पाठ 23 : आग की भट्टी में तीन पुरुष

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सारांश

नबूकदनेस्सर बाबुल का महान राजा था। इस्राएलियों ने परमेश्वर की आज्ञाओं को नहीं माना इसलिए परमेश्वर ने नबूकदनेस्सर को उनसे युद्ध करने भेजा। उसने युद्ध जीता और बड़ी संख्या में लोगों को मार डाला। फिर वह कुछ लड़को को अपने देश बाबुल में गुलाम बनाकर ले गया। बाबुल के निवासी मुर्तिपूजक थे। उन गुलामों में यहूदा गोत्र से कुछ जवान लड़के थे जिन्होंने ये ठान लिया था कि वे केवल प्रभु परमेश्वर की ही आराधना करेंगे। वे बुद्धिमान, सुन्दर और स्वस्थ थे। सो ऐसा हुआ कि राजा ने उन्हे अपनी सरकार में अधिकारी बना दिया। कुछ समय के बाद नबुकदनेस्सर ने सोने की एक बड़ी मूरत बनवाई और उसे बाबुल के प्रान्त में दूरा नाम मैदान में रखवाया। फिर राजा ने सारे देश में ऐलान करवाया कि जब बाजा बजाया जाए तब हर एक उस मूरत को गिरकर दण्डवत करे। जो कोई उसको दण्डवत न करे उसे धधकती हुई भट्टी में डाला जाएगा। यहूदा से लाए गए तीन युवक जो केवल जीवित परमेश्वर की आराधना करते थे, उनके नाम शद्रक, मेशक और अबेदनगो रखे गए। उन्हों ने राजा की आज्ञा के विषय में जाना परन्तु उन्हे कोई चिन्ता नहीं हूई। जब बाजा बजने लगा, सारे लोगों ने गिरकर मूरत को दण्डवत किया। केवल तीन युवकों ने ऐसा नहीं किया। क्या आप जानते हैं कि वे कौन थे? शद्रक, मेशक और अबेदनगो। उनको राजा के सामने लाया गया। नबूकदनेस्सर क्रोध से भड़क गया। वह इन तीनों पर क्रोधित हुआ और उनके प्रति उसका व्यवहार बदल गया। नबूकदनेस्सर ने उन से कहा, “शद्ररक, मेशक और अबेदनेगों क्या ये सच है कि तुम मेरे देवता की उपासना नहीं करते और न ही मेरी बनाई हुई सोने की मूरत को दण्डवत करते हो?” मै तुम्हें एक और मौका दूंगा। यदि तुम फिर भी मेरी मूरत को दण्डवत नहीं करोगे तो धधकती आग में डाले जाओगे। तब वह कौन ईश्वर है जो तुम्हे मेरे हाथ से बचा सकता है? जवान पुरुषों ने राजा से कहा, “हे नबूकदनेस्सर, इस बात में हमें तेरे सामने कोई सफाई देने की जरुरत नहीं है। यदि हमें आग की भट्टी में डाला जाए, तो जिस परमेश्वर की हम सेवा करते हैं वह हमे बचा सकता है, और हे राजा वह हमे तेरे हाथ से भी बचाएगा। और यदि वह हमे न भी बचाए तो जान लीजिए कि हम तेरे सोने की मूरत के सामने दण्डवत नहीं करेंगे” राजा ने आग को सात गुणा और तेज किए जाने की आज्ञा दी औेर सेना के सब से बलवन्त सैनिकों को कहा कि शद्रक, मेशक और अबेदनगों को बान्धकर आग में डाल दो। राजा की आज्ञा से आग का तापमान इतना अधिक तेज किया गया था कि जो उन्हे भटृटे में फेंकने गए थे वे जलकर मर गए। तब एक विचित्र घटना घटी। नबूकदनेस्सर आश्चर्यचकित होकर अपने पैरों पर खड़ा हो गया, और चिल्लाकर कहने लगा, “क्या हम ने तीन पुरुषों को बान्धकर नहीं फेंका था? परन्तु मैं आग में चार लोगों को खुले और बिना कोई हानि के टहलते देख रहा हुं और चौथे का रूप मनुष्य के पुत्र के समान है।” तब राजा ने करीब जाकर पुकारकर कहा, “हे परम प्रधान परमेश्वर के सेवको, शद्रक, मेशक और अबेदनगो बाहर आओ! बाहर आओ।” वे बाहर निकल आए। तब अधिपति, हाकिम, गवर्नर और मन्त्रियों ने इन पुरुषों को देखा जिनको आग कुछ न कर सकी। और न उनके बाल झुलसे और न उन पर आग की गन्ध पाई गई। तब नबूकदनेस्सर ने कहा! “धन्य है , शद्रक, मेशक और अबेदनगों का परमेश्वर जिन्हों ने दूसरे देवता की आराधना करने से आग में जलना अच्छा समझा । कोई उनके परमेश्वर के खिलाफ कुछ न कहे, क्योंकि ऐसा और कोई ईश्वर नहीं जो इस रीति से अपने लोगों को बचा सके।” राजा नबूकदनेस्सर ने इन युवकों को अपने सरकार में बड़ा पद देकर उनका आदर किया। हमारे जीवन में ऐसी परिस्थिती आ सकती है जब हमें लगे कि परमेश्वर की आज्ञा मानना कठिन है। परन्तु यदि हम पूरे मन से परमेश्वर पर विश्वास करें तो वह हमें पार लगाएगा। कड़ी समस्याओं में भी वह हमारी रक्षा करने, ढाढस देने और आशिशित करने में हमारे संग रहेगा।

बाइबल अध्यन

दानिय्येल 3:1-30 1 नबूकदनेस्सर राजा ने सोने की एक मूरत बनवाई, जिनकी ऊंचाई साठ हाथ, और चौड़ाई छ: हाथ की थी। और उसने उसको बाबुल के प्रान्त के दूरा नाम मैदान में खड़ा कराया। 2 तब नबूकदनेस्सर राजा ने अधिपतियों, हाकिमों, गवर्नरों, जजों, खजांनचियों, न्यायियों, शास्त्रियों, आदि प्रान्त-प्रान्त के सब अधिकारियों को बुलवा भेजा कि वे उस मूरत की प्रतिष्ठा में आएं जो उसने खड़ी कराई थी। 3 तब अधिपति, हाकिम, गर्वनर, जज, खजांनची, न्यायी, शास्त्री आदि प्रान्त-प्रान्त के सब अधिकारी नबूकदनेस्सर राजा की खड़ी कराई हुई मूरत की प्रतिष्ठा के लिये इकट्ठे हुए, और उस मूरत के साम्हने खड़े हुए। 4 तब ढिंढोरिये ने ऊंचे शब्द से पुकार कर कहा, हे देश-देश और जाति-जाति के लोगों, और भिन्न भिन्न भाषा बोलने वालो, तुम को यह आज्ञा सुनाई जाती है कि, 5 जिस समय तुम नरसिंगे, बांसुली, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई आदि सब प्रकार के बाजों का शब्द सुनो, तुम उसी समय गिर कर नबूकदनेस्सर राजा की खड़ी कराई हुए सोने की मूरत को दण्डवत करो। 6 और जो कोई गिरकर दण्डवत न करेगा वह उसी घड़ी धधकते हुए भट्ठे के बीच में डाल दिया जाएगा। 7 इस कारण उस समय ज्योंही सब जाति के लोगों को नरसिंगे, बांसुली, वीणा, सारंगी, सितार शहनाई आदि सब प्रकार के बाजों का शब्द सुन पड़ा, त्योंही देश-देश और जाति-जाति के लोगों और भिन्न-भिन्न भाषा बोलने वालों ने गिर कर उस सोने की मूरत को जो नबूकदनेस्सर राजा ने खड़ी कराई थी, दण्डवत की॥ 8 उसी समय कई एक कसदी पुरूष राजा के पास गए, और कपट से यहूदियों की चुगली खाई। 9 वे नबुकदनेस्सर राजा से कहने लगे, हे राजा, तू चिरंजीव रहे। 10 हे राजा, तू ने तो यह आज्ञा दी है कि जो मनुष्य नरसिंगे, बांसुली, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई आदि सब प्रकार के बाजों का शब्द सुने, वह गिर कर उस सोने की मूरत को दण्डवत करे; 11 और जो कोई गिर कर दण्डवत न करे वह धधकते हुए भट्ठे के बीच में डाल दिया जाए। 12 देख, शद्रक, मेशक, और अबेदनगो नाम कुछ यहूदी पुरूष हैं, जिन्हें तू ने बाबुल के प्रान्त के कार्य के ऊपर नियुक्त किया है। उन पुरूषों ने, हे राजा, तेरी आज्ञा की कुछ चिन्ता नहीं की; वे तेरे देवता की उपासना नहीं करते, और जो सोने की मूरत तू ने खड़ी कराई है, उसको दण्डवत नहीं करते॥ 13 तब नबूकदनेस्सर ने रोष और जलजलाहट में आकर आज्ञा दी कि शद्रक मेशक और अबेदनगो को लाओ। तब वे पुरूष राजा के साम्हने हाजिर किए गए। 14 नबूकदनेस्सर ने उन से पूछा, हे शद्रक, मेशक और अबेदनगो, तुम लोग जो मेरे देवता की उपासना नहीं करते, और मेरी खड़ी कराई हुई सोने की मूरत को दण्डवत नहीं करते, सो क्या तुम जान बूझकर ऐसा करते हो? 15 यदि तुम अभी तैयार हो, कि जब नरसिंगे, बांसुली, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई आदि सब प्रकार के बाजों का शब्द सुनो, और उसी क्षण गिर कर मेरी बनवाई हुई मूरत को दण्डवत करो, तो बचोगे; और यदि तुम दण्डवत ने करो तो इसी घड़ी धधकते हुए भट्ठे के बीच में डाले जाओगे; फिर ऐसा कौन देवता है, जो तुम को मेरे हाथ से छुड़ा सके? 16 शद्रक, मेशक और अबेदनगो ने राजा से कहा, हे नबूकदनेस्सर, इस विषय में तुझे उत्तर देने का हमें कुछ प्रयोजन नहीं जान पड़ता। 17 हमारा परमेश्वर, जिसकी हम उपासना करते हैं वह हम को उस धधकते हुए भट्टे की आग से बचाने की शक्ति रखता है; वरन हे राजा, वह हमें तेरे हाथ से भी छुड़ा सकता है। 18 परन्तु, यदि नहीं, तो हे राजा तुझे मालूम हो, कि हम लोग तेरे देवता की उपासना नहीं करेंगे, और न तेरी खड़ी कराई हुई सोने की मूरत को दण्डवत करेंगे॥ 19 तब नबूकदनेस्सर झुंझला उठा, और उसके चेहरे का रंग शद्रक, मेशक और अबेदनगो की ओर बदल गया। और उसने आज्ञा दी कि भट्ठे को सातगुणा अधिक धधका दो। 20 फिर अपनी सेना में के कई एक बलवान् पुरूषों को उसने आज्ञा दी, कि शद्रक, मेशक और अबेदनगो को बान्धकर उन्हें धधकते हुए भट्ठे में डाल दो। 21 तब वे पुरूष अपने मोजों, अंगरखों, बागों और और वस्त्रों सहित बान्धकर, उस धधकते हुए भट्ठे में डाल दिए गए। 22 वह भट्ठा तो राजा की दृढ़ आज्ञा होने के कारण अत्यन्त धधकाया गया था, इस कारण जिन पुरूषों ने शद्रक, मेशक और अबेदनगो को उठाया वे ही आग की आंच से जल मरे। 23 और उसी धधकते हुए भट्ठे के बीच ये तीनों पुरूष, शद्रक, मेशक और अबेदनगो, बन्धे हुए फेंक दिए गए॥ 24 तब नबूकदनेस्सरे राजा अचम्भित हुआ और घबरा कर उठ खड़ा हुआ। और अपने मन्त्रियों से पूछने लगा, क्या हम ने उस आग के बीच तीन ही पुरूष बन्धे हुए नहीं डलवाए? उन्होंने राजा को उत्तर दिया, हां राजा, सच बात तो है। 25 फिर उसने कहा, अब मैं देखता हूं कि चार पुरूष आग के बीच खुले हुए टहल रहे हैं, और उन को कुछ भी हानि नहीं पहुंची; और चौथे पुरूष का स्वरूप ईश्वर के पुत्र के सदृश्य है॥ 26 फिर नबूकदनेस्सर उस धधकते हुए भट्ठे के द्वार के पास जा कर कहने लगा, हे शद्रक, मेशक और अबेदनगो, हे परमप्रधान परमेश्वर के दासो, निकल कर यहां आओ! यह सुन कर शद्रक, मेशक और अबेदनगो आग के बीच से निकल आए। 27 जब अधिपति, हाकिम, गर्वनर और राजा के मन्त्रियों ने, जो इकट्ठे हुए थे, उन पुरूषों की ओर देखा, तब उनकी देह में आग का कुछ भी प्रभाव नहीं पाया; और उनके सिर का एक बाल भी न झुलसा, न उनके मोजे कुछ बिगड़े, न उन में जलने की कुछ गन्ध पाई गई। 28 नबूकदनेस्सर कहने लगा, धन्य है शद्रक, मेशक और अबेदनगो का परमेश्वर, जिसने अपना दूत भेज कर अपने इन दासों को इसलिये बचाया, क्योंकि इन्होंने राजा की आज्ञा न मान कर, उसी पर भरोसा रखा, और यह सोच कर अपना शरीर भी अर्पण किया, कि हम अपने परमेश्वर को छोड़, किसी देवता की उपासना वा दण्डवत न करेंगे। 29 इसलिये अब मैं यह आज्ञा देता हूं कि देश-देश और जाति-जाति के लोगों, और भिन्न-भिन्न भाषा बोलने वालों में से जो कोई शद्रक, मेशक और अबेदनगो के परमेश्वर की कुछ निन्दा करेगा, वह टुकड़े टुकड़े किया जाएगा, और उसका घर घूरा बनाया जाएगा; क्योंकि ऐसा कोई और देवता नहीं जो इस रीति से बचा सके। 30 तब राजा ने बाबुल के प्रान्त में शद्रक, मेशक, अबेदनगो का पद और ऊंचा किया॥

प्रश्न-उत्तर

प्र 1 : परमेश्वर ने अपने लोगों को नबूकदनेस्सर की गुलामी में क्यों जाने दिया ?उ 1 : परमेश्वर ने अपने लोगों को गुलामी मे इसलिये जाने दिया क्योंकि उन्होंने परमेश्वर की आज्ञा का पालन नहीं किया।
प्र 2 : राजा ने सोने की मूर्ति की स्थापना कहाँ पर की ? और उसने लोगों को क्या आज्ञा दी ?उ 2 : राजा ने सोने की मूर्ती की स्थापना बाबुल प्रांत के दूरा नामक मैदान मे की । राजा ने लोगों को यह आज्ञा दि थी कि जब वे सब प्रकार के बाजों का शब्द सुने तब वे सब उसी समय गिरकर राजा की खड़ी कराई हुई सोने के मूरत को दंडवत करे । जो कोई गिर कर दंडवत नहीं करेगा उसे उसी व्यक्त धधकते हुए भट्ठे के बीच मे डाल दिया जायेगा ।
प्र 3 : किन तीन युवकों ने राजा की आज्ञा का पालन करने से इन्कार किया ?उ 3 : शद्रक, मेशक और अबेदनगो जो यहूदी थे उन्होंने राजा की आज्ञा का पालन करने से इनकार किया ।
प्र 4 : उन्होंने राजा से क्या कहा ?उ 4 : उन्होंने राजा से कहा कि उनका परमेश्वर जिनकी वे उपासना करते है वह उनको उस धधकते हुए भट्ठे की आग से बचाने की शक्ती रखता है , वरन उन्हे राजा के हाथ से भी बचा सकता है । परंतु यदि नहीं तौभी वे राजा की देवता का उपासना नहीं करेंगे और न राजा के द्वारा खड़ी की गई सोने कि मूरत को दंडवत करंगे ।
प्र 5 : उन बलवान पुरुषों के साथ क्या हुआ, जिन्होंने इन तीन युवकों को धधकते हुए भट्ठे में डाला ?उ 5 : जिन बलवान पुरुषों ने उन तीन युवकों को धधकते हुए भट्ठे मे डाला वे स्वयं ही आग की आंच से जलकर मर गये ।
प्र 6 : धधकते हुए भट्ठे के भीतर कौन सा आश्चर्यकर्म हुआ ?उ 6 : धधकते हुए भट्ठेके बीच यह आश्चर्यकर्म हुआ कि राजा ने तीन युवकों को डाले थे लकिन राजा को आग के बीच मे चार पुरुष दिखाई दिये जो खुले हुए टहल रहे थे और चौथा पुरुष ईश्वर के पुत्र का सादृश्य था।

संगीत

चाहे कितनी मुश्किल हो चाहे कितना संघर्ष हो दोस्त चाहे साथ दे या खिलाफ चाहे मौत की छाया में होकर जाना भी पड़े ।

को :मैं पीछे नहीं हटूँगा यूं कभी नहीं झुकूँगा लोगों के ताने से नहीं डरूँगा हर चनौती को सेवा के मौके में बदल डालूँगा ।

शद्रक जैसे विश्वास रखूँगा मेशक जैसे हिम्मत दिखाऊँगा अबेदनगो जैसे जरूर जीतूँगा भट्ठी की आग में भी यीशु की संगति पाऊँगा ।