पाठ 26 : प्रभु यीशु का जन्म
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सारांश
परमेश्वर स्वर्ग में है और हम देख नहीं सकते । परमेश्वर ने अपने बेटे को संसार में बालक के रूप मे भेजा । बहुत समय पहले परमेश्वर ने इब्राहिम से कहा था कि उसका परिवार सारे जगत के लोगों के लिए आशिष का कारण होगा। सदियों बाद परमेश्वर ने इब्राहिम के वंश दाउद को प्रतिज्ञा दी कि उसके बेटों मे से एक सर्वदा का राजा ठहरेगा। परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहलाया कि बैतलहम में महान परमेश्वर कहलानेवाला एक बालक जन्म लेंगे । (यशा 9:6) ( मिका 5:2 )आने वाले इस राजा के विषय में बहुत कुछ कहा गया था, और लोग उसके आगमन की बाट जो रहे थे। उसे भविष्यद्वक्ता ‘‘अभिषिक्त या’’(मसीह) भी कहते थे । जब सही समय आया परमेश्वर ने नासरत की एक कुंवारी जिसका नाम मरियम था, उसे “मसीहा " की मॉ होने के लिए चुना। मरियम की मंगनी यूसुफ नाम एक बढ़ई से हुई थी। इसलिए परमेश्वर ने अपने दूत जिब्राईल को उनके पास परमेश्वर की योजना समझाने के लिए भेजा। जिब्राईल मरियम को दर्शन देकर उसे बताया कि परमेश्वर ने उसके लिए बड़ा आशिष रखा है। वो उद्धारकर्ता की मॉ चुनी गई थी। मरियम ने कहा, ” आप के कहने के अनुसार ही हो “ तब स्वर्गदतू उसके पास से चला गया। फिर जिब्राईल यूसुफ को ये कहने के लिए कि मरियम का पहला बेटा प्रतिज्ञा किया हुआ उद्धारकर्ता होगा उसके सामने प्रगट हुआ। यूसुफ और मरियम दोनो दाऊद के घराने के थे। स्वर्गदतू ने यूसुफ को कहा कि बालक का नाम यीशु रखा जाए। जिसका अर्थ है उद्धारकर्ता!
बाइबल अध्यन
लूका 1:26-38 26 छठवें महीने में परमेश्वर की ओर से जिब्राईल स्वर्गदूत गलील के नासरत नगर में एक कुंवारी के पास भेजा गया। 27 जिस की मंगनी यूसुफ नाम दाऊद के घराने के एक पुरूष से हुई थी: उस कुंवारी का नाम मरियम था। 28 और स्वर्गदूत ने उसके पास भीतर आकर कहा; आनन्द और जय तेरी हो, जिस पर ईश्वर का अनुग्रह हुआ है, प्रभु तेरे साथ है। 29 वह उस वचन से बहुत घबरा गई, और सोचने लगी, कि यह किस प्रकार का अभिवादन है? 30 स्वर्गदूत ने उस से कहा, हे मरियम; भयभीत न हो, क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह तुझ पर हुआ है। 31 और देख, तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्पन्न होगा; तू उसका नाम यीशु रखना। 32 वह महान होगा; और परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा; और प्रभु परमेश्वर उसके पिता दाऊद का सिंहासन उस को देगा। 33 और वह याकूब के घराने पर सदा राज्य करेगा; और उसके राज्य का अन्त न होगा। 34 मरियम ने स्वर्गदूत से कहा, यह क्योंकर होगा? मैं तो पुरूष को जानती ही नहीं। 35 स्वर्गदूत ने उस को उत्तर दिया; कि पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ तुझ पर छाया करेगी इसलिये वह पवित्र जो उत्पन्न होनेवाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा। 36 और देख, और तेरी कुटुम्बिनी इलीशिबा के भी बुढ़ापे में पुत्र होनेवाला है, यह उसका, जो बांझ कहलाती थी छठवां महीना है। 37 क्योंकि जो वचन परमेश्वर की ओर से होता है वह प्रभावरिहत नहीं होता। 38 मरियम ने कहा, देख, मैं प्रभु की दासी हूं, मुझे तेरे वचन के अनुसार हो: तब स्वर्गदूत उसके पास से चला गया॥
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : प्रभु यीशु के जन्म से पहले कौन से वायदे दिए गए थे ?
उ 1 : प्रभु यीशु के जन्म से पहले बहुत वायदे दिये गये थे वे यह हैं । (1) परमेश्वर ने इब्राहीम के वशज दाऊद से वायदा किया कि उसके पुत्रों मे से एक सदाकाल का राजा होगा । (2) परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ता से कहलवाया कि "एक बालक" जो "पराक्रमी परमेश्वर " है वह बेतलेहेम मे उत्पन्न होगा । (3) भविष्यद्वक्तायों ने उस राजा को " अभिषिक्त" और "मसीहा" भी कहा है ।प्र 2 : मरियम के सामने कौन प्रकट हुआ ? उसने मरियम से क्या कहा ?
उ 2 : मारियम के सामने स्वर्गदूत जिब्राईल प्रकट हुआ । उसने मारियम से कहा कि परमेश्वर का अनुग्रह उस पर हुआ है और वह उद्धारकर्ता -मसीहा की माता होने के लिये चुना है ।प्र 3 : मरियम ने जिब्राईल को क्या उत्तर दिया ?
उ 3 : मारियम ने जिब्राईल को यह उत्तर दिया कि उसे स्वर्गदूत जिब्राईल के कहे हुए वचन के अनुसार हो ।प्र 4 : उद्धारकर्ता के जन्म स्थान के विषय में भविष्यद्वक्ता ने क्या कहा था ?
उ 4 : परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ता से कहलवाया कि "एक बालक" जो "पराक्रमी परमेश्वर " है वह बेतलेहेम मे उत्पन्न होगा ।प्र 5 : जिब्राईल ने यूसुफ से क्या कहा ?
उ 5 : जिब्राईल ने यूसुफ से कहा कि बालक का नाम " यीशु " रखना जिसका अर्थ है उद्धारकर्ता ।
संगीत
उद्धारकर्ता जन्मा, दाऊद की नगरी चरवाहों को मिली यह, बड़ी खुशखबरी।
फरिश्तों ने सुनाया, आनंद का समाचार कपड़े में लिपटा है, चरनी में तारणहार
दूतों का दल गाते, परमेश्वर की स्तुति जिनसे वह है प्रसन्न, उनको मिले शांति।