पाठ 23 : अय्यूब की विपदाएँ
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सारांश
परिचय : क्या आपको कभी ऐसा लगा कि परमेश्वर न्याय नहीं करता? क्या आपने कभी परमेश्वर को पुकार कर कहा है? ‘‘मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है?’’ भावनाओं के विषय चर्चा करें और गंभीर परीक्षाओं के विषय भी जो मृत्यु के कारण माता-पिता को खो देने, या अपंगता के कारण आते हैं यदि किसी ने परमेश्वर से प्रश्न किया था तो वह अय्यूब था। हमने देखा कि अय्यूब और उसका परिवार सुखी और धर्मी जीवन जी रहे थे। शैतान इसे सहन नहीं कर सका। उसका कार्य परमेश्वर की संतानों में दोष ढूंढना है। इब्री भाषा में ‘‘शैतान’’ का मतलब जो प्रतीक्षा में झूठ बोलता है और यूनानी भाषा में शैतान (दुष्ट आत्मा) का मतलब ‘‘दोष लगानेवाला है।’’ पतरस कहता है कि शैतान गरजते सिंह की नाई चलता है और इस ताक में रहता है कि किसे फाड़ खाए (1 पतरस 5:8)। परमेश्वर जानता था कि शैतान ने अय्यूब पर नजर रखी थी। उसने शैतान की दुष्टता को स्वर्गदूतों के सामने प्रगट कर दिया। परंतु वहाँ भी शैतान ने अय्यूब पर दोष लगाने की कोशिश की। उसने कहा कि अय्यूब परमेश्वर का भय इसलिये मानता था क्योंकि परमेश्वर ने उसे जीवन की सारी सुख सुविधाएँ प्रदान की थी। यद्यपि शैतान ने अय्यूब के विषय जो कहा था वह सच नहीं था, परंतु कई अन्य लोगों के विषय सच है। कुछ लोगों पर यदि मुसीबत आ जाए तो वे आराधना करने, या चर्च नहीं जाते। यह सिद्ध करने के लिये कि उसका दास अय्यूब बिना स्वार्थी भावना के परमेश्वर पर विश्वास करता है, उसने उसे परखने के लिये शैतान को अनुमति दी तुरंत ही शैतान ने ऐसा कुछ किया कि अय्यूब को अचानक बहुत सा नुकसान उठाना पड़ा ताकि उसे बहुत दुख हो। अय्यूब की संपत्ति में 7000 भेडें और 3000 ऊँट, 1000 बैल और 500 गदहे थे। उसके पास बड़ी संख्या में दास भी थे। जल्द ही अय्यूब पर एक के बाद एक विपत्तियाँ आने लगीं। कुछ ही घंटों में उसकी सारी भेड़ें आग में जल गई, उसके ऊँटों को कसदी लोग ले गये और उसके बैलों और गदहों को शबा के लोग ले गये। शैतान ने यह सब इतनी चतुराई से युक्ति किया कि अय्यूब का सबकुछ खो गया और हर मामले में एक दास बच निकला कि उस बर्बादी का समाचार अय्यूब को आकर बताए। शैतान ने अय्यूब को विद्रोही बनाने की पूरी कोशिश की इसलिये उसने उसे सदमे से बाहर आने के पहले एक के बाद एक विपत्तियाँ भेजना शुरू किया। जब अय्यूब ने सुना कि उसकी सारी संपत्ति खत्म हो चुकी है, तौभी उसने कुछ नहीं कहा, परंतु जब चौथे दास ने खबर लायी कि उसके बच्चे भी मर गए हैं तो वह अपना दुख रोक नहीं सका। परमेश्वर की संतानों को बहुत आनंद नहीं दिखाना चाहिये जब वे धनी बन जाते हैं। और, जब वे संपत्ति खो देते हैं तब उन्हें बहुत अधिक दुखी भी नहीं होना चाहिये। यहाँ तक कि जब अय्यूब ने उसके बेटे-बेटियों की मृत्यु के विषय सुना तो उसने भूमि पर गिरकर आराधना किया। उन दिनों में वस्त्र फाड़ना और सिर मुंडवाना दुख व्यक्त करने के सामान्य तरीके थे (उत्पत्ति 37:34)। उस महान दुख में भी अय्यूब ने यह कहकर परमेश्वर की स्तुति किया, ‘‘यहोवा ने दिया और यहोवा ही ने लिया, यहोवा का नाम धन्य है।’’ उसने शैतान की इच्छानुसार परमेश्वर की बुराई नहीं की शैतान जानता था कि उसकी हार हुई है। वह फिर से परमेश्वर की उपस्थिति में गया। उसने अय्यूब को गंभीर बीमारियाँ लगाने के लिये परमेश्वर से अनुमति ले ली। कोई भी व्यक्ति जब उसे गंभीर बीमारी और दर्द होता है, तो वह निराश हो जाता है। स्वास्थ्य का नुकसान किसी और नुकसान की अपेक्षा मन को ज्यादा कमजोर बनाती है। शैतान ने अय्यूब को सिर से पांव तक फोड़े देकर तकलीफ दी । जब हम पढ़ते हैं कि वह राख में बैठकर स्वयँ को ठीकरा से खुजाता है तो हम कल्पना कर सकते हैं कि उसे कितना दुख लगता होगा। इस परीक्षा में उसकी पत्नी ने उसे साथ नहीं दिया। ऐसे समय में उसको चाहिये था कि वह अपने पति को अच्छी सलाह दी होती, परंतु उसने जो की वह उसे परमेश्वर को कोसने और मरने के लिये उकसाना था। शायद उसने सोचा होगा कि यदि अय्यूब परमेश्वर को कोसे तो वह उसे मार डालेगा और मृत्यु ऐसे क्लेश से बेहतर होगी। हम परमेश्वर की ओर से बहुत सी आशीषों का आनंद पाते हैं, जिसे पाने के हम पात्र भी नहीं होते, परंतु जब हम नुकसान उठाते या हमारे जीवन में कठिनाई आती है, हम अपना विश्वास खो देते हैं। परंतु वह उस महान दुख में भी अपनी पत्नी को भली सलाह दे रहा था और परमेश्वर की स्तुति कर रहा था।
बाइबल अध्यन
अय्यूब अध्याय 1 ऊज़ देश में अय्यूब नाम एक पुरुष था; वह खरा और सीधा था और परमेश्वर का भय मानता और बुराई से परे रहता था। 2 उसके सात बेटे और तीन बेटियां उत्पन्न हुई। 3 फिर उसके सात हजार भेड़-बकरियां, तीन हजार ऊंट, पांच सौ जोड़ी बैल, और पांच सौ गदहियां, और बहुत ही दास-दासियां थीं; वरन उसके इतनी सम्पत्ति थी, कि पूरबियों में वह सब से बड़ा था। 4 उसके बेटे उपने अपने दिन पर एक दूसरे के घर में खाने-पीने को जाया करते थे; और अपनी तीनों बहिनों को अपने संग खाने-पीने के लिये बुलवा भेजते थे। 5 और जब जब जेवनार के दिन पूरे हो जाते, तब तब अय्यूब उन्हें बुलवा कर पवित्र करता, और बड़ी भोर उठ कर उनकी गिनती के अनुसार होमबलि चढ़ाता था; क्योंकि अय्यूब सोचता था, कि कदाचित मेरे लड़कों ने पाप कर के परमेश्वर को छोड़ दिया हो। इसी रीति अय्यूब सदैव किया करता था। 6 एक दिन यहोवा परमेश्वर के पुत्र उसके साम्हने उपस्थित हुए, और उनके बीच शैतान भी आया। 7 यहोवा ने शैतान से पूछा, तू कहां से आता है? शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, कि पृथ्वी पर इधर-उधर घूमते-फिरते और डोलते-डालते आया हूँ। 8 यहोवा ने शैतान से पूछा, क्या तू ने मेरे दास अय्यूब पर ध्यान दिया है? क्योंकि उसके तुल्य खरा और सीधा और मेरा भय मानने वाला और बुराई से दूर रहने वाला मनुष्य और कोई नहीं है। 9 शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, क्या अय्यूब परमेश्वर का भय बिना लाभ के मानता है? 10 क्या तू ने उसकी, और उसके घर की, और जो कुछ उसका है उसके चारों ओर बाड़ा नहीं बान्धा? तू ने तो उसके काम पर आशीष दी है, 11 और उसकी सम्पत्ति देश भर में फैल गई है। परन्तु अब अपना हाथ बढ़ाकर जो कुछ उसका है, उसे छू; तब वह तेरे मुंह पर तेरी निन्दा करेगा। 12 यहोवा ने शैतान से कहा, सुन, जो कुछ उसका है, वह सब तेरे हाथ में है; केवल उसके शरीर पर हाथ न लगाना। तब शैतान यहोवा के साम्हने से चला गया। 13 एक दिन अय्यूब के बेटे-बेटियां बड़े भाई के घर में खाते और दाखमधु पी रहे थे; 14 तब एक दूत अय्यूब के पास आकर कहने लगा, हम तो बैलों से हल जोत रहे थे, और गदहियां उनके पास चर रही थी, 15 कि शबा के लोग धावा कर के उन को ले गए, और तलवार से तेरे सेवकों को मार डाला; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ। 16 वह अभी यह कह ही रहा था कि दूसरा भी आकर कहने लगा, कि परमेश्वर की आग आकाश से गिरी और उस से भेड़-बकरियां और सेवक जलकर भस्म हो गए; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ। 17 वह अभी यह कह ही रहा था, कि एक और भी आकर कहने लगा, कि कसदी लोग तीन गोल बान्धकर ऊंटों पर धावा कर के उन्हें ले गए, और तलवार से तेरे सेवकों को मार डाला; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ। 18 वह अभी यह कह ही रहा था, कि एक और भी आकर कहने लगा, तेरे बेटे-बेटियां बड़े भाई के घर में खाते और दाखमधु पीते थे, 19 कि जंगल की ओर से बड़ी प्रचण्ड वायु चली, और घर के चारों कोनों को ऐसा झोंका मारा, कि वह जवानों पर गिर पड़ा और वे मर गए; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ। 20 तब अय्यूब उठा, और बागा फाड़, सिर मुंड़ाकर भूमि पर गिरा और दण्डवत् कर के कहा, 21 मैं अपनी मां के पेट से नंगा निकला और वहीं नंगा लौट जाऊंगा; यहोवा ने दिया और यहोवा ही ने लिया; यहोवा का नाम धन्य है। 22 इन सब बातों में भी अय्यूब ने न तो पाप किया, और न परमेश्वर पर मूर्खता से दोष लगाया। अध्याय 2 फिर एक और दिन यहोवा परमेश्वर के पुत्र उसके साम्हने उपस्थित हुए, और उनके बीच शैतान भी उसके साम्हने उपस्थित हुआ। 2 यहोवा ने शैतान से पूछा, तू कहां से आता है? शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, कि इधर-उधर घूमते-फिरते और डोलते-डालते आया हूँ। 3 यहोवा ने शैतान से पूछा, क्या तू ने मेरे दास अय्यूब पर ध्यान दिया है कि पृथ्वी पर उसके तुल्य खरा और सीधा और मेरा भय मानने वाला और बुराई से दूर रहने वाला मनुष्य और कोई नहीं है? और यद्यापि तू ने मुझे उसको बिना कारण सत्यानाश करते को उभारा, तौभी वह अब तक अपनी खराई पर बना है। 4 शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, खाल के बदले खाल, परन्तु प्राण के बदले मनुष्य अपना सब कुछ दे देता है। 5 सो केवल अपना हाथ बढ़ाकर उसकी हड्डियां और मांस छू, तब वह तेरे मुंह पर तेरी निन्दा करेगा। 6 यहोवा ने शैतान से कहा, सुन, वह तेरे हाथ में है, केवल उसका प्राण छोड़ देना। 7 तब शैतान यहोवा के साम्हने से निकला, और अय्यूब को पांव के तलवे से ले सिर की चोटी तक बड़े बड़े फोड़ों से पीड़ित किया। 8 तब अय्यूब खुजलाने के लिये एक ठीकरा ले कर राख पर बैठ गया। 9 तब उसकी स्त्री उस से कहने लगी, क्या तू अब भी अपनी खराई पर बना है? परमेश्वर की निन्दा कर, और चाहे मर जाए तो मर जा। 10 उसने उस से कहा, तू एक मूढ़ स्त्री की सी बातें करती है, क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दु:ख न लें? इन सब बातों में भी अय्यूब ने अपने मुंह से कोई पाप नहीं किया। 11 जब तेमानी एलीपज, और शूही बिलदद, और नामाती सोपर, अय्यूब के इन तीन मित्रों ने इस सब विपत्ति का समाचार पाया जो उस पर पड़ी थीं, तब वे आपस में यह ठान कर कि हम अय्यूब के पास जा कर उसके संग विलाप करेंगे, और उसको शान्ति देंगे, अपने अपने यहां से उसके पास चले। 12 जब उन्होंने दूर से आंख उठा कर अय्यूब को देखा और उसे न चीन्ह सके, तब चिल्लाकर रो उठे; और अपना अपना बागा फाड़ा, और आकाश की ओर धूलि उड़ाकर अपने अपने सिर पर डाली। 13 तब वे सात दिन और सात रात उसके संग भूमि पर बैठे रहे, परन्तु उसका दु:ख बहुत ही बड़ा जान कर किसी ने उस से एक भी बात न कही। अय्यूब 13:15 15 वह मुझे घात करेगा, मुझे कुछ आशा नहीं; तौभी मैं अपनी चाल चलन का पक्ष लूंगा। 1 पतरस 5:8 8 सचेत हो, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जने वाले सिंह की नाईं इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए।
संगीत
यीशु है मेरी पनाह, वही है मेरी चटटान, लंगर मैं डालता उस पर जिस वक्त आ घेरते तूफान।
1 दुख से जब हूँ परेशान और जाना चाहता हूँ पार, तब उसका उम्दा कलाम रोशनी का होता मीनार।
2 दुनिया के इस सफर में फिक्रों का होता जब शोर, यीशु एक ही झिड़की से तोड़ता सब आंधी का जोर।
3 मुझको है पुरा यकीन पहुँचूगा जिस दिन किनार, सुनहरे साहिल पर मैं पाऊँगा उसका दीदार।