पाठ 26 : नीकुदेमुस
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सारांश
परिचय : घने अंधकार में यरूशलेम की सड़कों पर एक व्यक्ति चुपचाप चला जा रहा था । कौन था वह व्यक्ति? वह प्रसिद्ध यहूदी नीकुदेमुस था। वह कहाँ जा रहा था? इसी विषय हम इस अध् याय में देखेंगे। नीकुदेमुस एक फरीसी और यहूदी प्रशासनिक परिषद का सदस्य था। वह इस्राएल का शिक्षक था। जब उसने यीशु के द्वारा किये जानेवाले चमत्कारों के विषय सुना तो तब वह उसे मिलना चाहता था, परंतु अपने मित्रों से डरता था इस कारण वह रात के समय प्रभु से मिलने आया। हम वह दिन के समय आता तो यहूदी उसे देख लेते और उससे प्रश्न किये होते। क्या आप मीटिंग में बाइबल लिये बिना ही चले जाते हैं इस डर से कि आपके मित्र आपकी ठट्ठा करेंगे? ऐसे लोग हैं जो उनके घनिष्ट साथियों के कारण यीशु का अंगीकार नहीं करते। प्रकाशितवाक्य 21:8 में हम देखते हैं कि वे डरपोक (कायर) लोग ही होंगे जो आग की झील में डाले जाने वालों की सूची में प्रथम होंगे। नीकुदेमुस के विषय हम केवल यूहन्ना के सुसमाचार में ही पाते हैं। 3रे अध्याय का पहला भाग प्रभु यीशु और नीकुदेमुस के बीच की चर्चा को बताता है। हम यह कह सकते हैं कि यह एक व्यक्ति के लिये बाइबल की कक्षा थी। अक्सर प्रचारकगण छोटे समूह को प्रचार करने में रूचि नहीं रखते लेकिन हमारा प्रभु एक व्यक्ति से भी बात करने के लिये समय देता है। ऐसा न सोचें कि प्रभु ने ऐसा इसलिये किया क्योंकि नीकुदेमुस महत्वपूर्ण व्यक्ति था। ऐसा नहीं था। अगले पाठ में हम यीशु को एक सामरी स्त्री से बात करते देखते हैं। प्रभु बहुत अच्छे शिक्षक थे। उसने दैनिक जीवन से संबंधित दृष्टांतों के द्वारा स्वर्गीय सच्चाइयों को सिखाया। भेड़, रोटी, खेत, बैल, मछली और मछली पकड़ने के जाल आदि सामान्य चीजें उसके उदाहरण होते थे। लेकिन जब बात फरीसी की हो, जो मूसा की व्यवस्था का शिक्षक था प्रभु ने मूसा की पुस्तक से पीतल के सांप का उदाहरण दिया। हम परमेश्वर की संतानों को चाहिये कि जब भी हमें हमारे मित्रों को प्रभु यीशु के विषय बताने का मौका मिले तो हमें मौकां का बुद्धिमानी से उपयोग करना चाहिये। नीकुदेमुस ने प्रभु के द्वारा किये जानेवाले चमत्कारों के विषय बातचीत शुरू किया, परंतु प्रभु ने उसे परमेश्वर के एकलौते पुत्र पर विश्वास करने के विषय बताया। मनुष्य की बुद्धि के अनुसार वह केवल कुछ न कुछ करने के द्वारा उद्धार पाने की सोच सकता है। परंतु परमेश्वर का उद्धार पाने का तरीका है ‘‘विश्वास करो और नया जन्म पाओ।’’ क्या जब तक कोई जन्म न ले ले, वह कुछ नहीं कर सकता। नीकुदेमुस एक फरीसी था और फरीसी लोग व्यवस्था का पालन बड़ी कड़ाई से करते हैं। फिर भी प्रभु ने कहा, कि यदि वह स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना चाहता है तो उसे नया जन्म लेना होगा। यहाँ तक कि संसार का सर्वोत्तम व्यक्ति भी अपनी योग्यता से स्वर्ग नहीं जा सकता, क्योंकि सब पापी जन्में हैं। उसी समय कोई इतना बड़ा पापी भी नहीं जिसे प्रभु नहीं बचा सकता। नीकुदेमुस ने प्रभु से पूछा कोई व्यक्ति बुढ़ापे में कैसे दूसरा जन्म ले सकता है। प्रभु ने उसे नए जन्म के विषय चार बातें बताया। यह क्या नहीं है : यह शरीर नहीं है। यह क्या है : यह पानी (परमेश्वर का वचन) और आत्मा (पवित्र आत्मा) का है। यह कैसे होता है : यह मनुष्य का पुत्र पर विश्वास करने के द्वारा होता जिसे उपर उठाया जाता है। यह कैसे जाना जाएगा : जैसे हम वायु की शक्ति का अनुभव कर सकते हैं परंतु उसे देख नहीं सकते, उसी प्रकार हम पवित्र आत्मा की सामर्थ को जानेंगे जब हम नया जन्म लेंगे। प्रभु ने गिनती 21वें अध्याय से पीतल के साँप का उदाहरण दिया। जब इस्त्राएलियों ने परमेश्वर के विरुद्ध कुड़कुड़ाया, परमेश्वर ने जहरीले साँपों को भेजा जिनके काटने से लोग मर गये। जब लोगों ने पश्चाताप किया, मूसा ने उनके लिये प्रार्थना किया। परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना को सुना और कहा, ‘‘पीतल का एक साँप बना और उसे एक खंबे पर लटका दे। साँप द्वारा डसा हुआ जो भी व्यक्ति उसकी ओर देखेगा वह जीवित रहेगा।’’ मूसा ने वैसा ही किया जैसा परमेश्वर ने आज्ञा दिया था और हर कोई जिसने पीतल के साँप की ओर देखा बच गया। यीशु ने नीकुदेमुस से कहा कि मनुष्य का पुत्र भी उपर उठाया जाएगा और ‘‘जो कोई उस पर विश्वास करेगा वह नष्ट नहीं होगा परंतु अनंत जीवन पाएगा।’जंगल में पीतल के साँप को ऊँचा उठाना और प्रभु का क्रूस पर उठाया जाना तीन तरीकों से एक समान है।
- दोनों भी परमेश्वर द्वारा दिये जानेवाले उद्धार के तरीके थे।
- दोनों सार्वजनिक रूप से ऊँचे उठाए गये थे। इस्त्राएल की छावनी के मध्य में सबके लिये पीतल का साँप उठाया गया था कि उसे देखकर वे बच जाएँ। संसार के मध्य में मसीह क्रूस पर उठाया गया ताकि सब उसे देखें और बच जाएँ।
- प्रत्येक उद्धार के एकमात्र तरीके थे। सबसे सरल कार्य जो हम कर सकते हैं वह ‘‘देखना’’ है। यहाँ तक कि मरता हुआ व्यक्ति भी आँखें घुमाकर देख सकता है। उद्धार की शर्त बहुत सरल है। यहाँ तक कि एक छोटा बच्चा भी प्रभु यीशु पर विश्वास कर सकता है, जो उसके लिये मरा और वह बच्चा बचाया जा सकता है यद्यपि नीकुदेमुस ने यीशु पर विश्वास किया, फिर भी वह यीशु की क्रूस पर मृत्यु तक गुप्त चेला बना रहा।एक बार जब यहूदी यीशु को बंदी बनाना चाहते थे,नीकुदेमुस ने यीशु के पक्ष में कहा था।जब यीशु मर गया तब नीकुदेमुस निडरता से सामने आया।उसने सुगंधित मसाले लाया और अरिमतिया के यूसुफ के साथ मिलकर यीशु के शरीर को दफनाया। तब उसके पास उस व्यक्ति के लिये खड़े होने के लिये विश्वास और उत्साह था जिसे यहूदी और रोमी सरकारों ने गुनाहगार के रूप में क्रूस पर लटकाया था। हम जो प्रभु यीशु पर विश्वास करते हैं ऐसा कहने में लजाना नहीं चाहिये। प्रभु के शब्दों को याद करें, ‘‘जो कोई मुझसे और मेरी बातों से लजाएगा, मनुष्य का पुत्र भी, जब अपनी और अपने पिता की और पवित्र स्वर्गदूतों की महिमा सहित आएगा तो उससे लजाएगा’’ (लूका 9:26)
नोट : नीकुदेमुस (यूनानी) लोगों को जीतनेवाला कहा जाता है पतरस और यूहन्ना ने नीकुदेमुस को बप्तिस्मा दिया। एक अन्य अस्वीकृत पुस्तक है जिसे ‘‘नीकुदेमुस का सुसमाचार’’ कहते हैं
बाइबल अध्यन
यूहन्ना 3:1-16 फरीसियों में से नीकुदेमुस नाम एक मनुष्य था, जो यहूदियों का सरदार था। 2 उस ने रात को यीशु के पास आकर उस से कहा, हे रब्बी, हम जानते हैं, कि तू परमेश्वर की आरे से गुरू हो कर आया है; क्योंकि कोई इन चिन्हों को जो तू दिखाता है, यदि परमेश्वर उसके साथ न हो, तो नहीं दिखा सकता। 3 यीशु ने उस को उत्तर दिया; कि मैं तुझ से सच सच कहता हूं, यदि कोई नये सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता। 4 नीकुदेमुस ने उस से कहा, मनुष्य जब बूढ़ा हो गया, तो क्योंकर जन्म ले सकता है? क्या वह अपनी माता के गर्भ में दुसरी बार प्रवेश करके जन्म ले सकता है? 5 यीशु ने उत्तर दिया, कि मैं तुझ से सच सच कहता हूं; जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे तो वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता। 6 क्योंकि जो शरीर से जन्मा है, वह शरीर है; और जो आत्मा से जन्मा है, वह आत्मा है। 7 अचम्भा न कर, कि मैं ने तुझ से कहा; कि तुम्हें नये सिरे से जन्म लेना अवश्य है। 8 हवा जिधर चाहती है उधर चलती है, और तू उसका शब्द सुनता है, परन्तु नहीं जानता, कि वह कहां से आती और किधर को जाती है? जो कोई आत्मा से जन्मा है वह ऐसा ही है। 9 नीकुदेमुस ने उस को उत्तर दिया; कि ये बातें क्योंकर हो सकती हैं? 10 यह सुनकर यीशु ने उस से कहा; तू इस्त्राएलियों का गुरू हो कर भी क्या इन बातों को नहीं समझता? 11 मैं तुझ से सच सच कहता हूं कि हम जो जानते हैं, वह कहते हैं, और जिसे हम ने देखा है उस की गवाही देते हैं, और तुम हमारी गवाही ग्रहण नहीं करते। 12 जब मैं ने तुम से पृथ्वी की बातें कहीं, और तुम प्रतीति नहीं करते, तो यदि मैं तुम से स्वर्ग की बातें कहूं, तो फिर क्योंकर प्रतीति करोगे? 13 और कोई स्वर्ग पर नहीं चढ़ा, केवल वही जो स्वर्ग से उतरा, अर्थात मनुष्य का पुत्र जो स्वर्ग में है। 14 और जिस रीति से मूसा ने जंगल में सांप को ऊंचे पर चढ़ाया, उसी रीति से अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र भी ऊंचे पर चढ़ाया जाए। 15 ताकि जो कोई विश्वास करे उस में अनन्त जीवन पाए॥ 16 क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। यूहन्ना 7:50-53 50 नीकुदेमुस ने, (जो पहिले उसके पास आया था और उन में से एक था), उन से कहा। 51 क्या हमारी व्यवस्था किसी व्यक्ति को जब तक पहिले उस की सुनकर जान न ले, कि वह क्या करता है; दोषी ठहराती है? 52 उन्होंने उसे उत्तर दिया; क्या तू भी गलील का है? ढूंढ़ और देख, कि गलील से कोई भविष्यद्वक्ता प्रगट नहीं होने का। 53 तब सब कोई अपने अपने घर को गए॥ यूहन्ना 19:39 39 निकुदेमुस भी जो पहिले यीशु के पास रात को गया था पचास सेर के लगभग मिला हुआ गन्धरस और एलवा ले आया। लूका 9:26 26 जो कोई मुझ से और मेरी बातों से लजाएगा; मनुष्य का पुत्र भी जब अपनी, और अपने पिता की, और पवित्र स्वर्ग दूतों की, महिमा सहित आएगा, तो उस से लजाएगा।
संगीत
सब को जानना चाहिये (3)
यीशु है कौन ?
वह सब से खूबसूरत फूल है,
वह चमकीला सितारा
वह दस हजार से खूबसूरत,
सब को जानना चाहिये।
सब मसीह यह बताये (3)
यीशु है कोन ?