पाठ 11 : मूसा की मृत्यु
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सारांश
जब मूसा और इस्राएलियों ने मोआब में डेरे खड़े किये , तब परमेश्वर ने मूसा से नबो पहाड़ की पिसगा नाम चोटी पर जाने के लिए कहा । वहाँ से परमेश्वर ने मूसा को उस देश को दिखाया जिसे उसने इस्राएलियों को देने का वायदा किया था । मूसा को वायदा किये हुए देश में जाने की अनुमति नहीं मिली क्योंकि उसने सीनै नाम जंगल में मरीबा-कादेश नाम स्थान में परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन किया था । (गिनती 20:1-13) मूसा चालीस वर्षों तक जंगल के सफर में इस्राएलियों की अगुवाई करता रहा । ये घटनाओं से भरे हुए वर्ष थे तथा कठिनाइयों एवं परीक्षाओं में उसने बड़े धीरज के साथ उनकी अगुवाई की । अब परमेश्वर की यह इच्छा थी कि वह अपने दास को अपने पास उठा ले । पहाड़ के ऊँचे पर मूसा मर गया तथा परमेश्वर ने उसे मोआब देश की तराई में मिट्टी दी । परन्तु कोई भी नहीं जानता है कि उसे कहाँ मिट्टी दी गई । (व्यवस्थाविवरण 34:5) यहूदा 9 में हम पढ़ते हैं , कि वहाँ मूसा की लोथ के विषय में प्रधान स्वर्गदूत मिकाइल और शैतान के बीच वाद-विवाद हुआ । कोई भी नहीं जानता कि उसे कहाँ मिट्टी दी गई थी क्योंकि उसे स्वयं परमेश्वर के द्वारा ही मिट्टी दी गयी थी । जब वह मरा तब वह 120 वर्ष का था । इस्राएलियों ने तीस दिन तक उसके लिए विलाप किया । वह कितना अद्भूत अगुवा था । व्यवस्थाविवरण उसी की गवाही के साथ समाप्त होता है , क्योंकि उसके समान इस्राएल में कोई भविष्यवक्ता नहीं था । यद्यपि वह मर गया था परन्तु नये नियम में हम पढ़ते हैं कि रूपांतरण के पहाड़ पर मूसा प्रभु यीशु मसीह और एलिय्याह से बातें कर रहा था (मरकूस 9:4) “जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए तौभी जीएगा ।” (यूहन्ना 11:25)
बाइबल अध्यन
व्यवस्थाविवरण अध्याय 34 1 फिर मूसा मोआब के अराबा से नबो पहाड़ पर, जो पिसगा की एक चोटी और यरीहो के साम्हने है, चढ़ गया; और यहोवा ने उसको दान तक का गिलाद नाम सारा देश, 2 और नप्ताली का सारा देश, और एप्रैम और मनश्शे का देश, और पच्छिम के समुद्र तक का यहूदा का सारा देश, 3 और दक्खिन देश, और सोअर तक की यरीहो नाम खजूर वाले नगर की तराई, यह सब दिखाया। 4 तब यहोवा ने उस से कहा, जिस देश के विषय में मैं ने इब्राहीम, इसहाक, और याकूब से शपथ खाकर कहा था, कि मैं इसे तेरे वंश को दूंगा वह यही है। मैं ने इस को तुझे साक्षात दिखला दिया है, परन्तु तू पार हो कर वहां जाने न पाएगा। 5 तब यहोवा के कहने के अनुसार उसका दास मूसा वहीं मोआब देश में मर गया, 6 और उसने उसे मोआब के देश में बेतपोर के साम्हने एक तराई में मिट्टी दी; और आज के दिन तक कोई नहीं जानता कि उसकी कब्र कहां है। 7 मूसा अपनी मृत्यु के समय एक सौ बीस वर्ष का था; परन्तु न तो उसकी आंखें धुंधली पड़ीं, और न उसका पौरूष घटा था। 8 और इस्राएली मोआब के अराबा में मूसा के लिये तीस दिन तक रोते रहे; तब मूसा के लिये रोने और विलाप करने के दिन पूरे हुए। 9 और नून का पुत्र यहोशू बुद्धिमानी की आत्मा से परिपूर्ण था, क्योंकि मूसा ने अपने हाथ उस पर रखे थे; और इस्राएली उस आज्ञा के अनुसार जो यहोवा ने मूसा को दी थी उसकी मानते रहे। 10 और मूसा के तुल्य इस्राएल में ऐसा कोई नबी नहीं उठा, जिस से यहोवा ने आम्हने-साम्हने बातें कीं, 11 और उसको यहोवा ने फिरौन और उसके सब कर्मचारियों के साम्हने, और उसके सारे देश में, सब चिन्ह और चमत्कार करने को भेजा था, 12 और उसने सारे इस्राएलियों की दृष्टि में बलवन्त हाथ और बड़े भय के काम कर दिखाए॥
गिनती 20:1-13 1 पहिले महीने में सारी इस्त्राएली मण्डली के लोग सीनै नाम जंगल में आ गए, और कादेश में रहने लगे; और वहां मरियम मर गई, और वहीं उसको मिट्टी दी गई। 2 वहां मण्डली के लोगों के लिये पानी न मिला; सो वे मूसा और हारून के विरुद्ध इकट्ठे हुए। 3 और लोग यह कहकर मूसा से झगड़ने लगे, कि भला होता कि हम उस समय ही मर गए होते जब हमारे भाई यहोवा के साम्हने मर गए! 4 और तुम यहोवा की मण्डली को इस जंगल में क्यों ले आए हो, कि हम अपने पशुओं समेत यहां मर जाए? 5 और तुम ने हम को मिस्र से क्यों निकाल कर इस बुरे स्थान में पहुंचाया है? यहां तो बीज, वा अंजीर, वा दाखलता, वा अनार, कुछ नहीं है, यहां तक कि पीने को कुछ पानी भी नहीं है। 6 तब मूसा और हारून मण्डली के साम्हने से मिलापवाले तम्बू के द्वार पर जा कर अपने मुंह के बल गिरे। और यहोवा का तेज उन को दिखाई दिया। 7 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 8 उस लाठी को ले, और तू अपने भाई हारून समेत मण्डली को इकट्ठा करके उनके देखते उस चट्टान से बातें कर, तब वह अपना जल देगी; इस प्रकार से तू चट्टान में से उनके लिये जल निकाल कर मण्डली के लोगों और उनके पशुओं को पिला। 9 यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार मूसा ने उसके साम्हने से लाठी को ले लिया। 10 और मूसा और हारून ने मण्डली को उस चट्टान के साम्हने इकट्ठा किया, तब मूसा ने उससे कह, हे दंगा करनेवालो, सुनो; क्या हम को इस चट्टान में से तुम्हारे लिये जल निकालना होगा? 11 तब मूसा ने हाथ उठा कर लाठी चट्टान पर दो बार मारी; और उस में से बहुत पानी फूट निकला, और मण्डली के लोग अपने पशुओं समेत पीने लगे। 12 परन्तु मूसा और हारून से यहोवा ने कहा, तुम ने जो मुझ पर विश्वास नहीं किया, और मुझे इस्त्राएलियों की दृष्टि में पवित्र नहीं ठहराया, इसलिये तुम इस मण्डली को उस देश में पहुंचाने न पाओगे जिसे मैं ने उन्हें दिया है। 13 उस सोते का नाम मरीबा पड़ा, क्योंकि इस्त्राएलियों ने यहोवा से झगड़ा किया था, और वह उनके बीच पवित्र ठहराया गया॥
व्यवस्थाविवरण 34:5 5 तब यहोवा के कहने के अनुसार उसका दास मूसा वहीं मोआब देश में मर गया।
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : वायदे के देश में प्रवेश करने की अनुमति मूसा को क्यों नहीं थीं ?
उ 1 : वायदे के देश में प्रवेश करने की अनुमति मूसा को इसलिए नहीं थीं क्योंकि सीनै के जंगल में ,कादेश के मरीबा में मूसा ने आज्ञा नहीं मानी थी ।प्र 2 : मूसा ने उस देश को कहाँ से देखा ?
उ 2 : मूसा ने उस देश को नबो पहाड़ पर पिसगा की चोटी पर चढ़ कर देखा था ।प्र 3 : मूसा को कहाँ दफनाया गया ?
उ 3 : परमेश्वर ने मूसा को मोआब के देश में बेतपोर के सामने एक तराई में दफनाया था ।प्र 4 : अपनी मृत्यु के समय मूसा की उम्र क्या थी ?
उ 4 : अपनी मृत्यु के समय मूसा की उम्र एक सौ बीस साल थी।प्र 5 :परमेश्वर की संतानों को मृत्यु के पश्चात की आशा क्या है ?
उ 5 : परमेश्वर की संतानों को मृत्यु के पश्चात की आशा यह है मृत्यु के बाद अनंत काल का जीवन है।संगीत
जीना मेरा मसीहा है । मरना उसको पाना है । (2)
हर एक धड़कन उसकी है हर साँस उसकी महिमा है (2) जीना मेरा मसीहा है । मरना उसको पाना है ।
यह ज़िंदगी तो -इस जहां कि जैसे हवा का झोका , कल थे जो वो -आज नहीं है संसार है जीने का धोखा (2)
उसके वचन पर चलना है, अनंत जीवन पाना है , हर एक धड़कन उसकी है , हर साँस उसकी महिमा है ।
जीना मेरा मसीहा है , मरना उसको पाना है ।
जिंदा हूँ मैं -जब तक जग में -शैतान से लड़ता रहूँगा तन से अगर में मर भी गया तो -यीशु में फिर जी उठूँगा । (2)
उसके संग चलना है , स्वर्गीय जीवन पाना है । हर एक धड़कन उसकी है हर साँस उसकी महिमा है (2)
जीना मेरा मसीहा है , मरना उसको पाना है ।