पाठ 10 : इस्राएल गुलामी में
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सारांश
फिर एक समय आया जब नया फिरौन मिस्र का राजा बना ,जो यूसुफ को नहीं जानता था | उसने देखा कि इस्राएल की संतान मिस्रीयों से भी अधिक संख्या में बढ़ रहे हैं ,और उसे इस बात का भय था कि वे मिस्रीयों को दबाकर उन पर शासन करने लगेंगे |उसने सोचा कि कड़ी मेहनत करवा कर उनकी संख्या को कम किया जा सकता है ,इसलिए फिरौन ने उन्हें विशाल शहर बनाने के कार्य में लगा दिया |उनसे क्रूरता की गई और भूखा रखकर मारा -पीटा गया ,फिर भी वह राष्ट्र बढ़ता ही गया |
तब फिरौन ने कहा की मिस्री धाईयाँ सभी इस्राएली लड़कों को पैदा होते ही मार डालें परंतु धाईयाँ ने ऐसा किया क्योंकि वे परमेश्वर का भय मानती थीं |उसके पश्चात फिरौन ने आज्ञा दी कि इस्रएल में पैदा होने वाले लड़कों को नील नदी में फेंक दिया जाए |
इस प्रकार इस्राएलियों का जीवन अत्यंत कष्टकारी हो गया |अपने नवजात शिशुओं की दशा के कारण रोते और कराहते रहे |परमेश्वर ने उनके रोने को सुना और उनके कराहने को जाना |परमेश्वर की दृष्टि उन पर थी ,और वे उनके छुटकारे की तैयारी कर रहे थे | जब हमारे ऊपर बड़ा क्लेश और दुख आता है , तब चाहते हैं की हम उनसे सहायता प्राप्त करें | परमेश्वर ने इब्राहीम से प्रतिज्ञा की थी कि वे कनान देश उनके वंशजों को देंगे |परमेश्वर ने याकूब और उसके पुत्रों को सदाकाल के लिए मिस्र नहीं भेजा था |परमेश्वर ने इब्राहीम से कहा था कि वे उनको वहाँ से निकालकर कनान ले जाएँगे | जब लोग सुख -सूविधा में जी रहे थे और उनके पास खाने -पीने को बहुतायत से था ,तब वे वहीं रहना चाहते थे ,परन्तु जब उन्होंने परमेश्वर की प्रतिज्ञा को स्मरण किया |फिर वे मिस्र से निकलकर उस स्थान को जाने के लिए सहमत हुए जो परमेश्वर ने उनके लिए तैयार किया था |
बाइबल अध्यन
निर्गमन अध्याय 1 1 इस्राएल के पुत्रों के नाम, जो अपने अपने घराने को ले कर याकूब के साथ मिस्र देश में आए, ये हैं: 2 अर्थात रूबेन, शिमोन, लेवी, यहूदा, 3 इस्साकार, जबूलून, बिन्यामीन, 4 दान, नप्ताली, गाद और आशेर। 5 और यूसुफ तो मिस्र में पहिले ही आ चुका था। याकूब के निज वंश में जो उत्पन्न हुए वे सब सत्तर प्राणी थे। 6 और यूसुफ, और उसके सब भाई, और उस पीढ़ी के सब लोग मर मिटे। 7 और इस्राएल की सन्तान फूलने फलने लगी; और वे अत्यन्त सामर्थी बनते चले गए; और इतना बढ़ गए कि कुल देश उन से भर गया॥ 8 मिस्र में एक नया राजा गद्दी पर बैठा जो यूसुफ को नहीं जानता था। 9 और उसने अपनी प्रजा से कहा, देखो, इस्राएली हम से गिनती और सामर्थ्य में अधिक बढ़ गए हैं। 10 इसलिये आओ, हम उनके साथ बुद्धिमानी से बर्ताव करें, कहीं ऐसा न हो कि जब वे बहुत बढ़ जाएं, और यदि संग्राम का समय आ पड़े, तो हमारे बैरियों से मिलकर हम से लड़ें और इस देश से निकल जाएं। 11 इसलिये उन्होंने उन पर बेगारी कराने वालों को नियुक्त किया कि वे उन पर भार डाल डालकर उन को दु:ख दिया करें; तब उन्होंने फिरौन के लिये पितोम और रामसेस नाम भण्डार वाले नगरों को बनाया। 12 पर ज्यों ज्यों वे उन को दु:ख देते गए त्यों त्यों वे बढ़ते और फैलते चले गए; इसलिये वे इस्राएलियों से अत्यन्त डर गए। 13 तौभी मिस्रियों ने इस्राएलियों से कठोरता के साथ सेवकाई करवाई। 14 और उनके जीवन को गारे, ईंट और खेती के भांति भांति के काम की कठिन सेवा से दु:खी कर डाला; जिस किसी काम में वे उन से सेवा करवाते थे उस में वे कठोरता का व्यवहार करते थे। 15 शिप्रा और पूआ नाम दो इब्री धाइयों को मिस्र के राजा ने आज्ञा दी, 16 कि जब तुम इब्री स्त्रियों को बच्चा उत्पन्न होने के समय जन्मने के पत्थरों पर बैठी देखो, तब यदि बेटा हो, तो उसे मार डालना; और बेटी हो, तो जीवित रहने देना। 17 परन्तु वे धाइयां परमेश्वर का भय मानती थीं, इसलिये मिस्र के राजा की आज्ञा न मानकर लड़कों को भी जीवित छोड़ देती थीं। 18 तब मिस्र के राजा ने उन को बुलवाकर पूछा, तुम जो लड़कों को जीवित छोड़ देती हो, तो ऐसा क्यों करती हो? 19 धाइयों ने फिरौन को उतर दिया, कि इब्री स्त्रियां मिस्री स्त्रियों के समान नहीं हैं; वे ऐसी फुर्तीली हैं कि धाइयों के पहुंचने से पहिले ही उन को बच्चा उत्पन्न हो जाता है। 20 इसलिये परमेश्वर ने धाइयों के साथ भलाई की; और वे लोग बढ़कर बहुत सामर्थी हो गए। 21 और धाइयां इसलिये कि वे परमेश्वर का भय मानती थीं उसने उनके घर बसाए। 22 तब फिरौन ने अपनी सारी प्रजा के लोगों को आज्ञा दी, कि इब्रियों के जितने बेटे उत्पन्न हों उन सभों को तुम नील नदी में डाल देना, और सब बेटियों को जीवित रख छोड़ना॥
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : फिरौन ने इस्राएल की संतानों को क्यों सताया ?
उ 1 : फिरौन ने इस्राएल की संतानों को इसलिये सताया क्योंकि वे मिस्रीओं से अधिक संख्या मे बढ़ रहे थे और फिरौन को इस बात को डर था कि वे मिस्रीओं को दबाकर उन पर शासन करेंगे ।प्र 2 : फिरौन ने उनके साथ क्या दुष्टता की ?
उ 2 : फिरौन ने उनके साथ यह दुष्टता की कि उसने मिस्री दाइयों से कहा सब इस्रायली लड़कों को पैदा होते ही मार डाले और फिरौन ने आज्ञा निकाली कि पैदा होने वाले लड़कों कोनील नदी मे फैंक दे ।प्र 3 : परमेश्वर ने अपने लोगों के सताव कि अनुमति क्यों दी ?
उ 3 : परमेश्वर ने अपने लोगों के सटाव की अनुमति इसलिये दी थी क्योंकि परमेश्वर उनके छुटकारे कि तैयारी कर रहे थे ?प्र 4 : इस पाठ से हम क्या आत्मिक शिक्षा प्राप्त करते हैं ?
उ 4 : इस पाठ से हम यह शिक्षा प्राप्त करते है कि जब हमारे ऊपर बड़ा क्लेश और दुख आते हैं तब हमे परमेश्वर से सहायता मागनी चाहिये ।
संगीत
suno sunore ye prem kahani kalvari ka katha hai biz sati purani soch ke dekho bar bar yehi hai na woh jawab ishwar tujhe dund kar aaya rahena nahi isse anjan.
pyar dundne walo pyar kya hai jano len den ko kabhi pyar nahi kaho na matlab ki dosthi ko dushmanon ke liye khud ko kurban kiya Kalvari ke pyar se hai kya koi uttam
Pathar dil ko chodo bano tum insan dharam ke jahar se aaj hi bhago milon door jath padh reethi riwaj mein se kartha ishar nafrat Bhar do charom tharah ishu ka divya prem Bulandhiyon ko choo ne do mera Hindustan
ko chahiye us pyara prem hai duniya mein isse yari na kaho
chakkar se raho tum azad
khol de zara ankh tera krus ko karibise dekho. ere liye kiya wow jhara ankh mem bhardo