पाठ 2 : लूत का छुटकारा
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सारांश
पिछले पाठ में हमने देखा कि अब्राहम ने लूत को कैसे बचाया। तब लूत अब्राहम के साथ रह सकता था जिसने उसे छुड़ाया था। परंतु लूत ने एक गलती किया। वह सदोम वापस गया और फिर से वहीं रहने लगा। जब परमेश्वर की संतानें पाप करते हैं, परमेश्वर उन्हें ताड़ना देता है, परंतु तब भी यदि वे पाप करते रहें तो उनकी सजा बड़ी होगी (इब्रानियों12:6-7)। यह लूत का अनुभव था।’’
सदोम और गमोरा के लोग दुष्ट थे और परमेश्वर के विरुद्ध बड़े पाप कर रहे थे (उत्पत्ति 13:13)। जब उनका पाप बहुत दुखदायी हो गया (उत्पत्ति 18:20) परमेश्वर ने उन शहरों को नाश करने का निश्चय किया। धर्मी परमेश्वर पाप को बिना दंडित किये नहीं छोड़ता। वे सब जिनके नाम जीवन की पुस्तक में नहीं पाए जाएंगे वे आग की झील में जाएँगे (प्रकाशितवाक्य 20:15)। परमेश्वर ने किसी भी अन्य शहर को जलते गंधक से नाश नहीं किया था जैसा उसने सदोम और अमोरा को किया। प्रेरित पतरस कहता है कि परमेश्वर ने सदोम और अमोरा के साथ ऐसा इसलिये किया कि उन्हें इस बात का उदाहरण बनाए कि अधर्मियों का भविष्य में क्या होगा (2 पतरस 2:6)। यद्यपि परमेश्वर ने एक बार कहा था कि वह नीनवे को नष्ट कर देगा, फिर भी उसने दंड को उस समय रोक दिया जब शहर के लोगों ने पश्चाताप किया और अपने बुरे मार्गों से फिर गए। परमेश्वर उन्हें माफ करता है जो टूटे और पश्चातापी हर्दय के होते हैं (भजन 34:18)।
परमेश्वर ने अब्राहम से कहा कि वह सदोम और अमोरा को नष्ट करने जा रहा है (उत्पत्ति 18:16-38)। परमेश्वर अपने रहस्य उन्हीं संतानों पर प्रगट करता है जो उसके नज़दीक रहते हैं। अब्राहम ने लूत के लिये प्रार्थना किया, और परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना को सुना। परमेश्वर की संतानों को चाहिये कि वे एक दूसरों के लिये प्रार्थना करें। आपको भी अपने उन मित्रों के लिये प्रार्थना करना चाहिये जो बचाए नहीं गए हैं, और उनके लिये भी जो बीमार और तकलीफ में हैं
लूत को बचाने के लिये दो स्वर्गदूत सदोम में आए। जब वे आए तो वह शहर के फाटक के पास बैठा था। पुराने नियम में शहर का फाटक महत्वपूर्ण स्थान होता था। वह वही स्थान होता था जहाँ शहर के अगुवे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिये इकट्ठे होते थे और साथ ही लोगों की शिकायतों को सुनते थे (व्यवस्थाविवरण 21:19; उत्पत्ति 34:20)। जब लूत ने स्वर्गदूतों को देखा तो वह अपनी जगह से उठ गया, उनके पास गया और उन्हें दंडवत किया। अन्य लोग भी वहाँ बैठे रहे होंगे परंतु केवल लूत ही मेहमानों के स्वागत के लिये आगे बढ़ा। आगे हम पढ़ते हैं कि जब अब्राहम ने स्वर्गदूतों को देखा तो वह उनसे मिलने दौड़ पड़ा (उत्पत्ति 18:2)। जब अब्राहम और लूत ने स्वर्गदूतों को देखा तो वे जान गए कि वे धर्मी पुरुष थे यद्यपि वे सामान्य लोगों के समान ही दिख पड़ते थे। जब परमेश्वर की संतानें जो एक दूसरे को नहीं जानते आपस में मिलते हैं, तो उन्हें कुछ विशेष प्रकार का प्रेम और संबंध महसूस होता है। क्या आप जानते हैं क्यों? ऐसा इसलिये होता है क्योंकि वे एक ही पिता के संतान होते हैं।
यद्यपि सदोम में रहते हुए लूत ने ऐसी बातें सीख लिया होगा जो परमेश्वर के दास के योग्य नहीं रही होगी, फिर भी पहुनाई करना उसने नहीं छोड़ा था। उसने स्वर्गदूतों को उसके घर में बुलाया और वे उसके साथ जाकर रहे। सदोम में लूत एक घर में रहता था। वह सदोम आने के पहले अब्राहम के समान तंबुओं में रहता था। वे तीर्थयात्री थे जो परमेश्वर द्वारा बताए स्थान पर जाते थे। बेशक, सदोम वह जगह नहीं थी, जो परमेश्वर ने उन्हें दिखाया था। इसलिये लूत के पास अपना घर नहीं था। रात के समय सदोम के दुष्ट लोग लूत के घर के चारों तरफ आ गए। वे उन दो व्यक्तियों को बाहर लाकर उन्हें नुकसान पहुँचाना चाहते थे। लूत ने बाहर आकर उनसे विनती किया कि वे ऐसी बुरी बात न करें, परंतु उन्होंने उसकी बात नहीं सुना। उन्होंने लूत को धमकी देना शुरू किया। शायद सदोम में लूत का घर बड़ा था और वह महत्वपूर्ण व्यक्ति था इसलिये शहर के फाटक के पास बैठा था। फिर भी, उन लोगों ने उसे हट जाने को कहा जब उसने उन्हें बुरा कार्य न करने को कहा। उसी समय उस देश के लोग जहाँ अब्राहम रहता था, उसे ‘‘प्रभु’’ कहते और उसका आदर करते थे (उत्पत्ति 23:11)। इससे हम एक सीख ले सकते हैं : यदि हम जो परमेश्वर की संतान हैं, अपने आपको संसारिक लोगों और उनके बुरे कार्यों से दूर रखें तो उनके भीतर हमारे प्रति सम्मान रहेगा यद्यपि वे बाहर से नहीं दिखाएंगे। इसलिये स्कूल में आपको दूसरों को यह दिखाना चाहिये कि आप परमेश्वर की संतानें हैं। स्वर्गदूतों ने लूत को बताया कि वे सदोम को नाश करने वाले हैं और उससे कहा कि वह अपने सभी रिश्तेदारों को इकट्ठा कर ले और तुरंत वह स्थान छोड़ दे। लूत ने पहले ही अपनी बेटियों की मंगनी सदोम के पुरुषों के साथ कर दिया था। उसी रात वह उन लोगों के घर गया और उन्हें शहर के उपर आने वाले विनाश के विषय बताया। परंतु वे दुष्ट लोग लूत पर हँसने लगे। लूत और उसके परिवार ने सदोम के रहते हुए कई सामान जोड़ लिया था, इसलिये वे उस स्थान को आसानी से छोड़ना नहीं चाहते थे। जब वे हिचकिचा रहे थे तब स्वर्गदूतों ने उनका हाथ पकड़कर उन्हें शहर से बाहर ले गये। देखिये उन पर परमेश्वर का कितना बड़ा अनुग्रह था। वह उसकी संतानों पर तब भी दया दिखाता है जब वे उससे दूर चले जाते हैं। स्वर्गदूतों ने पास के सोअर शहर में जाने की लूत की बिनती को ग्रहण किया। सोअर का मतलब है ‘‘थोड़ा।’ जैसे ही लूत और उसका परिवार सदोम से सुरक्षित बाहर निकल गए, परमेश्वर ने अमोरा और सदोम पर आग और गंधक बरसा दिया और उन शहरों को नष्ट कर दिया। स्वर्गदूतों ने लूत और उसके परिवार को पीछे मुड़कर देखने से मना किया था। परंतु लूत की पत्नी ने आज्ञा का उलंघन की। उसने पीछे मुड़कर देखी और नमक का खंबा बन गई। लूत ने उसकी पत्नी और वह सब कुछ खो दिया जो उसने सदोम के दुष्ट लोगों के बीच रहकर जोड़ा था। जिस पृथ्वी पर हम रहते हैं वह भी अंत में आग द्वारा नष्ट कर दी जाएगी (2 पतरस 3:10)। परंतु इससे पहले, हमारा प्रभु आएगा और जितनों ने उस पर विश्वास किया और उद्धार पाए हैं, उन्हें साथ ले जाएगा (1 थिस्स 4:16-17)। परंतु, उद्धाररहित लोगों को अनंतकालीन आग में छोड़ दिया जाएगा (प्रकाशितवाक्य 20:14 नोट : ऐसा विश्वास किया जाता है कि मृत सागर का उथला भाग ही सदोम और अमोरा का हिस्सा है। कुछ अरबी लोग इसे लूत का समुद्र कहते हैं। यह 50 मील लंबा और 11 मील चौड़ा है। मृत सागर की सतह समुद्र सतह से 1340 फीट नीचे है। यह पृथ्वी पर पानी की सबसे निचली सतह है। चूँकि पानी का घनत्व सामान्य समुद्र के पानी से ज्यादा है, उसमें कोई डूब नहीं सकता
बाइबल अध्यन
उत्पत्ति अध्याय 19 सांझ को वे दो दूत सदोम के पास आए: और लूत सदोम के फाटक के पास बैठा था: सो उन को देख कर वह उन से भेंट करने के लिये उठा; और मुंह के बल झुक कर दण्डवत कर कहा; 2 हे मेरे प्रभुओं, अपने दास के घर में पधारिए, और रात भर विश्राम कीजिए, और अपने पांव धोइये, फिर भोर को उठ कर अपने मार्ग पर जाइए। उन्होंने कहा, नहीं; हम चौक ही में रात बिताएंगे। 3 और उसने उन से बहुत बिनती करके उन्हें मनाया; सो वे उसके साथ चल कर उसके घर में आए; और उसने उनके लिये जेवनार तैयार की, और बिना खमीर की रोटियां बनाकर उन को खिलाई। 4 उनके सो जाने के पहिले, उस सदोम नगर के पुरूषों ने, जवानों से ले कर बूढ़ों तक, वरन चारों ओर के सब लोगों ने आकर उस घर को घेर लिया; 5 और लूत को पुकार कर कहने लगे, कि जो पुरूष आज रात को तेरे पास आए हैं वे कहां हैं? उन को हमारे पास बाहर ले आ, कि हम उन से भोग करें। 6 तब लूत उनके पास द्वार के बाहर गया, और किवाड़ को अपने पीछे बन्द करके कहा, 7 हे मेरे भाइयों, ऐसी बुराई न करो। 8 सुनो, मेरी दो बेटियां हैं जिन्होंने अब तक पुरूष का मुंह नहीं देखा, इच्छा हो तो मैं उन्हें तुम्हारे पास बाहर ले आऊं, और तुम को जैसा अच्छा लगे वैसा व्यवहार उन से करो: पर इन पुरूषों से कुछ न करो; क्योंकि ये मेरी छत के तले आए हैं। 9 उनहोंने कहा, हट जा। फिर वे कहने लगे, तू एक परदेशी हो कर यहां रहने के लिये आया पर अब न्यायी भी बन बैठा है: सो अब हम उन से भी अधिक तेरे साथ बुराई करेंगे। और वे उस पुरूष लूत को बहुत दबाने लगे, और किवाड़ तोड़ने के लिये निकट आए। 10 तब उन पाहुनों ने हाथ बढ़ाकर, लूत को अपने पास घर में खींच लिया, और किवाड़ को बन्द कर दिया। 11 और उन्होंने क्या छोटे, क्या बड़े, सब पुरूषों को जो घर के द्वार पर थे अन्धा कर दिया, सो वे द्वार को टटोलते टटोलते थक गए। 12 फिर उन पाहुनों ने लूत से पूछा, यहां तेरे और कौन कौन हैं? दामाद, बेटे, बेटियां, वा नगर में तेरा जो कोई हो, उन सभों को ले कर इस स्थान से निकल जा। 13 क्योंकि हम यह स्थान नाश करने पर हैं, इसलिये कि उसकी चिल्लाहट यहोवा के सम्मुख बढ़ गई है; और यहोवा ने हमें इसका सत्यनाश करने के लिये भेज दिया है। 14 तब लूत ने निकल कर अपने दामादों को, जिनके साथ उसकी बेटियों की सगाई हो गई थी, समझा के कहा, उठो, इस स्थान से निकल चलो: क्योंकि यहोवा इस नगर को नाश किया चाहता है। पर वह अपने दामादों की दृष्टि में ठट्ठा करने हारा सा जान पड़ा। 15 जब पौ फटने लगी, तब दूतों ने लूत से फुर्ती कराई और कहा, कि उठ, अपनी पत्नी और दोनो बेटियों को जो यहां हैं ले जा: नहीं तो तू भी इस नगर के अधर्म में भस्म हो जाएगा। 16 पर वह विलम्ब करता रहा, इस से उन पुरूषों ने उसका और उसकी पत्नी, और दोनों बेटियों का हाथ पकड़ लिया; क्योंकि यहोवा की दया उस पर थी: और उसको निकाल कर नगर के बाहर कर दिया। 17 और ऐसा हुआ कि जब उन्होंने उन को बाहर निकाला, तब उसने कहा अपना प्राण ले कर भाग जा; पीछे की और न ताकना, और तराई भर में न ठहरना; उस पहाड़ पर भाग जाना, नहीं तो तू भी भस्म हो जाएगा। 18 लूत ने उन से कहा, हे प्रभु, ऐसा न कर: 19 देख, तेरे दास पर तेरी अनुग्रह की दृष्टि हुई है, और तू ने इस में बड़ी कृपा दिखाई, कि मेरे प्राण को बचाया है; पर मैं पहाड़ पर भाग नहीं सकता, कहीं ऐसा न हो, कि कोई विपत्ति मुझ पर आ पड़े, और मैं मर जाऊं: 20 देख, वह नगर ऐसा निकट है कि मैं वहां भाग सकता हूं, और वह छोटा भी है: मुझे वहीं भाग जाने दे, क्या वह छोटा नहीं है? और मेरा प्राण बच जाएगा। 21 उसने उससे कहा, देख, मैं ने इस विषय में भी तेरी बिनती अंगीकार की है, कि जिस नगर की चर्चा तू ने की है, उसको मैं नाश न करूंगा। 22 फुर्ती से वहां भाग जा; क्योंकि जब तक तू वहां न पहुचे तब तक मैं कुछ न कर सकूंगा। इसी कारण उस नगर का नाम सोअर पड़ा। 23 लूत के सोअर के निकट पहुंचते ही सूर्य पृथ्वी पर उदय हुआ। 24 तब यहोवा ने अपनी ओर से सदोम और अमोरा पर आकाश से गन्धक और आग बरसाई; 25 और उन नगरों को और सम्पूर्ण तराई को, और नगरों को और उस सम्पूर्ण तराई को, और नगरों के सब निवासियों, भूमि की सारी उपज समेत नाश कर दिया। 26 लूत की पत्नी ने जो उसके पीछे थी दृष्टि फेर के पीछे की ओर देखा, और वह नमक का खम्भा बन गई। 27 भोर को इब्राहीम उठ कर उस स्थान को गया, जहां वह यहोवा के सम्मुख खड़ा था; 28 और सदोम, और अमोरा, और उस तराई के सारे देश की ओर आंख उठा कर क्या देखा, कि उस देश में से धधकती हुई भट्टी का सा धुआं उठ रहा है। 29 और ऐसा हुआ, कि जब परमेश्वर ने उस तराई के नगरों को, जिन में लूत रहता था, उलट पुलट कर नाश किया, तब उसने इब्राहीम को याद करके लूत को उस घटना से बचा लिया। 30 और लूत ने सोअर को छोड़ दिया, और पहाड़ पर अपनी दोनों बेटियों समेत रहने लगा; क्योंकि वह सोअर में रहने से डरता था: इसलिये वह और उसकी दोनों बेटियां वहां एक गुफा में रहने लगे। 31 तब बड़ी बेटी ने छोटी से कहा, हमारा पिता बूढ़ा है, और पृथ्वी भर में कोई ऐसा पुरूष नहीं जो संसार की रीति के अनुसार हमारे पास आए: 32 सो आ, हम अपने पिता को दाखमधु पिला कर, उसके साथ सोएं, जिस से कि हम अपने पिता के वंश को बचाए रखें। 33 सो उन्होंने उसी दिन रात के समय अपने पिता को दाखमधु पिलाया, तब बड़ी बेटी जा कर अपने पिता के पास लेट गई; पर उसने न जाना, कि वह कब लेटी, और कब उठ गई। 34 और ऐसा हुआ कि दूसरे दिन बड़ी ने छोटी से कहा, देख, कल रात को मैं अपने पिता के साथ सोई: सो आज भी रात को हम उसको दाखमधु पिलाएं; तब तू जा कर उसके साथ सोना कि हम अपने पिता के द्वारा वंश उत्पन्न करें। 35 सो उन्होंने उस दिन भी रात के समय अपने पिता को दाखमधु पिलाया: और छोटी बेटी जा कर उसके पास लेट गई: पर उसको उसके भी सोने और उठने के समय का ज्ञान न था। 36 इस प्रकार से लूत की दोनो बेटियां अपने पिता से गर्भवती हुई। 37 और बड़ी एक पुत्र जनी, और उसका नाम मोआब रखा: वह मोआब नाम जाति का जो आज तक है मूलपिता हुआ। 38 और छोटी भी एक पुत्र जनी, और उसका नाम बेनम्मी रखा; वह अम्मोन वंशियों का जो आज तक हैं मूलपिता हुआ॥ कुलु. 3:1-2 सोजब तुम मसीह के साथ जिलाए गए, तो स्वर्गीय वस्तुओं की खोज में रहो, जहां मसीह वर्तमान है और परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठा है। 2 पृथ्वी पर की नहीं परन्तु स्वर्गीय वस्तुओं पर ध्यान लगाओ। इब्रानियों 12:6-7 6 क्योंकि प्रभु, जिस से प्रेम करता है, उस की ताड़ना भी करता है; और जिसे पुत्र बना लेता है, उस को कोड़े भी लगाता है। 7 तुम दुख को ताड़ना समझकर सह लो: परमेश्वर तुम्हें पुत्र जान कर तुम्हारे साथ बर्ताव करता है, वह कौन सा पुत्र है, जिस की ताड़ना पिता नहीं करता? उत्पत्ति 18:20 20 फिर यहोवा ने कहा सदोम और अमोरा की चिल्लाहट बढ़ गई है, और उनका पाप बहुत भारी हो गया है; प्रकाशितवाक्य 20:15 15 और जिस किसी का नाम जीवन की पुस्तक में लिखा हुआ न मिला, वह आग की झील में डाला गया॥ 2 पतरस 2:6 6 और सदोम और अमोरा के नगरों को विनाश का ऐसा दण्ड दिया, कि उन्हें भस्म करके राख में मिला दिया ताकि वे आने वाले भक्तिहीन लोगों की शिक्षा के लिये एक दृष्टान्त बनें। भजन 34:18 18 यहोवा टूटे मन वालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है॥ उत्पत्ति 18:16-33 16 फिर वे पुरूष वहां से चल कर, सदोम की ओर ताकने लगे: और इब्राहीम उन्हें विदा करने के लिये उनके संग संग चला। 17 तब यहोवा ने कहा, यह जो मैं करता हूं सो क्या इब्राहीम से छिपा रखूं? 18 इब्राहीम से तो निश्चय एक बड़ी और सामर्थी जाति उपजेगी, और पृथ्वी की सारी जातियां उसके द्वारा आशीष पाएंगी। 19 क्योंकि मैं जानता हूं, कि वह अपने पुत्रों और परिवार को जो उसके पीछे रह जाएंगे आज्ञा देगा कि वे यहोवा के मार्ग में अटल बने रहें, और धर्म और न्याय करते रहें, इसलिये कि जो कुछ यहोवा ने इब्राहीम के विषय में कहा है उसे पूरा करें। 20 फिर यहोवा ने कहा सदोम और अमोरा की चिल्लाहट बढ़ गई है, और उनका पाप बहुत भारी हो गया है; 21 इसलिये मैं उतरकर देखूंगा, कि उसकी जैसी चिल्लाहट मेरे कान तक पहुंची है, उन्होंने ठीक वैसा ही काम किया है कि नहीं: और न किया हो तो मैं उसे जान लूंगा। 22 सो वे पुरूष वहां से मुड़ के सदोम की ओर जाने लगे: पर इब्राहीम यहोवा के आगे खड़ा रह गया। 23 तब इब्राहीम उसके समीप जा कर कहने लगा, क्या सचमुच दुष्ट के संग धर्मी को भी नाश करेगा? 24 कदाचित उस नगर में पचास धर्मी हों: तो क्या तू सचमुच उस स्थान को नाश करेगा और उन पचास धर्मियों के कारण जो उस में हो न छोड़ेगा? 25 इस प्रकार का काम करना तुझ से दूर रहे कि दुष्ट के संग धर्मी को भी मार डाले और धर्मी और दुष्ट दोनों की एक ही दशा हो। यह तुझ से दूर रहे: क्या सारी पृथ्वी का न्यायी न्याय न करे? 26 यहोवा ने कहा यदि मुझे सदोम में पचास धर्मी मिलें, तो उनके कारण उस सारे स्थान को छोडूंगा। 27 फिर इब्राहीम ने कहा, हे प्रभु, सुन मैं तो मिट्टी और राख हूं; तौभी मैं ने इतनी ढिठाई की कि तुझ से बातें करूं। 28 कदाचित उन पचास धर्मियों में पांच घट जाए: तो क्या तू पांच ही के घटने के कारण उस सारे नगर का नाश करेगा? उसने कहा, यदि मुझे उस में पैंतालीस भी मिलें, तौभी उसका नाश न करूंगा। 29 फिर उसने उससे यह भी कहा, कदाचित वहां चालीस मिलें। उसने कहा, तो मैं चालीस के कारण भी ऐसा ने करूंगा। 30 फिर उसने कहा, हे प्रभु, क्रोध न कर, तो मैं कुछ और कहूं: कदाचित वहां तीस मिलें। उसने कहा यदि मुझे वहां तीस भी मिलें, तौभी ऐसा न करूंगा। 31 फिर उसने कहा, हे प्रभु, सुन, मैं ने इतनी ढिठाई तो की है कि तुझ से बातें करूं: कदाचित उस में बीस मिलें। उसने कहा, मैं बीस के कारण भी उसका नाश न करूंगा। 32 फिर उसने कहा, हे प्रभु, क्रोध न कर, मैं एक ही बार और कहूंगा: कदाचित उस में दस मिलें। उसने कहा, तो मैं दस के कारण भी उसका नाश न करूंगा। 33 जब यहोवा इब्राहीम से बातें कर चुका, तब चला गया: और इब्राहीम अपने घर को लौट गया॥ व्यवस्थाविवरण 21:19 19 तो उसके माता-पिता उसे पकड़कर अपने नगर से बाहर फाटक के निकट नगर के सियानों के पास ले जाएं, उत्पत्ति 34:20 20 सो हमोर और उसका पुत्र शकेम अपने नगर के फाटक के निकट जा कर नगरवासियों को यों समझाने लगे; उत्पत्ति 18:2 2 और उसने आंख उठा कर दृष्टि की तो क्या देखा, कि तीन पुरूष उसके साम्हने खड़े हैं: जब उसने उन्हे देखा तब वह उन से भेंट करने के लिये तम्बू के द्वार से दौड़ा, और भूमि पर गिरकर दण्डवत की और कहने लगा, 2 पतरस 3:10 10 परन्तु प्रभु का दिन चोर की नाईं आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्द से जाता रहेगा, और तत्व बहुत ही तप्त होकर पिघल जाएंगे, और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाऐंगे। 1 थिस्सलुनीकियों 4:16-17 16 क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूंकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहिले जी उठेंगे। 17 तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उन के साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे। प्रकाशितवाक्य 20:14 14 और मृत्यु और अधोलोक भी आग की झील में डाले गए; यह आग की झील तो दूसरी मृत्यु है।
संगीत
I have decided to follow Jesus; (3) No turning back (2).
The Cross before me; the world behind me, (3) No turning back (2).
Though none go with me, still I will follow; (3) No turning back (2).
Take the whole world, but give me my Savior; (3) No turning back (2).
Will you decide now to follow Jesus? (3) No turning back (2).