पाठ 6 : हनोक
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सारांश
हम हनोक के विषय में विचार करें जो आदम से सांतवी पीढ़ी का पुरुष था। आदम और हव्वा के बहुत बेटे बेटियां हुए। (उत्पति 5:4) परन्तु हाबिल की मृत्यु के बाद हव्वा को उसके बदले एक विशेष बेटा हुआ। उसका नाम शेत रखा गया। उसने परमेश्वर को प्रसन्न किया, और अपने बच्चों और नाती-पोतों को परमेश्वर की आराधना करनी सिखाई।उन दिनों में मनुष्य की आयु बहुत लंबी होती थी। इसलिए परिवार बड़े होते थे और संसार में लोग बड़ी तेजी से बढ़ने लगे।कैन की सन्तान भी उसी तेजी से बढ़े।जैसे कैन परमेश्वर की उपस्थिती से दुर चला गया था , उसके वंशज भी बुरे मार्गो में चलने लगे। हर प्रकार की दुष्टताऔर अपराध बढ़ गए। शेत के बाद पांचवी पीढ़ी में हनोक का जन्म शेत के वंशज में ही हुआ। उसने हाबील और शेत के समान परमेश्वर की आराधना की। परमेश्वर और हनोक के बीच गहरी संगती थी । हनोक परमेश्वर के साथ चला। इसका अर्थ है कि हनोक अपने पुरे मन से परमेश्वर के मार्ग में चलता था।पैसंठ वर्ष की आयु मे हनोक को बेटा हुआ। उस समय आदम की आयु छः सो सतासी वर्ष की थी। संभव है कि हनोक ने आदम से परमेश्वर की आज्ञाएं और संसार में पाप कैसे प्रवेश हुआ ? जाना होगा। परमेश्वर ने हनोक को प्रगट किया कि संसार का न्याय होगा। हनोक ने अपने बेटे का नाम मतूशेलह रखा जिसका अर्थ है, “जब वह मरेगा तब आएगा” यह नाम संसार पर आनेवाले न्याय का संकेत देता था। मतूशलेह की मृत्यु के पश्चात ही बाढ़ आयी। हनोक ने अंतिम न्याय की भी भविष्यद्धाणी की।(यहूदा 14,15) मतुशेलह के जन्म के बाद हनोक परमेश्वर के साथ तीन सौ वर्ष चला । जब दो मित्र साथ चलते हैं वे एक दूसरे से बातें करते है। वे अकसर एक ही मार्ग का उपयोग करते है और थोड़े समय के बाद उनकी भावनाएं एक जैसी हो जाती है। यदि हम परमेश्वर के साथ चलेंगे तो उसके वचन के द्वारा उसकी बातों को सुनेंगे। हम प्रार्थना के द्वारा उस से अपनी बात कहेंगे और आत्मिक रुप में उसकी समानता में बदलते जाएंगे। तब, जो हमे देखेंगे वे जानेंगे कि हम परमेश्वर की सन्तान है। बच्चे अकसर अपने माता पिता के समान दिखते है।एक दिन जब हनोक परमेश्वर के साथ चलता था, परमेश्वर ने अपने मित्र हनोक को स्वर्ग पर उठा लिया। जिस तरह हनोक को बिना मृत्यु के स्वर्ग पर उठा लिया गया, प्रभु यीशु पर विश्वास करनेवाले जो प्रभु के आगमन के समय जीवित रहेंगे, वे भी पल भर में बदलकर प्रभु के पास उठाए जाएंगे।
बाइबल अध्यन
उत्पत्ति 5:18-27 18 जब येरेद एक सौ बासठ वर्ष का हुआ, जब उसने हनोक को जन्म दिया। 19 और हनोक के जन्म के पश्चात येरेद आठ सौ वर्ष जीवित रहा, और उसके और भी बेटे बेटियां उत्पन्न हुई। 20 और येरेद की कुल अवस्था नौ सौ बासठ वर्ष की हुई: तत्पश्चात वह मर गया। 21 जब हनोक पैंसठ वर्ष का हुआ, तब उसने मतूशेलह को जन्म दिया। 22 और मतूशेलह के जन्म के पश्चात हनोक तीन सौ वर्ष तक परमेश्वर के साथ साथ चलता रहा, और उसके और भी बेटे बेटियां उत्पन्न हुईं। 23 और हनोक की कुल अवस्था तीन सौ पैंसठ वर्ष की हुई। 24 और हनोक परमेश्वर के साथ साथ चलता था; फिर वह लोप हो गया क्योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया। 25 जब मतूशेलह एक सौ सत्तासी वर्ष का हुआ, तब उसने लेमेक को जन्म दिया। 26 और लेमेक के जन्म के पश्चात मतूशेलह सात सौ बयासी वर्ष जीवित रहा, और उसके और भी बेटे बेटियां उत्पन्न हुईं। 27 और मतूशेलह की कुल अवस्था नौ सौ उनहत्तर वर्ष की हुई: तत्पश्चात वह मर गया॥
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : आदम से हनोक तक कितनी पीढ़ी हुई ?
उ 1 : आदम से हनोक तक सात पीढ़ी हुई ।प्र 2 : हनोक का जन्म किसके परिवार में हुआ ?
उ 2 :हनोक का जनम सेत के परिवार मे हुआ ।प्र 3 : हनोक के पुत्र का क्या नाम है ?और उसका क्या अर्थ है ?
उ 3 : हनोक के पुत्र का नाम मेतुशेलह था और उसका अर्थ है कि "उसकी मृत्यु पर आयेगा "प्र 4 : हनोक कितने वर्ष का था , जब परमेश्वर ने उसे उठा लिया ?
उ 4 : हनोक तीन सौ पैसठ वर्ष का था जब परमेश्वर ने उसे उठा लिया ।प्र 5 : हनोक को क्या आशीष मिली ?
उ 5 : हनोक को यह आशीष मिली कि मृत्यु को चखे बिना शरीर स्वर्ग उठा लिया गया ।
संगीत
प्रभु की स्तुति करना महान है (3) चलना प्रभु की ज्योति में चलो -चलो-चलो -चलो ज्योति में (3)
प्रभु की सेवा करना महान है (3) चलना प्रभु ज्योति में ।
प्रभु से प्रेम करना महान है (3) चलना प्रभु ज्योति में ।
प्रभु का वचन पढ़ना महान है (3) चलना प्रभु की ज्योति में ।