पाठ 13 : शिमशोन
Media
Content not prepared yet or Work in Progress.
Content not prepared yet or Work in Progress.
Content not prepared yet or Work in Progress.
Content not prepared yet or Work in Progress.
सारांश
मानोह नाम दानियो के कुल का एक पुरूष था । उसकी पत्नी बांझ होने कारण उनकी कोई भी संतान नहीं थी । एक दिन परमेश्वर के एक दूत ने मानोह की पत्नि को दर्शन दिया और कहा कि तेरा एक पुत्र उत्पन्न होगा जो जन्म से ही नाजीर रहेगा और वही इस्राएलियों को पलिश्तियों के वश से छुड़ाएगा । वह एक विशेष व्यक्ति होगा, इसलिए न तो तू कोई अशुद्ध वस्तु खाएं और न दाखमधु या किसी भाँति की मदिरा पिए । उसके सिर पर कभी भी छुरा न फिरे, क्योंकि किसी पुरुष के लम्बे बाल होना नाजिर होने का एक चिन्ह था । मानोह की पत्नि ने एक बालक को जन्म दिया और उसका नाम शिमशोन रखा । बालक बढ़ता गया और परमेश्वर ने उसे आशीष दी, एवं परमेश्वर का आत्मा उसपर अक्सर उतरा करता था । एक दिन उसका सामना एक जवान सिंह से हुआ । उसके पास कोई भी हथियार नहीं था परन्तु उस पर परमेश्वर का आत्मा उतरा और उसने उस सिंह को ऐसा फाड़ डाला जैसे कोई बकरी का बच्चा फाड़े । एक बार जब उसका झगड़ा पलिश्तियों के साथ हुआ तो उसने तीन सौ लोमड़ियों को पकड़ा और दो-दो की पूँछो के बीच एक-एक मशाल बान्ध दिया । तब उसने मशालों में आग लगाकर उन्हें पलिश्तियों के खड़े खेतों में छोड़ दिया, जिससे पूलियों के ढेर एवं खड़े खेत जलकर राख हो गये । फिर एक बार उसने गदहे के जबड़े की हड्डी से एक हजार पुरूषों को मार डाला । एक समय जब वह अज्जा को गया तो उसके शत्रुओं ने सोचा कि उन्होंने उसे घेर लिया है, परन्तु वह आधी रात में ही उठकर नगर के फाटक के दोनों पल्लों और दोनों बाजुओं को पकड़कर बेड़ों समेत उखाड़ लिया और अपने कन्धों पर रखकर उन्हें पहाड़ की चोटी पर ले गया । पलिश्ति शिमशोन को मार डालने के प्रयत्न में लगे हुए थे, परन्तु उसकी ऐसी सामर्थ के कारण वे ऐसा करने में असमर्थ थे । बीस वर्षों तक शिमशोन ने इस्राएल का न्याय किया ।अंत में पलिश्तियों ने दलीला नाम एक स्त्री की सहायता से शिमशोन को पकड़ लिया ।वह बड़ी मधुरता से उसकी सामर्थ के विषय में पुछती रहती थी, परन्तु उसने उसे कई बार मूर्ख बनाया, अन्ततः उसने उसके बार बार पुछने से तंग आकर सच बता दिया । उसने उसे बताया कि वह परमेश्वर का नाजिर है और उसके सिर पर कभी छुरा नहीं फिरा है । तब दलीला ने उसे अपने घुटनों पर सुलाकर उसके बालों को कटवा दिया और घात करने के लिए पलिश्तियों को बुलाया । शिमशोन भी जान गया कि परमेश्वर का आत्मा उसके पास से चला गया है और अब वह अपने शत्रुओं का सामना करने में असमर्थ है । पलिश्तियों ने उसे पकड़कर उसकी आँखें फोड़ डाली और बंदीगृह में चक्की पीसने के काम पर उसे लगा दिया । पुनः शिमशोन के बाल बढ़ने लगे और उसका बल भी धीरे-धीरे वापस आने लगा । परन्तु इसके विषय में कोई भी नहीं जानता था । एक दिन पलिश्तियों ने अपने दागोन नाम देवता के लिए एक बड़ा यज्ञ किया । शिमशोन को उस दिन बंदीगृह से बाहर लाया गया ताकि वह लोगों के लिए तमाशा बन सके । पलिश्तियों के परिवार के सभी सदस्य वहाँ सज-धज कर उपस्थित थे । शिमशोन को उन दो खंभों के बीच रखा गया था, जिस पर वह इमारत टिकी हुई थी और वह वहीं खड़े हुये, अंत में एक बार पुनः सामर्थ प्रदान करने के लिए परमेश्वर से विनती किया । परमेश्वर ने उसकी विनती सुनकर उसे पुनः सामर्थ प्रदान किया । तब शिमशोन ने दोनों खम्भों को पकड़कर नीचे की ओर खींच दिया जिससे वह इमारत उन हजारों लोगों पर गिर पड़ा जो वहां बैठे थे । उस दिन शिमशोन के साथ तीन हजार लोग मर गए । शिमशोन के परिवारवाले आकर उसकी लोथ को निकालकर ले गये और उसे उसके पिता के कब्रिस्तान में मिट्टी दी ।
बाइबल अध्यन
न्यायियों अध्याय 13 1 और इस्राएलियों ने फिर यहोवा की दृष्टि में बुरा किया; इसलिये यहोवा ने उन को पलिश्तियों के वश में चालीस वर्ष के लिये रखा॥ 2 दानियों के कुल का सोरावासी मानोह नाम एक पुरूष था, जिसकी पत्नी के बांझ होने के कारण कोई पुत्र न था। 3 इस स्त्री को यहोवा के दूत ने दर्शन देकर कहा, सुन, बांझ होने के कारण तेरे बच्चा नहीं; परन्तु अब तू गर्भवती होगी और तेरे बेटा होगा। 4 इसलिये अब सावधान रह, कि न तो तू दाखमधु वा और किसी भांति की मदिरा पीए, और न कोई अशुद्ध वस्तु खाए, 5 क्योंकि तू गर्भवती होगी और तेरे एक बेटा उत्पन्न होगा। और उसके सिर पर छूरा न फिरे, क्योंकि वह जन्म ही से परमेश्वर का नाजीर रहेगा; और इस्राएलियों को पलिश्तियों के हाथ से छुड़ाने में वही हाथ लगाएगा। 6 उस स्त्री ने अपने पति के पास जा कर कहा, परमेश्वर का एक जन मेरे पास आया था जिसका रूप परमेश्वर के दूत का सा अति भययोग्य था; और मैं ने उस से न पूछा कि तू कहां का है? और न उसने मुझे अपना नाम बताया; 7 परन्तु उसने मुझ से कहा, सुन तू गर्भवती होगी और तेरे एक बेटा होगा; इसलिये अब न तो दाखमधु वा और किसी भांति की मदिरा पीना, और न कोई अशुद्ध वस्तु खाना, क्योंकि वह लड़का जन्म से मरण के दिन तक परमेश्वर का नाजीर रहेगा। 8 तब मानोह ने यहोवा से यह बिनती की, कि हे प्रभु, बिनती सुन, परमेश्वर का वह जन जिसे तू ने भेजा था फिर हमारे पास आए, और हमें सिखलाए कि जो बालक उत्पन्न होने वाला है उस से हम क्या क्या करें। 9 मानोह की यह बात परमेश्वर ने सुन ली, इसलिये जब वह स्त्री मैदान में बैठी थी, और उसका पति मानोह उसके संग न था, तब परमेश्वर का वही दूत उसके पास आया। 10 तब उस स्त्री ने झट दौड़कर अपने पति को यह समाचार दिया, कि जो पुरूष उस दिन मेरे पास आया था उसी ने मुझे दर्शन दिया है। 11 यह सुनते ही मानोह उठ कर अपनी पत्नी के पीछे चला, और उस पुरूष के पास आकर पूछा, कि क्या तू वही पुरूष है जिसने इस स्त्री से बातें की थीं? उसने कहा, मैं वही हूं। 12 मानोह ने कहा, जब तेरे वचन पूरे हो जाएं तो, उस बालक का कैसा ढंग और उसका क्या काम होगा? 13 यहोवा के दूत ने मानोह से कहा, जितनी वस्तुओं की चर्चा मैं ने इस स्त्री से की थी उन सब से यह परे रहे। 14 यह कोई वस्तु जो दाखलता से उत्पन्न होती है न खाए, और न दाखमधु वा और किसी भांति की मदिरा पीए, और न कोई अशुद्ध वस्तु खाए; जो जो आज्ञा मैं ने इस को दी थी उसी को माने। 15 मानोह ने यहोवा के दूत से कहा, हम तुझ को रोक लें, कि तेरे लिये बकरी का एक बच्चा पकाकर तैयार करें। 16 यहोवा के दूत ने मानोह से कहा, चाहे तू मुझे रोक रखे, परन्तु मैं तेरे भोजन में से कुछ न खाऊंगा; और यदि तू होमबलि करना चाहे तो यहोवा ही के लिये कर। (मानोह तो न जानता था, कि यह यहोवा का दूत है।) 17 मानोह ने यहोवा के दूत से कहा, अपना नाम बता, इसलिये कि जब तेरी बातें पूरी हों तब हम तेरा आदरमान कर सकें। 18 यहोवा के दूत ने उस से कहा, मेरा नाम तो अद्भुत है, इसलिये तू उसे क्यों पूछता है? 19 तब मानोह ने अन्नबलि समेत बकरी का एक बच्चा ले कर चट्टान पर यहोवा के लिये चढ़ाया तब उस दूत ने मानोह और उसकी पत्नी के देखते देखते एक अद्भुत काम किया। 20 अर्थात जब लौ उस वेदी पर से आकाश की ओर उठ रही थी, तब यहोवा का दूत उस वेदी की लौ में हो कर मानोह और उसकी पत्नी के देखते देखते चढ़ गया; तब वे भूमि पर मुंह के बल गिरे। 21 परन्तु यहोवा के दूत ने मानोह और उसकी पत्नी को फिर कभी दर्शन न दिया। तब मानोह ने जान लिया कि वह यहोवा का दूत था। 22 तब मानोह ने अपनी पत्नी से कहा, हम निश्चय मर जाएंगे, क्योंकि हम ने परमेश्वर का दर्शन पाया है। 23 उसकी पत्नी ने उस से कहा, यदि यहोवा हमें मार डालना चाहता, तो हमारे हाथ से होमबलि और अन्नबलि ग्रहण न करता, और न वह ऐसी सब बातें हम को दिखाता, और न वह इस समय हमें ऐसी बातें सुनाता। 24 और उस स्त्री के एक बेटा उत्पन्न हुआ, और उसका नाम शिमशोन रखा; और वह बालक बढ़ता गया, और यहोवा उसको आशीष देता रहा। 25 और यहोवा का आत्मा सोरा और एशताओल के बीच महनदान में उसको उभारने लगा॥
अध्याय 14 1 शिमशोन तिम्ना को गया, और तिम्ना में एक पलिश्तिी स्त्री को देखा। 2 तब उसने जा कर अपने माता पिता से कहा, तिम्ना में मैं ने एक पलिश्तिी स्त्री को देखा है, सो अब तुम उस से मेरा ब्याह करा दो। 3 उसके माता पिता ने उस से कहा, क्या तेरे धाइयों की बेटियों में, वा हमारे सब लोगों में कोई स्त्री नहीं है, कि तू खतनाहीन पलिश्तियों में से स्त्री ब्याहने चाहता है? शिमशोन ने अपने पिता से कहा, उसी से मेरा ब्याह करा दे; क्योंकि मुझे वही अच्छी लगती है। 4 उसके माता पिता न जानते थे कि यह बात यहोवा की ओर से होती है, कि वह पलिश्तियों के विरुद्ध दांव ढूंढता है। उस समय तो पलिश्ती इस्राएल पर प्रभुता करते थे॥ 5 तब शिमशोन अपने माता पिता को संग ले तिम्ना को चलकर तिम्ना की दाख की बारी के पास पहुंचा, वहां उसके साम्हने एक जवान सिंह गरजने लगा। 6 तब यहोवा का आत्मा उस पर बल से उतरा, और यद्यपि उसके हाथ में कुछ न था, तौभी उसने उसको ऐसा फाड़ डाला जैसा कोई बकरी का बच्चा फाड़े। अपना यह काम उसने अपने पिता वा माता को न बतलाया। 7 तब उसने जा कर उस स्त्री से बातचीत की; और वह शिमशोन को अच्छी लगी। 8 कुछ दिनों के बीतने पर वह उसे लाने को लौट चला; और उस सिंह की लोथ देखने के लिये मार्ग से मुड़ गया? तो क्या देखा कि सिंह की लोथ में मधुमक्खियों का एक झुण्ड और मधु भी है। 9 तब वह उस में से कुछ हाथ में ले कर खाते खाते अपने माता पिता के पास गया, और उन को यह बिना बताए, कि मैं ने इस को सिंह की लोथ में से निकाला है, कुछ दिया, और उन्होंने भी उसे खाया। 10 तब उसका पिता उस स्त्री के यहां गया, और शिमशोन न जवानों की रीति के अनुसार वहां जेवनार की। 11 उसको देखकर वे उसके संग रहने के लिये तीस संगियों को ले आए। 12 शिमशोन ने उसने कहा, मैं तुम से एक पहेली कहता हूं; यदि तुम इस जेवनार के सातों दिनों के भीतर उसे बूझकर अर्थ बता दो, तो मैं तुम को तीस कुरते और तीस जोड़े कपड़े दूंगा; 13 और यदि तुम उसे न बता सको, तो तुम को मुझे तीस कुर्ते और तीस जोड़े कपड़े देने पड़ेंगे। उन्होंने उस से कहा, अपनी पहेली कह, कि हम उसे सुनें। 14 उसने उन से कहा, खाने वाले में से खाना, और बलवन्त में से मीठी वस्तु निकली। इस पहेली का अर्थ वे तीन दिन के भीतर न बता सके। 15 सातवें दिन उन्होंने शिमशोन की पत्नी से कहा, अपने पति को फुसला कि वह हमें पहेली का अर्थ बताए, नहीं तो हम तुझे तेरे पिता के घर समेत आग में जलाएंगे। क्या तुम लोगों ने हमारा धन लेने के लिये हमारा नेवता किया है? क्या यही बात नहीं है? 16 तब शिमशोन की पत्नी यह कहकर उसके साम्हने रोने लगी, कि तू तो मुझ से प्रेम नहीं, बैर ही रखता है; कि तू ने एक पहेली मेरी जाति के लोगों से तो कही है, परन्तु मुझ को उसका अर्थ भी नहीं बताया। उसने कहा, मैं ने उसे अपनी माता वा पिता को भी नहीं बताया, फिर क्या मैं तुझ को बता दूं? 17 और जेवनार के सातों दिनों में वह स्त्री उसके साम्हने रोती रही; और सातवें दिन जब उसने उसको बहुत तंग किया; तब उसने उसको पहेली का अर्थ बता दिया। तब उसने उसे अपनी जाति के लोगों को बता दिया। 18 तब सातवें दिन सूर्य डूबने न पाया कि उस नगर के मनुष्यों ने शिमशोन से कहा, मधु से अधिक क्या मीठा? और सिंह से अधिक क्या बलवन्त है? उसने उन से कहा, यदि तुम मेरी कलोर को हल में न जोतते, तो मेरी पहेली को कभी न बूझते॥ 19 तब यहोवा का आत्मा उस पर बल से उतरा, और उसने अश्कलोन को जा कर वहां के तीस पुरूषों को मार डाला, और उनका धन लूटकर तीस जोड़े कपड़ों को पकेली के बताने वालों को दे दिया। तब उसका क्रोध भड़का, और वह अपने पिता के घर गया। 20 और शिमशोन की पत्नी उसके एक संगी को जिस से उसने मित्र का सा बर्ताव किया था ब्याह दी गई॥
अध्याय 15 1 परन्तु कुछ दिनों बाद, गेहूं की कटनी के दिनों में, शिमशोन ने बकरी का एक बच्चा ले कर अपनी ससुराल में जा कर कहा, मैं अपनी पत्नी के पास कोठरी में जाऊंगा। परन्तु उसके ससुर ने उसे भीतर जाने से रोका। 2 और उसके ससुर ने कहा, मैं सचमुच यह जानता था कि तू उस से बैर ही रखता है, इसलिये मैं ने उसे तेरे संगी को ब्याह दिया। क्या उसकी छोटी बहिन उस से सुन्दर नहीं है? उसके बदले उसी को ब्याह ले। 3 शिमशोन ने उन लोगों से कहा, अब चाहे मैं पलिश्तियों की हानि भी करूं, तौभी उनके विषय में निर्दोष ही ठहरूंगा। 4 तब शिमशोन ने जा कर तीन सौ लोमडिय़ां पकड़ीं, और मशाल ले कर दो दो लोमडिय़ों की पूंछ एक साथ बान्धी, और उनके बीच एक एक मशाल बान्धा। 5 तब मशालों में आग लगाकर उसने लोमडिय़ों को पलिश्तियों के खड़े खेतों में छोड़ दिया; और पूलियों के ढेर वरन खड़े खेत और जलपाई की बारियां भी जल गईं। 6 तब पलिश्ती पूछने लगे, यह किस ने किया है? लोगों ने कहा, उस तिम्नी के दामाद शिमशोन ने यह इसलिये किया, कि उसके ससुर ने उसकी पत्नी उसे संगी को ब्याह दी। तब पलिश्तियों ने जा कर उस पत्नी और उसके पिता दोनों को आग में जला दिया। 7 शिमशोन ने उन से कहा, तुम जो ऐसा काम करते हो, इसलिये मैं तुम से पलटा ले कर ही चुप रहूंगा। 8 तब उसने उन को अति निठुरता के साथ बड़ी मार से मार डाला; तब जा कर एताम नाम चट्टान की एक दरार में रहने लगा॥ 9 तब पलिश्तियों ने चढ़ाई करके यहूदा देश में डेरे खड़े किए, और लही में फैल गए। 10 तब यहूदी मनुष्यों ने उन से पूछा, तुम हम पर क्यों चढ़ाई करते हो? उन्होंने उत्तर दिया, शिमशोन को बान्धने के लिये चढ़ाई करते हैं, कि जैसे उसने हम से किया वैसे ही हम भी उस से करें। 11 तब तीन हजार यहूदी पुरूष ऐताम नाम चट्टान की दरार में जा कर शिमशोन से कहने लगे, क्या तू नहीं जानता कि पलिश्ती हम पर प्रभुता करते हैं? फिर तू ने हम से ऐसा क्यों किया है? उसने उन से कहा, जैसा उन्होंने मुझ से किया था, वैसा ही मैं ने भी उन से किया है। 12 उन्होंने उस से कहा, हम तुझे बान्धकर पलिश्तियों के हाथ में कर देने के लिये आए हैं। शिमशोन ने उन से कहा, मुझ से यह शपथ खाओ कि तुम मुझ पर प्रहार न करोगे। 13 उन्होंने कहा, ऐसा न होगा; हम तुझे कसकर उनके हाथ में कर देंगे; परन्तु तुझे किसी रीति मार न डालेंगे। तब वे उसको दो नई रस्सियों बान्धकर उस चट्टान पर ले गए। 14 वह लही तक आ गया था, कि पलिश्ती उसको देखकर ललकारने लगे; तब यहोवा का आत्मा उस पर बल से उतरा, और उसकी बांहों की रस्सियां आग में जले हुए सन के समान हो गईं, और उसके हाथों के बन्धन मानों गलकर टूट पड़े। 15 तब उसको गदहे के जबड़े की एक नई हड्डी मिली, और उसने हाथ बढ़ा उसे ले कर एक हजार पुरूषों को मार डाला। 16 तब शिमशोन ने कहा, गदहे के जबड़े की हड्डी से ढेर के ढेर लग गए, गदहे के जबड़े की हड्डी ही से मैं ने हजार पुरूषों को मार डाला॥ 17 जब वह ऐसा कह चुका, तब उसने जबड़े की हड्डी फेंक दी और उस स्थान का नाम रामत-लही रखा गया। 18 तब उसको बड़ी प्यास लगी, और उसने यहोवा को पुकार के कहा तू ने अपने दास से यह बड़ा छुटकारा कराया है; फिर क्या मैं अब प्यासों मरके उन खतनाहीन लोगों के हाथ में पडूं? 19 तब परमेश्वर ने लही में ओखली सा गढ़हा कर दिया, और उस में से पानी निकलने लगा; और जब शिमशोन ने पीया, तब उसके जी में जी आया, और वह फिर ताजा दम हो गया। इस कारण उस सोते का नाम एनहक्कोरे रखा गया, वह आज के दिन तक लही में हैं। 20 शिमशोन तो पलिश्तियों के दिनों में बीस वर्ष तक इस्राएल का न्याय करता रहा॥
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : मानोह की पत्नी से किसने कहा कि उसको बालक उत्पन्न होगा ?
उ 1 : मानोह की पत्नी से परमेश्वर के एक दूत ने कहा कि उसको एक बालक उत्पन्न होगा ।प्र 2 : शिमशोन की ताकत का रहस्य क्या था ?
उ 2 : शिमशोन एक नाज़ीर था और उसकी ताकत उसके बालों में थीं ।प्र 3 : शिमशोन ने गदहे के जबड़े की हड्डी से कितने लोगों को मार डाला ?
उ 3 : शिमशोन ने गदहे के जबड़े की हड्डी से एक हज़ार लोगों को मार डाला ।प्र 4 : शिमशोन ने पलिश्तियों के खेत को कैसे नष्ट किया ?
उ 4 : शिमशोन ने तीन सौ लोमड़ियों को पकड़ा और मशाल लेकर दो-दो लोमड़ियों की पूँछ एक साथ बाँधी और उनके बीच एक-एक मशाल बाँधी। फिर मशालों में आग लगाकर लोमड़ियों को पलिश्तियों के खेत में छोड़ दिया और सारे खेत जल गए ।प्र 5 : शिमशोन गाज़ा में कैसे बचा था ?
उ 5 : शिमशोन के शत्रुओं ने गाज़ा में उसे पकड़ा और सोचा कि वह बच नहीं पाएगा लेकिन रात को शिमशोन उठा और नगर के फाटक के दोनों पल्लों और बाजुओं को पकड़कर उखाड़ लिया और अपने कंधों पर रखकर उन्हें एक पहाड़ की चोटी पर ले गया ।प्र 6 : शिमशोन ने अपनी ताकत कैसे खोई ?
उ 6 : जब शिमशोन ने दलीला नामक स्त्री से अपने ताकत का रहस्य को बताया तब उस स्त्री ने उसे सुला कर उसके बाल काट दिया जिससे उसकी ताकत खो गई ।प्र 7 : अपने बड़े नुकसान का बदला शिमशोन ने कैसे लिया?
उ 7 : शिमशोन के बाल कटने पर उसकी ताकत खो गई थी लेकिन कुछ समय बाद बाल फिर से बढ़ने लगे और उसकी शक्ति भी वापस आने लगी । परन्तु किसी को भी उसका पता नहीं था । फिर एक दिन पलिश्ती अपने देवता दागोन के लिए बलिदान चढ़ाने और आनंद मनाने के लिये इकट्ठे हुए और शिमशोन को लाया गया कि वह उनके लिये तमाशा करे। सारे पलिश्ती अपने परिवारों के साथ वहाँ थे । शिमशोन को उन दो खंबों के बीच में खड़ा किया गया जिस पर पूरा घर टीका हुआ था । वहाँ खड़े होकर शिमशोन ने परमेश्वर से प्रार्थना की , कि एक आखिरी बार उसे सामर्थ दें । परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना सुनी और उसे उसकी सामर्थ वापस दी । शिमशोन ने दोनों खंबों को पकड़ा और अपना सारा बल लगा कर झुका तब वह घर गिर गया और शिमशोन के साथ तीन हज़ार लोग मारे गए ।प्र 8 : शिमशोन के जीवन से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उ 8 : शिमशोन के जीवन से हमें यह शिक्षा मिलती है कि परमेश्वर के द्वारा चुने हुए होने के बावज़ूद , यदि हम सावधान नहीं रहेंगे तो हम भटक सकते हैं।
संगीत
My God is so big,
so strong and so mighty
There’s nothing
my God cannot do. (2)
He made the trees, He made the seas , He made the elephants too.
The mountains are His, the rivers are His, the stars are His handy works too.