पाठ 40 : तीमुथियुस
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सारांश
तीमुथियुस की माँ यूनीके और उसकी नानी माँ लोइस विश्वासी औरतें थी और वे बाल्यवस्था में ही तीमुथियुस को परमेश्वर का वचन सीखा चुकी थी । तीमुथियुस लुस्त्रा और इकुनियुम के भाइयों में सुनाम था । इसलिए उसे पौलुस अपने साथ ले जाने का निर्णय लिया । हर कोई जानता था, कि तीमुथियुस का पिता युनानी था । इसलिए पौलुस यहूदी रीति के अनुसार उसका खतना करने का निर्णय लिया, ताकि यहूदी उसे स्वीकार कर लें । वह पौलुस के साथ त्रोआस, फिलिप्पी और बहुत सारे स्थानों में गया । थिस्सलुनीके के यहूदीयों ने यीशु पर विश्वास नहीं किया बल्की समस्याएँ उत्पन्न करने लगे । अतः भाइयों ने प्रचारकों को बिरीया भेज दिया, जहाँ के यहूदी वचन को ग्रहण करने वाले थे । वहाँ अनेक लोग कलीसिया में शामिल हो गए । पर जब इसके बारे में थिस्सलुनीके के यहूदियों ने सुना, तो बिरीया आये और विश्वासियों के लिये परेशानियाँ खड़ी करने लगे । तब पौलुस अथेंन्स चला गया और सीलास और तीमुथियुस वहीं रह गए । पौलुस ने तीमुथियुस को दो पत्रियाँ लिखी, जिससे हम जानते हैं, मिशनरी कार्य क्षेत्र में वह कितना अच्छा एक सहयोगी था । तीमुथियुस ने अपने विश्वास के लिये सताव और कैद का दुःख भी सहा । (इब्रानियों 13ः23) पौलुस तीमुथियुस को पुत्र के समान प्रेम करता था और उसके लिये बहुत अधिक प्रार्थना किया करता था । उसने उसे कलीसिया को अनुशासित करना सीखाया और हर प्रचारक को आज उन पत्रियों का अध्ययन करना चाहिए, जिसे पौलुस ने तिमुथियुस को लिखा था ।
बाइबल अध्यन
प्रेरितों के काम 6:1-15 1 उन दिनों में जब चेले बहुत होते जाते थे, तो यूनानी भाषा बोलने वाले इब्रानियों पर कुड़कुड़ाने लगे, कि प्रति दिन की सेवकाई में हमारी विधवाओं की सुधि नहीं ली जाती। 2 तब उन बारहों ने चेलों की मण्डली को अपने पास बुलाकर कहा, यह ठीक नहीं कि हम परमेश्वर का वचन छोड़कर खिलाने पिलाने की सेवा में रहें। 3 इसलिये हे भाइयो, अपने में से सात सुनाम पुरूषों को जो पवित्र आत्मा और बुद्धि से परिपूर्ण हों, चुन लो, कि हम उन्हें इस काम पर ठहरा दें। 4 परन्तु हम तो प्रार्थना में और वचन की सेवा में लगे रहेंगे। 5 यह बात सारी मण्डली को अच्छी लगी, और उन्होंने स्तिुफनुस नाम एक पुरूष को जो विश्वास और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण था, और फिलेप्पुस और प्रखुरूस और नीकानोर और तीमोन और परिमनास और अन्ताकीवाला नीकुलाउस को जो यहूदी मत में आ गया था, चुन लिया। 6 और इन्हें प्रेरितों के साम्हने खड़ा किया और उन्होंने प्रार्थना करके उन पर हाथ रखे। 7 और परमेश्वर का वचन फैलता गया और यरूशलेम में चेलों की गिनती बहुत बढ़ती गई; और याजकों का एक बड़ा समाज इस मत के अधीन हो गया। 8 स्तिुफनुस अनुग्रह और सामर्थ में परिपूर्ण होकर लोगों में बड़े बड़े अद्भुत काम और चिन्ह दिखाया करता था। 9 तब उस अराधनालय में से जो लिबरतीनों की कहलाती थी, और कुरेनी और सिकन्दिरया और किलिकिया और एशीया के लोगों में से कई एक उठकर स्तिुफनुस से वाद-विवाद करने लगे। 10 परन्तु उस ज्ञान और उस आत्मा का जिस से वह बातें करता था, वे साम्हना न कर सके। 11 इस पर उन्होने कई लोगों को उभारा जो कहने लगे, कि हम ने इस को मूसा और परमेश्वर के विरोध में निन्दा की बातें कहते सुना है। 12 और लोगों और प्राचीनोंऔर शास्त्रियों को भड़काकर चढ़ आए और उसे पकड़कर महासभा में ले आए। 13 और झूठे गवाह खड़े किए, जिन्हों ने कहा कि यह मनुष्य इस पवित्र स्थान और व्यवस्था के विरोध में बोलना नहीं छोड़ता। 14 क्योंकि हम ने उसे यह कहते सुना है, कि यही यीशु नासरी इस जगह को ढ़ा देगा, और उन रीतों को बदल डालेगा जो मूसा ने हमें सौंपी हैं। 15 तब सब लोगों ने जो सभा में बैठे थे, उस की ओर ताक कर उसका मुखड़ा स्वर्गदूत का सा देखा॥
2 तीमुथियुस 1:3-5 3 जिस परमेश्वर की सेवा मैं अपने बाप दादों की रीति पर शुद्ध विवेक से करता हूं, उसका धन्यवाद हो कि अपनी प्रार्थनाओं में तुझे लगातार स्मरण करता हूं। 4 और तेरे आंसुओं की सुधि कर कर के रात दिन तुझ से भेंट करने की लालसा रखता हूं कि आनन्द से भर जाऊं। 5 और मुझे तेरे उस निष्कपट विश्वास की सुधि आती है, जो पहिले तेरी नानी लोइस, और तेरी माता यूनीके में थी, और मुझे निश्चय हुआ है, कि तुझ में भी है।
2 तीमुथियुस 3:15 15 और बालकपन से पवित्र शास्त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है।
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : तीमुथियुस के माता-पिता कौन थे ?
उ 1 : तीमुथियुस की माता का यूनीके था और पिता एक यूनानी था।प्र 2 : तीमुथियुस को परमेश्वर का वचन किसने सिखाया ?
उ 2: : तीमुथियुस को परमेश्वर का वचन उसकी माता यूनीके ने और नयी लोइस ने सिखाया था ।प्र 3 : पौलुस तीमुथियुस को अपने साथ क्यों ले गए ?
उ 3 : पौलुस तीमुथियुस को अपने साथ इसलिए ले गए क्योंकि लुस्रा और इकुनियम के विश्वासी तीमुथियुस के बारे में केवल अच्छी गवाही देते थे ।प्र 4 : तीमुथियुस ने प्रभु के लिए क्या कार्य किया था ?
उ 4 : तीमुथियुस सुसमाचार फैलाने के कार्य में बहुत विश्वास्त था और अपने विश्वास के कारण कष्ट उठाए और बंदीगृह में डाला गया ।संगीत
एक छोटा दिया प्रभु का दूर चमकने दो 3 हर जगह हर समय रोशनी दो।
1 जा के उसको फूंक दूं क्या, नहीं चमकने दो। (3) हर जगह हर समय रोशनी दो।
2 टोकरी के नीचे रख दूं क्या नहीं चमकने दो। (3) हर जगह हर समय रोशनी दो।