पाठ 13 : मूसा का जन्म

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सारांश

आज हम मिस्र में जन्म होकर पाले पोसे गये एक लड़के के विषय में सीखेंगे। जब यूसुफ मिस्र का प्रधानमंत्री था उसके भाई अन्न खरीदने मिस्र में आए। उन्होंने यूसुफ के सामने दण्डवत करके उस से अन्न खरीदा। जब वे दूसरी बार मिस्र में आए यूसुफ ने उन्हें बताया कि वह कौन है। उसके पश्चात यूसुफ के पिता और उसके भाई अपने परिवारों के साथ मिस्र में आकर रहने लगे। आकाल के दिनों में उनकी अच्छी देखभाल हुई और वे फिर लौटकर कनान को नहीं गए। याकूब और यूसुफ और उसके भाई मिस्र में ही मर गए, परन्तु उनके बालबच्चे बड़ी संख्या में बढ़ गए। परमेश्वर ने याकूब का नाम इस्राएल रखा, इसलिए उसकी सन्तान इस्राएली कहलाए। उस से पहले वे इब्री कहलाते थे और इब्रानी भाषा बोला करते थे। जब एक नया राजा जो यूसुफ को नहीं जानता था राज्य करने लगा, उसने कहा! “इस्राएलियों की संख्या बहुत अधिक हो गई है। यदि युद्ध हुआ तो वे हमारे शत्रुओं के साथ मिलकर हम पर वार कर सकते हैं। ” सो राजा ने उनकी संख्या बढ़ने से रोकने का फैसला किया। उसने उनसे गुलामों की तरह व्यवहार किया और बहुत कड़ी मेहनत करवाई। उनसे नये नगर बनवाए और उनके हाकिम उन्हें कोड़ों से मारा करते थे। फिर भी उनकी गिनती बढ़ती ही गई। तब राजा ने आज्ञा दी कि हर नए जन्मे हुए लड़के को नील नदी में फेंक दिया जाए। उन दिनों मे अम्राम नामक एक व्यक्ति और उसकी पत्नी योकोबेद मिस्र में रहते थे। उनका एक सुन्दर लड़का हुआ। उसकी मां ने उसे बचाने का फैसला किया। उसने परमेश्वर पर विश्वास करके उसे तीन महीनों तक छिपाया। जब वह उसे और छिपा न सकती थी, उसने सरकंडे की टोकरी लेकर उस पर चिकनी मिट्टी और राल लगाई ताकि पानी में न डूबे। तब उसने बालक को उस टोकरी में डालकर उसे नदी के किनारे तीर पर कांसों के बीच छोड़ आई। वह चली गई परन्तु बालक की बहन यह देखने के लिए कि क्या होता है वहीं छिपी रही। उसी समय फिरौन की बेटी नदी में नहाने के लिए आई। उसने टोकरी को देखकर अपनी दासी को उसे अपने पास लाने को कहा। जब उसने टोकरी खोली तो बच्चा रोने लगा। फिरौन की बेटी ने जाना कि ये किसी इब्री का बच्चा है, और उसे उस पर तरस आया और उसने बच्चे की रक्षा करने का मन बनाया। तब बच्चे की बहन ने आकर पूछा कि क्या वो किसी इब्री स्त्री को बच्चे की देखभाल करने के लिए बुलाए? फिरौन की बेटी ने हां कहा, और लड़की ने जाकर बच्चे की मां को बुलाया। फिरौन की बेटी ने उस से कहा! “इस बच्चे को ले जा और मेरे लिए इसका पालन पोषण कर और मैं तुझे वेतन दूंगी।” परमेश्वर की योजना अनुसार बच्चे की माता अपने बेटे की देखभाल कर सकी और उसे इसके लिए पैसा भी दिया गया। समय का फायदा उठाकर उसने अपने लड़के को समझाया कि वह कौन है। उसने उसे जीवित परमेश्वर ओर परमेश्वर के चुने हुए लोगों के विषय में बताया। इस से उसके बेटे को बड़ा होने पर परमेश्वर ओर उसके लोगों के प्रति निर्णय लेने में सहायता हुई। जब लड़का बड़ा हुआ वह उसे फिरौन की बेटी के पास ले गई, और लड़का फिरौन की बेटी का बेटा कहलाया। फिरौन की बेटी ने उसे पानी से निकाला था इसलिए उसका नाम मूसा रखा। मूसा राजा के राजमहल में बड़ा हुआ और मिस्र देश की सब से अच्छी विद्या पाई।

बाइबल अध्यन

निर्गमन 2:1-10 1 लेवी के घराने के एक पुरूष ने एक लेवी वंश की स्त्री को ब्याह लिया। 2 और वह स्त्री गर्भवती हुई और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ; और यह देखकर कि यह बालक सुन्दर है, उसे तीन महीने तक छिपा रखा। 3 और जब वह उसे और छिपा न सकी तब उसके लिये सरकंड़ों की एक टोकरी ले कर, उस पर चिकनी मिट्टी और राल लगाकर, उस में बालक को रखकर नील नदी के तीर पर कांसों के बीच छोड़ आई। 4 उस बालक कि बहिन दूर खड़ी रही, कि देखे इसका क्या हाल होगा। 5 तब फिरौन की बेटी नहाने के लिये नदी के तीर आई; उसकी सखियां नदी के तीर तीर टहलने लगीं; तब उसने कांसों के बीच टोकरी को देखकर अपनी दासी को उसे ले आने के लिये भेजा। 6 तब उसने उसे खोल कर देखा, कि एक रोता हुआ बालक है; तब उसे तरस आया और उसने कहा, यह तो किसी इब्री का बालक होगा। 7 तब बालक की बहिन ने फिरौन की बेटी से कहा, क्या मैं जा कर इब्री स्त्रियों में से किसी धाई को तेरे पास बुला ले आऊं जो तेरे लिये बालक को दूध पिलाया करे? 8 फिरौन की बेटी ने कहा, जा। तब लड़की जा कर बालक की माता को बुला ले आई। 9 फिरौन की बेटी ने उससे कहा, तू इस बालक को ले जा कर मेरे लिये दूध पिलाया कर, और मैं तुझे मजदूरी दूंगी। तब वह स्त्री बालक को ले जा कर दूध पिलाने लगी। 10 जब बालक कुछ बड़ा हुआ तब वह उसे फिरौन की बेटी के पास ले गई, और वह उसका बेटा ठहरा; और उसने यह कहकर उसका नाम मूसा रखा, कि मैं ने इस को जल से निकाल लिया॥

प्रश्न-उत्तर

प्र 1 : याकूब और उसका परिवार मिस्र में रहने के लिए क्यों आए ?उ 1 :जब याकूब और उसका परिवार अन्न मोल लेने के लिए मिश्र मे आये तब यूसुफ ने अपनी पहचान बताई उसके बाद वे वहीं पर रहने लगे ।
प्र 2 : नवजात लड़कों के लिए फिरौन की क्या आज्ञा थी ?उ 2 : नवजात लड़कों के लिये फिरौन की यह आज्ञा थी कि नदी मे फेंक दिये जाए ।
प्र 3 : मूसा कैसे जीवित बच गया ?उ 3 : मूसा की माँ ने परमेश्वर पर विश्वास करते हुए उसको तीन महीने तक छिपाकर रखा । जब वह उसे और छिपा न सकी ,तब उसने सरकंडों की एक टोकरी लकेर चिकनी मिट्टी और राल लगाई ,ताकि उसके अंदर पानी न जा सके । फिर उसने बालक को उसमे रखा और नील नदी के काँसो के बीच छोड़ आई । उस बालक की बड़ी बहन छिपकर दखती रही कि उसके साथ क्या होगा । तभी फिरौन कि पुत्री स्नान करने के लिये नदी के तीर पर आई । उसने वह टोकरी देखी और उसे लाने के लिये अपनी दासी को भेजा । जब उसने टोकरी खोली तब बालक रोने लगा । फिरौन की बेटी को उस पर तरस आया । उसने उस बालक को सुरक्षित रखने का निर्णय लिया ।
प्र 4 : किसने दूध पिलाकर उसको पाला ?उ 4 : मूसा की माँ ने उसे दूध पिलाकर बड़ा किया ।

संगीत

(TUNE: नामान ने एलीशा की बात मानकर )

मरियम ने राजा की बात मानकर मूसा को नील नदी में रख दिया ।

फिरौन की बेटी ने उसको पाया सुन्दर बालक मूसा गोद लिया ।

देखो यह कैसा चमत्कार हुआ गुलाम बालक राजकुमार बना ।

ईश्ववर से कुछ भी असंभव नहीं निडरता से आज्ञा मानो उसकी ।

तेरा भी जीवन चमत्कार होगा जयवन्त से बढ़कर प्रभु बनाएगा ।