पाठ 8 : दस आज्ञाएँ
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सारांश
मिस्र से निकलकर तीन महीनें के उपरांत इस्राएली सीनै पर्वत के समीप आ पहुँचे । उन्होंने पर्वत के नीचे छावनी डाली और परमेश्वर उनके बीच पर्वत के ऊपर बादलों में उतर आये । तब मूसा पर्वत पर परमेश्वर की उपस्थिति में चढ़ गया और दस आज्ञाओं को प्राप्त किया जिसे परमेश्वर ने पत्थर की दो तख्तियों पर लिखा था । वे सभी आज्ञाएँ निम्नलिखित है जिनका उल्लेख नये नियम में भी है:- 1 . तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर करके न मानना । मत्ती 4:10 2 . तू अपने लिए कोई मर्ति खोदकर न बनाना, तू उनको दण्डवत न करना और न उनकी उपासना करना । 1 कुरि 10:14, यूहन्ना 5:21 3 . तू अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना । मत्ती 5:34-35 4 . तू विश्राम दिन को पवित्र मानने के लिए स्मरण रखना । कुलि 2:16 5 . तू अपने पिता और अपनी माता का आदर करना । इफि 6:1-2 6 . तू खून न करना । यूहन्ना 3:15 7 . तू व्यभिचार न करना । मत्ती 5:27-28 8 . तू चोरी न करना । इफि 4:28 9 . तू किसी के विरूद्ध झूठी साक्षी न देना । कुलि 3:9 10 . तू अपने पड़ोसी के किसी चीज का लालच न करना । गल 3:5 हम जानते हैं कि इन आज्ञाओं का पालन हम पूर्ण रूप से कभी भी नहीं कर सकते हैं ।परन्तु नये नियम में हम पाते हैं कि ये दस आज्ञाएँ , दो आज्ञाओं के द्वारा ही पूरी हो जाती है । 1 . तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी शक्ति और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख । 2 . अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख । चौथी आज्ञा इस्राएलियों के लिए थी । अतः यह आज्ञा कलिसिया के लिए नहीं है ।
बाइबल अध्यन
निर्गमन 20:4-17 4 तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना, न किसी कि प्रतिमा बनाना, जो आकाश में, वा पृथ्वी पर, वा पृथ्वी के जल में है। 5 तू उन को दण्डवत न करना, और न उनकी उपासना करना; क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखने वाला ईश्वर हूं, और जो मुझ से बैर रखते है, उनके बेटों, पोतों, और परपोतों को भी पितरों का दण्ड दिया करता हूं, 6 और जो मुझ से प्रेम रखते और मेरी आज्ञाओं को मानते हैं, उन हजारों पर करूणा किया करता हूं॥ 7 तू अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना; क्योंकि जो यहोवा का नाम व्यर्थ ले वह उसको निर्दोष न ठहराएगा॥ 8 तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना। 9 छ: दिन तो तू परिश्रम करके अपना सब काम काज करना; 10 परन्तु सातवां दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये विश्रामदिन है। उस में न तो तू किसी भांति का काम काज करना, और न तेरा बेटा, न तेरी बेटी, न तेरा दास, न तेरी दासी, न तेरे पशु, न कोई परदेशी जो तेरे फाटकों के भीतर हो। 11 क्योंकि छ: दिन में यहोवा ने आकाश, और पृथ्वी, और समुद्र, और जो कुछ उन में है, सब को बनाया, और सातवें दिन विश्राम किया; इस कारण यहोवा ने विश्रामदिन को आशीष दी और उसको पवित्र ठहराया॥ 12 तू अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, जिस से जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उस में तू बहुत दिन तक रहने पाए॥ 13 तू खून न करना॥ 14 तू व्यभिचार न करना॥ 15 तू चोरी न करना॥ 16 तू किसी के विरुद्ध झूठी साक्षी न देना॥ 17 तू किसी के घर का लालच न करना; न तो किसी की स्त्री का लालच करना, और न किसी के दास-दासी, वा बैल गदहे का, न किसी की किसी वस्तु का लालच करना॥
रोमियो 13:8-10 8 आपस के प्रेम से छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो; क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है। 9 क्योंकि यह कि व्यभिचार न करना, हत्या न करना; चोरी न करना; लालच न करना; और इन को छोड़ और कोई भी आज्ञा हो तो सब का सारांश इस बात में पाया जाता है, कि अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। 10 प्रेम पड़ोसी की कुछ बुराई नहीं करता, इसलिये प्रेम रखना व्यवस्था को पूरा करना है॥
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : परमेश्वर ने कहाँ पर मूसा को आज्ञाएं दीं ?
उ 1 : परमेश्वर ने मूसा को सीनै पर्वत पर आज्ञाएं दीं थी ।प्र 2 : वे किस पर लिखीं हुई थीं ?
उ 2 : वे पत्थर की दो पटियों पर लिखीं गई थीं ।प्र 3 : वह किसने लिखा ?
उ 3 : उसे परमेश्वर ने लिखीं थीं ।प्र 4 : दस आज्ञाएं कौन-कौन सी हैं ?
उ 4 : दस आज्ञाएं यह हैं । (1) तू मुझे छोड़ दूसरों को इश्वर करके ना मनना। (2) तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर ना बनाना , ना उसको दण्डवत करना और ना उसकी उपासना करना । (3) तू अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना । (4) तू विश्राम दिन को पवित्र मनाने के लिये स्मरण रखना । (5) तू अपने पिता और माता का आदर करना ,कि तू बहुत दिन तक जीवित रहे । (6) तू हत्या ना करना । (7) तू व्यभिचार ना करना । (8) तू चोरी ना करना । (9)तू किसी के विरुद्ध झूठी साक्षी ना देना । (10) तू अपने पड़ोसी की किसी भी वस्तु का लालच ना करना ।प्र 5 : व्यवस्था का पालन करने के विषय में नया नियम क्या कहता है ?
उ 5 : नये नियम में रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री (13:10) के अनुसार " प्रेम पड़ोसी की कुछ बुराई नहीं करता , इसलिए प्रेम रखना व्यवस्था का पूरा करना है।"
संगीत
This is My commandment, that you love one another, (that your joy may be full) (3) this is My commandment that you love one another, that your joy may be full