पाठ 17 : अबीगैल

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सारांश

हमने रूत के विषय देखा जिसे परमेश्वर पर विश्वास रखने का प्रतिफल मिला। बाइबल में हम और भी स्त्रियों के विषय पढ़ते हैं जो नम्र, बुद्धिमान और परमेश्वर का भय मानने वाली थी। अबीगैल उनमें से एक है। उसका पति नाबाल कालेब के वंश से था। कभी-कभी कुछ बच्चों को बिगड़े हुए देखते हैं, यद्यपि उनके माता-पिता धर्मी होते हैं। नाबाल जो कालेब के वंश में पैदा हुआ था बहुत गुस्से वाला और नीच व्यवहार करनेवाला था। अबीगैल सुंदर और बुद्धिमान दोनों ही थी। कभी-कभी जो लोग सुन्दर और बुद्धिमान होते हैं वे घमंडी और अभिमानी होते हैं परंतु अबीगैल के विषय ऐसा नहीं था। नाबाल बहुत धनी व्यक्ति था। हमने अब्राहम और इसहाक की कहानियों से जाना है कि उन दिनों के धनी व्यक्तियों के पास बहुत पशु और भेड़े होती थीं और भेड़ों के ऊन कतरने का समय त्योहार के समान मनाया जाता था। उस समय, दाऊद जिसको इस्राएल का राजा होने के लिये अभिषेक किया गया था, शाऊल के डर से एक स्थान से दूसरे स्थान भाग रहा था। जब नाबाल माओन में उसकी भेड़ों का ऊन कतर रहा था तब दाऊद और उसके लोग जंगल में थे। नाबाल के द्वारा भेडों के बाल कतरने की बात सुनकर दाऊद ने कुछ आपूर्तियों की मांग लेकर अपने कुछ लोगों को नाबाल के पास भेजा पहले जब नाबाल के दास कर्मेल पर भेडे़ं चरा रहे थे तब दाऊद और उसके लोगों ने उन्हें शत्रुओं से बचाया था। स्पष्ट है कि इसके बदले दाऊद नाबाल से कुछ चाहता था। लेकिन नाबाल ने दाऊद के लोगां का अपमान किया और खाली हाथ लौटा दिया। जब दाऊद को इस बात का पता चला तो वह क्रोधित हो गया। वह 400 लोगों को लेकर नाबाल से बदला लेने के लिये निकल पड़ा। यद्यपि दाऊद परमेश्वर का दास था, क्रोध उस पर हावी हो गया और उसके उपर अपना नियंत्रण जमा लिया। जब दूसरे आपको नीचा दिखाते तो आपको इच्छा नहीं होती कि आप उसी तरह का व्यवहार उनके साथ भी करें? बदला लेना परमेश्वर का काम है, उसकी संतानों का नहीं। हमें कभी भी बदला लेने की नहीं सोचना चाहिये। नाबाल की पत्नी अबीगैल ने सुनी कि नाबाल ने दाऊद के दासों के साथ कैसा व्यवहार किया था। वह जानती थी कि दाऊद को इस्राएल का राजा होने के लिये चुना गया है। बाद में वह कहती है कि दाऊद परमेश्वर के युद्ध लड़ता था और यह कि वह इस्राएल पर प्रधान होनेवाला था (पद 28:30)। उसके पति को भी यह बात मालूम रही होगी, परंतु जब उसने दाऊद के विषय सुना, तब नाबाल ने ‘‘ठट्ठा करते हुए उसे ‘यिशै का पुत्र’ कहा, और दास जो अपने स्वामी से अलग हो गया है’’ कहा। यह नाबाल उस प्रकार के लोगों में से एक है जो प्रभु को जानने के बाद भी उसका तिरस्कार करते हैं। नाबाल शब्द का अर्थ ‘‘मूर्ख’’ होता है, और वे सब जो प्रभु यीशु मसीह को उद्धारकर्ता नहीं मानते वे परमेश्वर की दृष्टि में मूर्ख हैं। अबीगैल ने रोटी, दाखमधु, माँस और अन्य खाने की सामग्रियों को गदहों पर लाद दी और उन्हें दासों के द्वारा दाऊद के पास भेज दी। वह भी उनके पीछे चली। जब वह अपने गदहे पर एक पर्वत घाटी से गुजर रही थी तो उसकी भेंट दाऊद और उसके 400 लोगों से हुई जो तलवार लिये बढ़े जा रहे थे। वह तुरंत गदहे पर से उतर गई और दाऊद के सामने झुककर प्रणाम किया। उसने अपनी पति की गलती को अपने उपर ले ली और दाऊद से क्षमा याचना करने लगी। यहाँ अबीगैल उसके दोषी पति नाबाल और दाऊद की तलवार के बीच खड़ी थी। यह काम हमारे प्रभु ने भी किया। वह हमारे और परमेश्वर की अग्निमय तलवार के बीच खड़ा हुआ। क्योंकि उसने हमारे पापों की सजा हमारे और परमेश्वर के बीच मध्यस्थ होकर खुद पर ले ली , ताकि हम उस सजा से बच सकें दाऊद ने अबीगैल कि याजना को सुना और जो कुछ उसने लाई थी उसे ग्रहण कर लिया ,फिर वह छावनी मए लौट गया । जब अबीगैल नाबाल को बताया कि क्या हुआ था था तो उसको हृदयघात हुआ और वह पत्थर सा हो गया। दस दिनों के बाद नाबाल मर गया। दाऊद ने परमेश्वर को धन्यवाद दिया कि उसने उसे लहू बहाने से बचा लिया और उसे उसके हाथों से बदला लेने से भी बचाया। बाद में दाऊद ने अबीगैल से विवाह कर लिया। वह खुशी-खुशी ऐसे व्यक्ति की पत्नी बन गई जो गुफाओं में रहता और जंगली स्थानों में घूमता रहता था, क्योंकि वह जानती थी कि जिसे वह अपना पति स्वीकार कर रही है वह परमेश्वर का अभिषिक्त राजा है। ‘‘यदि हम धीरज से सहते रहेंगे तो उसके साथ राज्य भी करेंगे’’, प्रेरित पौलुस ने कहा (2 तीमु 2:12)। नोट : अबीगैल - आनंद का स्त्रोत कुछ लोग सोचते हैं कि 25:3 में प्रयुक्त ‘‘कालेब’’ शब्द नाम नहीं परंतु साधारण संज्ञा है, और वे उसकी व्याख्या ऐसे करते हैं ‘‘वह एक कुत्ते जैसा कर्कश था।’’

बाइबल अध्यन

1 शमूएल अध्याय 25 और शमूएल मर गया; और समस्त इस्राएलियों ने इकट्ठे हो कर उसके लिये छाती पीटी, और उसके घर ही में जो रामा में था उसको मिट्टी दी। तब दाऊद उठ कर पारान जंगल को चला गया॥ 2 माओन में एक पुरूष रहता था जिसका माल कर्मेल में था। और वह पुरूष बहुत बड़ा था, और उसके तीन हजार भेड़ें, और एक हजार बकरियां थीं; और वह अपनी भेड़ों का ऊन कतर रहा था। 3 उस पुरूष का नाम नाबाल, और उसकी पत्नी का नाम अबीगैल था। स्त्री तो बुद्धिमान और रूपवती थी, परन्तु पुरूष कठोर, और बुरे बुरे काम करने वाला था; वह तो कालेबवंशी था। 4 जब दाऊद ने जंगल में समाचार पाया, कि नाबाल अपनी भेड़ों का ऊन कतर रहा है; 5 तब दाऊद ने दस जवानों को वहां भेज दिया, ओर दाऊद ने उन जवानों से कहा, कि कर्मेल में नाबाल के पास जा कर मेरी ओर से उसका कुशलक्षेम पूछो। 6 और उस से यों कहो, कि तू चिरंजीव रहे, तेरा कल्याण हो, और तेरा घराना कल्याण से रहे, और जो कुछ तेरा है वह कल्याण से रहे। 7 मैं ने सुना है, कि जो तू ऊन कतर रहा है; तेरे चरवाहे हम लोगों के पास रहे, और न तो हम ने उनकी कुछ हानि की, और न उनका कुछ खोया गया। 8 अपने जवानों से यह बात पूछ ले, और वे तुझ का बताएंगे। सो इन जवानों पर तेरे अनुग्रह की दृष्टि हो; हम तो आनन्द के समय में आए हैं, इसलिये जो कुछ तेरे हाथ लगे वह अपने दासों और अपने बेटे दाऊद को दे। 9 ऐसी ऐसी बातें दाऊद के जवान जा कर उसके नाम से नाबाल को सुनाकर चुप रहे। 10 नाबाल ने दाऊद के जनों को उत्तर देकर उन से कहा, दाऊद कौन है? यिशै का पुत्र कौन है? आज कल बहुत से दास अपने अपने स्वामी के पास से भाग जाते हैं। 11 क्या मैं अपनी रोटी-पानी और जो पशु मैं ने अपने कतरने वालों के लिये मारे हैं ले कर ऐसे लोगों को दे दूं, जिन को मैं नहीं जानता कि कहां के हैं? 12 तब दाऊद के जवानों ने लौटकर अपना मार्ग लिया, और लौटकर उसको ये सब बातें ज्यों की त्यों सुना दीं। 13 तब दाऊद ने अपने जनों से कहा, अपनी अपनी तलवार बान्ध लो। तब उन्होंने अपनी अपनी तलवार बान्ध ली; और दाऊद ने भी अपनी तलवार बान्घ ली; और कोई चार सौ पुरूष दाऊद के पीछे पीछे चले, और दो सौ समान के पास रह गए। 14 परन्तु एक सेवक ने नाबाल की पत्नी अबीगैल को बताया, कि दाऊद ने जंगल से हमारे स्वामी को आशीर्वाद देने के लिये दूत भेजे थे; और उसने उन्हें ललकार दिया। 15 परन्तु वे मनुष्य हम से बहुत अच्छा बर्ताव रखते थे, और जब तक हम मैदान में रहते हुए उनके पास आया जाया करते थे, तब तक न तो हमारी कुछ हानि हुई, और न हमारा कुछ खोया गया; 16 जब तक हम उन के साथ भेड़-बकरियां चराते रहे, तब तक वे रात दिन हमारी आड़ बने रहे। 17 इसलिये अब सोच विचार कर कि क्या करना चाहिए; क्योंकि उन्होंने हमारे स्वामी की ओर उसके समस्त घराने की हानि ठानी होगी, वह तो ऐसा दुष्ट है कि उस से कोई बोल भी नहीं सकता। 18 अब अबीगैल ने फुर्ती से दो सौ रोटी, और दो कुप्पी दाखमधु, और पांच भेडिय़ों का मांस, और पांच सआ भूना हुआ अनाज, और एक सौ गुच्छे किशमिश, और अंजीरोंकी दो सौ टिकियां ले कर गदहों पर लदवाई। 19 और उसने अपने जवानों से कहा, तुम मेरे आगे आगे चलो, मैं तुम्हारे पीछे पीछे आती हूं; परन्तु उसने अपने पति नाबाल से कुछ न कहा। 20 वह गदहे पर चली हुई पहाड़ की आड़ में उतरी जाती थी, और दाऊद अपने जनों समेत उसके सामहने उतरा आता था; और वह उन को मिली। 21 दाऊद ने तो सोचा था, कि मैं ने जो जंगल में उसके सब माल की ऐसी रक्षा की कि उसका कुछ भी न खोया, यह नि:सन्देह व्यर्थ हुआ; क्योंकि उसने भलाई के बदले मुझ से बुराई ही की है। 22 यदि बिहान को उजियाला होने तक उस जन के समस्त लोगों में से एक लड़के को भी मैं जीवित छोड़ूं, तो परमेश्वर मेरे सब शत्रुओं से ऐसा ही, वरन इस से भी अधिक करे। 23 दाऊद को देख अबीगैल फुर्ती करके गदहे पर से उतर पड़ी, और दाऊद के सम्मुख मुंह के बल भूमि पर गिरकर दण्डवत की। 24 फिर वह उसके पांव पर गिरके कहने लगी, हे मेरे प्रभु, यह अपराध मेरे ही सिर पर हो; तेरी दासी तुझ से कुछ कहना चाहती है, और तू अपनी दासी की बातों को सुन ले। 25 मेरा प्रभु उस दुष्ट नाबाल पर चित्त न लगाए; क्योंकि जैसा उसका नाम है वैसा ही वह आप है; उसका नाम तो नाबाल है, और सचमुच उस में मूढ़ता पाई जाती है; परन्तु मुझ तेरी दासी ने अपने प्रभु के जवानों को जिन्हें तू ने भेजा था न देखा था। 26 और अब, हे मेरे प्रभु, यहोवा के जीवन की शपथ और तेरे जीवन की शपथ, कि यहोवा ने जो तुझे खून से और अपने हाथ के द्वारा अपना पलटा लेने से रोक रखा है, इसलिये अब तेरे शत्रु और मेरे प्रभु की हानि के चाहने वाले नाबाल ही के समान ठहरें। 27 और अब यह भेंट जो तेरी दासी अपने प्रभु के पास लाई है, उन जवानों को दी जाए जो मेरे प्रभु के साथ चालते हैं। 28 अपनी दासी का अपराध क्षमा कर; क्योंकि यहोवा निश्चय मेरे प्रभु का घर बसाएगा और स्थिर करेगा, इसलिये कि मेरा प्रभु यहोवा की ओर से लड़ता है; और जन्म भर तुझ में कोई बुराई नहीं पाई जाएगी। 29 और यद्यपि एक मनुष्य तेरा पीछा करने और तेरे प्राण का ग्राहक होने को उठा है, तौभी मेरे प्रभु का प्राण तेरे परमेश्वर यहोवा की जीवनरूपी गठरी में बन्धा रहेगा, और तेरे शत्रुओं के प्राणों को वह मानो गोफन में रखकर फेंक देगा। 30 इसलिये जब यहोवा मेरे प्रभु के लिये यह समस्त भलाई करेगा जो उसने तेरे विषय में कही है, और तुझे इस्राएल पर प्रधान करके ठहराएगा, 31 तब तुझे इस कारण पछताना न होगा, वा मेरे प्रभु का हृदय पीड़ित न होगा कि तू ने अकारण खून किया, और मेरे प्रभु ने अपना पलटा आप लिया है। फिर जब यहोवा मेरे प्रभु से भलाई करे तब अपनी दासी को स्मरण करना। 32 दाऊद ने अबीगैल से कहा, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा धन्य है, जिसने आज के दिन मुझ से भेंट करने के लिये तुझे भेजा है। 33 और तेरा विवेक धन्य है, और तू आप भी धन्य है, कि तू ने मुझे आज के दिन खून करने और अपना पलटा आप लेने से रोक लिया है। 34 क्योंकि सचमुच इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जिसने मुझे तेरी हानि करने से रोका है, उसके जीवन की शपथ, यदि तू फुर्ती करके मुझ से भेंट करने को न आती, तो नि:सन्देह बिहान को उजियाला होने तक नाबाल का कोई लड़का भी न बचता। 35 तब दाऊद ने उसे ग्रहण किया जो वह उसके लिये लाई थी; फिर उस से उसने कहा, अपने घर कुशल से जा; सुन, मैं ने तेरी बात मानी है और तेरी बिनती ग्रहण कर ली है। 36 तब अबीगैल नाबाल के पास लौट गई; और क्या देखती है, कि वह घर में राजा की सी जेवनार कर रहा है। और नाबाल का मन मगन है, और वह नशे में अति चूर हो गया है; इसलिये उसने भोर के उजियाले होने से पहिले उस से कुछ भी न कहा। 37 बिहान को जब नाबाल का नशा उतर गया, तब उसकी पत्नी ने उसे कुल हाल सुना दिया, तब उसके मन का हियाव जाता रहा, और वह पत्थर सा सुन्न हो गया। 38 और दस दिन के पश्चात यहोवा ने नाबाल को ऐसा मारा, कि वह मर गया। 39 नाबाल के मरने का हाल सुनकर दाऊद ने कहा, धन्य है यहोवा जिसने नाबाल के साथ मेरी नामधराई का मुकद्दमा लड़कर अपने दास को बुराई से रोक रखा; और यहोवा ने नाबाल की बुराई को उसी के सिर पर लाद दिया है। तब दाऊद ने लोगों को अबीगैल के पास इसलिये भेजा कि वे उस से उसकी पत्नी होने की बातचीत करें। 40 तो जब दाऊद के सेवक कर्मेल को अबीगैल के पास पहुंचे, तब उस से कहने लगे, कि दाऊद ने हमें तेरे पास इसलिये भेजा है कि तू उसकी पत्नी बने। 41 तब वह उठी, और मुंह के बल भूमि पर गिर दण्डवत करके कहा, तेरी दासी अपने प्रभु के सेवकों के चरण धोने के लिये लौंडी बने। 42 तब अबीगैल फुर्ती से उठी, और गदहे पर चली, और उसकी पांच सहेलियां उसके पीछे पीछे हो ली; और वह दाऊद के दूतों के पीछे पीछे गई; और उसकी पत्नी हो गई। 43 और दाऊद ने चिज्रैल नगर की अहिनोअम को भी ब्याह लिया, तो वे दोनोंउसकी पत्नियां हुई। 44 परन्तु शाऊल ने अपनी बेटी दाऊद की पत्नी मीकल को लैश के पुत्र गल्लीमवासी पलती को दे दिया था॥ नीतिवचन 9:10 10 यहोवा का भय मानना बुद्धि का आरम्भ है, और परमपवित्र ईश्वर को जानना ही समझ है। इफिसियों 5:15 15 इसलिये ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो; निर्बुद्धियों की नाईं नहीं पर बुद्धिमानों की नाईं चलो। 2 तीमुथियुस 2:12 12 यदि हम धीरज से सहते रहेंगे, तो उसके साथ राज्य भी करेंगे: यदि हम उसका इन्कार करेंगे तो वह भी हमारा इन्कार करेगा।

संगीत

आत्मा से मारे देह की क्रिया को जिससे हम जीवन पाएँगे, संसारिक रीति से गर चलें हम निश्चय ही मृत्यु को पाएँगे जीवन और मृत्यु दो रास्ते हैं, चुनना तू जीवन के मार्ग को।

चुनना होगा आज तुम को चौड़े या सकरे मार्ग को, यीशु कहता है आज तुम को, चुनना तू जीवन के मार्ग को।