पाठ 27 : यीशु की परीक्षा
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सारांश
पवित्र आत्मा प्रभु यीशु को जंगल में ले गया ताकि शैतान से उसकी परीक्षा हो |प्रभु वहाँ चालीस दिन और चालीस रात निराहार रहे |
जब प्रभु को भूख लगी ,तो शैतान ने प्रभु की परीक्षा की |उसने कहा यदि तू परमेश्वर का पुत्र है ,तो कह दे कि यह पत्थर रोटियाँ बन जाए |प्रभु यीशु ने उत्तर दिया “लिखा है मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं ,परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है ,जीवित रहेगा |“प्रभु यीशु ने स्वयं के लिए अपनी सामर्थ का प्रयोग नहीं किया ,परन्तु दूसरों को भोजन देने के लिए किया |
फिर शैतान प्रभु को पवित्र से प्रभु को एक ऊँचे पहाड़ पर ले गया और सारे जगत के राज्य और उसका वैभव दिखाकर उससे कहा ,“यदि तू गिरकर मुझे प्रणाम करे ,तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूँगा । “प्रभु यीशु ने उस से कहा ,“हे शैतान ,दूर हो जा ,क्योंकि लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर ,और केवल उसी की उपासना कर । “तब शैतान प्रभु के पास से चला गया ,और स्वर्गदूत आकर उसकी सेवा करने लगे ।
बाइबल अध्यन
मत्ती 4:1-11 1 तब उस समय आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि इब्लीस से उस की परीक्षा हो। 2 वह चालीस दिन, और चालीस रात, निराहार रहा, अन्त में उसे भूख लगी। 3 तब परखने वाले ने पास आकर उस से कहा, यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियां बन जाएं। 4 उस ने उत्तर दिया; कि लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा। 5 तब इब्लीस उसे पवित्र नगर में ले गया और मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया। 6 और उस से कहा यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा; और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे; कहीं ऐसा न हो कि तेरे पांवों में पत्थर से ठेस लगे। 7 यीशु ने उस से कहा; यह भी लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न कर। 8 फिर शैतान उसे एक बहुत ऊंचे पहाड़ पर ले गया और सारे जगत के राज्य और उसका विभव दिखाकर 9 उस से कहा, कि यदि तू गिरकर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूंगा। 10 तब यीशु ने उस से कहा; हे शैतान दूर हो जा, क्योंकि लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर। 11 तब शैतान उसके पास से चला गया, और देखो, स्वर्गदूत आकर उस की सेवा करने लगे॥
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : प्रभु यीशु ने कितने दिन उपवास किया ?
उ 1 : प्रभु यीशु ने चालीस दिन उपवास किया ।प्र 2 : किसने प्रभु यीशु की परीक्षा ली ? और कब ली?
उ 2 : शैतान ने प्रभु यीशु की परीक्षा ली जब प्रभु यीशु ने चालीस दिन उपवास किया ।प्र 3 : तीन परीक्षाएँ कौन सी थी ?
उ 3 : पहली परीक्षा : शैतान ने प्रभु यीशु मसीह से कहा कि यदि वह परमेश्वर का पुत्र है तो कह दे वह पत्थर रोटियाँ बन जाए लकिन प्रभु यीशु मसीह ने उत्तर दिया कि "लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी हि से नहीं परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा । दूसरी परीक्षा : शैतान प्रभु यीशु मसीह को पवित्र नगर ले गया और मंदिर के सबसे ऊंचे स्थान पर खाडा कर दिया और कहा कि यदि वह परमेश्वर का पुत्र है तो अपने आप को नीचे गिर दे क्योंकि ऐसे लिखा है कि "वह तेरे विषय मे अपने स्वर्ग दूतों को आज्ञा देगा और वे तुझे अपने हाथ मे उठा लेंगे ताकि तुझे पत्थर से चोट ना लगे "। लकिन प्रभु यीशु मसीह ने उत्तर दिया कि यह भी लिखा है कि 'तु अपने परमेश्वर की परीक्षा ना कर"। तीसरी परीक्षा : शैतान प्रभु यीशु मसीह को एक ऊंचे पहाड़ पर ले गया और सारे जगत के राज्य और उसके वैभव दिखाकर कहा " यदि तु गिर कर मुझे प्रणाम, तो मै यह सब कुछ तुझे दे दूंगा " तब प्रभु यीशु मसीह ने उत्तर दिया कि "हे शैतान दूर हो जा क्योंकि लिखा है कि "तु प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर और केवल उसी की उपासना कर"।प्र 4 : शैतान के जाने के बाद प्रभु यीशु की सेवा करने के लिये कौन आये?
उ 4 : शैतान के जाने के बाद प्रभु यीशु की सेवा करने के लिये स्वर्गदूत आये ।संगीत
शिकारी आएगा, जाल बिछाएगा खुद को छिपाएगा पंख फैलाकर मैं उड़ूँगा और ना डरूँगा ।
शैतान आएगा, जाल बिछाएगा खुद को छिपाएगा उकाब की मन्दिर मैं उड़ूँगा और ना डरूँगा ।