पाठ 3 : इसाहक का विवाह

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सारांश

इसहाक बढ़कर एक सुन्दर जवान पुरूष हो गया, तब अब्राहम ने अपनी रीति के अनुसार उसके लिए एक पत्नि ढूँढने का निर्णय लिया । अब्राहम इस बात के लिए काफी आश्वस्त था, कि उसके पुत्र की पत्नि भी जीवित परमेश्वर की आराधना करने वाली हो, जैसा कि वह स्वयं किया करता था । वह ऐसे लोगों के मध्य में रहता था, जो अपने हाथ से बनाए हुए मूरतों की आराधना किया करते थे । एक अन्य बात यह भी थी, कि अब्राहम परमेश्वर की बुलाहट को सुन, अपने पूर्वजों के घर को छोड़कर कनान देश में तम्बू में रहा करता था। यदि वह अपने सगे-संबंधियों के बीच से इसाहक के लिए एक पत्नि ढूँढ लेता तो, वे इसाहक को अपने देश वापस लौटने के लिए मना करते और अपने देश मे निवास करने के लिए उसे विवश कर सकते थे ।जिसने परमेश्वर की बुलाहट सुनी है, वह व्यक्ति इस तरह का कार्य कभी भी नहीं कर सकता। अतः उसने अपने सगे-संबंधियो के बीच से ही एक ऐसी लड़की ढूँढने का निर्णय लिया, जो अपने लोगों को छोड़ने और अपने पति एवं परिवार के साथ तम्बू में निवास करने के लिए तैयार हो । क्योंकि अब्राहम भी परमेश्वर के बुलाहट सुनने के उपरांत अपने सगे-संबंधियों के देश में वापस नहीं लौटना चाहता था । और इस प्रकार की एक लड़की को ढूँढना साधारण मनुष्य के लिए कोई सरल कार्य भी नहीं था । परन्तु अब्राहम आश्वस्त था कि परमेश्वर सब कुछ पूरा करेगा । अतः उसने अपने एक विश्वासयोग्य दास एलिय्याजर को इसहाक हेतु, वैसी एक कन्या ढूँढने के लिए भेजा । एलिय्याजर ने दस उँटों को लिया और उसपर कनान की उत्तम उपज मे से कुछ लेकर लाद लिया । वह अनेक दिनों की यात्रा के उपरांत अन्ततः मिसुपुतामिया के नगर में पहुँचा जहाँ अब्राहम का भाई नाहोर रहता था । वह नगर के बाहर पहुँचकर वहीं रूक गया । उस समय प्रत्येक नगर का एक सार्वजनिक कुआँ नगर के बाहर हुआ करता था और नगर की स्त्रियाँ संध्या के समय पानी भरने आया करती थी । कुँआ बहुत ही बड़ा और भीतर की ओर सीढ़ियाँ बनी होती थी, जिसके सहारे स्त्रियाँ नीचे जाकर पानी भरा करती थी । एलिय्याजर कुँआ के पास ही पड़ाव डाल दिया और उँटों को नीचे बैठा दिया क्योंकि वे भी बहुत ही प्यासे थे । इसके साथ-साथ उसने यह भी सोचा कि पानी भरने आने वाली स्त्रियों में से इसहाक के लिये एक योग्य लड़की को भी ढूँढ लेगा । वह योग्य लड़की का चुनाव कैसे करता ? उसने सबसे उत्तम कार्य किया जो वह कर सकता था, वह वहीं पर खड़ा होकर प्रार्थना करने लगा कि “हे मेरे स्वामी इब्राहीम के परमेश्वर यहोवा, आज मेरे कार्य को सिद्ध कर, और मेरे स्वामी अब्राहम पर करूणा कर ।” उसने परमेश्वर से इसहाक के लिए एक योग्य स्त्री दिखाने के लिए भी निवेदन किया । उसने परमेश्वर से यह भी कहा, कि उसे सही लड़की पहचानने के लिये, उससे यह कहलवाये की “ले पीले, पीछे मैं तेरे उँटों को भी पिलाउँगी।” शीघ्र ही रिबका, नाहोर की पोती अपना घड़ा लिए हुए कुएँ के सोते से पानी भरने लगी । जब वह अपने भरे हुए घड़े के साथ उपर आई, तो एलिय्याजर ने उससे अपनी योजना के अनुसार बोला । उसने उसे पीने के लिए पानी दिया और कहा कि “मैं तेरे उँटों के लिए भी पानी भर लाउँगी ।” तब वह अपने घड़े के जल को हौद में उण्डेलकर फिर से कुँए के भीतर गई । एलिय्याजर आश्चर्यचकित होकर उसे देखते हुए सोचने लगा, कि यदि यही वास्तव में इसहाक के लिए योग्य कन्या है, तो वह अवश्य ही अब्राहम के परिवार की ही होगी । जब उँटों ने पानी पी लिया तो एलिय्याजर ने उससे उसके पिता का नाम पूछा, उसने उसे बताया कि वह नाहोर के पुत्र बतूएल की बेटी है और उसके पिता के घर में उसके लिए एवं उँटों के ठहरने के लिए भी पर्याप्त स्थान है । तब उस दास ने अपना सिर झुकाकर परमेश्वर की आराधना की, जिसने उसे उसके स्वामी के घर में पहुँचा दिया था । उसने रिबका को सोने का एक नत्थ और कंगन दिया । तब वह दौड़कर अपने घर गयी और उस अपरिचित व्यक्ति के विषय में अपने घर वालों को बताया जिससे वह मिली थी । तब उसके भाई लाबान अब्राहम के दास को लाने के लिए बाहर कुँए के पास आया । घर में एलिय्याजर और उसके सहयोगियों के लिए भोजन और जल परोसा गया, तब भोजन करने के पूर्व एलिय्याजर ने उन्हें अपने आने के प्रयोजन के विषय में बताया , उसने उन्हें बताया कि वह यहाँ क्यों आया है और परमेश्वर ने उसको यहाँ तक कैसे पहुँचाया। उसकी बात सुनकर सबों ने मान लिया कि रिबका के लिए परमेश्वर की यही इच्छा थी और शीघ्र ही रिबका के माता-पिता एवं भाई उसके विवाह के लिए तैयार हो गये । तब एलिय्याजर ने उसकी प्रार्थना सुनने एवं उसका उत्तर देने के लिए परमेश्वर को धन्यवाद किया । क्या आप को परमेश्वर को धन्यवाद करना याद रहता हैं, जब वह आपकी प्रार्थना का उत्तर देते हैं ? तब एलिय्याजर ने कीमती गहने और कपड़े रिबका को एवं उसके माता पिता एवं भाइयों को कीमती उपहार भेंट किया । इसके पश्चात सभों ने मिलकर भोजन किया और उसने वहीं रात बिताया । एलिय्याजर अपनी वापसी यात्रा के लिए अगली सुबह बहुत जल्दी में था परन्तु रिबका के माता-पिता एवं भाई, रिबका को दस दिनों के लिए रखना चाहते थे । जैसे भी हो, एलिय्याजर ऐसा नहीं चाह रहा था, तब उन्होंने रिबका से पूछा कि वह क्या चाहती है ? वह शीघ्र ही एलिय्याजर के साथ जाना चाह रही थी । तब उसके माता-पिता ने उसे आशीर्वाद दिया और उसे एलिय्याजर के साथ भेज दिया ।वे बहुत दिन की यात्रा के उपरांत एक संध्या एक मैदान में पहुँचे, जहाँ एक युवक ध्यान कर रहा था । एलिय्याजर ने रिबका से कहा कि यह युवक इसहाक है, तब शीघ्र ही वह उँट पर से उतरी और अपने मुँह को ढाँप ली और इसहाक ने उससे भेंट कर अपनी माता के तम्बू में ले आया । रिबका का विवाह नये नियम की एक सच्चाई का चित्रण है।

बाइबल अध्यन

उत्पत्ति अध्याय 24 1 इब्राहीम वृद्ध था और उसकी आयु बहुत थी और यहोवा ने सब बातों में उसको आशीष दी थी। 2 सो इब्राहीम ने अपने उस दास से, जो उसके घर में पुरनिया और उसकी सारी सम्पत्ति पर अधिकारी था, कहा, अपना हाथ मेरी जांघ के नीचे रख: 3 और मुझ से आकाश और पृथ्वी के परमेश्वर यहोवा की इस विषय में शपथ खा, कि तू मेरे पुत्र के लिये कनानियों की लड़कियों में से जिनके बीच मैं रहता हूं, किसी को न ले आएगा। 4 परन्तु तू मेरे देश में मेरे ही कुटुम्बियों के पास जा कर मेरे पुत्र इसहाक के लिये एक पत्नी ले आएगा। 5 दास ने उससे कहा, कदाचित वह स्त्री इस देश में मेरे साथ आना न चाहे; तो क्या मुझे तेरे पुत्र को उस देश में जहां से तू आया है ले जाना पड़ेगा? 6 इब्राहीम ने उससे कहा, चौकस रह, मेरे पुत्र को वहां कभी न ले जाना। 7 स्वर्ग का परमेश्वर यहोवा, जिसने मुझे मेरे पिता के घर से और मेरी जन्मभूमि से ले आकर मुझ से शपथ खाकर कहा, कि मैं यह देश तेरे वंश को दूंगा; वही अपना दूत तेरे आगे आगे भेजेगा, कि तू मेरे पुत्र के लिये वहां से एक स्त्री ले आए। 8 और यदि वह स्त्री तेरे साथ आना न चाहे तब तो तू मेरी इस शपथ से छूट जाएगा: पर मेरे पुत्र को वहां न ले जाना। 9 तब उस दास ने अपने स्वामी इब्राहीम की जांघ के नीचे अपना हाथ रखकर उससे इसी विषय की शपथ खाई। 10 तब वह दास अपने स्वामी के ऊंटो में से दस ऊंट छांटकर उसके सब उत्तम उत्तम पदार्थों में से कुछ कुछ ले कर चला: और मसोपोटामिया में नाहोर के नगर के पास पहुंचा। 11 और उसने ऊंटों को नगर के बाहर एक कुएं के पास बैठाया, वह संध्या का समय था, जिस समय स्त्रियां जल भरने के लिये निकलती हैं। 12 सो वह कहने लगा, हे मेरे स्वामी इब्राहीम के परमेश्वर, यहोवा, आज मेरे कार्य को सिद्ध कर, और मेरे स्वामी इब्राहीम पर करूणा कर। 13 देख मैं जल के इस सोते के पास खड़ा हूं; और नगरवासियों की बेटियां जल भरने के लिये निकली आती हैं: 14 सो ऐसा होने दे, कि जिस कन्या से मैं कहूं, कि अपना घड़ा मेरी ओर झुका, कि मैं पीऊं; और वह कहे, कि ले, पी ले, पीछे मैं तेरे ऊंटो को भी पीलाऊंगी: सो वही हो जिसे तू ने अपने दास इसहाक के लिये ठहराया हो; इसी रीति मैं जान लूंगा कि तू ने मेरे स्वामी पर करूणा की है। 15 और ऐसा हुआ कि जब वह कह ही रहा था कि रिबका, जो इब्राहीम के भाई नाहोर के जन्माये मिल्का के पुत्र, बतूएल की बेटी थी, वह कन्धे पर घड़ा लिये हुए आई। 16 वह अति सुन्दर, और कुमारी थी, और किसी पुरूष का मुंह न देखा था: वह कुएं में सोते के पास उतर गई, और अपना घड़ा भर के फिर ऊपर आई। 17 तब वह दास उससे भेंट करने को दौड़ा, और कहा, अपने घड़े में से थोड़ा पानी मुझे पिला दे। 18 उसने कहा, हे मेरे प्रभु, ले, पी ले: और उसने फुर्ती से घड़ा उतार कर हाथ में लिये लिये उसको पिला दिया। 19 जब वह उसको पिला चुकी, तक कहा, मैं तेरे ऊंटों के लिये भी तब तक पानी भर भर लाऊंगी, जब तक वे पी न चुकें। 20 तब वह फुर्ती से अपने घड़े का जल हौदे में उण्डेल कर फिर कुएं पर भरने को दौड़ गई; और उसके सब ऊंटों के लिये पानी भर दिया। 21 और वह पुरूष उसकी ओर चुपचाप अचम्भे के साथ ताकता हुआ यह सोचता था, कि यहोवा ने मेरी यात्रा को सफल किया है कि नहीं। 22 जब ऊंट पी चुके, तब उस पुरूष ने आध तोले सोने का एक नथ निकाल कर उसको दिया, और दस तोले सोने के कंगन उसके हाथों में पहिना दिए; 23 और पूछा, तू किस की बेटी है? यह मुझ को बता दे। क्या तेरे पिता के घर में हमारे टिकने के लिये स्थान है? 24 उसने उत्तर दिया, मैं तो नाहोर के जन्माए मिल्का के पुत्र बतूएल की बेटी हूं। 25 फिर उस ने उस से कहा, हमारे यहां पुआल और चारा बहुत है, और टिकने के लिये स्थान भी है। 26 तब उस पुरूष ने सिर झुका कर यहोवा को दण्डवत करके कहा, 27 धन्य है मेरे स्वामी इब्राहीम का परमेश्वर यहोवा, कि उसने अपनी करूणा और सच्चाई को मेरे स्वामी पर से हटा नहीं लिया: यहोवा ने मुझ को ठीक मार्ग पर चला कर मेरे स्वामी के भाई बन्धुओं के घर पर पहुचा दिया है। 28 और उस कन्या ने दौड़ कर अपनी माता के घर में यह सारा वृत्तान्त कह सुनाया। 29 तब लाबान जो रिबका का भाई था, सो बाहर कुएं के निकट उस पुरूष के पास दौड़ा गया। 30 और ऐसा हुआ कि जब उसने वह नथ और अपनी बहिन रिबका के हाथों में वे कंगन भी देखे, और उसकी यह बात भी सुनी, कि उस पुरूष ने मुझ से ऐसी बातें कहीं; तब वह उस पुरूष के पास गया; और क्या देखा, कि वह सोते के निकट ऊंटों के पास खड़ा है। 31 उसने कहा, हे यहोवा की ओर से धन्य पुरूष भीतर आ: तू क्यों बाहर खड़ा है? मैं ने घर को, और ऊंटो के लिये भी स्थान तैयार किया है। 32 और वह पुरूष घर में गया; और लाबान ने ऊंटों की काठियां खोल कर पुआल और चारा दिया; और उसके, और उसके संगी जनो के पांव धोने को जल दिया। 33 तब इब्राहीम के दास के आगे जलपान के लिये कुछ रखा गया: पर उसने कहा मैं जब तक अपना प्रयोजन न कह दूं, तब तक कुछ न खाऊंगा। लाबान ने कहा, कह दे। 34 तब उसने कहा, मैं तो इब्राहीम का दास हूं। 35 और यहोवा ने मेरे स्वामी को बड़ी आशीष दी है; सो वह महान पुरूष हो गया है; और उसने उसको भेड़-बकरी, गाय-बैल, सोना-रूपा, दास-दासियां, ऊंट और गदहे दिए हैं। 36 और मेरे स्वामी की पत्नी सारा के बुढ़ापे में उससे एक पुत्र उत्पन्न हुआ है। और उस पुत्र को इब्राहीम ने अपना सब कुछ दे दिया है। 37 और मेरे स्वामी ने मुझे यह शपथ खिलाई, कि मैं उसके पुत्र के लिये कनानियों की लड़कियों में से जिन के देश में वह रहता है, कोई स्त्री न ले आऊंगा। 38 मैं उसके पिता के घर, और कुल के लोगों के पास जा कर उसके पुत्र के लिये एक स्त्री ले आऊंगा। 39 तब मैं ने अपने स्वामी से कहा, कदाचित वह स्त्री मेरे पीछे न आए। 40 तब उसने मुझ से कहा, यहोवा, जिसके साम्हने मैं चलता आया हूं, वह तेरे संग अपने दूत को भेज कर तेरी यात्रा को सफल करेगा; सो तू मेरे कुल, और मेरे पिता के घराने में से मेरे पुत्र के लिये एक स्त्री ले आ सकेगा। 41 तू तब ही मेरी इस शपथ से छूटेगा, जब तू मेरे कुल के लोगों के पास पहुंचेगा; अर्थात यदि वे मुझे कोई स्त्री न दें, तो तू मेरी शपथ से छूटेगा। 42 सो मैं आज उस कुएं के निकट आकर कहने लगा, हे मेरे स्वामी इब्राहीम के परमेश्वर यहोवा, यदि तू मेरी इस यात्रा को सफल करता हो: 43 तो देख मैं जल के इस कुएं के निकट खड़ा हूं; सो ऐसा हो, कि जो कुमारी जल भरने के लिये निकल आए, और मैं उससे कहूं, अपने घड़े में से मुझे थोड़ा पानी पिला; 44 और वह मुझ से कहे, पी ले और मैं तेरे ऊंटो के पीने के लिये भी पानी भर दूंगी: वह वही स्त्री हो जिस को तू ने मेरे स्वामी के पुत्र के लिये ठहराया हो। 45 मैं मन ही मन यह कह ही रहा था, कि देख रिबका कन्धे पर घड़ा लिये हुए निकल आई; फिर वह सोते के पास उतर के भरने लगी: और मैं ने उससे कहा, मुझे पिला दे। 46 और उसने फुर्ती से अपने घड़े को कन्धे पर से उतार के कहा, ले, पी ले, पीछे मैं तेरे ऊंटों को भी पिलाऊंगी: सो मैं ने पी लिया, और उसने ऊंटों को भी पिला दिया। 47 तब मैं ने उससे पूछा, कि तू किस की बेटी है? और उसने कहा, मैं तो नाहोर के जन्माए मिल्का के पुत्र बतूएल की बेटी हूं: तब मैं ने उसकी नाक में वह नथ, और उसके हाथों में वे कंगन पहिना दिए। 48 फिर मैं ने सिर झुका कर यहोवा को दण्डवत किया, और अपने स्वामी इब्राहीम के परमेश्वर यहोवा को धन्य कहा, क्योंकि उसने मुझे ठीक मार्ग से पहुंचाया कि मैं अपने स्वामी के पुत्र के लिये उसकी भतीजी को ले जाऊं। 49 सो अब, यदि तू मेरे स्वामी के साथ कृपा और सच्चाई का व्यवहार करना चाहते हो, तो मुझ से कहो: और यदि नहीं चाहते हो, तौभी मुझ से कह दो; ताकि मैं दाहिनी ओर, वा बाईं ओर फिर जाऊं। 50 तब लाबान और बतूएल ने उत्तर दिया, यह बात यहोवा की ओर से हुई है: सो हम लोग तुझ से न तो भला कह सकते हैं न बुरा। 51 देख, रिबका तेरे साम्हने है, उसको ले जा, और वह यहोवा के वचन के अनुसार, तेरे स्वामी के पुत्र की पत्नी हो जाए। 52 उनका यह वचन सुनकर, इब्राहीम के दास ने भूमि पर गिर के यहोवा को दण्डवत किया। 53 फिर उस दास ने सोने और रूपे के गहने, और वस्त्र निकाल कर रिबका को दिए: और उसके भाई और माता को भी उसने अनमोल अनमोल वस्तुएं दी। 54 तब उसने अपने संगी जनों समेत भोजन किया, और रात वहीं बिताई: और तड़के उठ कर कहा, मुझ को अपने स्वामी के पास जाने के लिये विदा करो। 55 रिबका के भाई और माता ने कहा, कन्या को हमारे पास कुछ दिन, अर्थात कम से कम दस दिन रहने दे; फिर उसके पश्चात वह चली जाएगी। 56 उसने उन से कहा, यहोवा ने जो मेरी यात्रा को सफल किया है; सो तुम मुझे मत रोको अब मुझे विदा कर दो, कि मैं अपने स्वामी के पास जाऊं। 57 उन्होंने कहा, हम कन्या को बुला कर पूछते हैं, और देखेंगे, कि वह क्या कहती है। 58 सो उन्होंने रिबका को बुला कर उससे पूछा, क्या तू इस मनुष्य के संग जाएगी? उसने कहा, हां मैं जाऊंगी। 59 तब उन्होंने अपनी बहिन रिबका, और उसकी धाय और इब्राहीम के दास, और उसके साथी सभों को विदा किया। 60 और उन्होंने रिबका को आशीर्वाद दे के कहा, हे हमारी बहिन, तू हजारों लाखों की आदिमाता हो, और तेरा वंश अपने बैरियों के नगरों का अधिकारी हो। 61 इस पर रिबका अपनी सहेलियों समेत चली; और ऊंट पर चढ़ के उस पुरूष के पीछे हो ली: सो वह दास रिबका को साथ ले कर चल दिया। 62 इसहाक जो दक्खिन देश में रहता था, सो लहैरोई नाम कुएं से हो कर चला आता था। 63 और सांझ के समय वह मैदान में ध्यान करने के लिये निकला था: और उसने आंखे उठा कर क्या देखा, कि ऊंट चले आ रहे हैं। 64 और रिबका ने भी आंख उठा कर इसहाक को देखा, और देखते ही ऊंट पर से उतर पड़ी 65 तब उसने दास से पूछा, जो पुरूष मैदान पर हम से मिलने को चला आता है, सो कौन है? दास ने कहा, वह तो मेरा स्वामी है। तब रिबका ने घूंघट ले कर अपने मुंह को ढ़ाप लिया। 66 और दास ने इसहाक से अपना सारा वृत्तान्त वर्णन किया। 67 तब इसहाक रिबका को अपनी माता सारा के तम्बू में ले आया, और उसको ब्याह कर उससे प्रेम किया: और इसहाक को माता की मृत्यु के पश्चात शान्ति हुई॥

प्रश्न-उत्तर

प्र 1 : इब्राहीम इसहाक की पत्नी होने के लिए कनानी लड़की क्यों नहीं पसंद की ?उ 1 : इब्राहीम ने इसहाक की पत्नी होने के लिए कनानी लड़की इसलिए नहीं पसंद की क्योंकि वह चाहता था कि इसहाक की पत्नी भी जीविते परमेश्वर का भय मानने वाली होनी चाहिए ।
प्र 2 : रिबका के परिवार के बारे में आप क्या जानते हैं ?उ 2 : रिबका नाहोर के पुत्र बतूएल की बेटी थी । वे मेसोपोटामिया में रहते थे।
प्र 3 : कौन एलीएजेर का स्वागत करके अपने घर ले गया ?उ 3 : रिबका का भाई लाबान एलीएजेर का स्वागत करके अपने घर ले गया।
प्र 4 : नाहोर के घर में पहला भोजन करने से पहले एलीएजेर ने परमेश्वर की आराधाना क्यों की ?उ 4 : नाहोर के घर में पहला भोजन करने से पहले एलीएजेर ने परमेश्वर की आराधाना इसलिए की क्योंकि जब एलीएजेर ने उनको उसके उधर आने का उद्देश्य बताया तब तुरंत ही उसके माता पिता और भाई उस विवाह के लिए सहमत हो गए तब एलीएजेर को निश्चित हो गया था कि यह परमेश्वर की ओर से ही है।
प्र 5 : इसहाक शाम के समय मैदान में क्या कर रहा था ?उ 5 : इसहाक शाम के समय मैदान में परमेश्वर का ध्यान कर रहा था ।

संगीत

In His time, in His time , He makes all things beautiful in His time Lord, please show me everyday, as you’re teaching me your way and I’ll do just what you say in your time.

In Your time, In Your time, You make all things beautiful in Your time Lord, my life to You I bring, may each song I have to sing Be to You a lovely thing , in your time.

In Your time, In your time, you make all things beautiful in your time Lord, your voice I want to hear, Make me still and not to fear, Show me that you are always near, in your time