पाठ 38 : पतरस का इन्कार

Media

Lesson Summary

Content not prepared yet or Work in Progress.


Lesson Prayer

Content not prepared yet or Work in Progress.


Song

Content not prepared yet or Work in Progress.


Instrumental

Content not prepared yet or Work in Progress.


सारांश

जिस दिन यहूदा प्रभु यीशु के साथ विश्वास करने गया था ,उसी दिन प्रभु अपने अन्य शिष्यों को जैतून के पहाड़ पर ले गए |वहाँ प्रभु ने उनसे कहा ,“आज रात तुम सब ठोकर खोओगे और मेरे कारण तितर -बितर हों जाओगे और अकेला छोड़ दोगे |“तब पतरस ने सबके सामने कहा ,“यदि सब ठोकर खाएँ ,पर मैं ठोकर नहीं खाऊँगा !” सर्वज्ञानी प्रभु ने उससे कहा ,“आज रात मुर्गे के दो बार बाँग देने से पहले ,तू तीन बार मुझ से मुकर जाएगा |“चेले प्रभु की बातों से दुखी हुए परन्तु समझ न सके |पतरस ने फिर कहा ,“यदि मुझे तेरे साथ मरना भी पड़े , तोभी मैं तेरा इंकार कभी न करूँगा |“इसी प्रकार और सबने भी कहा | इसके पश्चाताप प्रभु अपने शिष्यों के साथ गतसमनी के बग़ीचे में गए |वहाँ से यहूदी और सिपाही प्रभु को पकड़कर प्रधान याजकों केसामने लेकर गए |जब प्रभु को पकड़ा गया ,तब उनके सभी शिष्य उनको छोड़कर भाग गए |पतरस कुछ दूरी रखकर प्रभु के पीछे -पीछे महायाजक के सामने खड़ा देख सकता था आँगन में आग जल रही थी और बहुत लोग आग ताप रहे थे क्योंकि सर्दी बहुत थी |और पतरस उनके साथ खड़ा था |उसने सोचा कि उसे कोई नहीं पहचनेगा ,और वहाँ खड़े होकर वह देख सकेगा कि प्रभु के साथ क्या हो रहा है |उस घर की एक स्त्री ने पतरस को ध्यान से देखकर कहा ,“यह भी यीशु नासरी के साथ था |” तुरंत ही पतरस ने इंकार करके कहा ,“मैं उसे नहीं जानता,और न ही समझता हूँ कि तू क्या कह रही है |“वहाँ से पतरस बाहर द्वार पर गया ,तभी मुर्गे ने बाँग दी |उस दासी ने उसे देखकर फिर आस -पास खड़े लोगों से कहा ,“यह उनमें से एक है |“पतरस इंकार कर दिया |कुछ समय के पश्चात वहाँ खड़े लोगों ने पतरस से कहा ,“निश्चय तू उनमें से एक है ,क्योंकि तू गलीली भी है |“तब वह धिक्काने और शपथ खाने लगा ,‘‘मुर्गे के दो बार बागह देने से पहले तू तीन बार मेरा इंकार करेगा |‘‘और वह इस बात को सोचकर रोने लगा | अक्सर हम भी निडरता से कह देते है |फिर भी जब परीक्षाएँ आती हैं ,हम बुरी तरह असफल हो जाते हैं |तब हमें आंसुओं के साथ पश्चाताप करना पड़ता है |इसलिए हम घमंड न करें ,बल्कि नम्रता के साथ प्रभु पर विश्वास करते हुए प्रार्थना करें कि परीक्षा के समय प्रभु हमें सम्भालें |यदि तुम सोचते हो कि तुम स्थिर खड़े हो ,तो सावधान रहो ,कि गिर न पड़ो |

बाइबल अध्यन

मरकुस 14:29-31 29 पतरस ने उस से कहा; यदि सब ठोकर खाएं तो खांए, पर मैं ठोकर नहीं खाऊंगा। 30 यीशु ने उस से कहा; मैं तुझ से सच कहता हूं, कि आज ही इसी रात को मुर्गे के दो बार बांग देने से पहिले, तू तीन बार मुझ से मुकर जाएगा। 31 पर उस ने और भी जोर देकर कहा, यदि मुझे तेरे साथ मरना भी पड़े तौभी तेरा इन्कार कभी न करूंगा: इसी प्रकार और सब ने भी कहा॥

मरकुस 14:62-72 62 यीशु ने कहा; हां मैं हूं: और तुम मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्तिमान की दाहिनी और बैठे, और आकाश के बादलों के साथ आते देखोगे। 63 तब महायाजक ने अपने वस्त्र फाड़कर कहा; अब हमें गवाहों का और क्या प्रयोजन है 64 तुम ने यह निन्दा सुनी: तुम्हारी क्या राय है? उन सब ने कहा, वह वध के योग्य है। 65 तब कोई तो उस पर थूकने, और कोई उसका मुंह ढांपने और उसे घूसे मारने, और उस से कहने लगे, कि भविष्यद्वाणी कर: और प्यादों ने उसे लेकर थप्पड़ मारे॥ 66 जब पतरस नीचे आंगन में था, तो महायाजक की लौंडियों में से एक वहां आई। 67 और पतरस को आग तापते देखकर उस पर टकटकी लगाकर देखा और कहने लगी, तू भी तो उस नासरी यीशु के साथ था। 68 वह मुकर गया, और कहा, कि मैं तो नहीं जानता और नहीं समझता कि तू क्या कह रही है: फिर वह बाहर डेवढ़ी में गया; और मुर्गे ने बांग दी। 69 वह लौंडी उसे देखकर उन से जो पास खड़े थे, फिर कहने लगी, कि वह उन में से एक है। 70 परन्तु वह फिर मुकर गया और थोड़ी देर बाद उन्होंने जो पास खड़े थे फिर पतरस से कहा; निश्चय तू उन में से एक है; क्योंकि तू गलीली भी है। 71 तब वह धिक्कारने देने और शपथ खाने लगा, कि मैं उस मनुष्य को, जिस की तुम चर्चा करते हो, नहीं जानता। 72 तब तुरन्त दूसरी बार मुर्ग ने बांग दी: पतरस को वह बात जो यीशु ने उस से कही थी स्मरण आई, कि मुर्ग के दो बार बांग देने से पहिले तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा: वह इस बात को सोचकर रोने लगा॥

प्रश्न-उत्तर

प्र 1 : किसने प्रभु का इनकार किया ?उ 1 : पतरस ने प्रभु का इनकार किया ।
प्र 2 : कितनी बार इन्कार किया ?उ 2 : तीन बार इन्कार किया।
प्र 3 : प्रभु ने अपने शिष्यों को पहले से ही क्या बताया था ?उ 3 : प्रभु ने अपने शिष्यों को पहले से ही यह बताया था " आज रात तुम सब ठोकर खाओगे और मेरे कारण तितर-बितर हो जाओगे और मुझे अकेला छोड़ दोगे "।
प्र 4 : कभी-कभी हम प्रभु का इन्कार कैसे करते हैं ?उ 4 : कभी-कभी हम प्रभु का इन्कार निडरता से करते हैं ।
प्र 4 : हम परीक्षाओं पर कैसे विजय प्राप्त कर सकते हैं ?उ 4 : हमे परीक्षाओं मे आंसुओं के साथ पश्चाताप करना चाहिए और नम्रता के साथ प्रभु पर विश्वास करते हुए प्रार्थना करें कि परीक्षा के समय प्रभु हमे संभाले ।