पाठ 37 : यहूदा इस्करियोती

Media

Lesson Summary

Content not prepared yet or Work in Progress.


Lesson Prayer

Content not prepared yet or Work in Progress.


Song

Content not prepared yet or Work in Progress.


Instrumental

Content not prepared yet or Work in Progress.


सारांश

महायाजक और शास्त्री ,व्यवस्था और परंपरा का पालन करते थे ,परन्तु उनके आंतरिक सत्यों का नहीं |परमेश्वर से प्रेम करने और उनकी सेवा करने से अधिक वे अपने लिए ओहदे और आदर की खोज में लगे रहते थे |याजक लोग प्रभु से नफरत करते थे क्योंकि प्रभु यीशु गरीबों के बीच में रहते और पापियों से मित्रता रखते थे |परन्तु प्रभु के पीछे चलने वाली भीड़ के कारण वे प्रभु के विरुद्ध झूठे दोष लगाकर ,गुप्त रूप से पकड़वाकर रोमी अधिकारी को सौंप देंगे | यहूदा इस्करियोती प्रभु के बाहर शिष्यों में से एक था ,परन्तु वह धन से प्रेम करता था ,प्रभु से नहीं |वह प्रधान याजकों और शास्त्रियों के पास गया कि प्रभु को गुप्त रूप से पकड़वा दे ,जिसके बदले उन्होंने उसे तीस चाँदी के सिक्के देने का वायदा किया |सभंवत :यहूदा ने सोचा होगा कि प्रभु यीशु ,जिसने दुष्टत्माओं को निकाला रोगियों को चंगा किया और मृतकों को जिलाया ,वह स्वयं को उनके हाथ से बचा सकेगा ,और मुझे चाँदी के सिक्के भी मिल जाएँगे|
यहूदा ने यहूदी अगुओं दे धन लेकर उन्हें बता दिया कि प्रभु कहां हैं |यहूदा जानता था कि रात को अपने शिष्यों के साथ प्रार्थना करने के लिए प्रभु गतसमनी के बगीचे में जाएँगे |यहूदा ने उनसे कहा ,कि वह प्रभु यीशु को चूमेगा ,ताकि वे लोग समझ जाएं कि किसे पकड़ना है |सिपाहियों की एक एक बड़ी भीड़ और याजकों के सेवक रात को बागीचे में तलवारें और मशालें लेकर ऐसे गए जैसे किसी अपराधी को पकड़ने गए हों | यहूदा ने आगे बढ़ कर प्रभु को चूमा ,और सिपाहियों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया |इस गड़बड़ी के बीच में पतरस ने तलवार निकाली और महायाजक के दास का कान काट दिया |प्रभु ने अपना हाथ बढ़ाकर उसका कान ठीक कर दिया |फिर पतरस से कहा ,“अपनी तलवार म्यान में रख ले ,क्योंकि जो तलवार चलाते हैं ,वे सब तलवार नष्ट होंगे |क्या तू नहीं जानता की मैं अपने पिता से विनती कर सकता हूँ और वह स्वर्गदूतों की बाहर पलटन से अधिक मेरे पास अभी उपस्थित कर देगा ?परन्तु अवश्य है कि मेरे बारे में पवित्रशास्त्र की भविष्यवाणी पूरी हो |”

जब यहूदा ने देखा कि प्रभु को मृत्युदंड दिया गया तब वह ग्लानि से भर गया |उसने चाँदी के तीस सिक्के लेकर प्रधान याजकों के पास जाकर कहा ,“मैने निर्दोष को मृत्यु के लिए पकड़वाकर पाप किया है !“परन्तु उन्होंने परवाह नहीं की |वह उन सिक्कों को मंदिर मे फेककर चला गया और जाकर अपने आप को फाँसी दी |

यदि हम अपने उद्धारकर्ता के प्रति वफादार नहीं रहेंगे तो दिव्य दंड निश्चित है |अपने जीवन में यहूदा ने कभी भी यीशु मसीह को प्रभु नहीं कहा |उसके विषय में हमारे प्रभु ने स्वयं कहा कि वह शैतान है |वह उद्धारकर्ता के साथ रहा ,पर स्वयं उद्धार नहीं पाया |

बाइबल अध्यन

मत्ती 26:47-56 47 वह यह कह ही रहा था, कि देखो यहूदा जो बारहों में से एक था, आया, और उसके साथ महायाजकों और लोगों के पुरनियों की ओर से बड़ी भीड़, तलवारें और लाठियां लिए हुए आई। 48 उसके पकड़वाने वाले ने उन्हें यह पता दिया था कि जिस को मैं चूम लूं वही है; उसे पकड़ लेना। 49 और तुरन्त यीशु के पास आकर कहा; हे रब्बी नमस्कार; और उस को बहुत चूमा। 50 यीशु ने उस से कहा; हे मित्र, जिस काम के लिये तू आया है, उसे कर ले। तब उन्होंने पास आकर यीशु पर हाथ डाले, और उसे पकड़ लिया। 51 और देखो, यीशु के साथियों में से एक ने हाथ बढ़ाकर अपनी तलवार खींच ली और महायाजक के दास पर चलाकर उस का कान उड़ा दिया। 52 तब यीशु ने उस से कहा; अपनी तलवार काठी में रख ले क्योंकि जो तलवार चलाते हैं, वे सब तलवार से नाश किए जाएंगे। 53 क्या तू नहीं समझता, कि मैं अपने पिता से बिनती कर सकता हूं, और वह स्वर्गदूतों की बारह पलटन से अधिक मेरे पास अभी उपस्थित कर देगा? 54 परन्तु पवित्र शास्त्र की वे बातें कि ऐसा ही होना अवश्य है, क्योंकर पूरी होंगी? 55 उसी घड़ी यीशु ने भीड़ से कहा; क्या तुम तलवारें और लाठियां लेकर मुझे डाकू के समान पकड़ने के लिये निकले हो? मैं हर दिन मन्दिर में बैठकर उपदेश दिया करता था, और तुम ने मुझे नहीं पकड़ा। 56 परन्तु यह सब इसलिये हुआ है, कि भविष्यद्वक्ताओं के वचन के पूरे हों: तब सब चेले उसे छोड़कर भाग गए॥

मत्ती 27:3-10 3 जब उसके पकड़वाने वाले यहूदा ने देखा कि वह दोषी ठहराया गया है तो वह पछताया और वे तीस चान्दी के सिक्के महायाजकों और पुरनियों के पास फेर लाया। 4 और कहा, मैं ने निर्दोषी को घात के लिये पकड़वाकर पाप किया है? उन्होंने कहा, हमें क्या? तू ही जान। 5 तब वह उन सिक्कों मन्दिर में फेंककर चला गया, और जाकर अपने आप को फांसी दी। 6 महायाजकों ने उन सिक्कों लेकर कहा, इन्हें भण्डार में रखना उचित नहीं, क्योंकि यह लोहू का दाम है। 7 सो उन्होंने सम्मति करके उन सिक्कों से परदेशियों के गाड़ने के लिये कुम्हार का खेत मोल ले लिया। 8 इस कारण वह खेत आज तक लोहू का खेत कहलाता है। 9 तब जो वचन यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था वह पूरा हुआ; कि उन्होंने वे तीस सिक्के अर्थात उस ठहराए हुए मूल्य को (जिसे इस्त्राएल की सन्तान में से कितनों ने ठहराया था) ले लिए। 10 और जैसे प्रभु ने मुझे आज्ञा दी थी वैसे ही उन्हें कुम्हार के खेत के मूल्य में दे दिया॥

प्रश्न-उत्तर

प्र 1 : प्रभु यीशु को कौन मारना चाहता था ?उ 1 : प्रभु यीशु को महायजक ,याजक आओर शास्त्री मारना चाहते थे ।
प्र 2 : उन्होंने उसके लिये कौन सा मार्ग अपनाया ?उ 2 : उन्होंने यीशु मसीह को झूठे दोष लगाकर,गुप्त रूप से पकड़वाकर रोमी अधिकारी को सौंप देना चहते थे ।
प्र 3 : उनको प्रभु के पास तक किसने पहुंचाया ?उ 3 : उनको प्रभु के पास तक यहूदा इस्करियोती ने पहुंचाया ।
प्र 4 : उसको प्रभु को पकड़वाने मे क्या मिला ?उ 4 : उसको प्रभु को पकड़वाने मे तीस चांदी के सिक्के मिले ।
प्र 5 : उसका अंत कैसा था ?उ 5 : जब यहूदा इस्करियोती को पता चला कि प्रभु को मृत्यु दंड दिया गया है तब वह ग्लानि से भर गया और उन सिक्कों को मंदिर मे फेंक कर अपने आप को फांसी दी ।