पाठ 9 : एसाव और याकूब

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सारांश

आज हम दो भाईयों के चुनाव के विषय में देखेंगे जो उनके लिए निर्णायक था। हम इब्राहीम और इसहाक और परमेश्वर की उन्हें दी हुई प्रतिज्ञा के विषय में सीख चुके है कि परमेश्वर उनका एक बड़ा राष्ट्र बनाएगा। इसहाक ने बतूएल की बेटी रिबका से ब्याह किया। कई वर्षों तक उनकी कोई सन्तान नहीं थी। इसहाक ने परमेश्वर से प्रार्थना की और परमेश्वर ने उसकी सुनी और रिबका ने जुड़वे लड़कों को जन्म दिया। उनके जन्म से पहले ही परमेश्वर ने रिबका से कहा कि दोनों से एक-एक राष्ट्र उत्पन्न होगा परन्तु बड़े से छोटा बलवन्त होगा। उन दिनों में पहिलौठे को बाकी बेटों से अधिक सुविधाएं दी जाती थी। यह अधिकार जन्म अधिकार कहा जाता था। इसमें हिस्से का दुगना भाग और कईं सुविधाएं थी। पहले लड़के का शरीर लाल होने के कारण उसका नाम एसाव रखा गया। दूसरे का जन्म भी तुरन्त हुआ और वह अपने बड़े भाई की एड़ी पकड़े हुए था। उसका नाम याकूब रखा गया। जैसे लड़के बढ़ने लगे, एसाव एक होनहार शिकारी बना, परन्तु याकूब घर में रहना ही पसंद करता था। इसहाक अपने बड़े बेटे एसाव के स्वादिष्ट भोजन के कारण उस से प्रेम करता था, और रिबका याकूब से। एक दिन याकूब खीर बना रहा था, तब एसाव खेत में से थका हुआ और भूखा आया। उसने खीर खानी चाही और याकूब जो चालाक था इस मौके का फायदा उठाकर कुछ हासिल करना चाहता था जिस पर उसका मन लगा हुआ था। उसने एसाव से कहा, “क्या खीर के बदले तू अपने पहिलौठे का हक्क मुझे बेचेगा ? एसाव ने सोचा, “भूख के मारे मेरी जान जा रही है, पहिलौठे के अधिकार से मुझे क्या लाभ ” उसे अपने अधिकार और खीर में से एक को चुनना था। उसने खीर को चुना। याकूब ने एसाव को थोड़ी रोटी और खीर दी। एसाव खा पीकर चला गया। उस पर जो आशिषें और प्रतिज्ञाएं आनेवाली थी उनका विचार किए बगैर ही वह वहां से चला गया। याकूब चालाक था और उसने अपने भाई को फंसाया। कुछ समय बाद उसने अपने पिता को धोखा देकर आशीर्वाद हासिल किया। छल बुरी बात है। फिर भी हम इस काम में याकूब का परमेश्वर की प्रतिज्ञा के विषय मे विश्वास को देखते है। परमेश्वर विश्वास करनेवाले को हमेशा प्रतिफल देता है, और उसके वचन का पालन करनेवाले से प्रसन्न रहता है। याकूब ने की हुई गलती की सजा तो परमेश्वर को उसे देनी ही थी, परन्तु पहिलौठे का अधिकार उसे दे दिया। परमेश्वर ने उसके नाम को बदलकर इस्राएल रखा और वह प्रतिज्ञा के राष्ट्र का पिता हुआ।

बाइबल अध्यन

उत्पत्ति 25:19-34 19 इब्राहीम के पुत्र इसहाक की वंशावली यह है: इब्राहीम से इसहाक उत्पन्न हुआ। 20 और इसहाक ने चालीस वर्ष का हो कर रिबका को, जो पद्दनराम के वासी, अरामी बतूएल की बेटी, और अरामी लाबान की बहिन भी, ब्याह लिया। 21 इसहाक की पत्नी तो बांझ थी, सो उस ने उस के निमित्त यहोवा से बिनती की: और यहोवा ने उसकी बिनती सुनी, सो उसकी पत्नी रिबका गर्भवती हुई। 22 और लड़के उसके गर्भ में आपस में लिपट के एक दूसरे को मारने लगे: तब उसने कहा, मेरी जो ऐसी ही दशा रहेगी तो मैं क्योंकर जीवित रहूंगी? और वह यहोवा की इच्छा पूछने को गई। 23 तब यहोवा ने उससे कहा तेरे गर्भ में दो जातियां हैं, और तेरी कोख से निकलते ही दो राज्य के लोग अलग अलग होंगे, और एक राज्य के लोग दूसरे से अधिक सामर्थी होंगे और बड़ा बेटा छोटे के आधीन होगा। 24 जब उसके पुत्र उत्पन्न होने का समय आया, तब क्या प्रगट हुआ, कि उसके गर्भ में जुड़वें बालक हैं। 25 और पहिला जो उत्पन्न हुआ सो लाल निकला, और उसका सारा शरीर कम्बल के समान रोममय था; सो उसका नाम ऐसाव रखा गया। 26 पीछे उसका भाई अपने हाथ से ऐसाव की एड़ी पकड़े हुए उत्पन्न हुआ; और उसका नाम याकूब रखा गया। और जब रिबका ने उन को जन्म दिया तब इसहाक साठ वर्ष का था। 27 फिर वे लड़के बढ़ने लगे और ऐसाव तो वनवासी हो कर चतुर शिकार खेलने वाला हो गया, पर याकूब सीधा मनुष्य था, और तम्बुओं में रहा करता था। 28 और इसहाक तो ऐसाव के अहेर का मांस खाया करता था, इसलिये वह उससे प्रीति रखता था: पर रिबका याकूब से प्रीति रखती थी॥ 29 याकूब भोजन के लिये कुछ दाल पका रहा था: और ऐसाव मैदान से थका हुआ आया। 30 तब ऐसाव ने याकूब से कहा, वह जो लाल वस्तु है, उसी लाल वस्तु में से मुझे कुछ खिला, क्योंकि मैं थका हूं। इसी कारण उसका नाम एदोम भी पड़ा। 31 याकूब ने कहा, अपना पहिलौठे का अधिकार आज मेरे हाथ बेच दे। 32 ऐसाव ने कहा, देख, मैं तो अभी मरने पर हूं: सो पहिलौठे के अधिकार से मेरा क्या लाभ होगा? 33 याकूब ने कहा, मुझ से अभी शपथ खा: सो उसने उससे शपथ खाई: और अपना पहिलौठे का अधिकार याकूब के हाथ बेच डाला। 34 इस पर याकूब ने ऐसाव को रोटी और पकाई हुई मसूर की दाल दी; और उसने खाया पिया, तब उठ कर चला गया। यों ऐसाव ने अपना पहिलौठे का अधिकार तुच्छ जाना॥

प्रश्न-उत्तर

प्र 1 : इसहाक की पत्नी कौन थी ? वह किसकी बेटी थी ?उ 1 : इसहाक की पत्नी रिबका थी । वह बतूएल की बेटी थी।
प्र 2 : उसके पुत्रों के क्या नाम हैं ?उ 2 : इसहाक के पुत्रों के नाम : एसाव और याकूब ।
प्र 3 : एसाव ने अपने जन्मसिद्ध अधिकार को कैसे खोया ?उ 3 : एक दिन याकूब कुछ दल पका रहा था एसाव मैदान से भूखा थका हुआ आया । उसने याकूब से खाने के लिये दाल मांगी । याकूब चालाक था , उसने मौके का फायदा उठाया । उसने दाल के बदले मे एसाव से जनम सिद्ध अधिकार ले लिया । एसाव ने शपथ खाई और अपने पहिलौठा का अधिकार याकूब को बेच दिया।
प्र 4 : ' पहिलोठे का अधिकार ' का क्या अर्थ है ?उ 4 : " पहिलौठे का अधिकार" का अर्थ यह है कि पहिलौठे को अन्य पुत्रों की तुलना मे अधिक विशेष अधिकार प्राप्त होता है । उतराधिकार ,पैतृक संपती और अन्य अनेक बातों का दोगुना हिस्सा प्राप्त होगा ।
प्र 5 : हमें किस बात में याकूब की तरह होना चाहिए ?उ 5 : हमे परमेश्वर से आशीष पाने मे याकूब जैसा होना चाहिये ।

संगीत

सच बोलना, झूठ बोलना, तेरे हाथ में है अच्छा बनना, बुरा बनना, तेरे हाथ में है
पर याद रख, यीशु जल्दी जज करने आएगा और तब तुझे, कोई चांस नहीं मिल पाएगा तू चुन ले (8 ) यीशु को तू चुन ले आज ही तू चुन ले

आज गलती करके कल रो के क्या फायदा खाली में time waste करके क्या फायदा यीशु के साथ तुम bond strong करके उसके ही वचन को अपनी life तू बना के तू चुन ले (8 )