पाठ 3 : इब्राहीम की बुलाहट

Media

Lesson Summary

Content not prepared yet or Work in Progress.


Lesson Prayer

Content not prepared yet or Work in Progress.


Song

Content not prepared yet or Work in Progress.


Instrumental

Content not prepared yet or Work in Progress.


सारांश

एक दिन महिमामय परमेश्वर ने इब्राहीम को दर्शन देकर कहा, “अपने देश और अपने लोगों को छोड़कर उस देश को जाओ जो मैं तुम्हें दिखाऊँगा” | ऊर देश के लोगों मूर्ति पूजक थे | जब इब्राहीम ने परमेश्वर की बुलाहट को सुना ,तब उसने विश्वास किया और वही किया जो उससे कहा गया था | परमेश्वर ने इब्राहीम से बहुत वायदे भी किए | परमेश्वर ने कहा ,“मैं तुझे आशीष दूँगा ,तुझे एक बड़ी जाति बनाऊँगा ,तेरा नाम महान करूँगा और सभी राष्ट्रों के लिए आशीष का कारण बनाऊँगा | एक अनजान देश में जाने के लिए अपना घर छोड़ देना , इब्राहीम और सारा को मूर्खतापूर्ण लगा होगा |फिर भी ,इब्राहीम ने परमेश्वर पर विश्वास किया और कोई प्रशन किए बगैर ही निकल चला | उसका पिता तेरह और भतीजा लूत अपने परिवार सहित उसके साथ हो लिए |वे हारान नाम स्थान पर पहुँचे जहाँ कुछ समय पश्चात तेरह की मृत्यु हो गई |

तेरह की मृत्यु के बाद परमेश्वर की आज्ञानुसार इब्राहीम अपनी पत्नी सारा को लेकर कनान देश की तरफ चला |उसका भतीजा लूत भी उनके साथ गया |जहाँ कहीं भी इब्राहीम ठहरा ,वहाँ पर उसने परमेश्वर के लिए बलिदान चढ़ाने के लिए वेदी बनाई |जब वह कनान पहुँचा ,तब परमेश्वर ने उससे कहा ,” यही वह स्थान है जो मैं तुम्हारे वंश को दूँगा |"

बाइबल अध्यन

उत्पत्ति 12:1-9 1 यहोवा ने अब्राम से कहा, अपने देश, और अपनी जन्मभूमि, और अपने पिता के घर को छोड़कर उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊंगा। 2 और मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊंगा, और तुझे आशीष दूंगा, और तेरा नाम बड़ा करूंगा, और तू आशीष का मूल होगा। 3 और जो तुझे आशीर्वाद दें, उन्हें मैं आशीष दूंगा; और जो तुझे कोसे, उसे मैं शाप दूंगा; और भूमण्डल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएंगे। 4 यहोवा के इस वचन के अनुसार अब्राम चला; और लूत भी उसके संग चला; और जब अब्राम हारान देश से निकला उस समय वह पचहत्तर वर्ष का था। 5 सो अब्राम अपनी पत्नी सारै, और अपने भतीजे लूत को, और जो धन उन्होंने इकट्ठा किया था, और जो प्राणी उन्होंने हारान में प्राप्त किए थे, सब को ले कर कनान देश में जाने को निकल चला; और वे कनान देश में आ भी गए। 6 उस देश के बीच से जाते हुए अब्राम शकेम में, जहां मोरे का बांज वृक्ष है, पंहुचा; उस समय उस देश में कनानी लोग रहते थे। 7 तब यहोवा ने अब्राम को दर्शन देकर कहा, यह देश मैं तेरे वंश को दूंगा: और उसने वहां यहोवा के लिये जिसने उसे दर्शन दिया था, एक वेदी बनाई। 8 फिर वहां से कूच करके, वह उस पहाड़ पर आया, जो बेतेल के पूर्व की ओर है; और अपना तम्बू उस स्थान में खड़ा किया जिसकी पच्छिम की ओर तो बेतेल, और पूर्व की ओर ऐ है; और वहां भी उसने यहोवा के लिये एक वेदी बनाई: और यहोवा से प्रार्थना की 9 और अब्राम कूच करके दक्खिन देश की ओर चला गया॥

प्रेरितों के काम 7:2 2 उस ने कहा; हे भाइयो, और पितरो सुनो, हमारा पिता इब्राहीम हारान में बसने से पहिले जब मिसुपुतामिया में था; तो तेजोमय परमेश्वर ने उसे दर्शन दिया।

प्रश्न-उत्तर

प्र 1 : पहली बार जब परमेश्वर ने इब्राहीम को बुलाया तब वह कहाँ राहत था ?उ 1 : पहली बार जब परमेश्वर ने इब्राहीम को बुलाया तब वह ऊर देश मे रहता था ।
प्र 2 : परमेश्वर ने इब्राहीम से कौन-कौन से वायदे किये ?उ 2 : परमेश्वर ने इब्राहीम से ये वायदे किये थे। (1) इब्राहीम को आशीष देगा। (2) इब्राहीम से एक बड़ी जाती बनाएगा । (3) इब्राहीम का नाम महान करेगा और (4) इब्राहीम को सभी राष्ट्रों के लिये आशीष का कारण बनाएगा ।
प्र 3 : जहां कहीं भी इब्राहीम ठहरा , वहाँ उसने क्या किया ?उ 3 जहां कहीं भी इब्राहीम ठहरा , वहाँ उसने परमेश्वर के लिये बलिदान चढ़ाने के लिया वेदी बनाई ।
प्र 4 : इब्राहीम विश्वासियों का पिता क्यों कहलाता है ?उ 4 : इब्राहीम ने परमेश्वर पर विश्वास किया , इसलिये वह विश्वासियों का पिता कहलाता है।

संगीत

  1. यीशु के पीछे में चलने लगा (3) न लौटूँगा (2)
  2. गर कोई मेरे साथ न आवे (3) न लौटूँगा (2)
  3. संसार को छोड़कर, सलीब को लेकर (3) न लौटूँगा (2)
  4. संसार में सबसे प्रभु है कीमती (3) न छोड़ूँगा (2)
  5. अगर मैं उसका इन्कार न करूँ (3) ताज पाऊँगा (2)