पाठ 2 : हाजिरा एवं इशमाएल
Media
Content not prepared yet or Work in Progress.
Content not prepared yet or Work in Progress.
सारांश
अब्राहम तम्बू में रहनेवाला एक परदेशी था जो अपने पशुओं के झुण्ड के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान में भटकता (घुमता) रहता था । जब कनान देश में अकाल पड़ा तो वह अपने परिवार और पशुओं के झुण्ड के साथ मिस्र देश में चला गया जहाँ पर्याप्त भोजन और पानी था । वहाँ सारा ने हाजिरा नाम की एक लड़की को अपनी दासी होने के लिए खरीदा एवं जब अब्राहम कनान देश वापस आया तो हाजिरा भी सारा के साथ आयी । यह हाजिरा के लिए एक बड़ी आशीष की बात थी, कि वह एक ऐसे परिवार में जुड़ गयी, जो जीविते परमेश्वर से प्रार्थना करने वाले थे, न कि एक मूर्ति से । अतः वह भी जीवित परमेश्वर के विषय में जान गयी । समय बीतता गया, अब्राहम बहुत ही धनी व्यक्ति बन गया और उसने बहुतों को अपना दास एवं दासी बना लिया । उसके पास भेड़-बकरी एवं गाय बैलों का एक बहुत बड़ा झुण्ड इकट्ठा हो गया । तौभी उसके जीवन में एक बड़ा दुःख था, उसकी पत्नि सारा की कोई संतान नहीं थी। क्या आप जानते हैं कि बच्चे माता-पिता के जीवन में कितनी खुशियाँ लाते हैं ? जैसे-जैसे सारा की उम्र ढलने लगी उसमें संतान प्राप्ति की आशा और भी घटने लगी । और उसने अपनी इच्छा को पूरी करने के लिए एक योजना तैयार की, उसने अब्राहम से कहा, कि वह हाजिरा को अपनी पत्नि के रूप में स्वीकार कर ले । इब्राहीम ने वैसा ही किया जैसा सारा ने कहा था और तब शीघ्र ही हाजिरा को यह मालूम हो गया, कि वह एक बच्चे को जन्म देनेवाली है । इससे वह घमंड से भर गयी और अपनी स्वामिनी को भी तुच्छ समझने लगी ।उसके इस बर्ताव से सारा अत्यंत क्रोधित हो गयी और हाजीरा के साथ दुर्व्यवहार करने लगी, सारा के व्यवहार से हाजिरा काफी दुःखित होकर घर से भाग गयी, परन्तु बाहर जंगल में एक स्वर्गदूत उसके पास आया और उसे सांत्वना दिया । बच्चों स्मरण रहे, जब हम बहुत दुःख में हो परमेश्वर सदा हमारी सहायता करते हैं । तब स्वर्गदूत ने हाजिरा से कहा सारा के पास लौट जा और उसी के ही अधीन रह । स्वर्गदूत ने हाजिरा से यह वायदा भी किया, कि वह एक पुत्र को जन्म देगी जिसका नाम अवश्य ही “इश्माएल” रखा जाना चाहिए जिसका अर्थ है “परमेश्वर सुननेहारा” एवं परमेश्वर उसे एक महान राष्ट्र का पिता बनायेगा । यह वायदा पूरा हुआ और इश्माएल के संतान एक महान राष्ट्र बनें । इश्माएल की आयु चौदह वर्ष थी जब सारा से इसहाक को जन्म हुआ । अब्राहम के दोनों संतान एक ही तम्बू में बढ़ने लगे पर शीघ्र ही वहाँ कई समस्या उत्पन्न हो गयी । इश्माएल ने इसहाक के लिए कई समस्याएँ खड़ी कर दी, जिससे सारा दुःखी और क्रोधित हो गयी और उसने अब्राहम से निवेदन किया, कि हाजिरा एवं इश्माएल को तम्बू से बाहर निकाल दे ।अब्राहम को यह बात बहुत ही बुरा लगी, परन्तु परमेश्वर ने उसे ऐसा ही करने के लिए कहा । अब्राहम ने हाजिरा को बुलाया और थोड़ी रोटी और पानी देकर उसे और उसके पुत्र को दूर देश भेज दिया । हाजिरा और इश्माएल बाहर जाकर बेर्शेबा के जंगल में भटकने लगे, जब उनका पानी खत्म हो गया तो वे प्यास से तड़पने लगें और ऐसा लगने लगा, कि इश्माएल प्यास से मर जायेगा, उसकी माँ रोने लगी और परमेश्वर से प्रार्थना करने लगी, परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना सुनी और पुनः एक स्वर्गदूत को उसके पास सांत्वना देने के लिए भेजा । उसने पुनः उसे परमेश्वर का वायदा का स्मरण दिलाया और उसे एक जल का स्त्रोत दिखला दिया । हाजिरा एवं इश्माएल ने धीरे-धीरे मरूभूमी में रहना सीख लिया और इश्माएल बुद्धिमान तथा एक महान धनुर्धारी बन गया । बाद में उसने अपनी माँ के देश की एक स्त्री से विवाह किया, बच्चों, क्या आपको उस देश का नाम याद है ? उसके बारह पुत्र एवं एक पुत्री थी । आधुनिक विश्व में अरब के विस्तृत क्षेत्र में इश्माएल के ही वंशज निवास करते हैं और इस तरह परमेश्वर का वायदा हाजिरा के लिए पूरा हुआ । इसी तरह परमेश्वर ने अपने चुने हुओं से जो भी वायदा किया, वह पूरा हुआ है । हम इसके विषय में बाद में अध्ययन करेंगे ।
बाइबल अध्यन
उत्पत्ति 12:10 10 और उस देश में अकाल पड़ा: और अब्राम मिस्र देश को चला गया कि वहां परदेशी हो कर रहे – क्योंकि देश में भयंकर अकाल पड़ा था। उत्पत्ति 13:1 1 तब अब्राम अपनी पत्नी, और अपनी सारी सम्पत्ति ले कर, लूत को भी संग लिये हुए, मिस्र को छोड़ कर कनान के दक्खिन देश में आया। उत्पत्ति 16:1-15 1 अब्राम की पत्नी सारै के कोई सन्तान न थी: और उसके हाजिरा नाम की एक मिस्री लौंडी थी। 2 सो सारै ने अब्राम से कहा, देख, यहोवा ने तो मेरी कोख बन्द कर रखी है सो मैं तुझ से बिनती करती हूं कि तू मेरी लौंडी के पास जा: सम्भव है कि मेरा घर उसके द्वारा बस जाए। 3 सो सारै की यह बात अब्राम ने मान ली। सो जब अब्राम को कनान देश में रहते दस वर्ष बीत चुके तब उसकी स्त्री सारै ने अपनी मिस्री लौंडी हाजिरा को ले कर अपने पति अब्राम को दिया, कि वह उसकी पत्नी हो। 4 और वह हाजिरा के पास गया, और वह गर्भवती हुई और जब उसने जाना कि वह गर्भवती है तब वह अपनी स्वामिनी को अपनी दृष्टि में तुच्छ समझने लगी। 5 तब सारै ने अब्राम से कहा, जो मुझ पर उपद्रव हुआ सो तेरे ही सिर पर हो: मैं ने तो अपनी लौंडी को तेरी पत्नी कर दिया; पर जब उसने जाना कि वह गर्भवती है, तब वह मुझे तुच्छ समझने लगी, सो यहोवा मेरे और तेरे बीच में न्याय करे। 6 अब्राम ने सारै से कहा, देख तेरी लौंडी तेरे वश में है: जैसा तुझे भला लगे वैसा ही उसके साथ कर। सो सारै उसको दु:ख देने लगी और वह उसके साम्हने से भाग गई। 7 तब यहोवा के दूत ने उसको जंगल में शूर के मार्ग पर जल के एक सोते के पास पाकर कहा, 8 हे सारै की लौंडी हाजिरा, तू कहां से आती और कहां को जाती है? उसने कहा, मैं अपनी स्वामिनी सारै के साम्हने से भाग आई हूं। 9 यहोवा के दूत ने उससे कहा, अपनी स्वामिनी के पास लौट जा और उसके वश में रह। 10 और यहोवा के दूत ने उससे कहा, मैं तेरे वंश को बहुत बढ़ाऊंगा, यहां तक कि बहुतायत के कारण उसकी गणना न हो सकेगी। 11 और यहोवा के दूत ने उससे कहा, देख तू गर्भवती है, और पुत्र जनेगी, सो उसका नाम इश्माएल रखना; क्योंकि यहोवा ने तेरे दु:ख का हाल सुन लिया है। 12 और वह मनुष्य बनैले गदहे के समान होगा उसका हाथ सबके विरुद्ध उठेगा, और सब के हाथ उसके विरुद्ध उठेंगे; और वह अपने सब भाई बन्धुओं के मध्य में बसा रहेगा। 13 तब उसने यहोवा का नाम जिसने उससे बातें की थीं, अत्ताएलरोई रखकर कहा कि, क्या मैं यहां भी उसको जाते हुए देखने पाई जो मेरा देखनेहारा है? 14 इस कारण उस कुएं का नाम लहैरोई कुआं पड़ा; वह तो कादेश और बेरेद के बीच में है। 15 सो हाजिरा अब्राम के द्वारा एक पुत्र जनी: और अब्राम ने अपने पुत्र का नाम, जिसे हाजिरा जनी, इश्माएल रखा।
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : इब्राहीम के पहले पुत्र का नाम क्या था ?
उ 1 : इब्राहीम के पहले पुत्र का नाम इश्माएल था ।प्र 2 : इब्राहीम का वायदे का पुत्र कौन था ?
उ 2 : इब्राहीम का वायदे का पुत्र इसहाक था ।प्र 3 : हाजिरा क्यों भाग गई ?
उ 3 : जब हाजिरा को पता चला कि वह इब्राहीम के पुत्र की माँ बनने वाली है तब उसको घमंड हो गया और अपने मालकिन को तुच्छ समझने लगी जिससे सारा क्रोधित हुई और हाजिरा को दुख देने लगी । इसी कारण से हाजिरा भाग गई।प्र 4 : हाजिरा वापस इब्राहीम के तंबू में क्यों लौट आई ?
उ 4 : जब हाजिरा जंगल में भाग गई तब वहाँ उसे एक स्वर्गदूत तसल्ली देने आया था । उस स्वर्गदूत ने उससे कहा कि अब वह अपने स्वामिनी के पास लौट जाए और उस के वश मे रहे ।प्र 5 : इब्राहीम ने हाजिरा और इश्माएल को बाद में क्यों भेज दियाा ?
उ 5 : जब सारा से इसहाक पैदा हुआ तब इश्माएल चौदह वर्ष का था और दोनों पुत्र इब्राहीम के तंबू में रहते थे ।इश्माएल इसहाक को तंग करने लगा , जिससे सारा क्रोधित हुई और इश्माएल और हाजिरा को तंबू से बाहर निकाल देने के लिए इब्राहीम पर दबाव डाला । इब्राहीम को यह बात बुरी लगी लेकिन परमेश्वर ने इब्राहीम से कहा कि वह सारा की बात मान ले । इस तरह इब्राहीम ने हाजिरा और इश्माएल को बाद में भेज दिया।प्र 6 : जंगल में हाजिरा और इश्माएल के साथ क्या हुआ ?
उ 6 : हाजिरा और इश्माएल बेर्शेबा के जंगल में भटकने लगे और उनके थैली का पानी समाप्त हों गया और ऐसे लगा कि प्यास के मारे इश्माएल की मृत्यु हो जाएगी । हाजिरा कुछ दूरी पर बैठकर चिल्ला -चिल्लाकर रोने लगी और परमेश्वर ने उस लड़के की सुनी और परमेश्वर के एक दूत ने हाजिरा से कहा कि वह ना डरे , उठ कर अपने लड़के को उठा और अपने हाथ से संभाल क्योंकि परमेश्वर उसकी द्वारा एक बड़ी जाती बनाएगा । तब परमेश्वर ने उसकी आँखें खोली और उन्हें एक कुआं दिखाई दिया ।हाजिरा ने थैली में जल भरकर लड़के को पिलाया और परमेश्वर उस लड़के के साथ रहा और जब वह बड़ा हुआ तब जंगल में रहते -रहते धनुर्धारी बना ।संगीत
स्तुति आराधना ऊपर जाती है, आशिष देखो नीचे आती है , प्रभु हमारा कितना महान देखो हमसे करता है प्यार हाल्लेलू! हाल्लेलूइया!
बिनती और प्रार्थना ऊपर जाती है, उत्तर लेकर नीचे आती है।