पाठ 15 : लाल समुन्द्र को पार करना
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सारांश
परमेश्वर ने मिस्र देश में नौ विपत्तियों को भेजा। फिर भी फिरौन ने इस्राएलियों को भेजने से इनकार किया। अन्त में परमेश्वर ने मध्य रात्रि को मृत्यु के दूत को भेजा और मिस्रियों के हर घर का पहलौठा को मार दिया। परमेश्वर ने मूसा से कहा कि वह क्या करनेवाला है। परमेश्वर ने कहा, “मै आज रात मिस्र से होकर गुजरुंगा, और मिस्रियों के पहलौठों को क्या पुरुष क्या पशु को मारुंगा। और मैं मिस्रियों के देवताओं का न्याय करुंगा। ” इस्राएलियों को मेम्ने को वध करके उसके लहू को दरवाजे के चौखटों पर लगाने का आदेश दिया गया। उन्हें ये भी कहा गया कि वे सुबह तक अपने घरों के बाहर न निकले। जब नाश करनेवाला दूत आए तो वह दरवाजों पर लगा हुआ लहू देखकर उस घर को छोड़ चला जाएगा और इस तरह उनके पहलौठे बच जाएंगे। उस रात परमेश्वर के दूत ने मिस्र के देश के सभी पहलौठें को मार डाला, फिरौन के घर के पहलौठे से लेकर बन्दियों के पहलौठें तक और पशुओं के पहलौठे भी। फिरौन और उसके सारे कर्मचारी और सारे मिस्री उसी रात उठे; और उस रात मिस्र में भयंकर रोना हुआ क्योंकि एक भी ऐसा घर नहीं था जहां कोई मरा न हो। फिरौन और सारे मिस्रियों ने इस्राएलियों को अपने देश से फूर्ति से भेंट देकर निकाला। वे इस्राएलियों से छुटकारा पाना चाहते थे। परमेश्वर इस्राएलियों के आगे आगे बादल के खम्भे में होकर उनका मार्गदर्शन कर रहा था। दिन में बादल उन्हें सूर्य के तेज से बचाता और रात्रि के समय तेजोमय होकर आग के समान रोशनी देता। परमेश्वर लोगों को लाल समुद्र के तट तक ले गया और उन्होंने वहीं छावनी डाली। दूसरे दिन फिरौन ने अपना मन बदलकर कहा! हम ने इस्राएलियों को क्यो जाने दिया? अब हमारी सेवा कौन करेगा? फिरौन मिस्र की सेना, रथ, घुड़सवार, और सेनापतियों को लेकर इस्राएलियों के पीछे निकल पड़ा। लाल समुद्र के पास छावनी लगाए हुए इस्राएली ने फिरौन और उसकी सेना को आते देखकर घबरा गए। वे परमेश्वर को पुकारने लगे और मूसा के विरुद्ध यह कहते हुए कुड़कुड़ाने लगे कि तू हमे यहां क्यों ले आया? इस मरुभूमि में मरने से तो अच्छा होता कि हम मिस्रियों की सेवा ही करते! परन्तु मूसा को परमेश्वर पर भरोसा था। उसने उन से कहा, “डरो मत! शान्त रहकर देखो कि परमेश्वर क्या करता है। परमेश्वर तुम्हारे लिए लड़ेगा, और तुम आज के बाद इन मिस्रियों को फिर कभी न देखोगे। ” परमेश्वर ने मूसा से कहा, “लोगों को आगे बढ़ने का आदेश दे, और तू अपनी लाठी समुद्र के उपर बढ़ा और उसके बीच मे लोगों को जाने के लिए रास्ता बना।” तब बादल का खम्बा हटकर पीछे चला गया और इस्राएली और उनके शत्रुओं के बीच खड़ा हुआ। मूसा ने अपनी लाठी को समुद्र की ओर बढ़ाया और परमेश्वर ने पुरवाई चलवाकर समुद्र के जल को दो भाग में बांट दिया। दोनो तरफ पानी दीवार बनकर खड़ा हुआ और इस्राएली सूखी भूमि पर चलकर पार हुए। आग के खम्भे का प्रकाश पाकर वे रात भर चलते रहे और सुरक्षित पार चले गए। बादल की दूसरी ओर अन्धकार छाया हुआ था इसलिए मिस्री कुछ देख नहीं पा रहे थे। उन्हों ने इस्राएलियों का पीछा करने का प्रयत्न किया पर परेशान और निराश हुए। उनके रथों के पहिये बालू मे फंसकर बाहर निकल गए। इस्राएली समुद्र के दूसरी ओर पहुंचे तो मूसा ने अपनी लाठी को जल की ओर बढ़ाया और पानी फिर मिल गया और फिरौन की सेना उसमें डूबकर नाश हुई। इस्राएलियों ने देखा कि परमेश्वर ने कैसे अद्धभुत कार्य करके उनकी रक्षा की थी। वे परमेश्वर की स्तुति गाने लगे। स्त्रियों ने भी मूसा की बहन मरियम का परमेश्वर का गुणगाण करने में साथ दिया। इतिहास में कभी भी परमेश्वर की सामर्थ और प्रभुता को विजय गीत में प्रगट करते हुए इतने लोग फिर नहीं पाए गए।
बाइबल अध्यन
निर्गमन 14 1 यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इस्राएलियों को आज्ञा दे, कि वे लौटकर मिगदोल और समुद्र के बीच पीहहीरोत के सम्मुख, बालसपोन के साम्हने अपने डेरे खड़े करें, उसी के साम्हने समुद्र के तट पर डेरे खड़े करें। 3 तब फिरौन इस्राएलियों के विषय में सोचेगा, कि वे देश के उलझनोंमें बझे हैं और जंगल में घिर गए हैं। 4 तब मैं फिरौन के मन को कठोर कर दूंगा, और वह उनका पीछा करेगा, तब फिरौन और उसकी सारी सेना के द्वारा मेरी महिमा होगी; और मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं। और उन्होंने वैसा ही किया। 5 जब मिस्र के राजा को यह समाचार मिला कि वे लोग भाग गए, तब फिरौन और उसके कर्मचारियों का मन उनके विरुद्ध पलट गया, और वे कहने लगे, हम ने यह क्या किया, कि इस्राएलियों को अपनी सेवकाई से छुटकारा देकर जाने दिया? 6 तब उसने अपना रथ जुतवाया और अपनी सेना को संग लिया। 7 उसने छ: सौ अच्छे से अच्छे रथ वरन मिस्र के सब रथ लिए और उन सभों पर सरदार बैठाए। 8 और यहोवा ने मिस्र के राजा फिरौन के मन को कठोर कर दिया। सो उसने इस्राएलियों का पीछा किया; परन्तु इस्राएली तो बेखटके निकले चले जाते थे। 9 पर फिरौन के सब घोड़ों, और रथों, और सवारों समेत मिस्री सेना ने उनका पीछा करके उन्हें, जो पीहहीरोत के पास, बालसपोन के साम्हने, समुद्र के तीर पर डेरे डाले पड़े थे, जा लिया॥ 10 जब फिरौन निकट आया, तब इस्राएलियों ने आंखे उठा कर क्या देखा, कि मिस्री हमारा पीछा किए चले आ रहे हैं; और इस्राएली अत्यन्त डर गए, और चिल्लाकर यहोवा की दोहाई दी। 11 और वे मूसा से कहने लगे, क्या मिस्र में कबरें न थीं जो तू हम को वहां से मरने के लिये जंगल में ले आया है? तू ने हम से यह क्या किया, कि हम को मिस्र से निकाल लाया? 12 क्या हम तुझ से मिस्र में यही बात न कहते रहे, कि हमें रहने दे कि हम मिस्रियों की सेवा करें? हमारे लिये जंगल में मरने से मिस्रियों की सेवा करनी अच्छी थी। 13 मूसा ने लोगों से कहा, डरो मत, खड़े खड़े वह उद्धार का काम देखो, जो यहोवा आज तुम्हारे लिये करेगा; क्योंकि जिन मिस्रियों को तुम आज देखते हो, उन को फिर कभी न देखोगे। 14 यहोवा आप ही तुम्हारे लिये लड़ेगा, इसलिये तुम चुपचाप रहो॥ 15 तब यहोवा ने मूसा से कहा, तू क्यों मेरी दोहाई दे रहा है? इस्राएलियों को आज्ञा दे कि यहां से कूच करें। 16 और तू अपनी लाठी उठा कर अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा, और वह दो भाग हो जाएगा; तब इस्राएली समुद्र के बीच हो कर स्थल ही स्थल पर चले जाएंगे। 17 और सुन, मैं आप मिस्रियों के मन को कठोर करता हूं, और वे उनका पीछा करके समुद्र में घुस पड़ेंगे, तब फिरौन और उसकी सेना, और रथों, और सवारों के द्वारा मेरी महिमा होगी, तब मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं। 18 और जब फिरौन, और उसके रथों, और सवारों के द्वारा मेरी महिमा होगी, तब मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं। 19 तब परमेश्वर का दूत जो इस्राएली सेना के आगे आगे चला करता था जा कर उनके पीछे हो गया; और बादल का खम्भा उनके आगे से हटकर उनके पीछे जा ठहरा। 20 इस प्रकार वह मिस्रियों की सेना और इस्राएलियों की सेना के बीच में आ गया; और बादल और अन्धकार तो हुआ, तौभी उससे रात को उन्हें प्रकाश मिलता रहा; और वे रात भर एक दूसरे के पास न आए। 21 और मूसा ने अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ाया; और यहोवा ने रात भर प्रचण्ड पुरवाई चलाई, और समुद्र को दो भाग करके जल ऐसा हटा दिया, जिससे कि उसके बीच सूखी भूमि हो गई। 22 तब इस्राएली समुद्र के बीच स्थल ही स्थल पर हो कर चले, और जल उनकी दाहिनी और बाईं ओर दीवार का काम देता था। 23 तब मिस्री, अर्थात फिरौन के सब घोड़े, रथ, और सवार उनका पीछा किए हुए समुद्र के बीच में चले गए। 24 और रात के पिछले पहर में यहोवा ने बादल और आग के खम्भे में से मिस्रियों की सेना पर दृष्टि करके उन्हें घबरा दिया। 25 और उसने उनके रथों के पहियों को निकाल डाला, जिससे उनका चलना कठिन हो गया; तब मिस्री आपस में कहने लगे, आओ, हम इस्राएलियों के साम्हने से भागें; क्योंकि यहोवा उनकी ओर से मिस्रियों के विरुद्ध युद्ध कर रहा है॥ 26 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा, कि जल मिस्रियों, और उनके रथों, और सवारों पर फिर बहने लगे। 27 तब मूसा ने अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ाया, और भोर होते होते क्या हुआ, कि समुद्र फिर ज्यों का त्योंअपने बल पर आ गया; और मिस्री उलटे भागने लगे, परन्तु यहोवा ने उन को समुद्र के बीच ही में झटक दिया। 28 और जल के पलटने से, जितने रथ और सवार इस्राएलियों के पीछे समुद्र में आए थे, सो सब वरन फिरौन की सारी सेना उस में डूब गई, और उस में से एक भी न बचा। 29 परन्तु इस्राएली समुद्र के बीच स्थल ही स्थल पर हो कर चले गए, और जल उनकी दाहिनी और बाईं दोनों ओर दीवार का काम देता था। 30 और यहोवा ने उस दिन इस्राएलियों को मिस्रियों के वश से इस प्रकार छुड़ाया; और इस्राएलियों ने मिस्रियों को समुद्र के तट पर मरे पड़े हुए देखा। 31 और यहोवा ने मिस्रियों पर जो अपना पराक्रम दिखलाता था, उसको देखकर इस्राएलियों ने यहोवा का भय माना और यहोवा की और उसके दास मूसा की भी प्रतीति की॥
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 : फिरौन ने इस्राएलियों को क्यों जाने दिया ?
उ 1 : जब परमेश्वर के दूत ने मिश्र के सभी पहिलौठों को मार डाला जिसमे फिरौन के पहिलौठे से लकेर उसके दासों के पहिलौठे और उनके पशुओं के पहिलौठे भी मार डाले गये । मिश्र मे बड़ा आहाकार मचा तब फिरौन और उसके लोगों ने शीग्रता से इस्राऐलियों को मिश्र से निकाल दिया ।प्र 2 : उसने फिर उनका पीछा क्यों किया ?
उ 2 : फिरौन ने फिर उनका पीछा किया क्योंकि दूसरे दिन उसका मन बदल गया ।प्र 3 : इस्राएलियों ने कहाँ डेरे डाले ?
उ 3 : इस्राऐलियों ने लाल समुन्द्र के तट पर डेरे डाले ।प्र 4 : लाल समुद्र के तट पर इस्राएलियों पर क्या संकट आया ?
उ 4 : लाल समुन्द्र के तट पर इस्राऐलियों ने फिरौन कि सेना अपनी ओर आते देखा ।प्र 5 : लोगों ने मूसा के विरुद्ध में क्या कहा ?
उ 5 : लोगों ने मूसा के विरोध मे यह कहा कि यहाँ जंगल मरने से अच्छा यह होता कि मिस्रीयो की सेवा करते मरते ।प्र 6 : इस्राएलियों ने लाल समुद्र कैसे पार किया ?
उ 6 : परमेश्वर ने मूसा से कहा कि अपनी लाठी उठा कर अपना हाथ समुन्द्र के ऊपर बढ़ा और वह दो भाग हों जायेगा और इस्राएली समुन्द्र के बीच स्थल पर हों कर पर जायेगे ।प्र 7 : उस पार पहुँचने पर इस्राएलियों ने क्या किया ?
उ 7 : उस पार पहुँच कर इस्राऐलियों ने परमेश्वर कि स्तुती गाई ।संगीत
सेनाओ का यहोवा महान है युद्ध तंत्र में वह अनुपम है दुश्मन फंसाए ,जाल में अपने भक्तों को ,दी महाविजय ।
उसका हाथ ,छोटा हुआ क्या ? मेरे लिए ख्याल ,कम हुआ क्या? पाप जब बढ़ा ,अनुग्रह भी बढ़ा परमेश्वर है मेरे, विचारों से बड़ा ।