पाठ 20 : दाऊद का अभिषेक
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सारांश
अमालेकियों के साथ युद्ध में शाऊल ने परमेश्वर की आज्ञा को नहीं माना और इसी कारण उसने परमेश्वर की आशीष और राजगद्दी को भी खो दिया। शाऊल इसके लिए खेदित था, परन्तु वह परमेश्वर की ओर नहीं फिरा और ना ही पाप का प्रायशिचत किया। तब परमेश्वर ने शमूएल को कहा, कि बेतलहमवासी यिशै के पुत्र को दूसरा राजा होने के लिए अभिषेक कर। शमूएल, शाऊल से भयभीत था, परन्तु परमेश्वर ने कहा जा और एक बलिदान चढ़ा, जिसमें तू यिशै के पुत्रों को आमंत्रित करना। शमूएल ने परमेश्वर की आज्ञा को मानकर बेतलहम गया, जहाँ उस नगर के बुजुर्गों ने उसका स्वागत भय और सम्मान के साथ किया। जब यिशै और उसके पुत्र आए, तब शमूएल ने उसके पुत्रों को अपने पास आने को कहा, एलिआब को पुकारा जो सबसे बड़ा और सुंदर जवान था। शमूएल उसे अभिषेक करना चाहता था, परन्तु परमेश्वर का आत्मा ने उसे रोक और कहा “मैंने इसे नहीं चुना” इस तरह यिशै के छह पुत्र एक-एक करके उसके सामने आए, परन्तु परमेश्वर ने उनमें से किसी को नहीं चुना। तब शमूएल ने यिशै से कहा “क्या तुम्हारे पास और कोई पुत्र बच गया है? तब यिशै ने अपने सबसे छोटे पुत्र दाऊद को बुलाया, जो मैदान में भेड़ चरा रहा था, उसके चेहरे से लाली झलकती थी, उसकी आँखें सुंदर और चेहरा रूपवान था। शमूएल के समान परमेश्वर ने उसके बाहरी रूप को नहीं देखा, पर परमेश्वर ने दाऊद के हृदय को देखा और उसी को राजा होने के लिए चुना। शमूएल ने दाऊद को तेल से अभिषेक किया और उसी दिन से परमेश्वर का आत्मा उस पर आ गया। उस समय परमेश्वर का आत्मा शाऊल पर से उठ गया और उस पर एक दुष्ट आत्मा आ गई। उसके कर्मचारियों ने शाऊल को सलाह दी, कि उसके लिए कोई वीणा बजाए ताकि बुरी आत्मा निकल जाए। जब शाऊल सहमत हो गया, तब उसके एक कर्मचारी ने कहा, दाऊद जो यिशै का पुत्र है वह वीणा बजाने में निपुण है। दाऊद को शाऊल के साथ रहकर उसे यह ज्ञान प्राप्त हुआ, कि एक राजा किस रीति से जीता और कार्य करता है।
बाइबल अध्यन
1 शमूएल अध्याय 16 1 और यहोवा ने शमूएल से कहा, मैं ने शाऊल को इस्राएल पर राज्य करने के लिये तुच्छ जाना है, तू कब तक उसके विषय विलाप करता रहेगा? अपने सींग में तेल भर के चल; मैं तुझ को बेतलेहेमी यिशै के पास भेजता हूं, क्योंकि मैं ने उसके पुत्रों में से एक को राजा होने के लिये चुना है। 2 शमूएल बोला, मैं क्योंकर जा सकता हूं? यदि शाऊल सुन लेगा, तो मुझे घात करेगा। यहोवा ने कहा, एक बछिया साथ ले जा कर कहना, कि मैं यहोवा के लिये यज्ञ करने को आया हूं। 3 और यज्ञ पर यिशै को न्योता देना, तब मैं तुझे जता दूंगा कि तुझ को क्या करना है; और जिस को मैं तुझे बताऊं उसी को मेरी ओर से अभिषेक करना। 4 तब शमूएल ने यहोवा के कहने के अनुसार किया, और बेतलहेम को गया। उस नगर के पुरनिये थरथराते हुए उस से मिलने को गए, और कहने लगे, क्या तू मित्रभाव से आया है कि नहीं? 5 उसने कहा, हां, मित्रभाव से आया हूं; मैं यहोवा के लिये यज्ञ करने को आया हूं; तुम अपने अपने को पवित्र करके मेरे साथ यज्ञ में आओ। तब उसने यिशै और उसके पुत्रों को पवित्र करके यज्ञ में आने का न्योता दिया। 6 जब वे आए, तब उसने एलीआब पर दृष्टि करके सोचा, कि निश्चय जो यहोवा के साम्हने है वही उसका अभिषिक्त होगा। 7 परन्तु यहोवा ने शमूएल से कहा, न तो उसके रूप पर दृष्टि कर, और न उसके डील की ऊंचाई पर, क्योंकि मैं ने उसे अयोग्य जाना है; क्योंकि यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है। 8 तब यिशै ने अबीनादाब को बुलाकर शमूएल के साम्हने भेजा। और उस से कहा, यहोवा ने इस को भी नहीं चुना। 9 फिर यिशै ने शम्मा को साम्हने भेजा। और उसने कहा, यहोवा ने इस को भी नहीं चुना। 10 योंही यिशै ने अपने सात पुत्रों को शमूएल के साम्हने भेजा। और शमूएल यिशै से कहता गया, यहोवा ने इन्हें नहीं चुना। 11 तब शमूएल ने यिशै से कहा, क्या सब लड़के आ गए? वह बोला, नहीं, लहुरा तो रह गया, और वह भेड़-बकरियों को चरा रहा है। शमूएल ने यिशै से कहा, उसे बुलवा भेज; क्योंकि जब तक वह यहां न आए तब तक हम खाने को न बैठेंगे। 12 तब वह उसे बुलाकर भीतर ले आया। उसके तो लाली झलकती थी, और उसकी आंखें सुन्दर, और उसका रूप सुडौल था। तब यहोवा ने कहा, उठ कर इस का अभिषेक कर: यही है। 13 तब शमूएल ने अपना तेल का सींग ले कर उसके भाइयों के मध्य में उसका अभिषेक किया; और उस दिन से ले कर भविष्य को यहोवा का आत्मा दाऊद पर बल से उतरता रहा। तब शमूएल उठ कर रामा को चला गया॥ 14 और यहोवा का आत्मा शाऊल पर से उठ गया, और यहोवा की ओर से एक दुष्ट आत्मा उसे घबराने लगा। 15 और शाऊल के कर्मचारियों ने उस से कहा, सुन, परमेश्वर की ओर से एक दुष्ट आत्मा तुझे घबराता है। 16 हमारा प्रभु अपने कर्मचारियों को जो उपस्थित हैं आज्ञा दे, कि वे किसी अच्छे वीणा बजाने वाले को ढूंढ़ ले आएं; और जब जब परमेश्वर की ओर से दुष्ट आत्मा तुझ पर चढ़े, तब तब वह अपने हाथ से बजाए, और तू अच्छा हो जाए। 17 शाऊल ने अपने कर्मचारियों से कहा, अच्छा, एक उत्तम बजवैया देखो, और उसे मेरे पास लाओ। 18 तब एक जवान ने उत्तर देके कहा, सुन, मैं ने बेतलहमी यिशै के एक पुत्र को देखा जो वीणा बजाना जानता है, और वह वीर योद्धा भी है, और बात करने में बुद्धिमान और रूपवान भी है; और यहोवा उसके साथ रहता है। 19 तब शाऊल ने दूतों के हाथ यिशै के पास कहला भेजा, कि अपने पुत्र दाऊद को जो भेड़-बकरियों के साथ रहता है मेरे पास भेज दे। 20 तब यिशै ने रोटी से लदा हुआ एक गदहा, और कुप्पा भर दाखमधु, और बकरी का एक बच्चा ले कर अपने पुत्र दाऊद के हाथ से शाऊल के पास भेज दिया। 21 और दाऊद शाऊल के पास जा कर उसके साम्हने उपस्थित रहने लगा। और शाऊल उस से बहुत प्रीति करने लगा, और वह उसका हथियार ढोने वाला हो गया। 22 तब शाऊल ने यिशै के पास कहला भेजा, कि दाऊद को मेरे साम्हने उपस्थित रहने दे, क्योंकि मैं उस से बहुत प्रसन्न हूं। 23 और जब जब परमेश्वर की ओर से वह आत्मा शाऊल पर चढ़ता था, तब तब दाऊद वीणा ले कर बजाता; और शाऊल चैन पाकर अच्छा हो जाता था, और वह दुष्ट आत्मा उस में से हट जाता था॥
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : शाऊल को राज-पद से क्यों हटाया गज या ?
उ 1 : शाऊल को राज-पद से इसलिये हटाया गया था कि उसने परमेश्वर की आज्ञा को पूरी तरीके से नही मानी थी ।प्र 2 : दाऊद का आभिषेक करने के लिये शमूएल कैसे आया ?
उ 2 : परमेश्वर ने शमूएल से कहा कि बैतलहेम को जाकर एक यज्ञ करो और उसमे यिशै उसके पुत्रों को न्यौता दो क्योंकि अगला राजा यिशै पुत्रों मे से होगा जिसे शमूएल को अभिषेक करना था ।प्र 3 : दाऊद कहाँ था, जब उसे बुलाया गया था ?
उ 3 : जब दाऊद को बुलाया गया तब वह भेड़ें चार रहा था ।प्र 4 : दाऊद राजमहल मे रहने क्यों आया ?
उ 4 : जब शमूएल ने दाऊद का अभिषेक किया उस दिन से परमेश्वर की आत्मा दाऊद के साथ रहा और परमेश्वर की आत्मा शाऊल पर से उठ गया और उसमे एक दुष्ट आत्मा थी । शऊल के सेवकों ने उसे सलाह दी कि उस दुष्ट आत्मा को निकालने के लिये किसी अच्छा वीणा बजाने वाले को बुलाया जाए । तब शऊल मान गया और उसके एक सेवक ने बताया कि दाऊद अच्छा वीणा बजाता है। शऊल ने दाऊद को राजमहल बुलवा तो लिया लेकिन वह नहीं जनता था की परमेश्वर ने शमूएल से दाऊद का राजा होने का अभिषेक किया है ।