पाठ 33 : हनन्याह और सफीरा

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Instrumental

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सारांश

उन दिनों में हनन्याह नाम एक मनुष्य था, जिसने प्रभु को देने के लिए अपनी सम्पत्ति का कुछ हिस्सा बेच दिया, पर उसने उसके दाम मे से कुछ भाग अपने लिए रखने का निश्चय किया । श्याद उसने अपने भविष्य के विषय में सोच-विचार किया होगा । इसलिए वह अपनी पत्नी के साथ, अपने लिए दाम में से कुछ भाग रखने एवं कुछ भाग कलीसिया को देने का षड़यंत्र किया । अपनी योजना के अनुसार, हनन्याह रूपये का कुछ हिस्सा ले आया और पूरी राशि है बताकर, उसे प्रेरितों को दिया । प्रेरितों ने उसका विश्वास किया, पर परमेश्वर ने पतरस को प्रगट कर दिया कि उसने क्या षड़यंत्र किया है । पतरस ने उदास होकर हनन्याह से कहा, तू ने ऐसा क्यों किया ? सारे रूपये तेरे ही थे, और तू उसे रख सकता था और कोई भी तुझ से नहीं कहता, कि तूने उसे कलीसिया को क्यों नहीं दिया ? तू ने क्यों मनुष्य से और परमेश्वर से झुठ बोला ? यह बात सुनते ही हनन्याह गिर पड़ा और मर गया । जो हुआ उसे देखकर हर एक पर बड़ा भय छा गया । तब जवानों ने उठाकर उसकी अर्थी बनाई और उसे बाहर ले जाकर गाड़ दिया । लगभग तीन घंटे के बाद हनन्याह की पत्नी सफीरा जो हुआ था, उसे बिना जाने हुए आई । पतरस ने उससे पूछा, क्या वह और उसके पति ने इतने में ही अपनी सम्पत्ति को बेचा 73 74 था । उसने बिना हिचक के ”हाँ“ उत्तर दिया । वास्तव में पतरस के प्रश्न पर उसे गौर करना चाहिए था, पर उसने ऐसा नहीं किया । जैसा उसके पति ने उसे बताया था, उसने वैसा ही उत्तर दिया । उसके पास सच बताने का एक अवसर था, पर उसने इस अवसर का लाभ नहीं उठाया । यदि आप एक झुठ बोलते हैं, तो एक झुठ छिपाने के लिए आपको और भी कई झुठ बोलने पड़ते हैं, क्यों की आप उसमें फंस जाते है । तब पतरस ने कहा, ”तुम दोनों ने प्रभु की परीक्षा के लिए एक किया है ? देख, तेरे पति के गाड़नेवाले द्वार ही पर खड़ें हैं, और तुझे भी बाहर ले जाऐगें ।“ सफीरा तुरन्त उसके पाँवों पर गिर पड़ी और मर गई । वही जवान उसे भी उठाकर बाहर ले गए और उसके पति के पास गाड़ दिया ।

बाइबल अध्यन

प्रेरितों के काम 5:1-11 1 और हनन्याह नाम एक मनुष्य, और उस की पत्नी सफीरा ने कुछ भूमि बेची। 2 और उसके दाम में से कुछ रख छोड़ा; और यह बात उस की पत्नी भी जानती थी, और उसका एक भाग लाकर प्रेरितों के पावों के आगे रख दिया। 3 परन्तु पतरस ने कहा; हे हनन्याह! शैतान ने तेरे मन में यह बात क्यों डाली है कि तू पवित्र आत्मा से झूठ बोले, और भूमि के दाम में से कुछ रख छोड़े? 4 जब तक वह तेरे पास रही, क्या तेरी न थी? और जब बिक गई तो क्या तेरे वश में न थी? तू ने यह बात अपने मन में क्यों विचारी? तू मनुष्यों से नहीं, परन्तु परमेश्वर से झूठ बोला। 5 ये बातें सुनते ही हनन्याह गिर पड़ा, और प्राण छोड़ दिए; और सब सुनने वालों पर बड़ा भय छा गया। 6 फिर जवानों ने उठकर उसकी अर्थी बनाई और बाहर ले जाकर गाढ़ दिया॥ 7 लगभग तीन घंटे के बाद उस की पत्नी, जो कुछ हुआ था न जानकर, भीतर आई। 8 तब पतरस ने उस से कहा; मुझे बता क्या तुम ने वह भूमि इतने ही में बेची थी? उस ने कहा; हां, इतने ही में। 9 पतरस ने उस से कहा; यह क्या बात है, कि तुम दोनों ने प्रभु की आत्मा की परीक्षा के लिये एका किया है देख, तेरे पति के गाड़ने वाले द्वार ही पर खड़े हैं, और तुझे भी बाहर ले जाएंगे। 10 तब वह तुरन्त उसके पांवों पर गिर पड़ी, और प्राण छोड़ दिए: और जवानों ने भीतर आकर उसे मरा पाया, और बाहर ले जाकर उसके पति के पास गाड़ दिया। 11 और सारी कलीसिया पर और इन बातों के सब सुनने वालों पर, बड़ा भय छा गया॥

प्रश्न-उत्तर

प्र 1 : हनन्याह ने अपनी भूमि बेचने का निर्णय क्यों लिया ?उ 1 : हनन्याह ने प्रभु यीशु मसीह को देने के लिए अपनी भूमि बेचने का निर्णय लिया ।
प्र 2 : उसने भूमि बेचने से प्राप्त धन का क्या किया ?उ 2 :हनन्याह ने भूमि बेचने से प्राप्त धन का कुछ अपने लिए रखा और बाकी धन प्रेरितों को दिया।
प्र 3 : परमेश्वर ने हनन्याह और साफीरा को कैसे दण्ड दिया ?उ 3 : जब पतरस ने हनन्याह से पूछा कि वो भूमि का दाम वही है तो उसने झूठ बोला और उसी वक्त गिर कर मर गया । तीन घंटे के बाद सफीरा जब आई तब उसी से भी पतरस ने भूमि का सही दाम पता किया तो उसने भी झूठ बोला । वो भी वहीं गिर कर मार गई ।
प्र 4 : परमेश्वर ने उन दोनों को इतना भयंकर दण्ड क्यों दिया ?उ 4 : परमेश्वर ने उन दोनों को इतना भयंकर दण्ड इसलिए दिया क्योंकि उन्होंने पवित्र आत्मा के विरुद्ध कार्य किया था ।
प्र 5 : इस पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?उ 5 : इस पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि दूसरों को धोखा देने वाले वास्तव में परमेश्वर को धोखा देते हैं और इसकी सज़ा उन्हें अवश्य मिलेगी । परमेश्वर पाप को दण्ड देते हैं इसलिए आओनी बातचीत और कार्य में हमेशा इसे याद रखना चाहिए ।

संगीत

चटटान पर बुद्धिमान ने बनाया अपना घर (3) (और) जोर की बारिश आई, और तुफान भी उठा (3) पर बुद्धिमान का घर स्थिर रहा।

2 बालू पर मूर्ख ने बनाया अपना घर (3) (और) जोर की बारिश आई, और तुफान भी उठा 3 और मूर्ख का घर गिर पड़ा।

3 लड़के लड़कियों को स्वर्ग जाना चाह है (3) अपने दिल मे यीशु को आने दो।