पाठ 33 : पाँच रोटी और दो मछलियाँ
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सारांश
हम पहले ही देख चुके है कि हजारो लोग प्रभु का पीछा किया करते थे। वे उसके द्वारा किए गए आश्चर्य कामों को देखते और उसके अनुगह्र के वचन सुनना चाहते थे। एक दिन वह अपने चेलों को गलील के नाव मे झील के पार बेतसैदा को ले गया। वे पहाड पर गए और वहां प्रभु यीशु ने बडी भीड को आते देखा तो उसे तरस आगया और वह उन्हे शिक्षा देने लगा। तब शाम हो चुकी थी। तब चेलों ने प्रभु से कहा कि लोगों को करीब के गावों मे भेज दे ताकि उन्हे कुछ खाने की वस्तुएं मिल जाए। प्रभु ने उनसे कहा, ”उन्हे जाने की अवश्यक्ता नहीं है, तुम उन्हे भोजन दो“ यह सुनकर फिलिप्पुस ने कहा, ”दो सौ दीनार की रोटी (आठ महिनों की मजदुरी) उनके लिए पूरी भी न होंगी , कि उनमे से हर एक को थोडी थोडी मिल जाए।“ तब प्रभु ने पूछा, ”तुम्हारे पास कितनी रोटियां है? जाकर देखो।“ अन्द्रियास ने कहा, यहां एक लडके के पास पांच जव की रोटी और दो मछलियां है। यीशु ने कहा, मेरे पास लाओ।उसने अपने चेलों से कहा कि लोगों को पचास पचास की पांती करके घास पर बिठाया जाए। तब प्रभु ने स्वर्ग की ओर देखकर रोटी और मछलियों को आशिषीत किया। यीशु ने रोटीं और मछलियों को तोडकर चेलों को दी कि लोगों को परोस।ें वहां स्त्रियां और बच्चों को छोड करीब पांच हजार पुरुष थे। वे सब खाकर तृप्त हुए। तब उसने अपने चेलों से कहा, ”बचे हुए टुकडे बटोर लो कि कुछ फेंके ना जाए । “ तब उन्हों ने बची हुई रोटियां उठाई जिस से बारह टोकरियां भर गई।परमेश्वर ने
उनके पास जो थेडा था उसी का उपयोग किया। यदि हम अपना जो कुछ है प्रभु को दें तो वह उसे लेकर बढाएगा और उसे हमारी भलाई और हमे तृप्त करने और अपनी महिमा के लिए हमे लौटा देगा।
बाइबल अध्यन
यूहन्ना 6:5-14 5 तब यीशु ने अपनी आंखे उठाकर एक बड़ी भीड़ को अपने पास आते देखा, और फिलेप्पुस से कहा, कि हम इन के भोजन के लिये कहां से रोटी मोल लाएं? 6 परन्तु उस ने यह बात उसे परखने के लिये कही; क्योंकि वह आप जानता था कि मैं क्या करूंगा। 7 फिलेप्पुस ने उस को उत्तर दिया, कि दो सौ दीनार की रोटी उन के लिये पूरी भी न होंगी कि उन में से हर एक को थोड़ी थोड़ी मिल जाए। 8 उसके चेलों में से शमौन पतरस के भाई अन्द्रियास ने उस से कहा। 9 यहां एक लड़का है जिस के पास जव की पांच रोटी और दो मछिलयां हैं परन्तु इतने लोगों के लिये वे क्या हैं? 10 यीशु ने कहा, कि लोगों को बैठा दो। उस जगह बहुत घास थी: तब वे लोग जो गिनती में लगभग पांच हजार के थे, बैठ गए: 11 तब यीशु ने रोटियां लीं, और धन्यवाद करके बैठने वालों को बांट दी: और वैसे ही मछिलयों में से जितनी वे चाहते थे बांट दिया। 12 जब वे खाकर तृप्त हो गए तो उस ने अपने चेलों से कहा, कि बचे हुए टुकड़े बटोर लो, कि कुछ फेंका न जाए। 13 सो उन्होंने बटोरा, और जव की पांच रोटियों के टुकड़े जो खाने वालों से बच रहे थे उन की बारह टोकिरयां भरीं। 14 तब जो आश्चर्य कर्म उस ने कर दिखाया उसे वे लोग देखकर कहने लगे; कि वह भविष्यद्वक्ता जो जगत में आनेवाला था निश्चय यही है।
मत्ती 14:13-21 13 जब यीशु ने यह सुना, तो नाव पर चढ़कर वहां से किसी सुनसान जगह एकान्त में चला गया; और लोग यह सुनकर नगर नगर से पैदल उसके पीछे हो लिए। 14 उस ने निकलकर बड़ी भीड़ देखी; और उन पर तरस खाया; और उस ने उन के बीमारों को चंगा किया। 15 जब सांझ हुई, तो उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा; यह तो सुनसान जगह है और देर हो रही है, लोगों को विदा किया जाए कि वे बस्तियों में जाकर अपने लिये भोजन मोल लें। 16 यीशु ने उन से कहा उन का जाना आवश्यक नहीं! तुम ही इन्हें खाने को दो। 17 उन्होंने उस से कहा; यहां हमारे पास पांच रोटी और दो मछिलयों को छोड़ और कुछ नहीं है। 18 उस ने कहा, उन को यहां मेरे पास ले आओ। 19 तब उस ने लोगों को घास पर बैठने को कहा, और उन पांच रोटियों और दो मछिलयों को लिया; और स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया और रोटियां तोड़ तोड़कर चेलों को दीं, और चेलों ने लोगों को। 20 और सब खाकर तृप्त हो गए, और उन्होंने बचे हुए टुकड़ों से भरी हुई बारह टोकिरयां उठाईं। 21 और खाने वाले स्त्रियों और बालकों को छोड़कर पांच हजार पुरूषों के अटकल थे॥
मरकुस 6:31-44 31 उस ने उन से कहा; तुम आप अलग किसी जंगली स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो; क्योंकि बहुत लोग आते जाते थे, और उन्हें खाने का अवसर भी नहीं मिलता था। 32 इसलिये वे नाव पर चढ़कर, सुनसान जगह में अलग चले गए। 33 और बहुतों ने उन्हें जाते देखकर पहिचान लिया, और सब नगरों से इकट्ठे होकर वहां पैदल दौड़े और उन से पहिले जा पहुंचे। 34 उस ने निकलकर बड़ी भीड़ देखी, और उन पर तरस खाया, क्योंकि वे उन भेड़ों के समान थे, जिन का कोई रखवाला न हो; और वह उन्हें बहुत सी बातें सिखाने लगा। 35 जब दिन बहुत ढल गया, तो उसके चेले उसके पास आकर कहने लगे; यह सुनसान जगह है, और दिन बहुत ढल गया है। 36 उन्हें विदा कर, कि चारों ओर के गांवों और बस्तियों में जाकर, अपने लिये कुछ खाने को मोल लें। 37 उस ने उन्हें उत्तर दिया; कि तुम ही उन्हें खाने को दो: उन्हों ने उस से कहा; क्या हम सौ दीनार की रोटियां मोल लें, और उन्हें खिलाएं? 38 उस ने उन से कहा; जाकर देखो तुम्हारे पास कितनी रोटियां हैं? उन्होंने मालूम करके कहा; पांच और दो मछली भी। 39 तब उस ने उन्हें आज्ञा दी, कि सब को हरी घास पर पांति पांति से बैठा दो। 40 वे सौ सौ और पचास पचास करके पांति पांति बैठ गए। 41 और उस ने उन पांच रोटियों को और दो मछिलयों को लिया, और स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया और रोटियां तोड़ तोड़ कर चेलों को देता गया, कि वे लोगों को परोसें, और वे दो मछिलयां भी उन सब में बांट दीं। 42 और सब खाकर तृप्त हो गए। 43 और उन्होंने टुकडों से बारह टोकिरयां भर कर उठाई, और कुछ मछिलयों से भी। 44 जिन्हों ने रोटियां खाईं, वे पांच हजार पुरूष थे॥
लूका 9:11-17 11 यह जानकर भीड़ उसके पीछे हो ली: और वह आनन्द के साथ उन से मिला, और उन से परमेश्वर के राज्य की बातें करने लगा: और जो चंगे होना चाहते थे, उन्हें चंगा किया। 12 जब दिन ढलने लगा, तो बारहों ने आकर उससे कहा, भीड़ को विदा कर, कि चारों ओर के गावों और बस्तियों में जाकर टिकें, और भोजन का उपाय करें, क्योंकि हम यहां सुनसान जगह में हैं। 13 उस ने उन से कहा, तुम ही उन्हें खाने को दो: उन्होंने कहा, हमारे पास पांच रोटियां और दो मछली को छोड़ और कुछ नहीं: परन्तु हां, यदि हम जाकर इन सब लोगों के लिये भोजन मोल लें, तो हो सकता है: वे लोग तो पांच हजार पुरूषों के लगभग थे। 14 तब उस ने अपने चेलों से कहा, उन्हें पचास पचास करके पांति में बैठा दो। 15 उन्होंने ऐसा ही किया, और सब को बैठा दिया। 16 तब उस ने वे पांच रोटियां और दो मछली लीं, और स्वर्ग की और देखकर धन्यवाद किया, और तोड़ तोड़कर चेलों को देता गया, कि लोगों को परोसें। 17 सो सब खाकर तृप्त हुए, और बचे हुए टुकड़ों से बारह टोकरी भरकर उठाईं॥
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : प्रभु यीशु के पीछे भीड़ क्यों चलती थी ?
उ 1 :प्रभु यीशु के पीछे इसलिये भीड़ चलती थी क्योंकि वे प्रभु के आश्चर्यकर्मों को देखते और उनके वचनों को सुनना चाहते थे ।प्र 2 : शाम के समय चेलों ने प्रभु से क्या कहा ?
उ 2 :शाम के समय चेलों ने प्रभु से यह कहा कि भीड़ को विदा कर ,कि आस पास के गावों मे जाकर अपने भोजन का उपाय करे ।प्र 3 : प्रभु ने उनसे क्या करने को कहा ?
उ 3 : प्रभु ने उनसे कहा कि भीड़ को जाने कि आवश्यकता नहीं है पर चले हि उनको खाने को दे ।प्र 4 : उस छोटे लड़के के पास कितनी रोटियाँ थीं ,उसने उनका क्या किया ?
उ 4 : उस छोटे लड़के के पास पाँच रोटियाँ थी उसे वह प्रभु के पास ले आया ।प्र 5 : प्रभु यीशु ने रोटियों और मछलियों का क्या किया ?
उ 5 : प्रभु यीशु ने रोटियाँ और मछलियों हाथ मे लीं और स्वर्ग कि ओर देखकर धन्यवाद किया और तोड़-तोड़ कर चालों को देता गया ,कि लोगों को परोसे ।प्र 6 : बचे हुए टुकड़ों से कितने टोकरे भरे ?
उ 6 : बचे हुए टुकड़ों से बारह टोलरियाँ भारी ।
संगीत
पांच थी रोटी, मछलियां दो खिलाया पांच हजारों को पंक्ति-पंक्ति में बैठे जो खाना परोसा लोगो को थी बाराह टोकरियां बच गई जो महिमा प्रभु की दिखाने को ।
छोटे झुंड, डरना नहीं वो प्रसन्न है तुम्हें, राज्य देने को बड़े बड़े काम करोगे जो खुद को उसके हाथ में सौंप दो तुम दुनिया के छोर तक, गवाह बनो महिमा प्रभु की फैलाने को।