पाठ 29 : यीशु दुष्टात्माओं को निकालता है
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सारांश
एक दिन प्रभु यीशु अपने शिष्यों के साथ झील के पार गिरासेनियों के देश में गए |जब प्रभु नाव से उतरे ,तब एक मनुष्य उनसे मिला जिसमें अशुद्ध आत्मा थी |यह मनुष्य कब्रों में रहा करता था और उसको कोई भी काबू में नहीं कर सकता था |वह बार -बार बेड़ियों और संकलों के टुकड़े -टुकड़े कर देता था |वह लगातार कब्रों और पहाड़ों पर चिल्लाता और अपने आप को पत्थरों से घायल करता था |आस -पास के रहने वालो उससे डरते थे |
जब इस मनुष्य ने प्रभु यीशु को देखा ,तब उसके अंदर के अशुद्ध आत्माओं को पता था कि वह कौन है |वह भागता हुआ आया और प्रभु को प्रणाम किया |फिर ऊँचे शब्द से चिल्लाकर कहा ,हे यीशु ,प्रमप्रधान परमेश्वर के पुत्र ,मुझे तुझसे क्या काम ?मुझे पीड़ा न दे |क्योंकि प्रभु ने उससे कहा था ,कि “हे अशुद्ध आत्मा ,इस मनुष्य में से निकाल आ |”
प्रभु ने जब उससे उसका नाम पूछा ,तब उसने कहा ,“मेरा नाम सेना है ,क्योंकि हम बहुत हैं |"(रोमी सेना की एक टुकड़ी में छ :हज़ार सैनिक होते थे |)उसके कहने का अर्थ यह था कि वह अनेक अशुद्ध आत्माओं से ग्रसित है |उसने प्रभु से बहुत विनती की कि उन्हें इस देश से बाहर न भेजे |वहाँ पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था |उन्होंने प्रभु से विनती करके कहा ,“हमें उन सूअरों में भेज दे ,कि हम उनके भीतर जाएँ |प्रभु ने उन्हें आज्ञा दी और वे अशुद्ध आत्माएँ उस मनुष्य में से निकलकर सूअरों के भीतर पैठ गईं |और झुण्ड जो कोई दो हज़ार का था ,कड़ाड़े पर से झपटकर झील पर जा पड़ा और डूब मरा |
उनके चरवाहों ने भागकर नगर और गाँवों में समाचार सुनाया ,और लोग उसे देखने आए |वे उसको जिसमें दुष्टत्माएँ थीं ,कपड़े पहिने और प्रभु के पास सचेत बैठे देखकर डर गए |उन्होंने प्रभु यीशु से विनती की कि वहाँ से चले जाएँ |जिसमें पहले दुष्टात्मा थी ,वह प्रभु के साथ रहना चाहता था |परन्तु प्रभु ने उससे कहा ,“अपने घर जाकर अपने लोगों को बता कि प्रभु ने तेरे लिए कैसे बड़े काम किए है |“तब वह जाकर दिकपुलिस (जिसमें दस शहर आते हैं )में इस बात का प्रचार करने लगा ,कि यीशु ने उसके लिए कैसे बड़े काम किए हैं |और सब अचम्भा करते थे |
बाइबल अध्यन
मरकुस 5:1-18 1 और वे झील के पार गिरासेनियों के देश में पहुंचे। 2 और जब वह नाव पर से उतरा तो तुरन्त एक मनुष्य जिस में अशुद्ध आत्मा थी कब्रों से निकल कर उसे मिला। 3 वह कब्रों में रहा करता था। और कोई उसे सांकलों से भी न बान्ध सकता था। 4 क्योंकि वह बार बार बेडिय़ों और सांकलों से बान्धा गया था, पर उस ने सांकलों को तोड़ दिया, और बेडिय़ों के टुकड़े टुकड़े कर दिए थे, और कोई उसे वश में नहीं कर सकता था। 5 वह लगातार रात-दिन कब्रों और पहाड़ो में चिल्लाता, और अपने को पत्थरों से घायल करता था। 6 वह यीशु को दूर ही से देखकर दौड़ा, और उसे प्रणाम किया। 7 और ऊंचे शब्द से चिल्लाकर कहा; हे यीशु, पर मप्रधान परमेश्वर के पुत्र, मुझे तुझ से क्या काम? मैं तुझे परमेश्वर की शपथ देता हूं, कि मुझे पीड़ा न दे। 8 क्योंकि उस ने उस से कहा था, हे अशुद्ध आत्मा, इस मनुष्य में से निकल आ। 9 उस ने उस से पूछा; तेरा क्या नाम है? उस ने उस से कहा; मेरा नाम सेना है; क्योंकि हम बहुत हैं। 10 और उस ने उस से बहुत बिनती की, हमें इस देश से बाहर न भेज। 11 वहां पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था। 12 और उन्होंने उस से बिनती करके कहा, कि हमें उन सूअरों में भेज दे, कि हम उन के भीतर जाएं। 13 सो उस ने उन्हें आज्ञा दी और अशुद्ध आत्मा निकलकर सूअरों के भीतर पैठ गई और झुण्ड, जो कोई दो हजार का था, कड़ाडे पर से झपटकर झील में जा पड़ा, और डूब मरा। 14 और उन के चरवाहों ने भागकर नगर और गांवों में समाचार सुनाया। 15 और जो हुआ था, लोग उसे देखने आए। और यीशु के पास आकर, वे उस को जिस में दुष्टात्माएं थीं, अर्थात जिस में सेना समाई थी, कपड़े पहिने और सचेत बैठे देखकर, डर गए। 16 और देखने वालों ने उसका जिस में दुष्टात्माएं थीं, और सूअरों का पूरा हाल, उन को कह सुनाया। 17 और वे उस से बिनती कर के कहने लगे, कि हमारे सिवानों से चला जा। 18 और जब वह नाव पर चढ़ने लगा, तो वह जिस में पहिले दुष्टात्माएं थीं, उस से बिनती करने लगा, कि मुझे अपने साथ रहने दे।
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : अशुद्ध आत्मा से ग्रसित मनुष्य का नाम सेना कैसे पड़ा ?
उ 1 : अशुद्ध आत्मा से ग्रसित मनुष्य का नाम सेना इसलिये पड़ा क्योंकि वह अनेक दुष्ट आत्माओं से ग्रसित था ।प्र 2 : प्रभु को देखने पर दुष्टआत्मा ने प्रभु से क्या कहा?
उ 2 : प्रभु को देखने पर दुष्टआत्मा ने प्रभु से यह कहा " हे परम प्रधान के पुत्र , मुझे तुझ से क्या काम ? मुझे पीड़ा मत दे "।दुष्टआत्मा ने यह इसलिये कहा था क्योंकि प्रभु ने उसे उस मनुष्य से निकाल जाने को कहा था ।प्र 3 : दुष्टआत्मा ने प्रभु से क्या बिनती की ?
उ 3 : दुष्टआत्मा ने प्रभु से यह बिनती की कि उन्हें सूअरों मे भज दे कि वे उनके भीतर जायें ।प्र 4 : गिरासेन के लोगों ने प्रभु यीशु से क्या कहा ?
उ 4 : गिरासेन के लोगों ने प्रभु यीशु से यह कहा कि प्रभु वहाँ से चला जाए क्योंकि अशुद्ध आत्मा से ग्रसित मनुष्य को सचेत बैठे देख कर डर गये ।प्र 5 : प्रभु ने उस व्यक्ति से क्या कहा , जिसमे से दुष्टआत्मा निकाल गई थी ?
उ 5 : प्रभु ने उस व्यक्ति से यह कहा कि वह अपने घर जाकर अपने लोगों को प्रभु ने उसके लिये जो बड़े बड़े काम किये हैं बताएं और वह दिकपुलिस गया । वहाँ उसने लोगों को प्रभु के द्वारा उसके लिये जो कार्य थे उसके बारे मे प्रचार किया जिसे सुनकर लोग अचम्भे हुये।संगीत
यीशु ही के नाम से यीशु ही के खून से मिलती है हमको जय (हाल्लेलूयाह ) यीशु ही के नाम से यीशु ही के खून से शैतान को भागना है ।
जब हम यीशु नाम से लड़ते सामना कौन कर सकता है यीशु ही की शक्तिशाली नाम से मिलती है हमको जय ।