पाठ 28 : दाख की बारी में मजदूर
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सारांश
परिचय - पलिश्तीन देश में कई दाख की बारियाँ थी, जिनमें काम करने के लिए अनेक मजदूरों की आवश्यकता होती थी । यहूदी प्रातः 6 बजे से संध्या 6 बजे तक काम करते थे और वे इसी के अनुसार अपने पहरों की गणना भी करते थे । अतः तीसरा पहर हमारे समयानुसार प्रातः 9 बजे होता था और छठा पहर दोपहर 12 बजे होता था और इसी तरह आगे भी । यदि किसी विशेष दिन बहुत अधिक कार्य रहता, तो स्वामी बाजार जाकर बहुत सारे लोगों को मजदूरी पर ले आता था । आज की कहानी हमें सीखती है, कि हम अपने विचारों की तुलना परमेश्वर के विचारों के साथ न करें । पाठ - एक दिन सवेरे ही दाख की बारी का स्वामी मजदूरों को एक दीनार की मजदूरी ठहराकर काम पर लगाया था । जो सामान्यतः दिनभर की मजदूरी होती थी । फिर तीसरे पहर के लगभग वह बाजार गया और मजदूरों को बेकार खड़े देखकर, उन्हें भी अपने दाख की बारी में जाकर काम करने के लिए कहा । उसने कहा, ”तुम भी दाख की बारी में जाओ और जो कुछ ठीक है, मैं तुम्हें दूँगा ।“ फिर स्वामी छठे पहर, नौवें पहर एवं संध्या के समय एग्यारहवें पहर में भी बाहर गया और मजदूरों को मजदूरी पर लगाया, क्यों कि उसने देखा कि कई लोग अब भी बेकार खड़े है । संध्या के समय स्वामी ने अपने भण्डारी से कहा, ”मजदूरों को बुलाकर पिछलों से लेकर पहिलों तक उन्हें मजदूरी दे दो । अतः भण्डारी प्राप्त आदेश के अनुसार, एक दीनार उन सभी मजदूरों को दिया, जो एग्यारहवें पहर में आए थे, वे बहुत ही प्रसन्न हुए । अन्य मजदूरों को भी एक समान ही मजदूरी मिला, पर वे अप्रसन्न हुए और कुड़कुड़ाने लगे । ”हमने सारे दिन धूप में कठिन श्रम किया और अधिकांश कामों को किया, पर हम केवल उतना ही पा रहे हैं जितना की और सभी ।“ स्वामी ने उनकी बात सुनकर उत्तर दिया, मैंने मजदूरी पर लगाने के समय जितना ठहराया था, उतना मैं तुम्हें दे चुका हूँ । अन्य लोग कितना पाते हैं, वे योग्य हैं या नहीं इसके विषय में चिन्ता न कर । परमेश्वर के राज्य में जो पिछले हैं, वे पहिले होगें और जो पहिले हैं, वे पिछले होगें ।
बाइबल अध्यन
मत्ती 20:1-16 1 स्वर्ग का राज्य किसी गृहस्थ के समान है, जो सबेरे निकला, कि अपने दाख की बारी में मजदूरों को लगाए। 2 और उस ने मजदूरों से एक दीनार रोज पर ठहराकर, उन्हें अपने दाख की बारी में भेजा। 3 फिर पहर एक दिन चढ़े, निकल कर, और औरों को बाजार में बेकार खड़े देखकर, 4 उन से कहा, तुम भी दाख की बारी में जाओ, और जो कुछ ठीक है, तुम्हें दूंगा; सो वे भी गए। 5 फिर उस ने दूसरे और तीसरे पहर के निकट निकलकर वैसा ही किया। 6 और एक घंटा दिन रहे फिर निकलकर औरों को खड़े पाया, और उन से कहा; तुम क्यों यहां दिन भर बेकार खड़े रहे? उन्हों ने उस से कहा, इसलिये, कि किसी ने हमें मजदूरी पर नहीं लगाया। 7 उस ने उन से कहा, तुम भी दाख की बारी में जाओ। 8 सांझ को दाख बारी के स्वामी ने अपने भण्डारी से कहा, मजदूरों को बुलाकर पिछलों से लेकर पहिलों तक उन्हें मजदूरी दे दे। 9 सो जब वे आए, जो घंटा भर दिन रहे लगाए गए थे, तो उन्हें एक एक दीनार मिला। 10 जो पहिले आए, उन्होंने यह समझा, कि हमें अधिक मिलेगा; परन्तु उन्हें भी एक ही एक दीनार मिला। 11 जब मिला, तो वह गृहस्थ पर कुडकुड़ा के कहने लगे। 12 कि इन पिछलों ने एक ही घंटा काम किया, और तू ने उन्हें हमारे बराबर कर दिया, जिन्हों ने दिन भर का भार उठाया और घाम सहा? 13 उस ने उन में से एक को उत्तर दिया, कि हे मित्र, मैं तुझ से कुछ अन्याय नहीं करता; क्या तू ने मुझ से एक दीनार न ठहराया? 14 जो तेरा है, उठा ले, और चला जा; मेरी इच्छा यह है कि जितना तुझे, उतना ही इस पिछले को भी दूं। 15 क्या उचित नहीं कि मैं अपने माल से जो चाहूं सो करूं? क्या तू मेरे भले होने के कारण बुरी दृष्टि से देखता है? 16 इसी रीति से जो पिछले हैं, वह पहिले होंगे, और जो पहिले हैं, वे पिछले होंगे॥
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : मजदूरी पर रखे जाने के लिए लोग कहाँ एकत्र होते थे ?
उ 1 : मजदूरी पर रखे जाने के लिए लोग बाजार मे एकत्र होते थे ।प्र 2 : हर एक मजदूर के साथ कितनी मजदूरी तय की गई थी ?
उ 2 : हर एक मजदूर के साथ एक दिन का एक दिनार तय की गई थी ।प्र 3 : कौन से मजदूर अपनी मजदूरी से बहुत प्रसन्न हुए होंगे ?
उ 3 : जिन मजदूरों ने एक घंटा मजदूरी करने वालों को एक-एक दिनार दिया वे बहुत प्रसन्न हुए होंगे।प्र 4 : सुबह से काम पर लगे मजदूर क्यों अप्रसन्न हुए ?
उ 4 : सुबह से काम पर लगे मजदूर इसलिए अप्रसन्न हुए क्योंकि उनका कहना था कि उन्होंने दिन भर की धूप सहकर मजदूरी की और जिन्होंने केवल एक घंटे की मजदूरी की उन्हें भी एक-एक दिनार प्राप्त हुई ।प्र 5 : इस दृष्टांत से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उ 5 : इस दृष्टांत से हमें यह शिक्षा मिलती है कि परमेश्वर का प्रतिफल देना मनुष्यों के समान नहीं है। परमेश्वर का अपना स्तर है और वह अपनी दया के धन के अनुसार प्रतिफल देते हैं।
संगीत
तुझ जैसा न कोई मेरे प्यारे हे यीशु, है न कोई शहंशाह इस जहां में तेरे सिवाए।
1 यीशु मसीह सच्चा ईश्वर दया से भरा परमेश्वर, तारण करने जन्मा है वह बलिदान वह सूली पर, जी उठा वह तीसरे दिन, स्तुति जय हो दाता की स्तुति हो स्तुति हो, राजा की।