पाठ 14 : रुत और नाओमी

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सारांश

परिचय : ‘‘नओमी, मोआब में भोजन है। आओ हम वहाँ जाकर तब तक रहें जब तक अकाल खत्म न हो जाए।’’ शायद एलीमेलेक ने एक दिन उसकी पत्नी से यही कहा था। आइये हम उस संदर्भ को देखें जिनमें ये शब्द कहे गये थे। न्यायियों के समय में यहूदा देश अकाल से ग्रस्त हुआ। बैतलहम के यहूदा में एक व्यक्ति था जिसका नाम एलीमेलेक था। जुबुलून में एक और बैतलहम था जो नासरत के उत्तर में 11 कि.मी. की दूरी पर था। जब अकाल ज्यादा ही गंभीर हो गया, तो एलीमेलेक उसकी पत्नी और दो बेटों के साथ मोआब को चला गया। मोआब मृत सागर के पूर्व में है। बैतलहम और मोआब की दूरी करीब 90 कि.मी. की है। मोआबी लोग लूत के वंशज होने के कारण इस्राएलियों से संबंधित थे, परंतु उनका संबंध मित्रता का नहीं था। परमेश्वर की इस्राएल को यह आज्ञा थी कि उन्हें प्रभु की मंडली में दसवी पीढ़ी से पहले किसी मोआबी को स्थान नहीं देना चाहिये एलीमेलेक मोआब में मर गया। बहुत पहले ही उसके पुत्र महलोन और किल्योन जिन्होंने मोआबी स्त्रियों से विवाह किया था, मर गये थे। विधवा नओमी ने उसके अपने देश वापस जाने का निर्णय ली। इस समय तक अकाल खत्म हो चुका था और बेतलहम मे कटनी का समय था। वह अपनी दो बहुओं के साथ निकल पड़ी। थोड़ी दूर जाने के बाद नओमी ने अपनी बहुओं से उनके घर वापस जाने को कही। उसने उन्हें परमेश्वर के सुपुर्द की और बिदा की (1:8-9)। ओर्पा ने अपनी सास को चूमी और बिदा होकर अपने घर चली गई, परंतु रूत नओमी के साथ ही रही। उसने अपना प्रेम और निर्णय हृदय को छू लेने वाले तरीके से प्रगट की (1:16-17)। वे शब्द जो रूत ने नओमी से की, वे परमेश्वर की संतान को परमेश्वर के साथ वाचा बांधने के लिये आदर्श हैं। रूत जानती थी कि यदि वह बूढ़ी विधवा के साथ रहेगी तो उसे कोई भौतिक फायदा नहीं होगा, परंतु चूँकि उसने नओमी के जीवित परमेश्वर को चुनी थी और उस पर विश्वास की थी उसने नओमी के साथ जाने का निर्णय ली। ओर्पा भी इस्राएल के परमेश्वर को जानती थी। वह भी अपने परिवार के सदस्यों के साथ सच्चे ईश्वर की आराधना पति के घर में रहते हुए कर सकती थी, परंतु जब परीक्षा का समय आया तो वह अपने लोगों और उनके ईश्वरों के पास लौट गई। जब हमारे जीवन में क्लेश या निराशा होती है, तब ही जाना जाता है कि हमारा विश्वास उचित है या नहीं नओमी और रूत बेतलहम चले गये। उनके आगमन से शहर में खामोशी छा गई। बेशक उन्होंने नओमी के विषय बातें की जिसने अपने पति के साथ और दो पुत्रों के साथ वह स्थान छोड़ी थी और एक अन्यजातीय बहू के साथ अकेली लौटी थी। इन दोनों स्त्रियों को जो बेतलहम लौटी थीं, भोजन की जरूरत पड़ी। जब परमेश्वर ने इस्राएल को व्यवस्था दिया तो उसने उनसे कहा था, ‘‘फिर जब तुम अपने देश के खेत काटो तब अपने खेत के कोने-कोने तक पूरा न काटना, और काटे हुए खेत की गिरी पड़ी बालों को न चुनना।…उन्हें दीन और परदेशी लोगों के लिये छोड़ देना (लैव्यवस्था 19:9-10; व्यवस्थाविवरण 24:19,21)। रूत ने इसके विषय नओमी से सुनी होगी। उसने खेतों में जाकर अपनी सास और अपने लिये बीनने का निर्णय ली। घर पर समय नष्ट न करते हुए वह जव के खेत में चली गई। परमेश्वर ने उसके निर्णय और इच्छा का आदर किया। जिस खेत में वह बीनने गई थी उसके मालिक ने उस पर विशेष कृपा दिखाया। शाम को वह अपनी सास के साथ वह सब ले आई जो उसने बीनी थी। उसने भूने हुए अनाज में से भी कुछ हिस्सा उसे दी जो उसे दिन के समय दिया गया था। उसकी सास के प्रति उसके प्रेम और फिक्र को देखिये। बच्चों की यह जवाबदारी है कि वे अपने बीमार और बूढ़े माता-पिता की देखभाल करें। रूत ने न केवल जव और भूना अनाज ही उसे दी परंतु उसे यह भी बताई कि वह बीनने के लिये कहाँ गई थी और दिन भर क्या-क्या हुआ था। नओमी ने उसे सलाह दी की उसे आगे क्या करना चाहिये। क्या आप कभी कभी अपने माता-पिता से कुछ बातें छिपाते हैं? जब आप अपनी कठिनाइयों के विषय उन्हें बताएँगे तो वे आपको अच्छी सलाह और मार्गदर्शन दे सकेंगे। सुलैमान के शब्दों को याद रखें, ‘‘हे मेरे पुत्र मेरी आज्ञा को मान, और अपनी माता की शिक्षा को न तज’’ (नीतिवचन 6:20; 3:1) नओमी ने रूत से पूछी, ‘तू बीनने के लिये कहाँ गई थी?’’ हमें यह प्रश्न स्वयँ से पूछना चाहिये, ‘‘आज मैंने कहाँ से बीना/बीनी? मैंने कौन से कार्य किये? मैंने क्या अध्ययन किया? क्या आज मैंने प्रभु के खेत में काम किया या शैतान के खेत में किया है?’’ हर रात सोने के पहले ये प्रश्न स्वयँ से पूछें। नोट : बेतलहम का मूल नाम एप्राता था। इसलिये एप्राती नाम 1:2 में है। देखें उत्पत्ति 35:19, 48:7। नओमी - प्रसन्नचित एलीमेलेक - परमेश्वर राजा है बेतलहम - रोटी का घर

बाइबल अध्यन

रूत अध्याय 1 जिन दिनों में न्यायी लोग न्याय करते थे उन दिनों में देश में अकाल पड़ा, तब यहूदा के बेतलेहेम का एक पुरूष अपनी स्त्री और दोनों पुत्रों को संग ले कर मोआब के देश में परदेशी हो कर रहने के लिये चला। 2 उस पुरूष का नाम एलीमेलेक, और उसकी पत्नि का नाम नाओमी, और उसके दो बेटों के नाम महलोन और किल्योन थे; ये एप्राती अर्थात यहूदा के बेतलेहेम के रहने वाले थे। और मोआब के देश में आकर वहां रहे। 3 और नाओमी का पति एलीमेलेक मर गया, और नाओमी और उसके दोनों पुत्र रह गए। 4 और इन्होंने एक एक मोआबिन ब्याह ली; एक स्त्री का नाम ओर्पा और दूसरी का नाम रूत था। फिर वे वहां कोई दस वर्ष रहे। 5 जब महलोन और किल्योन दोनों मर गए, तब नाआमी अपने दोनों पुत्रों और पति से रहित हो गई। 6 तब वह मोआब के देश में यह सुनकर, कि यहोवा ने अपनी प्रजा के लोगों की सुधि लेके उन्हें भोजनवस्तु दी है, उस देश से अपनी दोनों बहुओं समेत लौट जाने को चली। 7 तब वह अपनी दोनों बहुओं समेत उस स्थान से जहां रहती थी निकली, और उन्होने यहूदा देश को लौट जाने का मार्ग लिया। 8 तब नाओमी ने अपनी दोनों बहुओं से कहा, तुम अपने अपने मैके लौट जाओ। और जैसे तुम ने उन से जो मर गए हैं और मुझ से भी प्रीति की है, वैसे ही यहोवा तुम्हारे ऊपर कृपा करे। 9 यहोवा ऐसा करे कि तुम फिर पति करके उनके घरों में विश्राम पाओ। तब उसने उन को चूमा, और वे चिल्ला चिल्लाकर रोने लगीं, 10 और उस से कहा, निश्चय हम तेरे संग तेरे लोगों के पास चलेंगी। 11 नाओमी ने कहा, हे मेरी बेटियों, लौट जाओ, तुम क्यों मेरे संग चलोगी? क्या मेरी कोख में और पुत्र हैं जो तुम्हारे पति हों? 12 हे मेरी बेटियों, लौटकर चली जाओ, क्योंकि मैं पति करने को बूढ़ी हूं। और चाहे मैं कहती भी, कि मुझे आशा है, और आज की रात मेरे पति होता भी, और मेरे पुत्र भी होते, 13 तौभी क्या तुम उनके सयाने होने तक आशा लगाए ठहरी रहतीं? और उनके निमित्त पति करने से रुकी रहतीं? हे मेरी बेटियों, ऐसा न हो, क्योंकि मेरा दु:ख तुम्हारे दु:ख से बहुत बढ़कर है; देखो, यहोवा का हाथ मेरे विरुद्ध उठा है। 14 तब वे फिर से उठीं; और ओर्पा ने तो अपनी सास को चूमा, परन्तु रूत उस से अलग न हुई। 15 तब उसने कहा, देख, तेरी जिठानी तो अपने लोगों और अपने देवता के पास लौट गई है; इसलिए तू अपनी जिठानी के पीछे लौट जा। 16 रूत बोली, तू मुझ से यह बिनती न कर, कि मुझे त्याग वा छोड़कर लौट जा; क्योंकि जिधर तू जाए उधर मैं भी जाऊंगी; जहां तू टिके वहां मैं भी टिकूंगी; तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेश्वर मेरा परमेश्वर होगा; 17 जहां तू मरेगी वहां मैं भी मरूंगी, और वहीं मुझे मिट्टी दी जाएगी। यदि मृत्यु छोड़ और किसी कारण मैं तुझ से अलग होऊं, तो यहोवा मुझ से वैसा ही वरन उस से भी अधिक करे। 18 जब उसने यह देखा कि वह मेरे संग चलने को स्थिर है, तब उसने उस से और बात न कही। 19 सो वे दोनों चल निकलीं और बेतलेहेम को पहुंची। और उनके बेतलेहेम में पहुंचने पर कुल नगर में उनके कारण धूम मची; और स्त्रियां कहने लगीं, क्या यह नाओमी है? 20 उसने उन से कहा, मुझे नाओमी न कहो, मुझे मारा कहो, क्योंकि सर्वशक्तिमान् ने मुझ को बड़ा दु:ख दिया है। 21 मैं भरी पूरी चली गई थी, परन्तु यहोवा ने मुझे छूछी करके लौटाया है। सो जब कि यहोवा ही ने मेरे विरुद्ध साक्षी दी, और सर्वशक्तिमान ने मुझे दु:ख दिया है, फिर तुम मुझे क्यों नाओमी कहती हो? 22 इस प्रकार नाओमी अपनी मोआबिन बहू रूत के साथ लौटी, जो मोआब के देश से आई थी। और वे जौ कटने के आरम्भ के समय बेतलेहेम में पहुंची॥ अध्याय 2 नाओमी के पति एलीमेलेक के कुल में उसका एक बड़ा धनी कुटुम्बी था, जिसका नाम बोअज था। 2 और मोआबिन रूत ने नाओमी से कहा, मुझे किसी खेत में जाने दे, कि जो मुझ पर अनुग्रह की दृष्टि करे, उसके पीछे पीछे मैं सिला बीनती जाऊं। उसने कहा, चली जा, बेटी। 3 सो वह जा कर एक खेत में लवने वालों के पीछे बीनने लगी, और जिस खेत में वह संयोग से गई थी वह एलीमेलेक के कुटुम्बी बोअज का था। 4 और बोअज बेतलेहेम से आकर लवने वालों से कहने लगा, यहोवा तुम्हारे संग रहे, और वे उस से बोले, यहोवा तुझे आशीष दे। 5 तब बोअज ने अपने उस सेवक से जो लवने वालों के ऊपर ठहराया गया था पूछा, वह किस की कन्या है। 6 जो सेवक लवने वालों के ऊपर ठहराया गया था उसने उत्तर दिया, वह मोआबिन कन्या है, जो नाओमी के संग मोआब देश से लौट आई है। 7 उसने कहा था, मुझे लवने वालों के पीछे पीछे पूलों के बीच बीनने और बालें बटोरने दे। तो वह आई, और भोर से अब तक यहीं है, केवल थोड़ी देर तक घर में रही थी। 8 तब बोअज ने रूत से कहा, हे मेरी बेटी, क्या तू सुनती है? किसी दूसरे के खेत में बीनने को न जाना, मेरी ही दासियों के संग यहीं रहना। 9 जिस खेत को वे लवतीं हों उसी पर तेरा ध्यान बन्धा रहे, और उन्हीं के पीछे पीछे चला करना। क्या मैं ने जवानों को आज्ञा नहीं दी, कि तुझ से न बोलें? और जब जब तुझे प्यास लगे, तब तब तू बरतनों के पास जा कर जवानों का भरा हुआ पानी पीना। 10 तब वह भूमि तक झुककर मुंह के बल गिरी, और उस से कहने लगी, क्या कारण है कि तू ने मुझ परदेशिन पर अनुग्रह की दृष्टि करके मेरी सुधि ली है? 11 बोअज ने उत्तर दिया, जो कुछ तू ने पति मरने के पीछे अपनी सास से किया है, और तू किस रीति अपने माता पिता और जन्मभूमि को छोड़कर ऐसे लोगों में आई है जिन को पहिले तू ने जानती थी, यह सब मुझे विस्तार के साथ बताया गया है। 12 यहोवा तेरी करनी का फल दे, और इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जिसके पंखों के तले तू शरण लेने आई है तुझे पूरा बदला दे 13 उसने कहा, हे मेरे प्रभु, तेरे अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर बनी रहे, क्योंकि यद्यपि मैं तेरी दासियों में से किसी के भी बराबर नहीं हूं, तौभी तू ने अपनी दासी के मन में पैठनेवाली बातें कहकर मुझे शान्ति दी है। 14 फिर खाने के समय बोअज ने उस से कहा, यहीं आकर रोटी खा, और अपना कौर सिरके में बोर। तो वह लवने वालों के पास बैठ गई; और उसने उसको भुनी हुई बालें दी; और वह खाकर तृप्त हुई, वरन कुछ बचा भी रखा। 15 जब वह बीनने को उठी, तब बोअज ने अपने जवानों को आज्ञा दी, कि उसको पूलों के बीच बीच में भी बीनने दो, और दोष मत लगाओ। 16 वरन मुट्ठी भर जाने पर कुछ कुछ निकाल कर गिरा भी दिया करो, और उसके बीनने के लिये छोड़ दो, और उसे घुड़ को मत। 17 सो वह सांझ तक खेत में बीनती रही; तब जो कुछ बीन चुकी उसे फटका, और वह कोई एपा भर जौ निकला। 18 तब वह उसे उठा कर नगर में गई, और उसकी सास ने उसका बीना हुआ देखा, और जो कुछ उसने तृप्त हो कर बचाया था उसको उसने निकाल कर अपनी सास को दिया। 19 उसकी सास ने उस से पूछा, आज तू कहां बीनती, और कहां काम करती थी? धन्य वह हो जिसने तेरी सुधि ली है। तब उसने अपनी सास को बता दिया, कि मैं ने किस के पास काम किया, और कहा, कि जिस पुरूष के पास मैं ने आज काम किया उसका नाम बोअज है। 20 नाओमी ने अपनी बहू से कहा, वह यहोवा की ओर से आशीष पाए, क्योंकि उसने न तो जीवित पर से और न मरे हुओं पर से अपनी करूणा हटाई! फिर नाओमी ने उस से कहा, वह पुरूष तो हमारा कुटुम्बी है, वरन उन में से है जिन को हमारी भूमि छुड़ाने का अधिकार है। 21 फिर रूत मोआबिन बोली, उसने मुझ से यह भी कहा, कि जब तक मेरे सेवक मेरी कटनी पूरी न कर चुकें तब तक उन्हीं के संग संग लगी रह। 22 नाओमी ने अपनी बहु रूत से कहा, मेरी बेटी यह अच्छा भी है, कि तू उसी की दासियों के साथ साथ जाया करे, और वे तुझ को दूसरे के खेत में न मिलें। 23 इसलिये रूत जौ और गेहूं दोनों की कटनी के अन्त तक बीनने के लिये बोअज की दासियों के साथ साथ लगी रही; और अपनी सास के यहां रहती थी॥ रोमियों 8:28 28 और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। नीतिवचन 6:20 20 हे मेरे पुत्र, मेरी आज्ञा को मान, और अपनी माता की शिक्षा का न तज। नीतिवचन 3:1 हे मेरे पुत्र, मेरी शिक्षा को न भूलना; अपने हृदय में मेरी आज्ञाओं को रखे रहना;

संगीत

अपनी समझ का सहारा मैं लेता, तो मिलती पराजय मुझे, तेरी दया की दो बूंदें मिलेगीं तो जय का है निश्चय मुझे, आत्मा के फलों से हृदय सजाकर जीवन बिताऊंगा तेरे लिये।

कांटों में चलूंगा तेरे लिए दुख भी उठाऊँगा तेरे लिये, मैं ने यह जीवन तुझको दिया है जीवन बनाऊँगा तेरे लिये।