पाठ 39 : फिलप्पी दारोगा
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सारांश
दारोगा को आदेश दिया गया था, कि पौलुस और सीलास को अच्छी सुरक्षा में रखें, इसलिए उसने उन्हें भीतरी कोठरी में रखा था और उनके पाँवों को जंजीरो से जमीन में बाँध दिया था । इस दुःखदायी परिस्थिति में पौलुस और सीलास सो न सके यद्यपि आधी रात बीत चुकी थी । अतः वे परमेश्वर की स्तुति-आराधना करने लगे और जोर-जोर से परमेश्वर से प्रार्थना करने लगे और अन्य कैदी उन की सुन रहे थे । अचानक वहाँ एक भुईडोल हुआ । वह इतना तेज था, कि बन्दीगृह की नेव हिल गई और तुरन्त सब द्वार खुल गए और सब के बन्धन खुल पड़े । दारोगा जाग उठा और वह बन्दीगृह के द्वार खुले देखकर समझा, कि बन्धुए भाग गए हैं और उसे दण्ड दिया जाएगा, सो उसने तलवार खींचकर अपने आप को मार डालना चाहा । परन्तु पौलुस ने उँचे शब्द से पुकारकर कहा, ”अपने आप को कुछ हानि न पहुँचा, क्योंकि हम सब यहाँ हैं ।“ तब दारोगा दीपक मँगवाकर भीतर गया और काँपते हुए पौलुस के आगे गिरा । उसने पौलुस और सीलास को बंदीगृह से बाहर निकालकर कहा, ”हे साहिबों, उद्धार पाने के लिये मैं क्या करूँ ।“ पौलुस ने तब दारोगा को सुसमाचार सुनाया । आप जानते हैं, कि सुसमाचार उद्धारकत्र्ता प्रभु यीशु मसीह का शुभ संदेश है । जो लोग सुसमाचार से घृणा करते हैं, यीशु के नाम से घृणा करते हैं । पौलुस ने कहा, ”प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा ।“ पौलुस ने दारोगा और उसके परिवार के लोगों को और उस रात जितने लोग उसके 86 घर में थे, सबों को सुसमाचार सुनाया और वे उसी रात बपतिस्मा भी लिये । दारोगा ने बंदियों के घावों को धोया और उनके आगे भोजन रखा और सारे घराने समेत आनन्द किया ।जब दिन हुआ तो हाकिमों ने दारोगा को कहला भेजा, कि बंदियों को छोड़ दो ।
बाइबल अध्यन
प्रेरितों के काम 16:19-40 19 जब उसके स्वामियों ने देखा, कि हमारी कमाई की आशा जाती रही, तो पौलुस और सीलास को पकड़ कर चौक में प्राधानों के पास खींच ले गए। 20 और उन्हें फौजदारी के हाकिमों के पास ले जाकर कहा; ये लोग जो यहूदी हैं, हमारे नगर में बड़ी हलचल मचा रहे हैं। 21 और ऐसे व्यवहार बता रहे हैं, जिन्हें ग्रहण करना या मानना हम रोमियों के लिये ठीक नहीं। 22 तब भीड़ के लोग उन के विरोध में इकट्ठे होकर चढ़ आए, और हाकिमों ने उन के कपड़े फाड़कर उतार डाले, और उन्हें बेंत मारने की आज्ञा दी। 23 और बहुत बेंत लगवाकर उन्हें बन्दीगृह में डाला; और दारोगा को आज्ञा दी, कि उन्हें चौकसी से रखे। 24 उस ने ऐसी आज्ञा पाकर उन्हें भीतर की कोठरी में रखा और उन के पांव काठ में ठोक दिए। 25 आधी रात के लगभग पौलुस और सीलास प्रार्थना करते हुए परमेश्वर के भजन गा रहे थे, और बन्धुए उन की सुन रहे थे। 26 कि इतने में एकाएक बड़ा भुईडोल हुआ, यहां तक कि बन्दीगृह की नेव हिल गईं, और तुरन्त सब द्वार खुल गए; और सब के बन्धन खुल पड़े। 27 और दारोगा जाग उठा, और बन्दीगृह के द्वार खुले देखकर समझा कि बन्धुए भाग गए, सो उस ने तलवार खींचकर अपने आप को मार डालना चाहा। 28 परन्तु पौलुस ने ऊंचे शब्द से पुकारकर कहा; अपने आप को कुछ हानि न पहुंचा, क्योंकि हम सब यहां हैं। 29 तब वह दीया मंगवाकर भीतर लपक गया, और कांपता हुआ पौलुस और सीलास के आगे गिरा। 30 और उन्हें बाहर लाकर कहा, हे साहिबो, उद्धार पाने के लिये मैं क्या करूं? 31 उन्होंने कहा, प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा। 32 और उन्होंने उस को, और उसके सारे घर के लोगों को प्रभु का वचन सुनाया। 33 और रात को उसी घड़ी उस ने उन्हें ले जाकर उन के घाव धोए, और उस ने अपने सब लोगों समेत तुरन्त बपतिस्मा लिया। 34 और उस ने उन्हें अपने घर में ले जाकर, उन के आगे भोजन रखा और सारे घराने समेत परमेश्वर पर विश्वास करके आनन्द किया॥ 35 जब दिन हुआ तक हाकिमों ने प्यादों के हाथ कहला भेजा कि उन मनुष्यों को छोड़ दो। 36 दारोगा ने ये बातें पौलुस से कह सुनाईं, कि हाकिमों ने तुम्हारे छोड़ देने की आज्ञा भेज दी है, सो अब निकलकर कुशल से चले जाओ। 37 परन्तु पौलुस ने उस से कहा, उन्होंने हमें जो रोमी मनुष्य हैं, दोषी ठहाराए बिना, लोगों के साम्हने मारा, और बन्दीगृह में डाला, और अब क्या हमें चुपके से निकाल देते हैं? ऐसा नहीं, परन्तु वे आप आकर हमें बाहर ले जाएं। 38 प्यादों ने ये बातें हाकिमों से कह दीं, और वे यह सुनकर कि रोमी हैं, डर गए। 39 और आकर उन्हें मनाया, और बाहर ले जाकर बिनती की कि नगर से चले जाएं। 40 वे बन्दीगृह से निकल कर लुदिया के यहां गए, और भाइयों से भेंट करके उन्हें शान्ति दी, और चले गए॥
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : पौलुस और सीलास को बंदीगृह में क्यों डाला गया ?
उ 1 : जब पौलुस ने एक दासी को जिसे दुष्टआत्मा थी प्रभु यीशु मसीह के नाम से जब चंगा किया तब दुष्टात्मा निकालने के कारण जिन लोगों की कमाई बंद हो गई उन्होंने पौलुस और सीलास के विरुद्ध शिकायत की और दोनों को हाकिमों ने बेंत लगवाकर बंदीगृह में डाल दिया ।प्र 2 : दारोगा ने क्या किया कि कैदी भाग न सके ?
उ 2 : दारोगा ने पौलुस और सीलास को भीतरी कोठरी में रखा और उनके पाँव लकड़ी में ठोंक दिए पौलुस और सीलास।प्र 3 : पौलुस और सीलास रात को गीत गाकर परमेश्वर की स्तुति क्यों कर रहे थे ?
उ 3 : पौलुस और सीलास प्रभु यीशु मसीह के लिए कष्ट उठाने के लिए तैयार थे और अपने कष्ट के समय में भी उन्होंने प्रार्थना की और परमेश्वर के स्तुति के गीत गाए ।प्रर 4 : परमेश्वर ने क्या किया ?
उ 4 : परमेश्वर ने उनके द्वारा अपने लिए और प्राणों को बचाया ।प्र 5 : दारोगा और उसका परिवार क्यों आनंदित हुआ ?
उ 5 : दारोगा और उसके परिवार ने उसी रात प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास किया , बपतिस्मा लिया और पौलुस और सीलास के साथ मिलकर आनंद मनाया ।