पाठ 15 : चट्टान से पानी
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सारांश
मरुभूमि में जीवन बहुत कठिन होता है |दिन में बहुत गर्मी और रात को बहुत ठंड होती है |वर्षा नहीं होती और पानी व हमारे पेड़ भी नहीं होते |जब वे रपीदीम में आए तब उन्हें पानी नहीं मिला |तुरंत ही इस्रएली कुड़कुड़ाने लगे |उन्होंने मूसा से कहा ,“हम पानी के बगैर कैसे जी सकते हैं ?हमें पीने के लिए पानी दो !“कुछ ही समय पहले परमेश्वर ने उनकी सभी आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए आश्चर्यकर्म किए थे,परन्तु अब वह सब कुछ भूल गए | लोगों का गुस्सा देखकर मूसा ने परमेश्वर को दोहाही दी ,“इन लोगों से में क्या करुँ ,ये सब मुझे पत्थरवाह करने को तैयार हैं |“परमेश्वर ने मूसा की विनती सुनी और कहा ,“इस्रएल के कुछ वृद्ध लोगों को साथ लो और अपनी छड़ी लो ,और होरेब पहाड़ पर जाकर उसकी चट्टान पर छड़ी से मारना ,तब उसमे से पानी निकले गा ,जिसे यह लोग पीएं |” मूसा ने परमेश्वर की आज्ञा मानी और चट्टान पर मारा |उसमे से इतना अधिक पानी निकला ,की मनुष्यों पशुओं के लिए काफी था |मूसा ने उस स्थान का नाम मस्सा और मरीबा रखा, जिसका अर्थ है “परीक्षा “| बहुत वर्षों के बाद जब जंगल की यात्रा समाप्त होने वाली थी ,तब वह कादेश आयें और वहाँ रहने लगे |फिर से ,वहाँ पानी नहीं मिला और फिर से लोगों ने शिकायत की |परमेश्वर के द्वारा आश्चर्यजनक रूप से उनकी आवश्यकतापूर्ति करने के बावज़ूद भी वे पहले ही तरह मूसा से झगड़ने लगे |यदपि मूसा नम्र और शहनशील पुरुष था ,फिर भी इस अवसर पर वह स्वयं पर काबू न रख सका ,और वह क्रोध में जल रहा था |मुसा और हारून परमेश्वर की उपस्थिति में गए और मुँह के बल गिरे ,और यहोबा का तेज उनको दिखाई दिया |परमेश्वर ने मूसा से कहा ,“अपनी लाठी ले ,और अपने भाई हारून समेत मंडली को इकट्ठा करके उनके देखते चट्टान से बातें कर ,तब वह अपना जल देगी ,इस प्रकार तू चट्टान में से उनके लिए जल निकलकर मंडली के लोगों और उनके पशुओं को पिला |“मूसा और हारून के साथ सभी इस्रएलीचट्टान के पास इकट्ठा हो गए |मूसा अभी भी गुस्से में था |परमेश्वर की आज्ञाअनुसार चट्टान से बातें करने के बजाय उसने लाठी से चट्टान पर एक नहीं ,दो बार मारा |चट्टान में से पानी फूट निकला और लोगों ने पीया |परन्तु परमेश्वर मूसा से अप्रसन्न हो गए क्योंकि मूसा ने चट्टान से बातें करने के बजाय उसे मारा इस अनाज्ञाकारिता का कारण क्रोध था !इसलिए परमेश्वर ने मूसा से कहा की वह वायदे के देश में प्रवेश नहीं कर पाएगा |
बाइबल अध्यन
निर्गमन 17:1-7 1 फिर इस्राएलियों की सारी मण्डली सीन नाम जंगल से निकल चली, और यहोवा के आज्ञानुसार कूच करके रपीदीम में अपने डेरे खड़े किए; और वहां उन लोगों को पीने का पानी न मिला। 2 इसलिये वे मूसा से वादविवाद करके कहने लगे, कि हमें पीने का पानी दे। मूसा ने उन से कहा, तुम मुझ से क्यों वादविवाद करते हो? और यहोवा की परीक्षा क्यों करते हो? 3 फिर वहां लोगों को पानी की प्यास लगी तब वे यह कहकर मूसा पर बुड़बुड़ाने लगे, कि तू हमें लड़के बालोंऔर पशुओं समेत प्यासों मार डालने के लिये मिस्र से क्यों ले आया है? 4 तब मूसा ने यहोवा की दोहाई दी, और कहा, इन लोगों से मैं क्या करूं? ये सब मुझे पत्थरवाह करने को तैयार हैं। 5 यहोवा ने मूसा से कहा, इस्राएल के वृद्ध लोगों में से कुछ को अपने साथ ले ले; और जिस लाठी से तू ने नील नदी पर मारा था, उसे अपने हाथ में ले कर लोगों के आगे बढ़ चल। 6 देख मैं तेरे आगे चलकर होरेब पहाड़ की एक चट्टान पर खड़ा रहूंगा; और तू उस चट्टान पर मारना, तब उस में से पानी निकलेगा जिससे ये लोग पीएं। तब मूसा ने इस्राएल के वृद्ध लोगों के देखते वैसा ही किया। 7 और मूसा ने उस स्थान का नाम मस्सा और मरीबा रखा, क्योंकि इस्राएलियों ने वहां वादविवाद किया था, और यहोवा की परीक्षा यह कहकर की, कि क्या यहोवा हमारे बीच है वा नहीं?
गिनती 20:1-13 1 पहिले महीने में सारी इस्त्राएली मण्डली के लोग सीनै नाम जंगल में आ गए, और कादेश में रहने लगे; और वहां मरियम मर गई, और वहीं उसको मिट्टी दी गई। 2 वहां मण्डली के लोगों के लिये पानी न मिला; सो वे मूसा और हारून के विरुद्ध इकट्ठे हुए। 3 और लोग यह कहकर मूसा से झगड़ने लगे, कि भला होता कि हम उस समय ही मर गए होते जब हमारे भाई यहोवा के साम्हने मर गए! 4 और तुम यहोवा की मण्डली को इस जंगल में क्यों ले आए हो, कि हम अपने पशुओं समेत यहां मर जाए? 5 और तुम ने हम को मिस्र से क्यों निकाल कर इस बुरे स्थान में पहुंचाया है? यहां तो बीज, वा अंजीर, वा दाखलता, वा अनार, कुछ नहीं है, यहां तक कि पीने को कुछ पानी भी नहीं है। 6 तब मूसा और हारून मण्डली के साम्हने से मिलापवाले तम्बू के द्वार पर जा कर अपने मुंह के बल गिरे। और यहोवा का तेज उन को दिखाई दिया। 7 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 8 उस लाठी को ले, और तू अपने भाई हारून समेत मण्डली को इकट्ठा करके उनके देखते उस चट्टान से बातें कर, तब वह अपना जल देगी; इस प्रकार से तू चट्टान में से उनके लिये जल निकाल कर मण्डली के लोगों और उनके पशुओं को पिला। 9 यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार मूसा ने उसके साम्हने से लाठी को ले लिया। 10 और मूसा और हारून ने मण्डली को उस चट्टान के साम्हने इकट्ठा किया, तब मूसा ने उससे कह, हे दंगा करनेवालो, सुनो; क्या हम को इस चट्टान में से तुम्हारे लिये जल निकालना होगा? 11 तब मूसा ने हाथ उठा कर लाठी चट्टान पर दो बार मारी; और उस में से बहुत पानी फूट निकला, और मण्डली के लोग अपने पशुओं समेत पीने लगे। 12 परन्तु मूसा और हारून से यहोवा ने कहा, तुम ने जो मुझ पर विश्वास नहीं किया, और मुझे इस्त्राएलियों की दृष्टि में पवित्र नहीं ठहराया, इसलिये तुम इस मण्डली को उस देश में पहुंचाने न पाओगे जिसे मैं ने उन्हें दिया है। 13 उस सोते का नाम मरीबा पड़ा, क्योंकि इस्त्राएलियों ने यहोवा से झगड़ा किया था, और वह उनके बीच पवित्र ठहराया गया॥
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : रपिदीम मे क्या गलत हुआ ?
उ 1 : रपिदीम मे पहुँचने पर इस्राएलियों को पानी नहीं मिला और वे कुड़कुड़ाने लगे और मूसा को पत्थरवाह करने को तैयार थे ।प्र 2 : तब मूसा ने क्या किया ?
उ 2 : तब मूसा ने परमेश्वर को दोहाई दी ।प्र 3 : चट्टान जिसे मारा गया वह किसकी तस्वीर है?
उ 3 : चट्टान जिसे मारा गया वह प्रभु यीशु मसीह की तसवीर है जिसे हमारे लिये क्रूस पर चढ़ाया गया ,एक बार हमेशा के लिये ताकि हमे जीवन का जल मिले।प्र 4 : कादेश मे ,चट्टान से क्या करने के लिये परमेश्वर ने मूसा को आज्ञा दी थी ?
उ 4 : कादेश मे , परमेश्वर ने मूसा से कहा था उसकी लाठी ,उसके भाई हारून समेत मंडली को इकट्ठा करके उनके देखते बातें कर तबतब वह जल देगीप्र 5 : मूसा का पाप क्या था ? उसको क्या सजा दी गई ?
उ 5 : मूसा का पाप परमेश की आज्ञा ना मानना था । चट्टान से बातें करने के बदले उसने दो बार चट्टान को मार क्योंकि मूसा गुस्से मे था। उसकी सजा यह थी कि वह वायदा किया हुआ देश मे प्रवेश नहीं कर पायेगा।