पाठ 17 : यरीहो का गिरना

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सारांश

यहोशू ने देश का भेद लेने के लिए दो भेदियों को भेजा |वे राहाब नाम की एक स्त्री के यहाँ जाकर रहे |राजा को भेदियों की खबर मिली ;उसने तुरंत राहाब को संदेश भेजा ,“जो पुरुष तुम्हारे यहाँ आए हैं ,उन्हें बाहर लाओ ,क्योंकि वे भेदिए हैं |“उस स्त्री ने उन दोनों पुरुषों को छिपा रखा था |उसने राजा को उत्तर भेजा ,“हाँ ,वे पुरुष आए ज़रूर थे ,परन्तु मैं नहीं जानती कि वे कहाँ से आए थे ,और जब अंधेरा हुआ ,और फाटक बंद होने लगे ,तब वे निकल गए |मैं नहीं जानती कि वे किस तरफ गए | उनके पीछे शीघ्रता से जाओगे तो शायद उनको पकड़ सकोगे |“परन्तु उस स्त्री ने उन पुरुषों को अपने घर की छत पर सनई की लड़कियों के नीचे छिपा दिया था |ज्योंही उनको खोजने वाले फाटक से निकले ,तुरंत ही फाटक बंद कर दिया गया |वह स्त्री छत पर गई ,और उसने कहा ,“मैं जानती हूँ कि परमेश्वर ने यह देश तुम लोगों को दिया है |अब तुम लोग मुझ से यहोवा की शपथ खाओ ,कि तुम मेरे परिवार पर दया की है |और इस बात की सच्ची चिन्हानी तुम मुझे दो कि तुम मेरे माता -पिता ,भाई -बहनों और जो कुछ उनका है ,सब को जीवित रहने दोगे |“उन्होंने उससे कहा ,ऐसा ही होगा |अपने माता -पिता और भाई बहनों को अपने घर में रखो और अपनी खिड़की में एक लाल सूत की डोरी बाँध देना ,जिस खिड़की से तुम हमें नीचे उतारोगी ,और यदि कोई तुम्हारे घर से बाहर निकलेगा ,तो उसके खून का दोष उसी के सिर पर पड़ेगा और हम उत्तरदायी नहीं होंगे |“राहाब ने उनकी बात के अनुसार ही किया |उसने उन भेदियों को रस्सी के सहारे खिड़की से नीचे शहर से बाहर उतार दिया ,क्योंकि उसका घर शहरपनाह पर बना हुआ था |भेदियों ने आकर यहोशू से सारा वृतांत कह सुनाया | यरीहो के निकट पहुँचकर यहोशू ने ऊपर देखा और उसने अपने सामने तलवार लेकर खड़े एक पुरुष को देखा |यहोशू ने उसके पास जाकर उससे पूछा ,“क्या तू हमारी ओर का है ,या हमारे शत्रुओं की ओर का ?“उसने उत्तर दिया “मैं यहोवा परमेश्वर की सेना का प्रधान हूँ |“यह दर्शन यहोशू को दिया गया ,ताकि आने वाले युद्ध का सामना करने के लिए उसे प्रोत्साहन मिले |
अब यरीहो के सब फाटक इस्राएलियों के डर के कारण बंद थे । तब परमेश्वर ने यहोशू से कहा ,’’ मैं यरीहो को उसके राजा और शूरवीरों समेत तेरे वश में कर देता हूँ |सो तुम में जितने योद्धा हैं ,नगर के चारों ओर एक बार घूम आएँ |छ :दि तक ऐसा ही किया करना |सात याजक सन्दूक के आगे -आगे जुबली के सात नरसिंगे लिए हुए चलें |फिर सातवें दिन तुम नगर सात चक्कर लगाना ,और याजक भी नरसिंगे फूँकते चलें |सब लोग नरसिंगे का शब्द सुनते ही बड़ी ध्वनि से जयजयकार करें |तब नगर की शहरपनाह नेव से गिर जाएगी ,और सब लोग अपने-अपने सामने चढ़ जाएँ |” यहोशू ने परमेश्वर की आज्ञा का पूर्ण रूप से पालन किया |सातवें दिन परमेश्वर की आज्ञानुसार उन्होंने शहरपनाह के चारों और सात चक्कर लगाए |जब याजकों ने ज़ोर से नरसिंगे फूँकें ,तब लोगों ने बड़ी ही ध्वनि से जयजयकार किया शहरपनाह गिर पड़ी |लोग अपने-अपने सामने चढ़ गए और नगर को ले लिया |कितनी अद्भुत रीति से परमेश्वर ने कार्य किया |यहोशू ने आज्ञा दी कि सब चाँदी ,सोना ,पीतल और लोहे के बरतन जो यरीहो में मिलें ,वे सब परमेश्वर के भवन में लाए जाएँ |बचा हुआ सब कुछ पूरी रीति से नाश किया जाए |यहोशू ने कहा ,“यह शहर शापित है ,कोई मनुष्य इसमें से अपने लिए कुछ भी नहीं लेगा |” यहोशू उस वायदे को नहीं भूला जो भेदियों ने राहाब से किया था |उसने उन दोनों को भेजकर राहाब और जो कुछ उसका था ,सबको निकालकर शहर से बाहर सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया |उसके पश्चात शहर में सब मार डाले गए और शहर नाश किया गया |

बाइबल अध्यन

यहोशू अध्याय 2 1 तब नून के पुत्र यहोशू ने दो भेदियों को शित्तीम से चुपके से भेज दिया, और उन से कहा, जा कर उस देश और यरीहो को देखो। तुरन्त वे चल दिए, और राहाब नाम किसी वेश्या के घर में जा कर सो गए। 2 तब किसी ने यरीहो के राजा से कहा, कि आज की रात कई एक इस्राएली हमारे देश का भेद लेने को यहां आए हुए हैं। 3 तब यरीहो के राजा ने राहाब के पास यों कहला भेजा, कि जो पुरूष तेरे यहां आए हैं उन्हें बाहर ले आ; क्योंकि वे सारे देश का भेद लेने को आए हैं। 4 उस स्त्री ने दोनों पुरूषों को छिपा रखा; और इस प्रकार कहा, कि मेरे पास कई पुरूष आए तो थे, परन्तु मैं नहीं जानती कि वे कहां के थे; 5 और जब अन्धेरा हुआ, और फाटक बन्द होने लगा, तब वे निकल गए; मुझे मालूम नहीं कि वे कहां गए; तुम फुर्ती करके उनका पीछा करो तो उन्हें जा पकड़ोगे। 6 उसने उन को घर की छत पर चढ़ाकर सनई की लकडिय़ों के नीचे छिपा दिया था जो उसने छत पर सजा कर रखी थी। 7 वे पुरूष तो यरदन का मार्ग ले उनकी खोज में घाट तक चले गए; और ज्योंही उन को खोजने वाले फाटक से निकले त्योंही फाटक बन्द किया गया। 8 और ये लेटने न पाए थे कि वह स्त्री छत पर इनके पास जा कर 9 इन पुरूषों से कहने लगी, मुझे तो निश्चय है कि यहोवा ने तुम लोगों को यह देश दिया है, और तुम्हारा भय हम लोगों के मन में समाया है, और इस देश के सब निवासी तुम्हारे कारण घबरा रहे हैं। 10 क्योंकि हम ने सुना है कि यहोवा ने तुम्हारे मिस्र से निकलने के समय तुम्हारे साम्हने लाल समुद्र का जल सुखा दिया। और तुम लोगों ने सीहोन और ओग नाम यरदन पार रहने वाले एमोरियों के दोनों राजाओं को सत्यानाश कर डाला है। 11 और यह सुनते ही हमारा मन पिघल गया, और तुम्हारे कारण किसी के जी में जी न रहा; क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा ऊपर के आकाश का और नीचे की पृथ्वी का परमेश्वर है। 12 अब मैं ने जो तुम पर दया की है, इसलिये मुझ से यहोवा की शपथ खाओ कि तुम भी मेरे पिता के घराने पर दया करोगे, और इसकी सच्ची चिन्हानी मुझे दो, 13 कि तुम मेरे माता-पिता, भाइयों और बहिनों को, और जो कुछ उनका है उन सभों को भी जीवित रख छोड़ो, और हम सभों का प्राण मरने से बचाओगे। 14 तब उन पुरूषों ने उस से कहा, यदि तू हमारी यह बात किसी पर प्रगट न करे, तो तुम्हारे प्राण के बदले हमारा प्राण जाए; और जब यहोवा हम को यह देश देगा, तब हम तेरे साथ कृपा और सच्चाई से बर्ताव करेंगे। 15 तब राहाब जिसका घर शहरपनाह पर बना था, और वह वहीं रहती थीं, उसने उन को खिड़की से रस्सी के बल उतार के नगर के बाहर कर दिया। 16 और उसने उन से कहा, पहाड़ को चले जाओ, ऐसा न हो कि खोजने वाले तुम को पाएं; इसलिये जब तक तुम्हारे खोजने वाले लौट न आएं तब तक, अर्थात तीन दिन वहीं छिपे रहता, उसके बाद अपना मार्ग लेना। 17 उन्होंने उस से कहा, जो शपथ तू ने हम को खिलाई है उसके विषय में हम तो निर्दोष रहेंगे। 18 तुम, जब हम लोग इस देश में आएंगे, तब जिस खिड़की से तू ने हम को उतारा है उस में यही लाल रंग के सूत की डोरी बान्ध देना; और अपने माता पिता, भाइयों, वरन अपने पिता के घराने को इसी घर में अपने पास इकट्ठा कर रखना। 19 तब जो कोई तेरे घर के द्वार से बाहर निकले, उसके खून का दोष उसी के सिर पड़ेगा, और हम निर्दोष ठहरेंगे: परन्तु यदि तेरे संग घर में रहते हुए किसी पर किसी का हाथ पड़े, तो उसके खून का दोष हमारे सिर पर पड़ेगा। 20 फिर यदि तू हमारी यह बात किसी पर प्रगट करे, तो जो शपथ तू ने हम को खिलाई है उस से हम निर्बन्ध ठहरेंगे। 21 उसने कहा, तुम्हारे वचनों के अनुसार हो। तब उसने उन को विदा किया, और वे चले गए; और उसने लाल रंग की डोरी को खिड़की में बान्ध दिया। 22 और वे जा कर पहाड़ तक पहुंचे, और वहां खोजने वालों के लौटने तक, अर्थात तीन दिन तक रहे; और खोजने वाले उन को सारे मार्ग में ढूंढ़ते रहे और कहीं न पाया। 23 तब वे दोनों पुरूष पहाड़ से उतरे, और पार जा कर नून के पुत्र यहोशू के पास पहुंचकर जो कुछ उन पर बीता था उसका वर्णन किया। 24 और उन्होंने यहोशू से कहा, निसन्देह यहोवा ने वह सारा देश हमारे हाथ में कर दिया है; फिर इसके सिवाय उसके सारे निवासी हमारे कारण घबरा रहे हैं॥

अध्याय 3 1 बिहान को यहोशू सबेरे उठा, और सब इस्राएलियों को साथ ले शित्तीम से कूच कर यरदन के किनारे आया; और वे पार उतरने से पहिले वहीं टिक गए। 2 और तीन दिन के बाद सरदारों ने छावनी के बीच जा कर 3 प्रजा के लोगों को यह आज्ञा दी, कि जब तुम को अपने परमेश्वर यहोवा की वाचा का सन्दूक और उसे उठाए हुए लेवीय याजक भी देख पड़ें, तब अपने स्थान से कूच करके उसके पीछे पीछे चलना, 4 परन्तु उसके और तुम्हारे बीच में दो हजार हाथ के अटकल अन्तर रहे; तुम सन्दूक के निकट न जाना। ताकि तुम देख सको, कि किस मार्ग से तुम को चलना है, क्योंकि अब तक तुम इस मार्ग पर हो कर नहीं चले। 5 फिर यहोशू ने प्रजा के लोगों से कहा, तुम अपने आप को पवित्र करो; क्योंकि कल के दिन यहोवा तुम्हारे मध्य में आश्चर्यकर्म करेगा। 6 तब यहोशू ने याजकों से कहा, वाचा का सन्दूक उठा कर प्रजा के आगे आगे चलो। तब वे वाचा का सन्दूक उठा कर आगे आगे चले। 7 तब यहोवा ने यहोशू से कहा, आज के दिन से मैं सब इस्राएलियों के सम्मुख तेरी प्रशंसा करना आरम्भ करूंगा, जिस से वे जान लें कि जैसे मैं मूसा के संग रहता था वैसे ही मैं तेरे संग भी हूं। 8 और तू वाचा के सन्दूक के उठाने वाले याजकों को यह आज्ञा दे, कि जब तुम यरदन के जल के किनारे पहुंचो, तब यरदन में खड़े रहना॥ 9 तब यहोशू ने इस्राएलियों से कहा, कि पास आकर अपने परमेश्वर यहोवा के वचन सुनो। 10 और यहोशू कहने लगा, कि इस से तुम जान लोगे कि जीवित ईश्वर तुम्हारे मध्य में है, और वह तुम्हारे सामहने से नि:सन्देह कनानियों, हित्तियों, हिव्वियों, परिज्जियों, गिर्गाशियों, एमोरियों, और यबूसियों को उनके देश में से निकाल देगा। 11 सुनो, पृथ्वी भर के प्रभु की वाचा का सन्दूक तुम्हारे आगे आगे यरदन में जाने पर है। 12 इसलिये अब इस्राएल के गोत्रों में से बारह पुरूषों को चुन लो, वे एक एक गोत्र में से एक पुरूष हो। 13 और जिस समय पृथ्वी भर के प्रभु यहोवा की वाचा का सन्दूक उठाने वाले याजकों के पांव यरदन के जल में पड़ेंगे, उस समय यरदन का ऊपर से बहता हुआ जल थम जाएगा, और ढेर हो कर ठहरा रहेगा। 14 सो जब प्रजा के लोगों ने अपने डेरों से यरदन पार जाने को कूच किया, और याजक वाचा का सन्दूक उठाए हुए प्रजा के आगे आगे चले, 15 और सन्दूक के उठाने वाले यरदन पर पहुंचे, और सन्दूक के उठाने वाले याजकों के पांव यरदन के तीर के जल में डूब गए (यरदन का जल तो कटनी के समय के सब दिन कड़ारों के ऊपर ऊपर बहा करता है), 16 तब जो जल ऊपर की ओर से बहा आता था वह बहुत दूर, अर्थात आदाम नगर के पास जो सारतान के निकट है रूककर एक ढेर हो गया, और दीवार सा उठा रहा, और जो जल अराबा का ताल, जो खारा ताल भी कहलाता है, उसकी ओर बहा जाता था, वह पूरी रीति से सूख गया; और प्रजा के लाग यरीहो के साम्हने पार उतर गए। 17 और याजक यहोवा की वाचा का सन्दूक उठाए हुए यरदन के बीचोंबीच पहुंचकर स्थल पर स्थिर खड़े रहे, और सब इस्राएली स्थल ही स्थल पार उतरते रहे, निदान उस सारी जाति के लोग यरदन पार हो गए॥

अध्याय 4 1 जब उस सारी जाति के लोग यरदन के पार उतर चुके, तब यहोवा ने यहोशू से कहा, 2 प्रजा में से बारह पुरूष, अर्थात गोत्र पीछे एक एक पुरूष को चुनकर यह आज्ञा दे, 3 कि तुम यरदन के बीच में, जहां याजकों ने पांव धरे थे वहां से बारह पत्थर उठा कर अपने साथ पार ले चलो, और जहां आज की रात पड़ाव होगा वहीं उन को रख देना। 4 तब यहोशू ने उन बारह पुरूषों को, जिन्हें उसने इस्राएलियों के प्रत्येक गोत्र में से छांटकर ठहरा रखा था, 5 बुलवाकर कहा, तुम अपने परमेश्वर यहोवा के सन्दूक के आगे यरदन के बीच में जा कर इस्राएलियों के गोत्रों की गिनती के अनुसार एक एक पत्थर उठा कर अपने अपने कन्धे पर रखो, 6 जिस से यह तुम लोगों के बीच चिन्हानी ठहरे, और आगे को जब तुम्हारे बेटे यह पूछें, कि इन पत्थरों का क्या मतलब है? 7 तब तुम उन्हें उत्तर दो, कि यरदन का जल यहोवा की वाचा के सन्दूक के साम्हने से दो भाग हो गया था; क्योंकि जब वह यरदन पार आ रहा था, तब यरदन का जल दो भाग हो गया। सो वे पत्थर इस्राएल को सदा के लिये स्मरण दिलाने वाले ठहरेंगे। 8 यहोशू की इस आज्ञा के अनुसार इस्राएलियों ने किया, जैसा यहोवा ने यहोशू से कहा था वैसा ही उन्होंने इस्राएलियों ने किया, जैसा यहोवा ने यहोशू से कहा था वैसा ही उन्होंने इस्राएली गोत्रों की गिनती के अनुसार बारह पत्थर यरदन के बीच में से उठा लिए; और उन को अपने साथ ले जा कर पड़ाव में रख दिया। 9 और यरदन के बीच जहां याजक वाचा के सन्दूक को उठाए हुए अपने पांव धरे थे वहां यहोशू ने बारह पत्थर खड़े कराए; वे आज तक वहीं पाए जाते हैं। 10 और याजक सन्दूक उठाए हुए उस समय तक यरदन के बीच खड़े रहे जब तक वे सब बातें पूरी न हो चुकीं, जिन्हें यहोवा ने यहोशू को लोगों से कहने की आज्ञा दी थी। तब सब लोग फुर्ती से पार उतर गए; 11 और जब सब लोग पार उतर चुके, तब याजक और यहोवा का सन्दूक भी उनके देखते पार हुए। 12 और रूबेनी, गादी, और मनश्शे के आधे गोत्र के लोग मूसा के कहने के अनुसार इस्राएलियों के आगे पांति बान्धे हुए पार गए; 13 अर्थात कोई चालीस हजार पुरूष युद्ध के हथियार बान्धे हुए संग्राम करने के लिये यहोवा के साम्हने पार उतरकर यरीहो के पास के अराबा में पहुंचे। 14 उस दिन यहोवा ने सब इस्राएलियों के साम्हने यहोशू की महिमा बढ़ाई; और जैसे वे मूसा का भय मानते थे वैसे ही यहोशू का भी भय उसके जीवन भर मानते रहे॥ 15 और यहोवा ने यहोशू से कहा, 16 कि साक्षी का सन्दूक उठाने वाले याजकों को आज्ञा दे कि यरदन में से निकल आएं। 17 तो यहोशू ने याजकों को आज्ञा दी, कि यरदन में से निकल आओ। 18 और ज्योंही यहोवा की वाचा का सन्दूक उठाने वाले याजक यरदन के बीच में से निकल आए, और उनके पांव स्थल पर पड़े, त्योंही यरदन का जल अपने स्थान पर आया, और पहिले की नाईं कड़ारो के ऊपर फिर बहने लगा। 19 पहिले महिने के दसवें दिन को प्रजा के लोगों ने यरदन में से निकलकर यरीहो के पूर्वी सिवाने पर गिलगाल में अपने डेरे डाले। 20 और जो बारह पत्थर यरदन में से निकाले गए थे, उन को यहोशू ने गिलगाल में खड़े किए। 21 तब उसने इस्राएलियों से कहा, आगे को जब तुम्हारे लड़केबाले अपने अपने पिता से यह पूछें, कि इन पत्थरों का क्या मतलब है? 22 तब तुम यह कहकर उन को बताना, कि इस्राएली यरदन के पार स्थल ही स्थल चले आए थे। 23 क्योंकि जैसे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने लाल समुद्र को हमारे पार हो जाने तक हमारे साम्हने से हटाकर सुखा रखा था, वैसे ही उसने यरदन का भी जल तुम्हारे पार हो जाने तक तुम्हारे साम्हने से हटाकर सुखा रखा; 24 इसलिये कि पृथ्वी के सब देशों के लोग जान लें कि यहोवा का हाथ बलवन्त है; और तुम सर्वदा अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानते रहो॥

अध्याय 5 1 जब यरदन के पच्छिम की ओर रहने वाले एमोरियों के सब राजाओं ने, और समुद्र के पास रहने वाले कनानियों के सब राजाओं ने यह सुना, कि यहोवा ने इस्राएलियों के पार होने तक उनके साम्हने से यरदन का जल हटाकर सुखा रखा है, तब इस्राएलियों के डर के मारे उनका मन घबरा गया, और उनके जी में जी न रहा॥ 2 उस समय यहोवा ने यहोशू से कहा, चकमक की छुरियां बनवाकर दूसरी बार इस्राएलियों का खतना करा दें। 3 तब यहोशू ने चकमक की छुरियां बनवाकर खलडिय़ां नाम टीले पर इस्राएलियों का खतना कराया। 4 और यहोशू ने जो खतना कराया, इसका कारण यह है, कि जितने युद्ध के योग्य पुरूष मिस्र से निकले थे वे सब मिस्र से निकलने पर जंगल के मार्ग में मर गए थे। 5 जो पुरूष मिस्र से निकले थे उन सब का तो खतना हो चुका था, परन्तु जितने उनके मिस्र से निकलने पर जंगल के मार्ग में उत्पन्न हुए उन में से किसी का खतना न हुआ था। 6 क्योंकि इस्राएली तो चालीस वर्ष तक जंगल में फिरते रहे, जब तक उस सारी जाति के लोग, अर्थात जितने युद्ध के योग्य लोग मिस्र से निकले थे वे नाश न हो गए, क्योंकि उन्होंने यहोवा की न मानी थी; सो यहोवा ने शपथ खाकर उन से कहा था, कि जो देश मैं ने तुम्हारे पूर्वजों से शपथ खाकर तुम्हें देने को कहा था, और उस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, वह देश मैं तुम को नहीं दिखाने का। 7 तो उन लोगों के पुत्र जिन को यहोवा ने उनके स्थान पर उत्पन्न किया था, उनका खतना यहोशू से कराया, क्योंकि मार्ग में उनके खतना न होने के कारण वे खतनारहित थे। 8 और जब उस सारी जाति के लोगों का खतना हो चुका, तब वे चंगे हो जाने तक अपने अपने स्थान पर छावनी में रहे। 9 तब यहोवा ने यहोशू से कहा, तुम्हारी नामधराई जो मिस्रियों में हुई है उसे मैं ने आज दूर की है। इस कारण उस स्थान का नाम आज के दिन तक गिलगाल पड़ा है॥ 10 सो इस्राएली गिलगाल में डेरे डाले हुए रहे, और उन्होंने यरीहो के पास के अराबा में पूर्णमासी की सन्ध्या के समय फसह माना। 11 और फसह के दूसरे दिन वे उस देश की उपज में से अखमीरी रोटी और उसी दिन से भुना हुआ दाना भी खाने लगे। 12 और जिस दिन वे उस देश की उपज में से खाने लगे, उसी दिन बिहान को मन्ना बन्द हो गया; और इस्राएलियों को आगे फिर कभी मन्ना न मिला, परन्तु उस वर्ष उन्होंने कनान देश की उपज में से खाई॥ 13 जब यहोशू यरीहो के पास था तब उसने अपनी आंखें उठाई, और क्या देखा, कि हाथ में नंगी तलवार लिये हुए एक पुरूष साम्हने खड़ा है; और यहोशू ने उसके पास जा कर पूछा, क्या तू हमारी ओर का है, वा हमारे बैरियों की ओर का? 14 उसने उत्तर दिया, कि नहीं; मैं यहोवा की सेना का प्रधान हो कर अभी आया हूं। तब यहोशू ने पृथ्वी पर मुंह के बल गिरकर दण्डवत किया, और उस से कहा, अपने दास के लिये मेरे प्रभु की क्या आज्ञा है? 15 यहोवा की सेना के प्रधान ने यहोशू से कहा, अपनी जूती पांव से उतार डाल, क्योंकि जिस स्थान पर तू खड़ा है वह पवित्र है। तब यहोशू ने वैसा ही किया॥

अध्याय 6 1 और यरीहो के सब फाटक इस्राएलियों के डर के मारे लगातार बन्द रहे, और कोई बाहर भीतर आने जाने नहीं पाता था। 2 फिर यहोवा ने यहोशू से कहा, सुन, मैं यरीहो को उसके राजा और शूरवीरों समेत तेरे वश में कर देता हूं। 3 सो तुम में जितने योद्धा हैं नगर को घेर लें, और उस नगर के चारों ओर एक बार घूम आएं। और छ: दिन तक ऐसा ही किया करना। 4 और सात याजक सन्दूक के आगे आगे जुबली के सात नरसिंगे लिए हुए चलें; फिर सातवें दिन तुम नगर के चारों ओर सात बार घूमना, और याजक भी नरसिंगे फूंकते चलें। 5 और जब वे जुबली के नरसिंगे देर तक फूंकते रहें, तब सब लोग नरसिंगे का शब्द सुनते ही बड़ी ध्वनि से जयजयकार करें; तब नगर की शहरपनाह नेव से गिर जाएगी, और सब लोग अपने अपने साम्हने चढ़ जाएं। 6 सो नून के पुत्र यहोशू ने याजकों को बुलवाकर कहा, वाचा के सन्दूक को उठा लो, और सात याजक यहोवा के सन्दूक के आगे आगे जुबली के सात नरसिंगे लिए चलें। 7 फिर उसने लोगों से कहा, आगे बढ़कर नगर के चारों ओर घूम आओ; और हथियारबन्द पुरूष यहोवा के सन्दूक के आगे आगे चलें। 8 और जब यहोशू ये बातें लोगों से कह चुका, तो वे सात याजक जो यहोवा के साम्हने सात नरसिंगे लिये हुए थे नरसिंगे फूंकते हुए चले, और यहोवा की वाचा का सन्दूक उनके पीछे पीछे चला। 9 और हथियारबन्द पुरूष नरसिंगे फूंकने वाले याजकों के आगे आगे चले, और पीछे वाले सन्दूक के पीछे पीछे चले, और याजक नरसिंगे फूंकते हुए चले। 10 और यहोशू ने लोगों को आज्ञा दी, कि जब तक मैं तुम्हें जयजयकार करने की आज्ञा न दूं, तब तक जयजयकार न करो, और न तुम्हारा कोई शब्द सुनने में आए, न कोई बात तुम्हारे मुंह से निकलने पाए; आज्ञा पाते ही जयजयकार करना। 11 उसने यहोवा के सन्दूक को एक बार नगर के चारों ओर घुमवाया; तब वे छावनी में आए, और रात वहीं काटी॥ 12 बिहान को यहोशू सबेरे उठा, और याजकों ने यहोवा का सन्दूक उठा लिया। 13 और उन सात याजकों ने जुबली के सात नरसिंगे लिए और यहोवा के सन्दूक के आगे आगे फूंकते हुए चले; और उनके आगे हथियारबन्द पुरूष चले, और पीछे वाले यहोवा के सन्दूक के पीछे पीछे चले, और याजक नरसिंगे फूंकते चले गए। 14 इस प्रकार वे दूसरे दिन भी एक बार नगर के चारों ओर घूमकर छावनी में लौट आए। और इसी प्रकार उन्होंने छ: दिन तक किया। 15 फिर सातवें दिन वे भोर को बड़े तड़के उठ कर उसी रीति से नगर के चारों ओर सात बार घूम आए; केवल उसी दिन वे सात बार घूमे। 16 तब सातवीं बार जब याजक नरसिंगे फूंकते थे, तब यहोशू ने लोगों से कहा, जयजयकार करो; क्योंकि यहोवा ने यह नगर तुम्हें दे दिया है। 17 और नगर और जो कुछ उस में है यहोवा के लिये अर्पण की वस्तु ठहरेगी; केवल राहाब वेश्या और जितने उसके घर में होंवे जीवित छोड़े जाएंगे, क्योंकि उसने हमारे भेजे हुए दूतों को छिपा रखा था। 18 और तुम अर्पण की हुई वस्तुओं से सावधानी से अपने आप को अलग रखो, ऐसा न हो कि अर्पण की वस्तु ठहराकर पीछे उसी अर्पण की वस्तु में से कुछ ले लो, और इस प्रकार इस्राएली छावनी को भ्रष्ट करके उसे कष्ट में डाल दो। 19 सब चांदी, सोना, और जो पात्र पीतल और लोहे के हैं, वे यहोवा के लिये पवित्र हैं, और उसी के भण्डार में रखे जाएं। 20 तब लोगों ने जयजयकार किया, और याजक नरसिंगे फूंकते रहे। और जब लोगों ने नरसिंगे का शब्द सुना तो फिर बड़ी ही ध्वनि से उन्होंने जयजयकार किया, तब शहरपनाह नेव से गिर पड़ी, और लोग अपने अपने साम्हने से उस नगर में चढ़ गए, और नगर को ले लिया। 21 और क्या पुरूष, क्या स्त्री, क्या जवान, क्या बूढ़े, वरन बैल, भेड़-बकरी, गदहे, और जितने नगर में थे, उन सभों को उन्होंने अर्पण की वस्तु जानकर तलवार से मार डाला। 22 तब यहोशू ने उन दोनों पुरूषों से जो उस देश का भेद लेने गए थे कहा, अपनी शपथ के अनुसार उस वेश्या के घर में जा कर उसको और जो उसके पास हों उन्हें भी निकाल ले आओ। 23 तब वे दोनों जवान भेदिए भीतर जा कर राहाब को, और उसके माता-पिता, भाइयों, और सब को जो उसके यहां रहते थे, वरन उसके सब कुटुम्बियों को निकाल लाए, और इस्राएल की छावनी से बाहर बैठा दिया। 24 तब उन्होंने नगर को, और जो कुछ उस में था, सब को आग लगाकर फूंक दिया; केवल चांदी, सोना, और जो पात्र पीतल और लोहे के थे, उन को उन्होंने यहोवा के भवन के भण्डार में रख दिया। 25 और यहोशू ने राहाब वेश्या और उसके पिता के घराने को, वरन उसके सब लोगों को जीवित छोड़ दिया; और आज तक उसका वंश इस्राएलियों के बीच में रहता है, क्योंकि जो दूत यहोशू ने यरीहो के भेद लेने को भेजे थे उन को उसने छिपा रखा था। 26 फिर उसी समय यहोशू ने इस्राएलियों के सम्मुख शपथ रखी, और कहा, कि जो मनुष्य उठ कर इस नगर यरीहो को फिर से बनाए वह यहोवा की ओर से शापित हो। जब वह उसकी नेव डालेगा तब तो उसका जेठा पुत्र मरेगा, और जब वह उसके फाटक लगावाएगा तब उसका छोटा पुत्र मर जाएगा। 27 और यहोवा यहोशू के संग रहा; और यहोशू की कीर्ति उस सारे देश में फैल गई॥

प्रश्न-उत्तर

प्र 1 : यरदन को पार करने के बाद इस्राएलियों ने कहाँ डेरे डाले ?उ 1 : यरदन को पार करने के बाद इस्राएलियों ने यरीहो की समतल भूमि गिलगाल मे डेरे डाले।
प्र 2 : यरीहों शहर मे भेदिए कहाँ रहे ?उ 2 : यरीहों शहर मे भेदिए रहाब नाम एक स्त्री के यहाँ रहे।
प्र 3 : रहाब ने भेदिए की किस प्रकार सहायता की ?उ 3 : जब राजा को भेदिए की खबर मिली तब रहाब से उनके बारे मे पता लिया तब राहब ने राजा को उत्तर दिया कि वे पुरुष तो ज़रूर आये थे पर वह नहीं जानती कि वे लोग कहाँ से आये थे लेकिन जब अंधेरा होने और फाटक बंद होने लगे तब वे निकाल गये और यदि शीघ्रता से उनका पीछा करें तो उन्हे पकड़ सकते हैं। राहब ने भेदिए को अपने घर की छत पर सनई की लकड़ियों के नीचे छिपा दिया था । रहाब ने फिर उन भेदियों को रस्सी के सहारे खिड़की से नीचे शहर से बाहर उतार दिया ।
प्र 4 : भेदियों ने रहाब को क्या आश्वासन दिया?उ 4 : भेदियों ने रहाब को यह कहा कि अपने माता -पिता और भाई बहनों को अपने घर मे रखो और अपनी खिड़की मे एक लाल सूत की डोरी बांध देना जिस खिड़की से रहाब उन्हे नीचे उतारेंगी और यदि कोई रहाब के घर से बाहर निकलेगा तो उसके खून का दोष उसे के सिर पर पड़ेगा और भेदिये उत्तरदाई नहीं होंगें ।
प्र 5 : यहोशू के सामने कौन प्रकट हुआ?और क्यों हुआ ?उ 5 : यहोशू के सामने तलवार लेकर एक पुरुष प्रकट हुआ । वह इसलिये प्रकट हुआ क्योंकि वह यहोशऊ को आनेवाली युद्ध का सामना करने उसे प्रोत्सहन करना चाहता था ।
प्र 6 : उन्होंने यरीहों शहर को कैसे जीत लिया ?उ 6 : उन्होंने यरीहों शहर को इस प्रकार जीत कि उनमे जितने योद्धा थे उन्होंने नगर के चारों ओर घूम आये और ऐसे उन्होंने छ: दिन किया । सात याजक सन्दूक के आगे आगे जुबली के सात नरसिंगे लिये हुए चलते थे । सातवें दिन उन्होंने नगर के चारों तरफ सात चक्कर लगाए और याजक भी नरसिंगे फूकते चले। जब याजकों ने ज़ोर से नरसिंगे फूंके , तब लोगों ने बड़ी ही ध्वानि से जयजयकार किया और शहरपनाह गई पड़ी । लोग अपने अपने सामान्य चढ़ गये और नगर को ले लिया ।

संगीत

चक्कर काटो एक बार चक्कर काटो बार -बार सातवाँ दिन करो सात बार करो सात ललकार ।

गिर गई यरीहों की दीवार ढा दिया गया ग़ढ़वाला शहर मज़ाक के सामने नहीं हारो यारों मिलेगी जीत क्रूस सहकर ।