पाठ 23 : शोमरोन में अकाल
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सारांश
शोमरोन में भोजन का काफी अभाव हो गया, जिस कारण थोड़े से भोजन के लिए बहुत अधिक रूपये देने पड़ते थे । एक दिन जब राजा, शहरपनाह पर टहल रहा था, तो एक स्त्री ने उसे मदद के लिए पुकारा और वह कहने लगी कि “इस स्त्री ने मुझ से कहा था, मुझे अपना बेटा दे, कि हम आज उसे खा लें, फिर कल मैं अपना बेटा दूँगी, और हम उसे भी खाएंगे । तब मेरे बेटे को पकाकर हमने खा लिया, फिर दूसरे दिन जब मैंने इस से कहा, कि अपना बेटा दे, कि हम उसे खा लें, तब इसने अपने बेटे को छिपा रखा ।” जब राजा ने यह सुना, तो अपना वस्त्र फाड़ डाला और देह पर टाट ओढ़ लिया । उसने कहा, कि एलीशा ही इसके लिए उत्तरदायी है, इसलिए वह उसे निश्चय ही मार डालेगा, क्योंकि लोगों पर यह विपत्ति उसके ही कारण आई है । एलीशा नबी जानता था, कि क्या होने वाला है, इसलिए उसने पुरनियों को जो उसके संग बैठे थे कहा, “देखो, राजा मुझे घात करने की योजना बना रहा है । जब उसका दूत आए तो उसे भीतर आने की अनुमति नहीं देना, बल्कि उसे किवाड़ पर ही रोके रहना, क्योंकि राजा उसके पीछे आ रहा है ।” एलीशा जानता था कि, परमेश्वर दयावंत है और चाहता है, कि अकाल का अंत हो । उसने कहा, “कल इसी समय शोमरोन के फाटक में सआ भर मैदा एक शेकेल में और दो सआ जव भी एक शेकेल में बिकेगा ।” तब सरदार जो राजा के साथ था, हँसी करते हुए बोला “चाहे परमेश्वर आकाश के झरोखे खोले, तौभी क्या ऐसी बात हो सकेगी।” एलीशा ने उत्तर दिया, “तू यह अपनी आँखों से तो देखेगा, परन्तु उस अन्न में से कुछ खाने न पाएगा ।” इन बातों के बाद, चार कोढ़ी शोमरोन के फाटक के बाहर बैठे हुए थे । क्योंकि कोढ़ियों को नगर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी, परन्तु उन्हें भोजन के लिए बाहर बैठकर इन्तजार करना पड़ता था । वे बहुत ही भूखे थे, क्योंकि किसी ने भी उनको कोई भोजन नहीं दिया था । वे कहने लगे, “यदि हम यहीं बैठे रहें, तौभी मर ही जाएँगें । तो आओ हम अराम की सेना के हाथों पकड़े जाएँ, यदि वे हम को जीवित रखें, तो हम जीवित रहेगें, और यदि वे हम को मार डालें, तौभी हमको मरना ही है ।” अतः वे संध्या के समय अराम की छावनी में चले गए और वहाँ किसी को भी न पाकर आश्चर्यचकित हुए । जो एलिशा ने भविष्यद्वाणी किया, वही होने पर था । परमेश्वर अंत तक घेरना चाहता था, इसलिए उसने अरामियों को रथों, और घोड़ों और भारी सेना की सी आहट सुनाई, तब वे डरकर छावनी में ही अपना सबकुछ छोड़कर भाग खड़े हुए । कोढ़ियों ने छावनी में घुसकर मनमाना खाया-पिया और जितना सके उतना चाँदी, सोना और वस्त्र ले जाकर छिपा रखा । तब वे आपस में सोचकर कहने लगे, “जो हम कर रहे हैं, वह अच्छा काम नहीं है, यह आनन्द के समाचार का दिन है, परन्तु हम किसी को नहीं बताते । यदि हम सुबह तक ठहरे रहें तो हम को दण्ड मिलेगा, सो अब आओ हम राजा के घराने के पास जाकर यह बात बतला दें ।” तब वे गये और राजमहल के फाटक के चौकीदारों को बुलाकर बताया और वे भीतर जाकर लोगों को बताए, जिन्होंने फिर सारी बात राजा को बता दी । राजा को इस पर सन्देह था । उसने सोचा की यह शत्रु की कोई चाल हो सकती है । वे कहीं छिपकर उसके लोगों का इन्तजार अपनी छावनी में बिना शंका के आने का कर रहे होगें, ताकि जब वे ऐसा करें तब वह उन पर आक्रमण कर सके । इसलिए उसने अपने दो घुड़सवारों को सारा हाल जाकर पता लगाने के लिए कहा । सैनिकों ने जाकर देखा की अरामी वास्तव में भाग खड़े हुए हैं और जल्दबाजी में उन्होंने अपना समान यरदन के पूरे मार्ग में फेंक दिया है । वे राजा के पास वापस लौटे और उसे बताया, कि उनकी छावनी में कोई भी कहीं नही है । तब लोग अरामी छावनी में गए और वे जितना सके ले आए और शीघ्र ही समानों की खरीद बिक्री भी करने लगे । जैसा एलीशा ने कहा था, एक सआ मैदा एक शेकेल में और दो सआ जव एक शेकेल में बिकने लगा । राजा ने उसी सरदार को, जो उसके साथ एलीशा के घर गया था, फाटक का अधिकारी नियुक्त किया, पर जैसे ही लोगों की भीड़ इकट्ठी हुई उन्होंने उसे धक्का देकर गिरा दिया और उस पर ही चढ़कर चलने लगे और वह मर गया । उसने आश्चर्यकर्म को तो देखा परन्तु वह उसका आनन्द उठा न सका।
बाइबल अध्यन
2 राजा 6:24-33 24 परन्तु इसके बाद अराम के राजा बेन्हदद ने अपनी समस्त सेना इकट्ठी कर के, शोमरोन पर चढ़ाई कर दी और उसको घेर लिया। 25 तब शोमरोन में बड़ा अकाल पड़ा और वह ऐसा घिरा रहा, कि अन्त में एक गदहे का सिर चान्दी के अस्सी टुकड़ों में और कब की चौथाई भर कबूतर की बीट पांच टुकड़े चान्दी तक बिकने लगी। 26 और इस्राएल का राजा शहरपनाह पर टहल रहा था, कि एक स्त्री ने पुकार के उस से कहा, हे प्रभु, हे राजा, बचा। 27 उसने कहा, यदि यहोवा तुझे न बचाए, तो मैं कहां से तुझे बचाऊं? क्या खलिहान में से, वा दाखरस के कुण्ड में से? 28 फिर राजा ने उस से पूछा, तुझे क्या हुआ? उसने उत्तर दिया, इस स्त्री ने मुझ से कहा था, मुझे अपना बेटा दे, कि हम आज उसे खा लें, फिर कल मैं अपना बेटा दूंगी, और हम उसे भी खाएंगी। 29 तब मेरे बेटे को पका कर हम ने खा लिया, फिर दूसरे दिन जब मैं ने इस से कहा कि अपना बेटा दे कि हम उसे खा लें, तब इस ने अपने बेटे को छिपा रखा। 30 उस स्त्री की ये बातें सुनते ही, राजा ने अपने वस्त्र फाड़े ( वह तो शहरपनाह पर टहल रहा था ), जब लोगों ने देखा, तब उन को यह देख पड़ा कि वह भीतर अपनी देह पर टाट पहिने है। 31 तब वह बोल उठा, यदि मैं शापात के वुत्र एलीशा का सिर आज उसके धड़ पर रहने दूं, तो परमेश्वर मेरे साथ ऐसा ही वरन इस से भी अधिक करे। 32 एलीशा अपने घर में बैठा हुआ था, और पुरनिये भी उसके संग बैठे थे। सो जब राजा ने अपने पास से एक जन भेजा, तब उस दूत के पहुंचने से पहिले उसने पुरनियों से कहा, देखो, इस खूनी के बेटे ने किसी को मेरा सिर काटने को भेजा है; इसलिये जब वह दूत आए, तब किवाड़ बन्द कर के रोके रहना। क्या उसके स्वामी के पांव की आहट उसके पीछे नहीं सुन पड़ती? 33 वह उन से यों बातें कर ही रहा था कि दूत उसके पास आ पहुंचा। और राजा कहने लगा, यह विपत्ति यहोवा की ओर से है, अब मैं आगे को यहोवा की बाट क्यों जोहता रहूं?
अध्याय 7 1 तब एलीशा ने कहा, यहोवा का वचन सुनो, यहोवा यों कहता है, कि कल इसी समय शोमरोन के फाटक में सआ भर मैदा एक शेकेल में और दो सआ जव भी एक शेकेल में बिकेगा। 2 तब उस सरदार ने जिसके हाथ पर राजा तकिया करता था, परमेश्वर के भक्त को उत्तर देकर कहा, सुन, चाहे यहोवा आकाश के झरोखे खोले, तौभी क्या ऐसी बात हो सकेगी? उसने कहा, सुन, तू यह अपनी आंखों से तो देखेगा, परन्तु उस अन्न में से कुछ खाने न पाएगा। 3 और चार कोढ़ी फाटक के बाहर थे; वे आपस में कहने लगे, हम क्यों यहां बैठे बैठे मर जाएं? 4 यदि हम कहें, कि नगर में जाएं, तो वहां मर जाएंगे; क्योंकि वहां मंहगी पड़ी है, और जो हम यहीं बैठे रहें, तौभी मर ही जाएंगे। तो आओ हम अराम की सेना में पकड़े जाएं; यदि वे हम को जिलाए रखें तो हम जीवित रहेंगे, और यदि वे हम को मार डालें, तौभी हम को मरना ही है। 5 तब वे सांझ को अराम की छावनी में जाने को चले, और अराम की छावनी की छोर पर पहुंच कर क्या देखा, कि वहां कोई नहीं है। 6 क्योंकि प्रभु ने अराम की सेना को रथों और घोड़ों की और भारी सेना की सी आहट सुनाई थी, और वे आपस में कहने लगे थे कि, सुनो, इस्राएल के राजा ने हित्ती और मिस्री राजाओं को वेतन पर बुलवाया है कि हम पर चढ़ाई करें। 7 इसलिये वे सांझ को उठ कर ऐसे भाग गए, कि अपने डेरे, घोड़े, गदहे, और छावनी जैसी की तैसी छोड़-छाड़ अपना अपना प्राण ले कर भाग गए। 8 तो जब वे कोढ़ी छावनी की छोर के डेरों के पास पहुंचे, तब एक डेरे में घुस कर खाया पिया, और उस में से चान्दी, सोना और वस्त्र ले जा कर छिपा रखा; फिर लौट कर दूसरे डेरे में घुस गए और उस में से भी ले जा कर छिपा रखा। 9 तब वे आपस में कहने लगे, जो हम कर रहे हैं वह अच्छा काम नहीं है, यह आनन्द के समाचार का दिन है, परन्तु हम किसी को नहीं बताते। जो हम पह फटने तक ठहरे रहें तो हम को दण्ड मिलेगा; सो अब आओ हम राजा के घराने के पास जा कर यह बात बतला दें। 10 तब वे चले और नगर के चौकीदारों को बुलाकर बताया, कि हम जो अराम की छावनी में गए, तो क्या देखा, कि वहां कोई नहीं है, और मनुष्य की कुछ आहट नहीं है, केवल बन्धे हुए घोड़े और गदहे हैं, और डेरे जैसे के तैसे हैं। 11 तब चौकीदारों ने पुकार के राजभवन के भीतर समाचार दिया। 12 और राजा रात ही को उठा, और अपने कर्मचारियों से कहा, मैं तुम्हें बताता हूँ कि अरामियों ने हम से क्या किया है? वे जानते हैं, कि हम लोग भूखे हैं इस कारण वे छावनी में से मैदान में छिपके को यह कहकर गए हैं, कि जब वे नगर से निकलेंगे, तब हम उन को जीवित ही पकड़ कर नगर में घुसने पाएंगे। 13 परन्तु राजा के किसी कर्मचारी ने उत्तर देकर कहा, कि जो घोड़े नगर में बच रहे हैं उन में से लोग पांच घोड़े लें, और उन को भेज कर हम हाल जान लें। ( वे तो इस्राएल की सब भीड़ के समान हैं जो नगर में रह गए हैं वरन इस्राएल की जो भीड़ मर मिट गई है वे उसी के समान हैं। ) 14 सो उन्होंने दो रथ और उनके घोड़े लिये, और राजा ने उन को अराम की सेना के पीछे भेजा; और कहा, जाओ, देखो। 15 तब वे यरदन तक उनके पीछे चले गए, और क्या देखा, कि पूरा मार्ग वस्त्रों और पात्रों से भरा पड़ा है, जिन्हें अरामियों ने उतावली के मारे फेंक दिया था; तब दूत लौट आए, और राजा से यह कह सुनाया। 16 तब लोगों ने निकल कर अराम के डेरों को लूट लिया; और यहोवा के वचन के अनुसार एक सआ मैदा एक शेकेल में, और दो सआ जव एक शेकेल में बिकने लगा। 17 और राजा ने उस सरदार को जिसके हाथ पर वह तकिया करता था फाटक का अधिकारी ठहराया; तब वह फाटक में लोगों के पावों के नीचे दब कर मर गया। यह परमेश्वर के भक्त के उस वचन के अनुसार हुआ जो उसने राजा से उसके यहां आने के समय कहा था। 18 परमेश्वर के भक्त ने जैसा राजा से यह कहा था, कि कल इसी समय शोमरोन के फाटक में दो सआ जव एक शेकेल में, और एक सआ मैदा एक शेकेल में बिकेगा, वैसा ही हुआ। 19 और उस सरदार ने परमेश्वर के भक्त को, उत्तर देकर कहा था, कि सुन चाहे यहोवा आकाश में झरोखे खोले तौभी क्या ऐसी बात हो सकेगी? और उसने कहा था, सुन, तू यह अपनी आंखों से तो देखेगा, परन्तु उस अन्न में से खाने न पाएगा। 20 सो उसके साथ ठीक वैसा ही हुआ, अतएव वह फाटक में लोगों के पांवों के नीचे दब कर मर गया।
प्रश्न-उत्तर
प्र 1: सामरिया में इतना भयंकर अकाल क्यों पड़ा ?
उ 1 : सामरिया में इस्राएल के राजा योराम शासन करता था और अपने पिता की तरह उसने और उसके लोगों ने मूर्तिपूजा जारी रखी और परमेश्वर ने दण्ड दिया। इस दौरान राजा बेन्हदद की सेना ने सामरिया को घेर लिया और साथ में अकाल भी पड़ गया ।प्र 2 : इस्राएल के राजा ने अपने वस्त्र कब फाड़े ?
उ 2 : इस्राएल के राजा ने अपने वस्त्र तब फाड़े जब एक स्त्री ने उसे चिल्ला कर कहा कि एक दूसरी स्त्री ने पिछले दिन उसके बेटे को पका कर खाया था और यह भी कहा था कि अगले दिन वह अपने बेटे को पकाने को देगी लेकिन आज जब उसने दूसरी स्त्री से उसका बच्चा माँगा तो उसने उसे छिपा दिया। तब राजा को विपत्ति का संदेशा हुआ ।प्र 3 : अरामी सेना छावनी छोड़कर क्यों भाग गई ?
उ 3 : परमेश्वर ने युद्ध रोकने के लिए अराम की सेना को रथों और घोड़ों की और भारी सेना के आने की सी आवाज़ सुनाई और वे भयभीत होकर अपना सब कुछ और छावनी छोड़कर भाग गई।प्र 4 : अरामियों के भाग जाने की खबर सबसे पहले किसे लगी ?
उ 4 : अरामियों के भाग जाने की खबर सबसे पहले चार कोढ़ी को लगी ।प्र 5 : इस घटना से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उ 5 : इस घटना से हमें यह शिक्षा मिलती है कि यदि हम परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानते तो कष्ट उठाएंगे। जब परमेश्वर के लोग परमेश्वर को पुकारतें हैं तब वह आश्चर्यकर्म करते हैं। हमें परमेश्वर पर विश्वास करना चाहिए चाहे आस पास के लोग न करे । उन कोढ़ियों की] तरह हमें भी आनन्द का समाचार दूसरों को सुनाना चाहिए ।संगीत
नन्हें मुन्नें बच्चों आओ चलें प्यारे यीशु से हम बातें करें मिलके चले (2) प्यारे मसीह से हम बातें करें।
1 छोटा प्यारा यीशु कभी न लड़ा हम भी किसी से कभी न लड़े ।
2 खाना और कपड़ा वह देता हमें मम्मी, पाप्पा और भाई बहनें ।
3 कितनी अच्छी चीजें वो देता हमें छोटा सा दिल भी हम उसी को दे दे।
4 प्यार से बुलाता है यीशु हमें उछलते और कूदते और गाते चलें।