पाठ 7 : पीतल का सांप
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सारांश
जैसा कि हम पूर्व पाठ में सुन चुके हैं, कि इस्राएली कनान जाने के लिए मिस्र से निकल पड़े थे । हालांकि वह बहुत दूर का मार्ग नहीं था और बड़ी असानी से वे प्रतिज्ञा के देश में पहुँच सकते थे । परन्तू वे अपने शत्रुओं के देशों के मध्य से होते हुये सकुश्ल पहुंचने के लिये अपने पूर्ण मन से परमेश्वर पर भरोसा नहीं किया । इस कारण परमेश्वर ने उनको चालीस वर्ष तक मरूभूमि में भटकाकर दण्ड देता रहा। परमेश्वर सदा उनकी देखभाल करता था, परन्तू वे उनके द्वारा अद्भुत रीति से अनेक मदद के बावजूद भी शिकायत करते रहते थे । जब एक कनानी राजा ने उनपर चढ़ाई कि, तब इस्राएलियों नें परमेश्वर से प्रार्थना कर उनपर विजय पायी । तौभी वे यह वाद-विवाद और शिकायत करना नहीं छोड़े कि उनके पास न तो रोटी है और न पानी । वे परमेश्वर और मूसा के विरूद्ध में बातें करने लगे । तब परमेश्वर ने क्रोधित होकर उनके बीच तेज विषवाले साँप भेजे, जो उन्हें डँसने लगे और बहुत से लोग मर गये । क्या आप अपने अध्यापक और माता-पिता के विरूद्ध में बात करते हैं ? क्या आप परमेश्वर के विरूद्ध बातें करते हैं ? परमेश्वर के विरूद्ध बातें करना बहुत बड़ा पाप है । इस संसार में हमें बहुत से दुःख और कठिनाईयाँ तो हैं, तौभी उनके लिए हमें वाद-विवाद या शिकायत नहीं करनी चाहिए । हमें उनको स्वीकार कर लेना चाहिए और तब तक धीरज धरना चाहिए जब तक की वह समाप्त न हो जाये । जब इस्रालियों को साँप डँसने लगे तो उन्होंने पश्चाताप किया और वे मूसा के पास आकर कहने लगे, कि “हमने पाप किया है, यहोवा से प्रार्थना कर, कि वह साँपों को हम से दूर करे ।” तब मूसा ने परमेश्वर से प्रार्थना किया और उसने उसकी प्रार्थना सुनकर उससे कहा, कि पीतल का एक तेज विषवाले साँप की प्रतिमा बनवाकर खम्भे पर लटका जिसे सब लोग देख सकें । तब साँप के डसे हुओं में से, जिस-जिस ने उस लटके हुये पीतल के साँप की ओर देखा वे जीवित बच गये । जब नये नियम में प्रभु यीशु मसीह यहूदी शिक्षक नीकुदेमुस से वार्तालाप कर रहे थे, तब उन्होंने उससे कहा कि जिस रीति से मूसा ने जंगल में साँप को ऊँचे पर चढ़ाया की लोग देखें एवं मृत्यू से बच जाये ।उसी रिती से उन सभी को जो पापों से छुटकारा प्राप्त करने हेतू उनकी ओर दृष्टि करते हैं, बचाने के लिए मनुष्य का पुत्र उँचे पे चढ़ाया जायेगा । हम सबने पाप किया और अपने पापों के कारण अनंतकाल की दुःखद मृत्यु के बंधन में पड़े हुए है, पर जो कोई कलवरी क्रूस पर चढ़ाये गये प्रभु यीशु मसीह की ओर विश्वास से देखता है, वह बदले में पापों की क्षमा और अनंत जीवन प्राप्त करता हैं । पीतल का साँप देखने में वास्ताविक साँप जैसा ही था, पर उसमें विष नहीं था । प्रभु यीशु मसीह भी देखने में मनुष्य जैसे ही थे, पर उनमें कोई पाप नहीं था । इसलिए उन्होंने हमारे पापों को अपने ऊपर ले लिया, वही हमें बचा सकते हैं । इस्राएलियों ने पीतल के साँप को सुरक्षित रखा था, पर बाद में कुछ लोग उसकी आराधना करने लगे, जैसा कि अन्य राष्ट्र के लोग सोने या पीतलों की मूरतों का आराधना किया करते थे । जब हिजकिय्याह ने जाना कि लोग पीतल के साँप के साथ क्या कर रहे हैं, तब उसने पीतल के साँप को चूर चूर कर दूर फेंकवा दिया । (2 राजा 18:4)
बाइबल अध्यन
गिनती 21:4-9 4 फिर उन्होंने होर पहाड़ से कूच करके लाल समुद्र का मार्ग लिया, कि एदोम देश से बाहर बाहर घूमकर जाएं; और लोगों का मन मार्ग के कारण बहुत व्याकुल हो गया। 5 सो वे परमेश्वर के विरुद्ध बात करने लगे, और मूसा से कहा, तुम लोग हम को मिस्र से जंगल में मरने के लिये क्यों ले आए हो? यहां न तो रोटी है, और न पानी, और हमारे प्राण इस निकम्मी रोटी से दुखित हैं। 6 सो यहोवा ने उन लोगों में तेज विष वाले सांप भेजे, जो उन को डसने लगे, और बहुत से इस्त्राएली मर गए। 7 तब लोग मूसा के पास जा कर कहने लगे, हम ने पाप किया है, कि हम ने यहोवा के और तेरे विरुद्ध बातें की हैं; यहोवा से प्रार्थना कर, कि वह सांपों को हम से दूर करे। तब मूसा ने उनके लिये प्रार्थना की। 8 यहोवा ने मूसा से कहा एक तेज विष वाले सांप की प्रतिमा बनवाकर खम्भे पर लटका; तब जो सांप से डसा हुआ उसको देख ले वह जीवित बचेगा। 9 सो मूसा ने पीतल को एक सांप बनवाकर खम्भे पर लटकाया; तब सांप के डसे हुओं में से जिस जिसने उस पीतल के सांप को देखा वह जीवित बच गया।
यूहन्ना 3:14-16 14 और जिस रीति से मूसा ने जंगल में सांप को ऊंचे पर चढ़ाया, उसी रीति से अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र भी ऊंचे पर चढ़ाया जाए। 15 ताकि जो कोई विश्वास करे उस में अनन्त जीवन पाए॥ 16 क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : इस्राएलियों का पाप क्या क्या था ?
उ 1 : इस्राएलियों का पाप यह था कि वे रोटी और पानी के लिए शिकायत करते थे और मूसा और परमेश्वर के प्रति बड़बड़ाते थे ।प्र 2 : परमेश्वर ने उन्हें कैसे दण्ड दिया ।
उ 2 : परमेश्वर इस्राएलियों से क्रोधित होकर उनके बीच मे विषैले सांप भेजे थे ।प्र 3 : सांप के काटे हुओं को परमेश्वर ने कैसे चंगा किया ?
उ 3 : परमेश्वर ने मूसा से कहा कि तेज विषवाले सांप की प्रतिमा पीतल से बनाकर खम्बे पर लटका दें और तब जो सांप से दसा हुआ उस को देख लेगा वह जीवित बचेगा ।प्र 4 : पीतल का सर्प किस की तस्वीर है ?
उ 4 : पीतल का सर्प सूली पर चढ़े प्रभु यीशु मसीह की तस्वीर है ।प्र 5 : बचने के लिये किसे देख सकते हैं ?
उ 5 : बचने के लिये प्रभु यीशु मसीह की सलीब की ओर देख सकते हैं।संगीत
यीशु प्रभु को धन्यवाद दे, प्यारे प्रभु को धन्यवाद दे, दिन - रात संभाल कर अगुवाई करने वाले यीशु प्रभु को धन्यवाद दे - ते - है। धन्यवाद (2) कोटी - कोटी धन्यवाद पूरे दिल से आपका धन्यवाद, धन्यवाद (2) कोटी - कोटी धन्यवाद यीशु प्रभु जी आपको ।
यीशु प्रभु को धन्यवाद दे, प्यारे प्रभु को धन्यवाद दे, डैडी - मम्मी देने के लिए, सुन्दर घर देने के लिए, यीशु प्रभु को धन्यवाद दे - ते - है।
यीशु प्रभु को धन्यवाद दे, प्यारे प्रभु को धन्यवाद दे, बढ़िया खाना के लिए, रंगीन कपड़ों के लिए, यीशु प्रभु को धन्यवाद दे - ते - है।
यीशु प्रभु को धन्यवाद दे, प्यारे प्रभु को धन्यवाद दे, अच्छी सेहत के लिए, बेहतर बुद्धि के लिए, यीशु प्रभु को धन्यवाद दे - ते - है।