पाठ 25 : जकरयाह और इलीशिबा
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सारांश
यहूदिया में जकर्याह नामक एक याजक और उसकी पत्नी एलीशिबा रहते थे |वे बूढ़े और संतानहीन थे |वे परमेश्वर से प्रेम करते थे और ईमानदारी से उनकी सेवा करते थे |
एक दिन जब वह प्रभु के मंदिर में धूप जला रहा था ,तब एक स्वर्गदूत ने उसे दर्शन देकर कहा ,कि परमेश्वर ने उनकी प्रार्थनाओं को सुना ,और उसे एक पुत्र देंगे |उन्हें अवश्य उसका नाम यूहन्ना रखना होगा |वह पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होगा और बहुत लोगों को परमेश्वर की और फेरेगा |जकर्याह ने स्वर्गदूत की बातों पर पूर्ण रूप से विश्वास नहीं किया |तब स्वर्गदूत जिब्राइल ने कहा कि इस वायदे के पूरा होने तक वह गूँगा रहेगा |जब वह मंदिर से बाहर आया तो वह बाहर खड़े लोगों से बातें नहीं कर पाया और तुरंत घर चला गया |परमेश्वर का वायदा सच हुआ और एलीशिबा ने एक पुत्र को जन्म दिया |सब लोगों ने उनके साथ आनंद मनाया |
यहूदियों की रीति के अनुसार आठवें दिन बालक का खतना करने सारे कुटुम्बी एकत्र हुए |एलीशिबा ने उनसे कहा कि स्वर्गदूत के वचन के अनुसार बालक का नाम यूहन्ना रखा जाना चाहिए ,परन्तु लोगों ने कहा कि अपने पिता के नाम के अनुसार उसका नाम जकर्याह रखा जाना चाहिए |तब उन्होंने उसके पिता से संकेत करके पूछा कि वह बालक का नाम रखना चाहता है |वह बोल नहीं सकता था इसलिए उसने लिखने की पट्टी मँगाकर उस पर लिख दिया कि “उसका नाम यूहन्ना है |“तब उसकी जीभ तुरंत खुल गई ,और प्रार्थना का उत्तर मिलने के कारण वह परमेश्वर का धन्यवाद करने लगा |
सब लोग आश्चर्य कर रहे थे ,कि यह बालक कैसा होगा |परमेश्वर ने उसे विशेष कार्य के लिए भेजा था |बालक बड़ा हुआ |वह जंगलों में रहता ,ऊँट के रोम के वस्र पहनता और उस पर चमड़े का पटुका बाँधता था और टिड्डी और जंगली शहद खाता था |लोग उसके वचन सुनने के लिए आते थे |उसने उनसे कहा कि अपने पापों से पश्चाताप करो और मसीह के आगमन के लिए तैयार रहो |यूहन्ना लोगों को यरदन नदी में बपतिस्मा दिया करता था और वह " यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला “कहलाता था|उसने उतनी ही सामर्थ से प्रचार किया जितना एल्लियाह ने किया |उसने कहा कि , भविष्यदकताओं के वचन के अनुसार मसीहा आने वाला है एक दिन यीशु नासरी वहाँ आए |यूहन्ना ने लोगों से कहा ,“यही है वह ,जिसके बारे में मैंने तुम्हें बताया था |वही परमेश्वर का मेम्ना है , जो संसार के पाप उठा ,ले जाता है |“यूहन्ना के सुनने वालों में से अनेक प्रभु यीशु के पीछे चलने लगे |
बाइबल अध्यन
लूका 1:5-28 5 यहूदियों के राजा हेरोदेस के समय अबिय्याह के दल में जकरयाह नाम का एक याजक था, और उस की पत्नी हारून के वंश की थी, जिस का नाम इलीशिबा था। 6 और वे दोनों परमेश्वर के साम्हने धर्मी थे: और प्रभु की सारी आज्ञाओं और विधियों पर निर्दोष चलने वाले थे। उन के कोई भी सन्तान न थी, 7 क्योंकि इलीशिबा बांझ थी, और वे दोनों बूढ़े थे॥ 8 जब वह अपने दलकी पारी पर परमेश्वर के साम्हने याजक का काम करता था। 9 तो याजकों की रीति के अनुसार उसके नाम पर चिट्ठी निकली, कि प्रभु के मन्दिर में जाकर धूप जलाए। 10 और धूप जलाने के समय लोगों की सारी मण्डली बाहर प्रार्थना कर रही थी। 11 कि प्रभु का एक स्वर्गदूत धूप की वेदी की दाहिनी ओर खड़ा हुआ उस को दिखाई दिया। 12 और जकरयाह देखकर घबराया और उस पर बड़ा भय छा गया। 13 परन्तु स्वर्गदूत ने उस से कहा, हे जकरयाह, भयभीत न हो क्योंकि तेरी प्रार्थना सुन ली गई है और तेरी पत्नी इलीशिबा से तेरे लिये एक पुत्र उत्पन्न होगा, और तू उसका नाम यूहन्ना रखना। 14 और तुझे आनन्द और हर्ष होगा: और बहुत लोग उसके जन्म के कारण आनन्दित होंगे। 15 क्योंकि वह प्रभु के साम्हने महान होगा; और दाखरस और मदिरा कभी न पिएगा; और अपनी माता के गर्भ ही से पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाएगा। 16 और इस्राएलियों में से बहुतेरों को उन के प्रभु परमेश्वर की ओर फेरेगा। 17 वह एलिय्याह की आत्मा और सामर्थ में हो कर उसके आगे आगे चलेगा, कि पितरों का मन लड़के बालों की ओर फेर दे; और आज्ञा न मानने वालों को धमिर्यों की समझ पर लाए; और प्रभु के लिये एक योग्य प्रजा तैयार करे। 18 जकरयाह ने स्वर्गदूत से पूछा; यह मैं कैसे जानूं? क्योंकि मैं तो बूढ़ा हूं; और मेरी पत्नी भी बूढ़ी हो गई है। 19 स्वर्गदूत ने उस को उत्तर दिया, कि मैं जिब्राईल हूं, जो परमेश्वर के साम्हने खड़ा रहता हूं; और मैं तुझ से बातें करने और तुझे यह सुसमाचार सुनाने को भेजा गया हूं। 20 और देख जिस दिन तक ये बातें पूरी न हो लें, उस दिन तक तू मौन रहेगा, और बोल न सकेगा, इसलिये कि तू ने मेरी बातों की जो अपने समय पर पूरी होंगी, प्रतीति न की। 21 और लोग जकरयाह की बाट देखते रहे और अचम्भा करने लगे कि उसे मन्दिर में ऐसी देर क्यों लगी? 22 जब वह बाहर आया, तो उन से बोल न सका: सो वे जान गए, कि उस ने मन्दिर में कोई दर्शन पाया है; और वह उन से संकेत करता रहा, और गूंगा रह गया। 23 जब उस की सेवा के दिन पूरे हुए, तो वह अपने घर चला गया॥ 24 इन दिनों के बाद उस की पत्नी इलीशिबा गर्भवती हुई; और पांच महीने तक अपने आप को यह कह के छिपाए रखा। 25 कि मनुष्यों में मेरा अपमान दूर करने के लिये प्रभु ने इन दिनों में कृपा दृष्टि करके मेरे लिये ऐसा किया है॥ 26 छठवें महीने में परमेश्वर की ओर से जिब्राईल स्वर्गदूत गलील के नासरत नगर में एक कुंवारी के पास भेजा गया। 27 जिस की मंगनी यूसुफ नाम दाऊद के घराने के एक पुरूष से हुई थी: उस कुंवारी का नाम मरियम था। 28 और स्वर्गदूत ने उसके पास भीतर आकर कहा; आनन्द और जय तेरी हो, जिस पर ईश्वर का अनुग्रह हुआ है, प्रभु तेरे साथ है।
लूका 1:57-68 57 तब इलीशिबा के जनने का समय पूरा हुआ, और वह पुत्र जनी। 58 उसके पड़ोसियों और कुटुम्बियों ने यह सुन कर, कि प्रभु ने उस पर बड़ी दया की है, उसके साथ आनन्दित हुए। 59 और ऐसा हुआ कि आठवें दिन वे बालक का खतना करने आए और उसका नाम उसके पिता के नाम पर जकरयाह रखने लगे। 60 और उस की माता ने उत्तर दिया कि नहीं; वरन उसका नाम यूहन्ना रखा जाए। 61 और उन्होंने उस से कहा, तेरे कुटुम्ब में किसी का यह नाम नहीं। 62 तब उन्होंने उसके पिता से संकेत करके पूछा। 63 कि तू उसका नाम क्या रखना चाहता है? और उस ने लिखने की पट्टी मंगाकर लिख दिया, कि उसका नाम यूहन्ना है: और सभों ने अचम्भा किया। 64 तब उसका मुंह और जीभ तुरन्त खुल गई; और वह बोलने और परमेश्वर का धन्यवाद करने लगा। 65 और उसके आस पास के सब रहने वालों पर भय छा गया; और उन सब बातों की चर्चा यहूदिया के सारे पहाड़ी देश में फैल गई। 66 और सब सुनने वालों ने अपने अपने मन में विचार करके कहा, यह बालक कैसा होगा क्योंकि प्रभु का हाथ उसके साथ था॥ 67 और उसका पिता जकरयाह पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गया, और भविष्यद्ववाणी करने लगा। 68 कि प्रभु इस्राएल का परमेश्वर धन्य हो, कि उस ने अपने लोगों पर दृष्टि की और उन का छुटकारा किया है।
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 :यूहन्ना के माता-पिता कौन थे ?
उ 1 : यूहन्ना के माता का नाम एलीशिबा और पिता का नाम जकर्याह था।प्र 2 : जकर्याह गूंगा क्यों हो गया था ?
उ 2 : एक दिन जब जकर्याह मंदिर मे धूप जला रहा था तब एक स्वर्गदूत ने उसे दर्शन देकर कहा कि परमेश्वर ने उनकीं प्रार्थनाओं को सुना है और वह उनको एक पुत्र देंगें जकर्याह ने पूर्ण रूप से उस बात पर विश्वास नहीं किया इस कारन स्वरदूत जिब्राइल ने कहा जब तक यह वादा पूरा नहीं होगा तब तक जकर्याह गूंगा रहेगा ।प्र 3 : जकर्याह फिर से कब बोलने लगा ?
उ 3 : जब जकर्याह और एलीशिबा को वादे के अनुसार एक पुत्र हुआ और सारे कुटुंबी खतना के लिये एकत्र हुए थे और लोगों ने जकर्याह से संकेत करके पूछा कि बालक का क्या नाम रखें , क्योंकि वह बोल नहीं सकता था इसलिये उसने लिखने की पट्टी मांगी और उस पर लिख दिया "उसका नाम यूहन्ना है " तब जकर्याह की जीभ खुल गई ।प्र 4 : यूहन्ना ने लोगों को क्या संदेश दिया ?
उ 4 : यूहन्ना ने लोगों को यह संदेश दिया कि अपने पापों के पश्चाताप करें , प्रभु यीशु मसीह के आगमन की तैयारी करे क्योंकि वही परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत का पाप उठा ले जाता है ।