पाठ 27 : पापिनी स्त्री

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सारांश

परिचय - यीशु मसीह के समय यहूदियों के दो समूह थे, सदुकी और फरीसी । सदूकी स्वर्गदूत या आत्मा या मरे हुओ के पुनरूत्थान पर विश्वास नहीं करते थे । पर फरीसी इन पर विश्वास करते थे । (प्रेरितों 23ः8) सदूकी जीवन में आनन्द उठाने पर विश्वास करते थे । परन्तु फरीसी अपने व्यवस्था के प्रति काफी कट्टर और हमेशा उनका पालन करनेवाले थे । वे अशुद्धता के भय से सदा आम लोगों से दूर ही रहते थे । पाठ:- यीशु को शमौन नाम फरीसी के घर में भोजन के लिए आमंत्रित किया गया था । यीशु वहाँ गया और भोजन करने के लिए बैठा । जैसे हम अभी बैठे हैं, वे वैसे नहीं बल्कि आराम से पलंग पर एक छोटी मेज के सामने बैठते थे, जिसपर भोजन परोसा जाता था । वास्तव में वे अपने पैरों को पलंग पर फैलाकर बैठते थे । यह जानकर, कि यीशु शमौन के घर में आया हुआ है, एक पापिनी स्त्री शमौन के घर संगमरमर के पात्र में इत्र लेकर आई । वह यीशु के निकट खड़ी हो गई और इतना अधिक रोने लगी, की उसके आँसु प्रभू के पांव पर गिरने लगे। आप और मैं आँसुओं को पोछने के लिए रूमाल का प्रयोग करते हैं, परन्तु उसने अपने लम्बे बालों का उपयोग, यीशु के पाँव पर के आँसुओं को पोछने में किया । तब उसने उसके पाँव को चूमा और उसपर इत्र मला । शमौन आश्चर्य से यीशु की ओर देख रहा था । उसने सोचा, कि यदि वह भविष्यवक्ता होता, तो जान जाता कि यह स्त्री कितनी पापिनी है और वह उससे दूर हटकर अशुद्ध नहीं होता । यीशु जान गया कि फरीसी ने अपने मन में क्या सोचा है और उसने उससे एक दृष्टांत कहा । उसने कहा, ”किसी महाजन के दो देनदार थे एक पाँच सौ और दूसरा पचास दीनार धारता था । जबकि उनके पास पटाने को कुछ न रहा, तो उस ने दोनों को क्षमा कर दिया, सो उनमे से कौन, उसे से अधिक प्रेम रखेगा । शमौन ने उत्तर दिया, ”मेरी समझ में वह, जिसका उस ने अधिक छोड़ दिया ।“ यीशु ने कहा, ”तू ने ठीक विचार किया है ।….क्या तू इस स्त्री को देखता है ? मैं तेरे घर आया, परन्तु तू ने मेरे पाँव धोने के लिए पानी न दिया, पर इसने मेरे पाँव आँसुओं से भिगाँए, और अपने बालों से पोछा ! तू ने मुझे नही चूमा पर इसने मेरे पाँव पर पाँवों को चूमना न छोड़ा । तू ने मेरे सिर पर तेल नहीं मला, पर इसने मेरे पाँवों पर इत्र मला है ।(ये सभी कार्य, स्वागत और सम्मान से एक व्यक्ती को ग्रहण करने के बाहरी चिन्ह थे) इसलिए मैं तुझसे कहता हूँ, कि इसके पाप जो बहुत थे क्षमा हुए, क्योंकि इस ने बहुत प्रेम किया है ।“ तब यीशु स्त्री की ओर मुड़ा और बोला, ”तेरे पाप क्षमा हुए । तेरे विश्वास ने तुझे बचा लिया है । कुशल से चली जा और फिर पाप न करना ।“

बाइबल अध्यन

लूका 7:36-50 36 फिर किसी फरीसी ने उस से बिनती की, कि मेरे साथ भोजन कर; सो वह उस फरीसी के घर में जाकर भोजन करने बैठा। 37 और देखो, उस नगर की एक पापिनी स्त्री यह जानकर कि वह फरीसी के घर में भोजन करने बैठा है, संगमरमर के पात्र में इत्र लाई। 38 और उसके पांवों के पास, पीछे खड़ी होकर, रोती हुई, उसके पांवों को आंसुओं से भिगाने और अपने सिर के बालों से पोंछने लगी और उसके पांव बारबार चूमकर उन पर इत्र मला। 39 यह देखकर, वह फरीसी जिस ने उसे बुलाया था, अपने मन में सोचने लगा, यदि यह भविष्यद्वक्ता होता तो जान लेता, कि यह जो उसे छू रही है, वह कौन और कैसी स्त्री है? क्योंकि वह तो पापिनी है। 40 यह सुन यीशु ने उसके उत्तर में कहा; कि हे शमौन मुझे तुझ से कुछ कहना है वह बोला, हे गुरू कह। 41 किसी महाजन के दो देनदार थे, एक पांच सौ, और दूसरा पचास दीनार धारता था। 42 जब कि उन के पास पटाने को कुछ न रहा, तो उस ने दोनो को क्षमा कर दिया: सो उन में से कौन उस से अधिक प्रेम रखेगा। 43 शमौन ने उत्तर दिया, मेरी समझ में वह, जिस का उस ने अधिक छोड़ दिया: उस ने उस से कहा, तू ने ठीक विचार किया है। 44 और उस स्त्री की ओर फिरकर उस ने शमौन से कहा; क्या तू इस स्त्री को देखता है मैं तेरे घर में आया परन्तु तू ने मेरे पांव धाने के लिये पानी न दिया, पर इस ने मेरे पांव आंसुओं से भिगाए, और अपने बालों से पोंछा! 45 तू ने मुझे चूमा न दिया, पर जब से मैं आया हूं तब से इस ने मेरे पांवों का चूमना न छोड़ा। 46 तू ने मेरे सिर पर तेल नहीं मला; पर इस ने मेरे पांवों पर इत्र मला है। 47 इसलिये मैं तुझ से कहता हूं; कि इस के पाप जो बहुत थे, क्षमा हुए, क्योंकि इस ने बहुत प्रेम किया; पर जिस का थोड़ा क्षमा हुआ है, वह थोड़ा प्रेम करता है। 48 और उस ने स्त्री से कहा, तेरे पाप क्षमा हुए। 49 तब जो लोग उसके साथ भोजन करने बैठे थे, वे अपने अपने मन में सोचने लगे, यह कौन है जो पापों को भी क्षमा करता है? 50 पर उस ने स्त्री से कहा, तेरे विश्वास ने तुझे बचा लिया है, कुशल से चली जा॥

प्रश्न-उत्तर

प्र 1 : फरिसियों और सदूकियों में क्या अंतर है ?उ 1 : फरीसी : स्वर्गदूतों, आत्माओं और मृतकों के पुनरुत्थान में विश्वास रखतें हैं। व्यवस्था का पालन बड़ी सावधानी से करने में विश्वास करते हैं और सामान्य लोगों की संगति में अशुद्ध हो जाने के भय से वे उनसे अलग ही रहते थे। सदुकी : स्वर्गदूतों, आत्माओं और मृतकों के पुनरुत्थान मे विश्वास नहीं रखतें हैं। जीवन का आनंद उठाने मे विश्वास रखतें हैं ।
प्र 3: उस स्त्री ने प्रभु यीशु के साथ कैसे व्यवहार किया ?उ 3 : उस स्त्री प्रभु यीशु के पास पीछे खड़ी होकर रोती हुई उसके पावों को आँसुओं से भिगोने और अपने सिर के बालों से पोंछने लगी और उसके पाँव बार-बार चूमकर उन पर इत्र डाला ।
प्र 4 : उसके आँसू क्या बतातें हैं ?उ 4 : उसके आँसू उसके पापों से पछतावे को बतातें हैं ।
प्र 5 : हमें अपने पापों की क्षमा कैसे मिल सकती है ?उ 5 : जब हम नम्रता ,प्रेम, और विश्वास के साथ प्रभु के पास आने से और आँसू बहाकर अपने पापों से पश्चाताप करते हैं तब हमें अपने पापों से क्षमा मिल सकती है।

संगीत

करके माफ मुझे अपना पुत्र बनाया है, प्यार से यीशु ने गले मझको लगाया है, शुद्ध किया मुझको देखो अपने लहू से, अच्छा चरवाहा यीशु मेरा रक्षक है।