पाठ 16 : मारा और एलिम
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सारांश
मरुभूमि के सफर के दरम्यिान इस्राएलियों के छावनी किए हुए दो जगहों के विषय में हम सीखेंगे। उन्हों ने लाल समुद्र के तट से आगे बढकर मरुभूमि में अपनी यात्रा आरम्भ की। मरुभूमि की यात्रा बहुत कठिन होती है। अकसर गर्मी बहुत अधिक होती है, और पानी मिलना कठिन होता है। तीन दिनों तक इस्राएलियों को पानी नहीं मिला। वे काफी प्यासे हालत में मारा नामक जगह पहुंचे। अंत में उनको पानी मिल गया। लोग फूर्ति से पानी पीने गये परन्तु उनको निराशा हाथ लगी। वह पानी कड़वा था, मारा का अर्थ है! कड़वा। लोग थके और प्यासे थे। वे मूसा के विरुद्ध कुड़कुड़ाने लगे। उन्हों ने मूसा से पूछा! “हम क्या पीऐंगे?” मूसा ने परमेश्वर से प्रार्थना की और परमेश्वर ने उसकी सुन ली। परमेश्वर ने मूसा को एक पेड़ दिखाया, जब मूसा ने पेड़ को काटकर पानी में फेंका तो पानी मीठा हो गया।परमेश्वर इस्राएलियों को एक सबक सिखा रहा था। वह मरुभूमि में भी उनकी जरुरतों को पूरी करनेवाला था। यदि वे उस पर विश्वास करें तो वह उनके दुखों को भीआनन्द में बदलनेवाला था। उस स्थान में परमेश्वर ने उन्हे एक आदेश दिया। परमेश्वर ने कहा कि यदि वे उसके वचनों का पालन करेंगे तो वह उन्हे मिस्र की विपत्तियों से बचाए रखेगा। परमेश्वर ने उन्हे ये कहकर तसल्ली दी कि, “मै चंगा करनेवाला परमेश्वर हूं ” इस्राएलियों ने अपनी यात्रा जारी रखकर एलीम को पहुंचे। वह एक सुन्दर उद्यान था, जहां बहुत पानी था। वहां उनको बारह झरने और सत्तर खजूर के पेड़ मिले। उन्होंने वहीं छवनी डाली। प्रभु हमारा चरवाहा है, वह हमें हरी चराइयों में चराता और सुखदायी जल के पास ले चलता है।
बाइबल अध्यन
निर्गमन 15:22-27 22 तब मूसा इस्राएलियों को लाल समुद्र से आगे ले गया, और वे शूर नाम जंगल में आए; और जंगल में जाते हुए तीन दिन तक पानी का सोता न मिला। 23 फिर मारा नाम एक स्थान पर पहुंचे, वहां का पानी खारा था, उसे वे न पी सके; इस कारण उस स्थान का नाम मारा पड़ा। 24 तब वे यह कहकर मूसा के विरुद्ध बकझक करने लगे, कि हम क्या पीएं? 25 तब मूसा ने यहोवा की दोहाई दी, और यहोवा ने उसे एक पौधा बतला दिया, जिसे जब उसने पानी में डाला, तब वह पानी मीठा हो गया। वहीं यहोवा ने उनके लिये एक विधि और नियम बनाया, और वहीं उसने यह कहकर उनकी परीक्षा की, 26 कि यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा का वचन तन मन से सुने, और जो उसकी दृष्टि में ठीक है वही करे, और उसकी आज्ञाओं पर कान लगाए, और उसकी सब विधियों को माने, तो जितने रोग मैं ने मिस्रियों पर भेजा है उन में से एक भी तुझ पर न भेजूंगा; क्योंकि मैं तुम्हारा चंगा करने वाला यहोवा हूं॥ 27 तब वे एलीम को आए, जहां पानी के बारह सोते और सत्तर खजूर के पेड़ थे; और वहां उन्होंने जल के पास डेरे खड़े किए॥
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : लाल समुद्र पार करने के पश्चात इस्राएलियों को पानी कहाँ मिला ?
उ 1 : लाल समुद्र पर करने के पश्चात इस्राएलियों को पानी मारा मे मिला ।प्र 2 : वहाँ पर क्या समस्या थी ?
उ 2 : वहाँ की समस्या यह थी कि वहाँ का पानी खारा था ।प्र 3 : लोगों ने क्या किया ?
उ 3 : लोगों ने मूसा के विरुद्ध बुड़बुड़ाया ।प्र 4 :मूसा ने क्या किया ?
उ 4 : मूसा ने परमेश्वर से प्रार्थना की ।प्र 5 : परमेश्वर ने मूसा को जो पौधा दिखाया, वह क्या दर्शाता है ?
उ 5 : परमेश्वर ने मूसा को जो पौधा दिखाया वह प्रभु यीशू मसीह को दर्शाता है ।प्र 6 : 'एलीम' से हम क्या पाठ सीखते हैं ?
उ 6 : एलीम से हम यह पाठ सीखते है कि यहोवा हमारा चरवाहा है जो हमे हरी चराईयों और सुखड़ाई जल के झरने के पास ले चलता है ।
संगीत
मारा रफीदीम में आओगे लेकिन यीशु पर पूरा भरोसा धरो , वहीं ले जाएगा वही बचाएगा वायदा कभी उसका टलता नहीं
आनन्द से भरकर जायेंगे हम सब गाते हुए सियोन की तरफ ।