पाठ 37 : धनी व्यक्ति और लाजर
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सारांश
हम देख चुके हैं कि प्रभु यीशु अकसर लोगों को दृष्टान्तों के द्वारा सिखाते थे। एक बार उन्होंने दो अलग प्रकार के लोगों की कहानी सुनाई। एक बहुत धनी व्यक्ति था। उसके पास सब कुछ अच्छा था, एक बडा घर, अच्छे कपडे और स्वादिष्ट भोजन। वह परमेश्वर के विषय में विचार नहीं करता था। उसे तो ये भी याद नहीं था कि उसे मृत्यु के साथ ये सब छोड के जाना होगा। वह जीवन का आनन्द लेता रहा।
दूसरा व्यक्ति लाजर था, एक गरीब भिखारी था। वह बिमार था और उसके सारे शरीर पर घाव हुए थे। वह धनी व्यक्ति के घर के फाटक पर इस उम्मीद में पडा रहता था कि धनवान के घर से खाना खाने के बाद कुछ बचा हुआ फेंका जाए जिसे वह खा सके ।कुत्ते उसके घाव चाटा करते थे। ऐसा लगता था कि वे ही उसके मित्र है।
हम देखते हैं कि इस संसार में लाजर के पास कुछ न होते हुए भी उसे परमेश्वर पर विश्वास और स्वर्गिय जीवन की आशा थी। एक दिन वह मर गया। वही उसके दुखो का अन्त था। स्वर्गदतू आकर उसे पिता इब्राहिम के पास ले गए, जहां आनन्द और शान्ति है। कुछ समय के बाद धनी व्यक्ति भी मर गया और उसे बडी परम्परा के साथ दफनाया गया। उसने अपने आप को पीडा के स्थान में पाया। वह आग में तडप रहा था ।उसे इतनी प्यास लगी थी की वो एक बुन्द पानी के लिए तरस रहा था ।उसने ऊपर देखा तो उसे इब्राहिम की गोद में लाजर दिखाई दिया। उसने पुकारकर कहा, ”हे पिता इब्राहिम, मुझ पर तरस खा और लाजर को मेरे पास उंगली का सिरा भिगोकर भेज ताकि मेरी जीभ ठंडी हो सके, क्योंकि मै इस आग में तडप रहा हूँ परन्तु इब्राहिम ने उसे उतर देते हुए कहा, ” बेटे याद कर कि संसार में तुने सारी अच्छी वस्तुओं का लाभ उठाया जबकि लाजर ने दुख उठाया था, परन्तु अब वह आराम पा रहा है और तु पीडा उठा रहा है। और इसको छोड तुम्हारे और हमारे बीच इतना बडी खाई है जिसे पार करना संभव नहीं है।“
तब धनी व्यक्ति को अपने भाईयों के विषय में विचार आया जो जीवित थे। उसने सोचा कि वे भी तो सुखविलास में जीवन को बिता रहे हैं और वे भी यहीं भेजे जाएंगे ।े फिर उसने इब्राहिम से कहा, ” पिता इब्राहिम क्या आप लाजर को पृथ्वी पर मेरे भाईयों के पास भेजगें े कि वो मेरे भाईयों को यहां न आने की चेतावनी दे सके क्यों क यदि मुर्दों मे से जीकर कोई उन्हे समझाए तो वे उसकी मान लेंगे । “ इब्राहिम ने कहा कि ये तो असंभव है। उसने धनी व्यक्ति से कहा, ”उनके पास मूसा और नबियों की किताबे है जो चिताते हैं कि पाप मनुष्यों को मृत्यु और अनन्त विनाश की ओर ले जाते है। यदि वे मूसा और नबियों की बातों पर विश्वास नहीं करते, तो कोई मुर्दों मे से जी भी उठे तो वे विश्वास नहीं करेंगे ।
यह कहानी हमे सिखाती है हमे क्षमा प्राप्त करने के लिए पापों से पश्चताप करना चाहिए। मरे हुओं की प्रार्थना न तो सुनी जाएगी और न ही परमेश्वर उनके लिए की गई प्रार्थना सुनगें ।े
बाइबल अध्यन
लूका 16:19-31 19 एक धनवान मनुष्य था जो बैंजनी कपड़े और मलमल पहिनता और प्रति दिन सुख-विलास और धूम-धाम के साथ रहता था। 20 और लाजर नाम का एक कंगाल घावों से भरा हुआ उस की डेवढ़ी पर छोड़ दिया जाता था। 21 और वह चाहता था, कि धनवान की मेज पर की जूठन से अपना पेट भरे; वरन कुत्ते भी आकर उसके घावों को चाटते थे। 22 और ऐसा हुआ कि वह कंगाल मर गया, और स्वर्गदूतों ने उसे लेकर इब्राहीम की गोद में पहुंचाया; और वह धनवान भी मरा; और गाड़ा गया। 23 और अधोलोक में उस ने पीड़ा में पड़े हुए अपनी आंखें उठाई, और दूर से इब्राहीम की गोद में लाजर को देखा। 24 और उस ने पुकार कर कहा, हे पिता इब्राहीम, मुझ पर दया करके लाजर को भेज दे, ताकि वह अपनी उंगुली का सिरा पानी में भिगो कर मेरी जीभ को ठंडी करे, क्योंकि मैं इस ज्वाला में तड़प रहा हूं। 25 परन्तु इब्राहीम ने कहा; हे पुत्र स्मरण कर, कि तू अपने जीवन में अच्छी वस्तुएं ले चुका है, और वैसे ही लाजर बुरी वस्तुएं: परन्तु अब वह यहां शान्ति पा रहा है, और तू तड़प रहा है। 26 और इन सब बातों को छोड़ हमारे और तुम्हारे बीच एक भारी गड़हा ठहराया गया है कि जो यहां से उस पार तुम्हारे पास जाना चाहें, वे न जा सकें, और न कोई वहां से इस पार हमारे पास आ सके। 27 उस ने कहा; तो हे पिता मैं तुझ से बिनती करता हूं, कि तू उसे मेरे पिता के घर भेज। 28 क्योंकि मेरे पांच भाई हैं, वह उन के साम्हने इन बातों की गवाही दे, ऐसा न हो कि वे भी इस पीड़ा की जगह में आएं। 29 इब्राहीम ने उस से कहा, उन के पास तो मूसा और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकें हैं, वे उन की सुनें। 30 उस ने कहा; नहीं, हे पिता इब्राहीम; पर यदि कोई मरे हुओं में से उन के पास जाए, तो वे मन फिराएंगे। 31 उस ने उस से कहा, कि जब वे मूसा और भविष्यद्वक्ताओं की नहीं सुनते, तो यदि मरे हुओं में से कोई भी जी उठे तौभी उस की नहीं मानेंगे॥
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : धनवान मनुष्य ने कैसे जीवन व्यतीत किया ?
उ 1 : धनवान मनुष्य ने अच्छी तरह से जीवन व्यतीत किया था । उसके पास सब कुछ था जैसे बड़ा घर, अच्छे कपड़े और खाने के लिया उत्तम भोजन। 8प्र 2 : लाजर कौन था ? वह कहाँ रहता था ?
उ 2 : लाज़र एक भिखारी था जो धनवान की डेवढ़ी पर पडा रहता था ।प्र 3 : लाजर अपनी मृत्यु के पश्चात कहाँ गया ?
उ 3 : लजार अपनी मृत्यु के पश्चात अब्राहम के गोद मे गया ।प्र 4 : धनवान मनुष्य अपनी मृत्यु के पश्चात कहाँ गया ?
उ 4 : धनवान मनुष्य अपनी मृत्यु के पश्चात अधोलोक मे गया ।प्र 5 : उसने इब्राहीम से क्या विनती की ?
उ 5 : धनवान ने इब्राहीम से यह बिनती की कि उस पर दया करके लाजर को भेज कि वह अपनी उँगली का सिरा पानी मे डुबाकर उसकी जीभ को ठंडी करे।प्र 6 : उस धनवान को क्या उत्तर मिला ?
उ 6 : उस धनवान को इब्राहीम से यह उत्तर मिल कि जैसे उसने जीवन मे अच्छी वस्तुएं ले चुका है वैसे लाज़र ने बुरी वस्तुएं परंतु अब लाज़र इधर शांति प रहा है और वह तड़प रहा है अब हमारे बीच मे भारी गड़हा है कि यहाँ से कोई वहाँ नहीं जा सकता और न वहाँ से कोई यहाँ आ सकता है ।प्र 7 : यह पाठ हमें क्या सिखाता है ?
उ 7 : । यह पाठ हमें यह सिखाता है कि हमे पश्चाताप करना चाहिए ताकि हमारे पाप क्षमा हो सकें क्योंकि मृतक व्यक्ति के लिये कि गई प्रार्थना यां किसी मृतक कि प्रार्थना परमेश्वर नहीं सुनते।
संगीत
छोटी छोटी जीवन गाड़ी हाथ से नहीं बनती है, दूर दूर वह जाती है, कैसी अद्भुत गाड़ी है (2) 1 दो स्टेशन होते हैं, स्वर्ग और नरक बोलते हैं, मार्ग जो स्वर्ग को जाता है, बाइबल में वह मिलता है 2 इंजन ड्राइवर यीशु नहीं है, तो गाड़ी बेशक रुकती है, मौत की घंटी बजती है, तभी गाड़ी रुकती है 3 क्या लाभ है लोगों को, आत्मा यदि नष्ट हो, सारी दौलत मिथ्या है, केवल यीशु सत्य है