पाठ 13 : यिप्तह

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सारांश

परिचय : एक व्यक्ति ने जिसका उँट खो गया था यह वाचा बांधा कि जब वह उसे मिल जाएगा तो वह उसे एक दिरहाम में बेच देगा। जब उसे वह ऊँट मिल गया, तो अपनी वाचा के विषय पछताते हुए, उसने उसके गले में एक बिल्ली बांध दिया और कहा, ‘‘इस ऊँट को एक दिरहाम और बिल्ली को सौ दिरहाम में कौन खरीदेगा; परंतु दोनों एक साथ खरीदना होगा क्योंकि मैं उन्हें अलग नहीं करूंगा’’ कुछ लोग उनकी वाचा को इसी तरह पूरी करते हैं। परंतु आइये हम देखें कि एक व्यक्ति ने उसकी वाचा को किस तरह पूरी किया। यहोशू की मृत्यु के बाद परमेश्वर ने इस्राएलियों की अगुवाई करने के लिये न्यायियों को ठहराया। यिप्तह उनमें से एक था। उसके पिता का नाम गिलाद था। जब गिलाद का छोटा बेटा बड़ा हो गया तो उन्होंने यिप्तह को जो दूसरी माँ से था, दूर भेज दिया। वह तोब देश को भाग गया, उत्तरी गिलाद का एक स्थान, और वहीं रहने लगा। क्योंकि वह एक बलवान व्यक्ति था, लोगों का एक समूह तोब में उसके इर्द-गिर्द जमा हो गया। और उसके पीछे चलने लगा। उन दिनों अम्मोनियों की संतानों ने इस्राएल के विरुद्ध युद्ध किया। अम्मोनी लूत के वंशज थे। परमेश्वर ने पहले ही इस्राएल को आज्ञा दिया था कि वे उनके साथ कोई हस्तक्षेप न करें और न उनकी भूमि लें, क्योंकि उसने वह लूत की संतानों को दी थी (व्यवस्थाविवरण 2:19)। परंतु बाद में अम्मोनियों ने इस्राएल को बहुत तकलीफ दी । जब उन्होंने इस्राएल के विरुद्ध युद्ध किया तब यिप्तह के देश के लोगों ने उसकी मदद मांगी । गिलाद के वृद्धों ने उससे कहा, ‘‘अम्मोनियों की संतानों से लढ़ने के लिये हमारा प्रधान हो जा।’ यिप्तह ने सोचा कि जिन्होंने पहले उसे निकाल दिया था वे युद्ध जीतने के बाद फिर से वैसा ही करेंगे। लेकिन, वह उनका प्रधान बना जब उन्होंने उसे यह यकीन दिलाया कि वे उसे अपने अगुवे के रूप में रखेंगे। यह यकीन मिसपा में परमेश्वर और लोगों के बीच फिर से पक्का किया गया। यिप्तह परमेश्वर का भय मानने वाला व्यक्ति था। वह अपनी समस्याओं को परमेश्वर के सामने लाता था, और प्रार्थना करता था (पद 11)। हम समझ सकते हैं कि यह विश्वास की प्रार्थना होती थी क्योंकि हम उसका नाम विश्वास के नायकों के साथ इब्रानियों की पुस्तक में पाते हैं (इब्रानियों 11:32)। यिप्तह ने अम्मोनियों के साथ युद्ध टालने की कोशिश की थी । उसने उनके राजा को शांति प्रस्ताव लेकर दूत भेजा। उसने राजा द्वारा लगाए आरोपों का अच्छा जवाब दिया। परंतु, राजा ने उन पर ध्यान नहीं दिया। उसने गिलाद और मनश्शे से सेना इकट्ठी की और फिर से मिसपा आया। फिर वह युद्ध के लिये निकल पड़ा। उन दिनों के राजाओं और प्रधानों की रीति के अनुसार यिप्तह ने परमेश्वर से यह कहकर वाचा बांधी : ‘‘यदि तू निःसंदेह अम्मोनियों को मेरे हाथ में कर दे तो जब मैं कुशल के साथ अम्मोनियों के पास से लौट जाऊँ तब जो कोई मेरे भेंट के लिये मेरे घर के द्वार से निकले वह यहोवा का ठहरेगा और मैं उसे होमबलि करके चढाऊँगा।’’ यह निश्चित रूप से बुद्धिमानी की प्रतिज्ञा नहीं थी। यद्यपि परमेश्वर ने यिप्तह को इस्राएलियों को बचाने के लिये चुना था, फिर भी वह उसके दोषों से मुक्त नहीं था। परमेश्वर के महान सेवकों की भी अपनी कमजोरियाँ होती हैं। हमारी कई असफलताओं के बावजूद परमेश्वर हम से प्रेम करता और हमारा उपयोग करता है। भजनकार कहता है ‘‘वह जानता है कि हम कैसे बनाए गए; वह नहीं भूलता कि हम मिट्टी ही हैं।’जब यिप्तह अम्मोनियों को पराजित करके लौटा तो उसकी अपनी बच्ची ही उससे मिलने सामने आयी। जब उसने उसे देखा तो कितना दुखी हुआ होगा। उसने उसकी मूर्खतापूर्ण वाचा को याद किया। हमें परमेश्वर के वचन के विरुद्ध वाचा नहीं बांधनी चाहिये। यदि हम ऐसी वाचा बांधेगे तो निश्चय पछताएँगे। जब यिप्तह ने उसकी बेटी को उसकी वाचा के विषय बताया तो उसने उसे न दोष दी और न बुरा कहा। क्या आप कभी अपने माता-पिता का प्रतिकार करते हैं जब वे ऐसी बात कहते हैं जो आपको पसंद नहीं होती? ‘‘पिताजी, आप अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार ही मुझसे बर्ताव करें।’’ यही बात बेटी ने अपने पिता से कही,। देखो, वह कितनी आज्ञाकारी थी।

पद 39 में हम पढ़ते हैं कि यिप्तह ने उसके साथ वाचा के अनुसार ही किया। यहाँ हम यिप्तह के अच्छे गुण को देखते हैं। उसने परमेश्वर के साथ बांधी गई वाचा को पूरी किया यद्यपि उसे उसकी भारी कीमत चुकाना पड़ी और उसे बहुत दुख पहुँचा था। और उसके पुत्री द्वारा पिता की आज्ञापालन यहाँ तक कि अपने प्राण देकर भी, हमारे लिये बड़ा उदाहरण है। नोट : मिसपा - देखें उत्पत्ति 31:48-49। गिलाद - यरदन के पूर्व में एक पहाड़ी प्रदेश। यरदन के पूर्व की भूमि रूबेन और गाद के गोत्रों की संपत्ति थी और मनश्शे के गोत्र के आधे लोगों की थी।

बाइबल अध्यन

न्यायियों अध्याय 11 यिप्तह नाम गिलादी बड़ा शूरवीर था, और वह वेश्या का बेटा था; और गिलाद से यिप्तह उत्पन्न हुआ था। 2 गिलाद की स्त्री के भी बेटे उत्पन्न हुए; और जब वे बड़े हो गए तब यिप्तह को यह कहकर निकाल दिया, कि तू तो पराई स्त्री का बेटा है; इस कारण हमारे पिता के घराने में कोई भाग न पाएगा। 3 तब यिप्तह अपने भाइयों के पास से भागकर तोब देश में रहने लगा; और यिप्तह के पास लुच्चे मनुष्य इकट्ठे हो गए; और उसके संग फिरने लगे॥ 4 और कुछ दिनों के बाद अम्मोनी इस्राएल से लड़ने लगे। 5 जब अम्मोनी इस्राएल से लड़ते थे, तब गिलाद के वृद्ध लोग यिप्तह को तोब देश से ले आने को गए; 6 और यिप्तह से कहा, चलकर हमारा प्रधान हो जा, कि हम अम्मोनियों से लड़ सकें। 7 यिप्तह ने गिलाद के वृद्ध लोगों से कहा, क्या तुम ने मुझ से बैर करके मुझे मेरे पिता के घर से निकाल न दिया था? फिर अब संकट में पड़कर मेरे पास क्यों आए हो? 8 गिलाद के वृद्ध लोगों ने यिप्तह से कहा, इस कारण हम अब तेरी ओर फिरे हैं, कि तू हमारे संग चलकर अम्मोनियों से लड़े; तब तू हमारी ओर से गिलाद के सब निवासियों का प्रधान ठहरेगा। 9 यिप्तह ने गिलाद के वृद्ध लोगों से पूछा, यदि तुम मुझे अम्मोनियों से लड़ने को फिर मेरे घर ले चलो, और यहोवा उन्हें मेरे हाथ कर दे, तो क्या मैं तुम्हारा प्रधान ठहरूंगा? 10 गिलाद के वृद्ध लोगों ने यिप्तह से कहा, निश्चय हम तेरी इस बाते के अनुसार करेंगे; यहोवा हमारे और तेरे बीच में इन वचनों का सुननेवाला है। 11 तब यिप्तह गिलाद के वृद्ध लोगों के संग चला, और लोगों ने उसको अपने ऊपर मुखिया और प्रधान ठहराया; और यिप्तह ने अपनी सब बातें मिस्पा में यहोवा के सम्मुख कह सुनाईं॥ 12 तब यिप्तह ने अम्मोनियों के राजा के पास दूतों से यह कहला भेजा, कि तुझे मुझ से क्या काम, कि तू मेरे देश में लड़ने को आया है? 13 अम्मोनियों के राजा ने यिप्तह के दूतों से कहा, कारण यह है, कि जब इस्राएली मिस्र से आए, तब अर्नोन से यब्बोक और यरदन तक जो मेरा देश था उसको उन्होंने छीन लिया; इसलिये अब उसको बिना झगड़ा किए फेर दे। 14 तब यिप्तह ने फिर अम्मोनियों के राजा के पास यह कहने को दूत भेजे, 15 कि यिप्तह तुझ से यों कहता है, कि इस्राएल ने न तो मोआब का देश ले लिया और न अम्मोनियों का, 16 वरन जब वे मिस्र से निकले, और इस्राएली जंगल में होते हुए लाल समुद्र तक चले, और कादेश को आए, 17 तब इस्राएल ने एदोम के राजा के पास दूतों से यह कहला भेजा, कि मुझे अपने देश में हो कर जाने दे; और एदोम के राजा ने उनकी न मानी। इसी रीति उसने मोआब के राजा से भी कहला भेजा, और उसने भी न माना। इसलिये इस्राएल कादेश में रह गया। 18 तब उसने जंगल में चलते चलते एदोम और मोआब दोनों देशों के बाहर बाहर घूमकर मोआब देश की पूर्व ओर से आकर अर्नोन के इसी पार अपने डेरे डाले; और मोआब के सिवाने के भीतर न गया, क्योंकि मोआब का सिवाना अर्नोन था। 19 फिर इस्राएल ने एमोरियों के राजा सीहोन के पास जो हेश्बोन का राजा था दूतों से यह कहला भेजा, कि हमें अपने देश में से हो कर हमारे स्थान को जाने दे। 20 परन्तु सीहोन ने इस्राएल का इतना विश्वास न किया कि उसे अपने देश में से हो कर जाने देता; वरन अपनी सारी प्रजा को इकट्ठी कर अपने डेरे यहस में खड़े करके इस्राएल से लड़ा। 21 और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने सीहोन को सारी प्रजा समेत इस्राएल के हाथ में कर दिया, और उन्होंने उन को मार लिया; इसलिये इस्राएल उस देश के निवासी एमोरियों के सारे देश का अधिकारी हो गया। 22 अर्थात वह अनौन से यब्बोक तक और जंगल से ले यरदन तक एमोरियों के सारे देश का अधिकारी हो गया। 23 इसलिये अब इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने अपनी इस्राएली प्रजा के साम्हने से एमोरियों को उनके देश से निकाल दिया है; फिर क्या तू उसका अधिकारी होने पाएगा? 24 क्या तू उसका अधिकारी न होगा, जिसका तेरा कमोश देवता तुझे अधिकारी कर दे? इसी प्रकार से जिन लोगों को हमारा परमेश्वर यहोवा हमारे साम्हने से निकाले, उनके देश के अधिकारी हम होंगे। 25 फिर क्या तू मोआब के राजा सिप्पोर के पुत्र बालाक से कुछ अच्छा है? क्या उसने कभी इस्राएलियों से कुछ भी झगड़ा किया? क्या वह उन से कभी लड़ा? 26 जब कि इस्राएल हेश्बोन और उसके गावों में, और अरोएल और उसके गावों में, और अर्नोन के किनारे के सब नगरों में तीन सौ वर्ष से बसा है, तो इतने दिनों में तुम लोगों ने उसको क्यों नहीं छुड़ा लिया? 27 मैं ने तेरा अपराध नहीं किया; तू ही मुझ से युद्ध छेड़कर बुरा व्यवहार करता है; इसलिये यहोवा जो न्यायी है, वह इस्राएलियों और अम्मोनियों के बीच में आज न्याय करे। 28 तौभी अम्मोनियों के राजा ने यिप्तह की ये बातें न मानीं जिन को उसने कहला भेजा था॥ 29 तब यहोवा का आत्मा यिप्तह में समा गया, और वह गिलाद और मनश्शे से हो कर गिलाद के मिस्पे में आया, और गिलाद के मिस्पे से हो कर अम्मोनियों की ओर चला। 30 और यिप्तह ने यह कहकर यहोवा की मन्नत मानी, कि यदि तू नि:सन्देह अम्मोनियों को मेरे हाथ में कर दे, 31 तो जब मैं कुशल के साथ अम्मोनियों के पास से लौट आऊं तब जो कोई मेरे भेंट के लिये मेरे घर के द्वार से निकले वह यहोवा का ठहरेगा, और मैं उसे होमबलि करके चढ़ाऊंगा। 32 तब यिप्तह अम्मोनियों से लड़ने को उनकी ओर गया; और यहोवा ने उन को उसके हाथ में कर दिया। 33 और वह अरोएर से ले मिन्नीत तक, जो बीस नगर हैं, वरन आबेलकरामीम तक जीतते जीतते उन्हें बहुत बड़ी मार से मारता गया। और अम्मोनी इस्राएलियों से हार गए॥ 34 जब यिप्तह मिस्पा को अपने घर आया, तब उसकी बेटी डफ बजाती और नाचती हुई उसकी भेंट के लिये निकल आई; वह उसकी एकलौती थी; उसको छोड़ उसके न तो कोई बेटा था और कोई न बेटी। 35 उसको देखते ही उसने अपने कपड़े फाड़कर कहा, हाथ, मेरी बेटी! तू ने कमर तोड़ दी, और तू भी मेरे कष्ट देने वालों में हो गई है; क्योंकि मैंने यहोवा को वचन दिया है, और उसे टाल नहीं सकता। 36 उसने उस से कहा, हे मेरे पिता, तू ने जो यहोवा को वचन दिया है, तो जो बात तेरे मुंह से निकली है उसी के अनुसार मुझ से बर्ताव कर, क्योंकि यहोवा ने तेरे अम्मोनी शत्रुओं से तेरा पलटा लिया है। 37 फिर उसने अपने पिता से कहा, मेरे लिये यह किया जाए, कि दो महीने तक मुझे छोड़े रह, कि मैं अपनी सहेलियों सहित जा कर पहाड़ों पर फिरती हुई अपनी कुंवारीपन पर रोती रहूं। 38 उसने कहा, जा। तब उसने उसे दो महिने की छुट्टी दी; इसलिये वह अपनी सहेलियों सहित चली गई, और पहाड़ों पर अपनी कुंवारीपन पर रोती रही। 39 दो महीने के बीतने पर वह अपने पिता के पास लौट आई, और उसने उसके विषय में अपनी मानी हुइ मन्नत को पूरी किया। और उस कन्या ने पुरूष का मुंह कभी न देखा था। इसलिये इस्राएलियों में यह रीति चली 40 कि इस्राएली स्त्रियां प्रतिवर्ष यिप्तह गिलादी की बेटी का यश गाने को वर्ष में चार दिन तक जाया करती थीं॥ भजन 15:1,4 हे परमेश्वर तेरे तम्बू में कौन रहेगा? तेरे पवित्र पर्वत पर कौन बसने पाएगा? 4 वह जिसकी दृष्टि में निकम्मा मनुष्य तुच्छ है, और जो यहोवा के डरवैयों का आदर करता है, जो शपथ खाकर बदलता नहीं चाहे हानि उठानी पड़े; इब्रानियों 11:3 3 विश्वास ही से हम जान जाते हैं, कि सारी सृष्टि की रचना परमेश्वर के वचन के द्वारा हुई है। यह नहीं, कि जो कुछ देखने में आता है, वह देखी हुई वस्तुओं से बना हो। उत्पत्ति 31:48-49 48 लाबान ने कहा, कि यह ढेर आज से मेरे और तेरे बीच साक्षी रहेगा। इस कारण उसका नाम जिलियाद रखा गया, 49 और मिजपा भी; क्योंकि उसने कहा, कि जब हम उस दूसरे से दूर रहें तब यहोवा मेरी और तेरी देखभाल करता रहे।

संगीत

जो दुर्जन से हरदम निगाहे फिराता, फकत नेक बंदों की इज्जत वह करता , वो जो कसम खाके टलता नहीं है, जो हानि सहे पर बदलता नहीं है, वो… धन्य है वो, धन्य है वो, तेरे पवित्र पर्वत पे जाके वो ही बसेगा ।

ए खुदावंद बता, खुदावंद बता, तेरे खैमे में कौन रहेगा, कौन रहेगा, तेरे पवित्र पर्वत पे जाके कौन बसेगा ।