पाठ 24 : अय्यूब का प्रतिफल

Media

Lesson Summary

Content not prepared yet or Work in Progress.


Lesson Prayer

Content not prepared yet or Work in Progress.


Song

Content not prepared yet or Work in Progress.


Instrumental

Content not prepared yet or Work in Progress.


सारांश

क्या आप कल्पना कर सकते हैं वह कैसा अनुभव होगा जब परमेश्वर आपके सुन सकने योग्य आवाज में आपसे बात करेगा? अय्यूब ने सोचा कि वह जानता था कि परमेश्वर क्या कहेगा जब यह सब घटेगा। वह इस बात से आश्वस्त था कि परमेश्वर कहेगा, ‘‘अय्यूब तुम अच्छे व्यक्ति हो, एक विश्वासयोग्य दास हो। क्लेश उठाना तुम्हारे लिये गलत होगा।’’ परंतु अय्यूब के लिये चांकाने वाली बात हो रही थी। आइये हम देखें कि परमेश्वर ने क्या कहा। जब अय्यूब के तीन मित्रों ने अय्यूब की विपत्तियों के विषय सुना तो वे उसे देखने आए। उनके नाम एलीपज, बिलदद और सोपर थे। अय्यूब के समान वे भी जीवते परमेश्वर को जानते थे और उसका भय मानते थे। यह अच्छी बात थी कि वे संकट मे पडे़ एक मित्र को देखने आए थे। जब उन्होंने अय्यूब की बीमारी और क्लेश को देखा तो वे अय्यूब के साथ 7 दिन रात भूमि पर बैठ गये और उससे कुछ न बोले। उन्होंने सोचा कि अय्यूब पर यह विपत्ति इसलिये आई थी क्योंकि उसने कुछ पाप किया था। जब उन्होंने उससे इस तरह की बातें की तो वे उसे शांति नहीं दे पाए। जब कोई बिमार हो या क्लेश उठा रहा हो तो यह न समझे कि यह उसके पाप के कारण है। पाप के कारण बीमारियाँ होती हैं, परंतु सभी बीमारियाँ पाप के कारण नहीं होती, जैसा कि हम अय्यूब के अनुभव से जानते हैं अय्यूब ने भी अपना बचाव करते हुए वापस उत्तर दिया। इस संपूर्ण वार्तालाप में इस बड़ी परीक्षा में भी उसे परमेश्वर के साथ घनिष्ट संबंध बनाए रखते हुए देखते हैं। वह कह सका ‘‘चाहे वह मुझे घात भी करे, तौभी मैं उसी पर भरोसा करूंगा।’’ अंत में परमेश्वर ने आंधी में से होकर अय्यूब से बात की । परमेश्वर ने कहा कि उसके मार्ग मनुष्य की समझ से परे हैं। जब अय्यूब ने परमेश्वर से शब्द सुना, तब वह एक टूटे हृदयवाला व्यक्ति था, और परमेश्वर के व्यक्तित्व के विषय उसे नया प्रकाश मिला। उसने कहा, ‘‘मैंने कानों से तेरा समाचार सुना था, परंतु अब मेरी आँखे तुझे देखती हैं। इसलिये मुझे अपने ऊपर घृणा आती हैं, और मैं धूल और राख में पश्चाताप करता हूँ।’’ इसका अर्थ यह हुआ कि उसने परमेश्वर के सामने पश्चाताप किया और स्वयँ को नम्र किया। हमने पहले सीखा कि परमेश्वर टूटे और पिसे हुए मन को स्वीकार करता है, (भजन 51:17)। परमेश्वर अय्यूब से प्रसन्न था जिसने पश्चाताप किया, स्वयँ को दीन किया था और उसने उसे क्षमा किया परमेश्वर ने अय्यूब के मित्रों से भी बातचीत किया। उसने कहा, ‘‘इसलिये अब तुम सात बैल और सात मेढे़ छांटकर मेरे दास अय्यूब के पास जाकर अपने निमित्त होमबलि चढ़ाओ। तब मेरा दास अय्यूब तुम्हारे लिये प्रार्थना करेगा।’’ उन्होंने ऐसा ही किया। परमेश्वर ने अय्यूब की प्रार्थना को स्वीकार किया। जब अय्यूब उसके मित्रों के लिये प्रार्थना कर चुका, तब परमेश्वर ने उसे फिर से समृद्ध बना दिया और उसे पहले से भी दुगनी संपत्ति दी। जब हम दूसरों के लिये प्रार्थना करते हैं, हम भी आशीषित होंगे। दूसरी ओर यदि हम दूसरों का बुरा सोचेंगे, तो हम वही लोग होंगे जो परमेश्वर को अप्रसन्न करते हैं और हमारा बुरा ही होगा अय्यूब के जीवन का अगला भाग पहले के भाग से भी ज्यादा समृद्धशाली था। परमेश्वर ने उसकी धार्मिकता और धीरज का उसे प्रतिफल दिया था। जब हम क्लेश उठाते हैं, हमारे मूर्खता या पापों के कारण नहीं परंतु प्रभु के लिये, तब हम एक महान प्रतिफल का आनंद प्राप्त करेंगे। एक दिन शिष्यों ने यीशु से कहा, ‘‘देख हम तो सब कुछ छोड़ के तेरे पीछे हो लिये हैं तो हमें क्या मिलेगा? प्रभु ने उत्तर दिया, ‘‘जिस किसी ने घरों या भाइयों या बहनों या पिता या माता, या बाल बच्चों, या खेतों को मेरे नाम के लिये छोड़ दिया है उसको सौ गुना मिलेगा और वह अनंतजीवन का अधिकारी होगा’’ (मत्ती 19:27,29) परमेश्वर ने अय्यूब को पहले से दुगनी आशीष दी। उसकी परीक्षा के दौरान उसके मित्रों और संबंधियों ने उसे त्याग दिया था। अब वे सब उसे देखने आए और हर आनेवाले ने अय्यूब को चांदी का टुकड़ा और सोने की अंगूठी दी। परमेश्वर ने अय्यूब को उसकी पहले खोई हुई संतानों की जगह और बच्चे दिये। उसने उसे पहले के समान सात पुत्र और तीन बेटियाँ दी । अय्यूब की बेटियों के समान पूरे देश में दूसरी सुंदर स्त्रियाँ नहीं पाई जाती थीं। इस तरह अय्यूब और उसका परिवार बहुत आशीषित हुए। जब अय्यूब गंभीर रीति से बीमार था और सोचा कि वह जल्द ही मर जाएगा, उसने आशा की बातें कही। 19:25-26 में हम पढ़ते हैं, ‘‘मुझे तो निश्चय है कि मेरा छुड़ानेवाला जीवित है, और वह अंत में पृथ्वी पर खड़ा होगा, और अपनी खाल के इस प्रकार नष्ट हो जाने के बाद भी मैं शरीर में होकर परमेश्वर का दर्शन पाऊंगा।’’ ये शब्द अय्यूब के द्वारा मसीह के आने के करीब 2000 वर्ष पहले कहे गए थे जो यीशु के दोबारा आगमन के विषय भविष्यवाणी थे। जब उसकी पुकार और तुरही का शब्द आकाश में सुना जाएगा, तो जितने लोग विश्वासी अवस्था में मरे थे जीवित हो जाएंगे और अविनाशी देह में बदल जाएँगे (1 कुरि 15:53)।परमेश्वर ने अय्यूब को पृथ्वी पर 140 वर्ष का जीवन ओैर भी दिया। उसने मरने से पहले चार पीढ़ियों तक नाती-पोतों को देखा। अय्यूब उन विश्वासियों के लिये महान उदाहरण है जो क्लेश सहते हैं। नोट : अय्यूब की बेटियों के नाम यमीमा - दिन का प्रकाश (दुख के अंधियारे के बाद) कसीआ - मीठी खुशबू वाली वनस्पति (भजन 45:8) केनेप्पूक - समृद्धि का सींग

बाइबल अध्यन

अय्यूब अध्याय 42 तब अय्यूब ने यहोवा को उत्तर दिया; 2 मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है, और तेरी युक्तियों में से कोई रुक नहीं सकती। 3 तू कौन है जो ज्ञान रहित हो कर युक्ति पर परदा डालता है? परन्तु मैं ने तो जो नहीं समझता था वही कहा, अर्थात जो बातें मेरे लिये अधिक कठिन और मेरी समझ से बाहर थीं जिन को मैं जानता भी नहीं था। 4 मैं निवेदन करता हूं सुन, मैं कुछ कहूंगा, मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, तू मुझे बता दे। 5 मैं कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं; 6 इसलिये मुझे अपने ऊपर घृणा आती है, और मैं धूलि और राख में पश्चात्ताप करता हूँ। 7 और ऐसा हुआ कि जब यहोवा ये बातें अय्यूब से कह चुका, तब उसने तेमानी एलीपज से कहा, मेरा क्रोध तेरे और तेरे दोनों मित्रों पर भड़का है, क्योंकि जैसी ठीक बात मेरे दास अय्यूब ने मेरे विषय कही है, वैसी तुम लोगों ने नहीं कही। 8 इसलिये अब तुम सात बैल और सात मेढ़े छांट कर मेरे दास अय्यूब के पास जा कर अपने निमित्त होमबलि चढ़ाओ, तब मेरा दास अय्यूब तुम्हारे लिये प्रार्थना करेगा, क्योंकि उसी की मैं ग्रहण करूंगा; और नहीं, तो मैं तुम से तुम्हारी मूढ़ता के योग्य बर्ताव करूंगा, क्योंकि तुम लोगों ने मेरे विषय मेरे दास अय्यूब की सी ठीक बात नहीं कही। 9 यह सुन तेमानी एलीपज, शूही बिल्दद और नामाती सोपर ने जा कर यहोवा की आाज्ञा के अनुसार किया, और यहोवा ने अय्यूब की प्रार्थना ग्रहण की। 10 जब अय्यूब ने अपने मित्रों के लिये प्रार्थना की, तब यहोरवा ने उसका सारा दु:ख दूर किया, और जितना अय्यूब का पहिले था, उसका दुगना यहोवा ने उसे दे दिया। 11 तब उसके सब भाई, और सब बहिनें, और जितने पहिले उसको जानते पहिचानते थे, उन सभों ने आकर उसके यहां उसके संग भोजन किया; और जितनी विपत्ति यहोवा ने उस पर डाली थी, उस सब के विषय उन्होंने विलाप किया, और उसे शान्ति दी; और उसे एक एक सिक्का ओर सोने की एक एक बाली दी। 12 और यहोवा ने अय्यूब के पिछले दिनों में उसको अगले दिनों से अधिक आशीष दी; और उसके चौदह हजार भेंड़ बकरियां, छ: हजार ऊंट, हजार जोड़ी बैल, और हजार गदहियां हो गई। 13 और उसके सात बेटे ओर तीन बेटियां भी उत्पन्न हुई। 14 इन में से उसने जेठी बेटी का नाम तो यमीमा, दूसरी का कसीआ और तीसरी का केरेन्हप्पूक रखा। 15 और उस सारे देश में ऐसी स्त्रियां कहीं न थीं, जो अय्यूब की बेटियों के समान सुन्दर हों, और उनके पिता ने उन को उनके भाइयों के संग ही सम्पत्ति दी। 16 इसके बाद अय्यूब एक सौ चालीस वर्ष जीवित रहा, और चार पीढ़ी तक अपना वंश देखने पाया। 17 निदान अय्यूब वृद्धावस्था में दीर्घायु हो कर मर गया। रोमियों 5:3-4 3 केवल यही नहीं, वरन हम क्लेशों में भी घमण्ड करें, यही जानकर कि क्लेश से धीरज। 4 ओर धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है। अय्यूब 19:25-26 25 मुझे तो निश्चय है, कि मेरा छुड़ाने वाला जीवित है, और वह अन्त में पृथ्वी पर खड़ा होगा। 26 और अपनी खाल के इस प्रकार नाश हो जाने के बाद भी, मैं शरीर में हो कर ईश्वर का दर्शन पाऊंगा। 1 कुरिन्थियों 15:53 53 क्योंकि अवश्य है, कि यह नाशमान देह अविनाश को पहिन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहिन ले। भजन 45:8 8 तेरे सारे वस्त्र, गन्धरस, अगर, और तेल से सुगन्धित हैं, तू हाथीदांत के मन्दिरों में तार वाले बाजों के कारण आनन्दित हुआ है।

संगीत

यीशु के पीछे मैं चलने लगा (3)
न लौटूंगा। (2)

1 गर कोई मेरे साथ न आवे (3) न लौटूंगा । (2)

2 संसार को छोडकर सलीब को लेकर (3) न लौटूंगा। (2)

3 संसार में सबसे प्रभु है कीमती (3)
न छोडूंगा। (2)

4 अगर मैं उसका इन्कार न करूं (3) ताज पाऊंगा। (2)