पाठ 29 : राजा के पुत्र का ब्याह
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सारांश
एक राजा ने अपने पुत्र का ब्याह का भोज का आयोजन किया । आप जानते हैं, कि ब्याह का भोज कैसा होता है । कल्पना करें, कि राजकुमार का ब्याह का भोज कैसा होना चाहिए । उसमें बड़ी संख्या में लोगों को निमंत्रण दिया गया होगा और अधिक से अधिक मात्रा में अच्छे भोजन बनाए गए होगें । सामान्यतः ब्याह के भोज में बुलाया जाना आदर की बात होती है और राजा के पुत्र के ब्याह में बुलाया जाना, तो और भी बड़ी बात है । परन्तु नेवताहारी जो राजा के द्वारा बुलाए गए थे, भोज में आने के लिए ध्यान नहीं दिए । तब राजा ने कुछ दासों को भेजा, जिन्होने स्वदिष्ट भोजन के विषय में नेवताहारिया को बतया, पर अब भी नेवताहारियों ने आने के लिए ध्यान नहीं दिया । अनेक नेवताहारियों ने अपने कार्यद्व व्यापार और यात्रा के कारण क्षमा करने के लिए कहा । कुछ नेवताहारियों ने राजा के दासों का अनादर किया और कुछ ने तो उनको मार भी डाला । जब राजा ने यह सुना, तो वह बहुत ही दुखित और क्रोधित हुआ । तब उसने अपने अन्य दासों को चैराहों में भेजा और उनसे कहा, जो भी इच्छुक हो उन सभी को बुला लाओ । और जितने लोग तुम्हें मिले, क्या गरीब, क्या अमीर, भले या बुरे, स्वस्थ या बीमार सबों को बुला लाओ । सो दासों ने बाहर जाकर, जिनको उसने पाया सबको ब्याह के भोज में ले आया, जब तक कि सार घर जेवनहारों से भर न गया । हर आनेवाले को ब्याह का वस्त्र पहनने के लिए कहा गया, जिसे राजा ने अपने नेवताहारियों के लिए तैयार करवाया था । राजा अपने नेवताहारियों को देखने के लिए मुख्य भवन में आया । हर कोई ब्याह का वस्त्र पहिने हुए था, पर एक नेवताहारी अपना ही वस्त्र पहिने हुए था । राजा ने उसे देखकर पूछा, हे मित्र, तू ब्याह का वस्त्र पहिने बिना यहाँ क्यों आ गया है ? परन्तु उसके पास इसका कोई उत्तर नहीं था । तब राजा बहुत क्रोधित हुआ और उससे ब्याह के भोज से बाहर चले जाने को कहा ।
बाइबल अध्यन
मत्ती 22:1-14 1 इस पर यीशु फिर उन से दृष्टान्तों में कहने लगा। 2 स्वर्ग का राज्य उस राजा के समान है, जिस ने अपने पुत्र का ब्याह किया। 3 और उस ने अपने दासों को भेजा, कि नेवताहारियों को ब्याह के भोज में बुलाएं; परन्तु उन्होंने आना न चाहा। 4 फिर उस ने और दासों को यह कहकर भेजा, कि नेवताहारियों से कहो, देखो; मैं भोज तैयार कर चुका हूं, और मेरे बैल और पले हुए पशु मारे गए हैं: और सब कुछ तैयार है; ब्याह के भोज में आओ। 5 परन्तु वे बेपरवाई करके चल दिए: कोई अपने खेत को, कोई अपने व्यापार को। 6 औरों ने जो बच रहे थे उसके दासों को पकड़कर उन का अनादर किया और मार डाला। 7 राजा ने क्रोध किया, और अपनी सेना भेजकर उन हत्यारों को नाश किया, और उन के नगर को फूंक दिया। 8 तब उस ने अपने दासों से कहा, ब्याह का भोज तो तैयार है, परन्तु नेवताहारी योग्य न ठहरे। 9 इसलिये चौराहों में जाओ, और जितने लोग तुम्हें मिलें, सब को ब्याह के भोज में बुला लाओ। 10 सो उन दासों ने सड़कों पर जाकर क्या बुरे, क्या भले, जितने मिले, सब को इकट्ठे किया; और ब्याह का घर जेवनहारों से भर गया। 11 जब राजा जेवनहारों के देखने को भीतर आया; तो उस ने वहां एक मनुष्य को देखा, जो ब्याह का वस्त्र नहीं पहिने था। 12 उस ने उससे पूछा हे मित्र; तू ब्याह का वस्त्र पहिने बिना यहां क्यों आ गया? उसका मुंह बन्द हो गया। 13 तब राजा ने सेवकों से कहा, इस के हाथ पांव बान्धकर उसे बाहर अन्धियारे में डाल दो, वहां रोना, और दांत पीसना होगा। 14 क्योंकि बुलाए हुए तो बहुत परन्तु चुने हुए थोड़े हैं॥
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : निमंत्रित अतिथि भोज में क्यों नहीं आए ?
उ 1 : निमंत्रित अतिथि भोज में इसलिए नहीं क्योंकि उन्होंने राजा के भोज को अपने काम के मुताबिक काम की कीमत जाना ।प्र 2 : निमंत्रण को स्वीकार न करने के लिए उन्होंने क्या बहाने बनाए ?
उ 2 : निमंत्रन को स्वीकार न करने के अनेक बहाने बताए । (1)काम का बहाना , (2) व्यापार का बहाना ।प्र 3 : परमेश्वर ने पहला निमंत्रण किसे दिया ?
उ 3 : परमेश्वर ने पहला निमंत्रण इस्राएलियों को दिया ।प्र 4 : ' विवाह के वस्त्र ' से प्रभु का क्या तात्पर्य है?
उ 4 : " विवाह के वस्त्र " धार्मिकता का वस्त्र है ।प्र 5 : जो लोग विवाह के वस्त्र को स्वीकार नहीं करते , उनके साथ क्या होता है ?
उ 5 : जो लोग विवाह के वस्त्र को स्वीकार नहीं करते उन्हें विवाह में शामिल किए बिना बाहर के अधिंयारे में डाल दिया जाएगा ।
संगीत
Wide wide as the ocean, high as the heaven above, Deep deep as the deepest sea Is my saviors love. I though so unworthy, still am a child of His care. For His word teaches me, that His love reaches me everywhere.