पाठ 6 : पवित्र आत्मा
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सारांश
पवित्र आत्मा पिता परमेश्वर, पुत्र परमेश्वर और पवित्र आत्मा परमेश्वर - यही खुदा की त्रिएकता है। पुराने समय में पिता परमेश्वर नबियों के द्वारा इन्सानों से बातें करते थे। लेकिन वही परमेश्वर देहधारी होकर जगत में आये। वही यीशु मसीह पापों की माफी के लिए सिद्ध बली हुऐ। यीशु मसीह ने जी उठकर स्वर्ग में पहुंचकर पवित्र आत्मा को दुनिया में भेजा। इसके पश्चात् पेन्तिकुस्त के दिन (जो कि 50वें दिन का यहूदिया का त्यौहार है) में पवित्र आत्मा दृश्य रूप में इस दुनियां में आया। पवित्र आत्मा एक शक्ति से बढ़कर एक व्यक्ति है। (युहन्ना 16:8-10) के अनुसार पवित्र आत्मा हमें धार्मिकता, पाप और आने वाले न्याय के विषय में समझाती है।
पवित्र आत्मा को कैसे पा सकते हैं:- (रोमियों 10: 9) के अनुसार जो व्यक्ति यीशु मसीह पर विश्वास करते है वे परमेश्वर की संतान बन जाते है ( युहन्ना 1:12 )। उस व्यक्ति पर पिता परमेश्वर,पवित्र आत्मा से मोहर लगाते है। इफिसियों 1: 13-14 में यह बात स्पष्ट है - उसी में तुम पर भी जब तुमने सत्य का वचन सुना, जो तुम्हारे का उद्धार का सुसमाचार है, और जिस पर तुमने विश्वास किया-प्रतिज्ञा किये हुए पवित्र आत्मा की छाप लगी। वह उसके मोल लिए हुओ के छुटकारे के लिए हमारी मीरास का बयाना है कि उसकी महिमा की स्तुति हो। इसका नमूना हैः- प्ररितों 10 में कुरनेलियुस के घर में पतरस के द्वारा सुने हुए सुसमाचार पर अन्यजाति लोगों ने जब विश्वास किया तो उन पर भी दृश्य रूप में पवित्र आत्मा आया।
जिन्होंने पवित्र आत्मा पाया है उनके जीवन में आत्मिक फल प्रगट होते है, (गलातियों 5:22-23) पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता और संयम है; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं। प्रभु यीशु मसीह ने भी एक बार ऐसा कहा था कि एक वृक्ष उसके फलों से ही पहचाना जाता है।
आत्मा के वरदान पवित्र आत्मा हर व्यक्ति को कुछ ना कुछ आत्मिक वरदान देता है, जिनमें सबसे बड़ा प्रेम है। पवित्र आत्मा के कुछ स्थाई और कुछ अस्थाई वरदान इस प्रकार हैः- उपदेशक, मदद करने का वरदान, प्रचारक, सिखानेवाले (पास्टर), लोगों को आर्थिक मदद करनेवाले, विश्वास इत्यादि ये स्थाई वरदान है। अस्थाई वरदानों में से कुछ वरदान जो कलीसिया की शुरूआत के लिए दिये गये थे इस प्रकार हैं:- प्रेरित बनना, भविष्यद्वाणी, चमत्कार करने का वरदान, चंगाई का वरदान, आत्माओं को परखना, अद्भुत ज्ञान, अन्य बोली और उसका अनुवाद इत्यादि। कुछ वरदान कलीसिया की शुरूआत के समय पर चिन्ह् के रूप में प्रगट तो हुए। लेकिन बाद में वे वरदान मिटते गये और लुप्त हो गये हैं। (1 कुरिन्थियों 13:8)
इन दिनों में शैतान बड़ी चालाकी के साथ पवित्र आत्मा की नकल करता है। बंदगियों में गीतों की ध्वनि और शारीरिक कंपनों के द्वारा मानसिक बंधिश (विभ्राती) पैदा करके वह साधारण लोगों को धोखा देता है। हमारा परमेश्वर गड़बड़ी का नहीं पर शान्ति का परमेश्वर है - 1 कुरिन्थियों 14:33 परमेश्वर का पवित्र आत्मा हमें उस (ईश्वर) तक पहुंचाने में सहायक है। वह हमें आत्मिक बातें सिखाता है।
मन फिराने में पवित्र आत्मा की भूमिका एक व्यक्ति के जीवन में पाप का एहसास सबसे पहले परमेश्वर की पवित्र आत्मा ही दिलाती है। जब वह व्यक्ति अपने पापों से शोकित होकर रोता है और कहता है- “कि प्रभु मुझ पापी पर दया कर”! तो पवित्र आत्मा उन्हें सिर्फ यीशु मसीह के लहू के द्वारा ही सम्पूर्ण माफी और धार्मिकता है यह बात समझाती है। साथ ही वह उन्हें आने वाले न्याय से और नरक से बचने का रास्ता भी बताती है। इस प्रकार परमेश्वर के बनाये हुए उद्धार को स्वीकार करने में पवित्र आत्मा अहम भूमिका निभाती है।
जब कोई व्यक्ति अपने मुंह से उद्धार के लिए एलान करता है और यीशु मसीह को हृदय से स्वीकार करता है तो वह व्यक्ति पवित्र आत्मा के द्वारा संचालित किया जाता है। उस व्यकित का शरीर पवित्र आत्मा का मंदिर हो जाता है, इसलिए उसे शारीरिक इच्छाओं,सांसारिक धोखा और शैतान की चालाकी से बचना चाहिए। इसके लिए उसे प्रतिदिन प्रार्थना एवं बाईबल का अध्ययन करना चाहिए ताकि वह पवित्र आत्मा की मदद से रूकावटों पर विजय प्राप्त कर सके।
एक व्यक्ति पवित्र आत्मा पाने के बाद जान बूझकर पाप नहीं करता। लेकिन यदि कोई व्यक्ति पाप में गिर जाए तो उसी समय उसकी माफी मांगनी भी जरूरी है, नहीं तो पवित्र आत्मा परमेश्वर शोकित हो जाता है और उस व्यक्ति का आत्मिक उल्लास खत्म हो जाता है।
आत्मा में भरपूर होते जाओ एक व्यक्ति का पवित्र आत्मा परमेश्वर से भर जाना परमेश्वर की इच्छा से है। (इफिसियों:5:18) पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ। जब कोई व्यक्ति पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाता है, तो उसके जीवन में आत्मिक फल दिखाई देते है। वह व्यक्ति हमेशा आनन्द से भजन स्तुति-गीत व आत्मिक गीत गायेंगे, और अपने मन में ही हर बात के लिए परमेश्वर पिता को धन्यवाद करेंगे, और परमेश्वर के भय में एक दूसरे के अधीन रहेंगे यानि नम्र होंगे। परमेश्वर के वचन में स्पष्टता से लिखी हुई बातों का उल्घंन करनेवाला और संसारिक मोह और लालच से भरा हुआ व्यक्ति पवित्र आत्मा के अधीन नहीं है।
बाइबल अध्यन
यूहन्ना 16:8-10 8 और वह आकर संसार को पाप और धामिर्कता और न्याय के विषय में निरूत्तर करेगा। 9 पाप के विषय में इसलिये कि वे मुझ पर विश्वास नहीं करते। 10 और धामिर्कता के विषय में इसलिये कि मैं पिता के पास जाता हूं, रोमियों 10:9 9 कि यदि तू अपने मुंह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करे, कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा। यूहन्ना 1:12 12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। इफिसियों 1:13,14 13 और उसी में तुम पर भी जब तुम ने सत्य का वचन सुना, जो तुम्हारे उद्धार का सुसमाचार है, और जिस पर तुम ने विश्वास किया, प्रतिज्ञा किए हुए पवित्र आत्मा की छाप लगी। 14 वह उसके मोल लिए हुओं के छुटकारे के लिये हमारी मीरास का बयाना है, कि उस की महिमा की स्तुति हो॥ प्रेरितों के काम 10- अध्याय 1 कैसरिया में कुरनेलियुस नाम ऐक मनुष्य था, जो इतालियानी नाम पलटन का सूबेदार था। 2 वह भक्त था, और अपने सारे घराने समेत परमेश्वर से डरता था, और यहूदी लागों को बहुत दान देता, और बराबर परमेश्वर से प्रार्थना करता था। 3 उस ने दिन के तीसरे पहर के निकट दर्शन में स्पष्ट रूप से देखा, कि परमेश्वर का एक स्वर्गदूत मेरे पास भीतर आकर कहता है; कि हे कुरनेलियुस। 4 उस ने उसे ध्यान से देखा; और डरकर कहा; हे प्रभु क्या है उस ने उस से कहा, तेरी प्रार्थनाएं और तेरे दान स्मरण के लिये परमेश्वर के साम्हने पहुंचे हैं। 5 और अब याफा में मनुष्य भेजकर शमौन को, जो पतरस कहलाता है, बुलवा ले। 6 वह शमौन चमड़े के धन्धा करने वाले के यहां पाहुन है, जिस का घर समुद्र के किनारे है। 7 जब वह स्वर्गदूत जिस ने उस से बातें की थीं चला गया, तो उस ने दो सेवक, और जो उसके पास उपस्थित रहा करते थे उन में से एक भक्त सिपाही को बुलाया। 8 और उन्हें सब बातें बता कर याफा को भेजा॥ 9 दूसरे दिन, जब वे चलते चलते नगर के पास पहुंचे, तो दो पहर के निकट पतरस कोठे पर प्रार्थना करने चढ़ा। 10 और उसे भूख लगी, और कुछ खाना चाहता था; परन्तु जब वे तैयार कर रहे थे, तो वह बेसुध हो गया। 11 और उस ने देखा, कि आकाश खुल गया; और एक पात्र बड़ी चादर के समान चारों कोनों से लटकता हुआ, पृथ्वी की ओर उतर रहा है। 12 जिस में पृथ्वी के सब प्रकार के चौपाए और रेंगने वाले जन्तु और आकाश के पक्षी थे। 13 और उसे एक ऐसा शब्द सुनाईं दिया, कि हे पतरस उठ, मार के खा। 14 परन्तु पतरस ने कहा, नहीं प्रभु, कदापि नहीं; क्योंकि मैं ने कभी कोई अपवित्र या अशुद्ध वस्तु नहीं खाई है। 15 फिर दूसरी बार उसे शब्द सुनाईं दिया, कि जो कुछ परमेश्वर ने शुद्ध ठहराया है, उसे तू अशुद्ध मत कह। 16 तीन बार ऐसा ही हुआ; तब तुरन्त वह पात्र आकाश पर उठा लिया गया॥ 17 जब पतरस अपने मन में दुविधा कर रहा था, कि यह दर्शन जो मैं ने देखा क्या है, तो देखो, वे मनुष्य जिन्हें कुरनेलियुस ने भेजा था, शमौन के घर का पता लगाकर डेवढ़ी पर आ खड़े हुए। 18 और पुकारकर पूछने लगे, क्या शमौन जो पतरस कहलाता है, यहीं पाहुन है 19 पतरस जो उस दर्शन पर सोच ही रहा था, कि आत्मा ने उस से कहा, देख, तीन मनुष्य तेरी खोज में हैं। 20 सो उठकर नीचे जा, और बेखटके उन के साथ हो ले; क्योंकि मैं ही ने उन्हें भेजा है। 21 तब पतरस ने उतरकर उन मनुष्यों से कहा; देखो, जिसकी खोज तुम कर रहे हो, वह मैं ही हूं; तुम्हारे आने का क्या कारण है 22 उन्होंने कहा; कुरनेलियुस सूबेदार जो धर्मी और परमेश्वर से डरने वाला और सारी यहूदी जाति में सुनामी मनुष्य है, उस ने एक पवित्र स्वर्गदूत से यह चितावनी पाई है, कि तुझे अपने घर बुलाकर तुझ से वचन सुने। 23 तब उस ने उन्हें भीतर बुलाकर उन की पहुनाईं की॥ और दूसरे दिन, वह उनके साथ गया; और याफा के भाइयों में से कई उसके साथ हो लिए। 24 दूसरे दिन वे कैसरिया में पहुंचे, और कुरनेलियुस अपने कुटुम्बियों और प्रिय मित्रों को इकट्ठे करके उन की बाट जोह रहा था। 25 जब पतरस भीतर आ रहा था, तो कुरनेलियुस ने उस से भेंट की, और पांवों पड़ के प्रणाम किया। 26 परन्तु पतरस ने उसे उठाकर कहा, खड़ा हो, मैं भी तो मनुष्य हूं। 27 और उसके साथ बातचीत करता हुआ भीतर गया, और बहुत से लोगों को इकट्ठे देखकर। 28 उन से कहा, तुम जानते हो, कि अन्यजाति की संगति करना या उसके यहां जाना यहूदी के लिये अधर्म है, परन्तु परमेश्वर ने मुझे बताया है, कि किसी मनुष्य को अपवित्र था अशुद्ध न कहूं। 29 इसी लिये मैं जब बुलाया गया; तो बिना कुछ कहे चला आया: अब मैं पूछता हूं कि मुझे किस काम के लिये बुलाया गया है 30 कुरनेलियुस ने कहा; कि इस घड़ी पूरे चार दिन हुए, कि मैं अपने घर में तीसरे पहर को प्रार्थना कर रहा था; कि देखो, एक पुरूष चमकीला वस्त्र पहिने हुए, मेरे साम्हने आ खड़ा हुआ। 31 और कहने लगा, हे कुरनेलियुस, तेरी प्रार्थना सुन ली गई, और तेरे दान परमेश्वर के साम्हने स्मरण किए गए हैं। 32 इस लिये किसी को याफा भेजकर शमौन को जो पतरस कहलाता है, बुला; वह समुद्र के किनारे शमौन चमड़े के धन्धा करने वाले के घर में पाहुन है। 33 तब मैं ने तुरन्त तेरे पास लोग भेजे, और तू ने भला किया, जो आ गया: अब हम सब यहां परमेश्वर के साम्हने हैं, ताकि जो कुछ परमेश्वर ने तुझ से कहा है उसे सुनें। 34 तब पतरस ने मुंह खोलकर कहा; 35 अब मुझे निश्चय हुआ, कि परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता, वरन हर जाति में जो उस से डरता और धर्म के काम करता है, वह उसे भाता है। 36 जो वचन उस ने इस्त्राएलियों के पास भेजा, जब कि उस ने यीशु मसीह के द्वारा (जो सब का प्रभु है) शान्ति का सुसमाचार सुनाया। 37 वह बात तुम जानते हो जो यूहन्ना के बपतिस्मा के प्रचार के बाद गलील से आरम्भ करके सारे यहूदिया में फैल गई। 38 कि परमेश्वर ने किस रीति से यीशु नासरी को पवित्र आत्मा और सामर्थ से अभिषेक किया: वह भलाई करता, और सब को जो शैतान के सताए हुए थे, अच्छा करता फिरा; क्योंकि परमेश्वर उसके साथ था। 39 और हम उन सब कामों के गवाह हैं; जो उस ने यहूदिया के देश और यरूशलेम में भी किए, और उन्होंने उसे काठ पर लटकाकर मार डाला। 40 उस को परमेश्वर ने तीसरे दिन जिलाया, और प्रगट भी कर दिया है। 41 सब लोगों को नहीं वरन उन गवाहों को जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से चुन लिया था, अर्थात हम को जिन्हों ने उसके मरे हुओं में से जी उठने के बाद उसके साथ खाया पीया। 42 और उस ने हमें आज्ञा दी, कि लोगों में प्रचार करो; और गवाही दो, कि यह वही है; जिसे परमेश्वर ने जीवतों और मरे हुओं का न्यायी ठहराया है। 43 उस की सब भविष्यद्वक्ता गवाही देते हें, कि जो कोई उस पर विश्वास करेगा, उस को उसके नाम के द्वारा पापों की क्षमा मिलेगी॥ 44 पतरस ये बातें कह ही रहा था, कि पवित्र आत्मा वचन के सब सुनने वालों पर उतर आया। 45 और जितने खतना किए हुए विश्वासी पतरस के साथ आए थे, वे सब चकित हुए कि अन्यजातियों पर भी पवित्र आत्मा का दान उंडेला गया है। 46 क्योंकि उन्होंने उन्हें भांति भांति की भाषा बोलते और परमेश्वर की बड़ाई करते सुना। 47 इस पर पतरस ने कहा; क्या कोई जल की रोक कर सकता है, कि ये बपतिस्मा न पाएं, जिन्हों ने हमारी नाईं पवित्र आत्मा पाया है 48 और उस ने आज्ञा दी कि उन्हें यीशु मसीह ने नाम में बपतिस्मा दिया जाए: तब उन्होंने उस से बिनती की कि कुछ दिन हमारे साथ रह॥ गलातियों 5:22,23 22 पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, 23 और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं। 1 कुरिन्थियों 13:8 8 प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्त हो जाएंगी, भाषाएं हो तो जाती रहेंगी; ज्ञान हो, तो मिट जाएगा। 1 कुरिन्थियों 14:33 33 क्योंकि परमेश्वर गड़बड़ी का नहीं, परन्तु शान्ति का कर्त्ता है; जैसा पवित्र लोगों की सब कलीसियाओं में है॥ इफिसियों 5:18 18 और दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इस से लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ।
संगीत
मुझमें यीशु की शोभा दिखाई दे, उसका अद्भुत प्यार और वह निर्मलता, हे तू, आत्मा पवित्र! कर शुद्ध मेरा चरित्र, मुझमें यीशु की शोभा दिखाई दे।
2 मुझमें यीशु की शांति दिखाई दे
उसकी वह स्थिरता, दीनता और नम्रता,
हे तू, आत्मा पवित्र! कर शुद्ध मेरा चरित्र,
जब तक मुझमें न शांति दिखाई दे।
3 मुझमें यीशु का सत्य दिखाई दे, उसकी आज्ञाकारिता और धार्मिकता, हे तू, आत्मा पवित्र! कर शुद्ध मेरा चरित्र, जब तक सत्य न मुझमें दिखाई दे।
4 मुझमें यीशु की प्रीति दिखाई दे, उसका अद्भुत आनन्द और निष्कपटता, हे तू, आत्मा पवित्र! कर शुद्ध मेरा चरित्र, जब तक मुझमें न प्रीति दिखाई दे।