। कई लोग इसलिये आशीषित नहीं होते क्योंकि उन्हें आत्मिक बातों को पाने की इच्छा नहीं होती। फिर यीशु ने उसे समझाया कि वह एक पापिनी है। इसलिये उसने कहा, ‘‘जा, अपने पति को बुला ला।’’ उसने अपने पाप को यह कहकर छिपाने की कोशिश की, ‘‘मैं बिना पति की हूँ।’’ जल्द ही वह समझ गई कि वह प्रभु से कुछ नही छिपा सकती जिसने उसके हृदय की बात को जान लिया था। उसने तुरंत ही उसे भविष्यवक्ता स्वीकार कर लिया। जैसे ही प्रभु ने उसके पाप के विषय उससे कहा, उसने बातचीत का विषय आराधना पर ले गई। उसने पितरों द्वारा की जानेवाली आराधना और आराधना के उचित स्थान के विषय बोली। यीशु ने कहा, ‘‘परंतु वह समय आता है वरन अब भी है जिसमे सच्चे भक्त पिता की आराधना आत्मा और सच्चाई से करेंगे क्योंकि पिता अपने लिये ऐसे ही आराधकों को ढूँढता है। परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसकी आराधना करनेवाले आत्मा और सच्चाई से आराधना करें’’ (यूहन्ना 4:23,24)

अंत में प्रभु ने उसे बताया कि वह मसीह है, मसीहा है और उस स्त्री ने उस पर विश्वास की। इस बातचीत में हम प्रभु के विषय समझ को एक एक कदम में बढ़ते देख सकते हैं। वह उसे जान गई।

  1. एक यहूदी के समान। पद 9
  2. एक आदरणीय व्यक्ति के समान।(वह उसे ‘‘हे प्रभु कही!) पद 11
  3. याकूब से बड़ा। पद 12
  4. एक भविष्यवक्ता के रूप में। पद 19
  5. मसीह के रूप में। पद 29 कई लोग यीशु के विषय बहुत सी बातें जानते हैं, परंतु वे उसे उद्धारकर्ता मसीह नहीं जानते। सबसे उत्तम ज्ञान यीशु को उद्धारकर्ता प्रभु जानना है। वह स्त्री पानी का घड़ा छोडकर नगर की ओर भागी। यह वही बर्तन था जिसमें वह पानी भरकर घर ले जानेवाली थी, परंतु उसने उससे भी बेहतर कुछ पा ली थी। यह जीवन का जल था और वह उस जीवन के जल का समाचार था जो वह नगर ले गई थी। वह बड़ी उत्सुकता से हर किसी को बताने दौड़ पड़ी कि उसे मसीहा मिल गया है। उसकी गवाही सुनकर कई सामरी यीशु के पास आए और उस पर विश्वास किया। उस स्त्री की रूचि को देखिये कि किस तरह उसने यीशु को जानते ही उसके विषय दूसरों को बताने में तत्परता दिखाई। क्या आप अपने उद्धारकर्ता के विषय दूसरों को बताते हैं? नोट : सुखार - यरूशलेम से 65 मील दूर दक्षिण सामरिया में एक जगह। अभिषिक्त मसीहा - पुराने नियम में केवल दो बार ही प्रयुक्त हुआ है (दानिय्येल 9:25-26) क्राइस्ट शब्द यूनानी शब्द है जो (इब्री भाषा के) मसीहा के लिये प्रयुक्त किया गया है

बाइबल अध्यन

यूहन्ना 4:1-32 फिर जब प्रभु को मालूम हुआ, कि फरीसियों ने सुना है, कि यीशु यूहन्ना से अधिक चेले बनाता, और उन्हें बपतिस्मा देता है। 2 (यद्यपि यीशु आप नहीं वरन उसके चेले बपतिस्मा देते थे)। 3 तब यहूदिया को छोड़कर फिर गलील को चला गया। 4 और उस को सामरिया से होकर जाना अवश्य था। 5 सो वह सूखार नाम सामरिया के एक नगर तक आया, जो उस भूमि के पास है, जिसे याकूब ने अपने पुत्र यूसुफ को दिया था। 6 और याकूब का कूआं भी वहीं था; सो यीशु मार्ग का थका हुआ उस कूएं पर यों ही बैठ गया, और यह बात छठे घण्टे के लगभग हुई। 7 इतने में एक सामरी स्त्री जल भरने को आई: यीशु ने उस से कहा, मुझे पानी पिला। 8 क्योंकि उसके चेले तो नगर में भोजन मोल लेने को गए थे। 9 उस सामरी स्त्री ने उस से कहा, तू यहूदी होकर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्यों मांगता है? (क्योंकि यहूदी सामरियों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते)। 10 यीशु ने उत्तर दिया, यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है; मुझे पानी पिला तो तू उस से मांगती, और वह तुझे जीवन का जल देता। 11 स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं, और कूआं गहिरा है: तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहां से आया? 12 क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है, जिस ने हमें यह कूआं दिया; और आप ही अपने सन्तान, और अपने ढोरों समेत उस में से पीया? 13 यीशु ने उस को उत्तर दिया, कि जो कोई यह जल पीएगा वह फिर प्यासा होगा। 14 परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूंगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा: वरन जो जल मैं उसे दूंगा, वह उस में एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा। 15 स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, वह जल मुझे दे ताकि मैं प्यासी न होऊं और न जल भरने को इतनी दूर आऊं। 16 यीशु ने उस से कहा, जा, अपने पति को यहां बुला ला। 17 स्त्री ने उत्तर दिया, कि मैं बिना पति की हूं: यीशु ने उस से कहा, तू ठीक कहती है कि मैं बिना पति की हूं। 18 क्योंकि तू पांच पति कर चुकी है, और जिस के पास तू अब है वह भी तेरा पति नहीं; यह तू ने सच कहा है। 19 स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, मुझे ज्ञात होता है कि तू भविष्यद्वक्ता है। 20 हमारे बाप दादों ने इसी पहाड़ पर भजन किया: और तुम कहते हो कि वह जगह जहां भजन करना चाहिए यरूशलेम में है। 21 यीशु ने उस से कहा, हे नारी, मेरी बात की प्रतीति कर कि वह समय आता है कि तुम न तो इस पहाड़ पर पिता का भजन करोगे न यरूशलेम में। 22 तुम जिसे नहीं जानते, उसका भजन करते हो; और हम जिसे जानते हैं उसका भजन करते हैं; क्योंकि उद्धार यहूदियों में से है। 23 परन्तु वह समय आता है, वरन अब भी है जिस में सच्चे भक्त पिता का भजन आत्मा और सच्चाई से करेंगे, क्योंकि पिता अपने लिये ऐसे ही भजन करने वालों को ढूंढ़ता है। 24 परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसके भजन करने वाले आत्मा और सच्चाई से भजन करें। 25 स्त्री ने उस से कहा, मैं जानती हूं कि मसीह जो ख्रीस्तुस कहलाता है, आनेवाला है; जब वह आएगा, तो हमें सब बातें बता देगा। 26 यीशु ने उस से कहा, मैं जो तुझ से बोल रहा हूं, वही हूं॥ 27 इतने में उसके चेले आ गए, और अचम्भा करने लगे, कि वह स्त्री से बातें कर रहा है; तौभी किसी ने न कहा, कि तू क्या चाहता है? या किस लिये उस से बातें करता है। 28 तब स्त्री अपना घड़ा छोड़कर नगर में चली गई, और लोगों से कहने लगी। 29 आओ, एक मनुष्य को देखो, जिस ने सब कुछ जो मैं ने किया मुझे बता दिया: कहीं यह तो मसीह नहीं है? 30 सो वे नगर से निकलकर उसके पास आने लगे। 31 इतने में उसके चेले यीशु से यह बिनती करने लगे, कि हे रब्बी, कुछ खा ले। 32 परन्तु उस ने उन से कहा, मेरे पास खाने के लिये ऐसा भोजन है जिसे तुम नहीं जानते। दानिय्येल 9:25-26 25 सो यह जान और समझ ले, कि यरूशलेम के फिर बसाने की आज्ञा के निकलने से ले कर अभिषिक्त प्रधान के समय तक सात सप्ताह बीतेंगे। फिर बासठ सप्ताहों के बीतने पर चौक और खाई समेत वह नगर कष्ट के समय में फिर बसाया जाएगा। 26 और उन बासठ सप्ताहों के बीतने पर अभिषिक्त पुरूष काटा जाएगा: और उसके हाथ कुछ न लगेगा; और आने वाले प्रधान की प्रजा नगर और पवित्रस्थान को नाश तो करेगी। परन्तु उस प्रधान का अन्त ऐसा होगा जैसा बाढ़ से होता है; तौभी उसके अन्त तक लड़ाई होती रहेगी; क्योंकि उसका उजड़ जाना निश्चय ठाना गया है।

संगीत

आत्मा सच्चाई से आराधना, पूर्ण हृदय से आराधना ।

आराधना हो आराधना, खुदावन्द यीशु की आराधना